Bhopal Reporter
Tuesday, June 2, 2015
Wednesday, May 6, 2015
ष्प गृह निर्माण सह संस्था के 24 प्लाटों की रजिस्ट्री पर रोक Tocnews@Bhopal
पुष्प गृह निर्माण सह संस्था के 24 प्लाटों की रजिस्ट्री पर रोक
Tocnews@Bhopal
भोपाल.पत्रकार धीरज लखनपाल शर्मा जी ने पुष्प गृह निर्माण सह संस्था में वरियता का उल्लघन कर फर्जी तरीके से भुखडो की बंदरबांट का खुलासा किया गया था जिसके फलस्वरूप संस्था के अध्यक्ष दिनेश सिंह चोहान जो खुद को मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बताकर अडी बाजी करता है एंव संस्था के ही उपाध्यक्ष अमित भट्ट ने योजना बनाकर हमारे पत्रकार साथी धीरज लखनपाल शर्मा एवं उनकी मां पर रात १२.३० बजे उनके निवास पर हमला किया गया जिसकी FIR थाना मिसरोद में दर्ज हो चुंकी है एवं सहकारिता उपायुक्त ने दिनांक 5/5/15 को संथा पर २४ प्लाटों पर रजिस्ट्री पर रोक लगा दि गई है पर सहकारिता विभाग ने पुर्व में भी इसी तरह २ बार रोक लगाई गई थी पर कहीं ना कही सहकारिता पर भी संदेह के घेरे में नजर आता है जब मामला ewo पुलिस ने मामला जिला कोर्ट में विचाराधीन है तो यह रजिस्ट्रीयं क्यो हो रही है क्यो पुराने सदस्यों को आज तक प्लाट उपल्बध नही हुये सोचने का विशय है क्यों पुराने सदस्यों को आज तक प्लाट अवंटन नही हुये...??
भोपाल.पत्रकार धीरज लखनपाल शर्मा जी ने पुष्प गृह निर्माण सह संस्था में वरियता का उल्लघन कर फर्जी तरीके से भुखडो की बंदरबांट का खुलासा किया गया था जिसके फलस्वरूप संस्था के अध्यक्ष दिनेश सिंह चोहान जो खुद को मुख्यमंत्री का रिश्तेदार बताकर अडी बाजी करता है एंव संस्था के ही उपाध्यक्ष अमित भट्ट ने योजना बनाकर हमारे पत्रकार साथी धीरज लखनपाल शर्मा एवं उनकी मां पर रात १२.३० बजे उनके निवास पर हमला किया गया जिसकी FIR थाना मिसरोद में दर्ज हो चुंकी है एवं सहकारिता उपायुक्त ने दिनांक 5/5/15 को संथा पर २४ प्लाटों पर रजिस्ट्री पर रोक लगा दि गई है पर सहकारिता विभाग ने पुर्व में भी इसी तरह २ बार रोक लगाई गई थी पर कहीं ना कही सहकारिता पर भी संदेह के घेरे में नजर आता है जब मामला ewo पुलिस ने मामला जिला कोर्ट में विचाराधीन है तो यह रजिस्ट्रीयं क्यो हो रही है क्यो पुराने सदस्यों को आज तक प्लाट उपल्बध नही हुये सोचने का विशय है क्यों पुराने सदस्यों को आज तक प्लाट अवंटन नही हुये...??
Saturday, April 4, 2015
हीरेन पटेल की वाटर थिरेपी
हीरेन पटेल की वाटर थिरेपी
यह लेख आपके जीवन के लिए बेहद उपयोगी है अगर इसे आपने समझ लिया तो आप अपने विमारियों के कारणों को आसानी से जान पाएंगे ।
सन 2007 में डाक्टर हिरेन पटेल को 24 घंटे हमेशा थोडा-थोडा बुखार रहता था , जो कि थर्मामीटर में नहीं आता था लेकिन इससे उनका वजन कम होने लगा । उन्होंने भारत के अनेक बड़े-बड़े डाक्टरों को दिखाया और टेस्ट कराया लेकिन उनकी इस वीमारी को कोई डाक्टर पकड़ ( Diagnos) नहीं पाया , कोई डाक्टर लीवर कैंसर तो कोई ल्यूकोमा तो कोई HIV+ आदि-आदि की शंका व्यक्त करते थे । लिहाजा उनकी रातों की नींद गायब हो गयी। अंत में ईश्वर की शरण में गए जहाँ उन्हें आभास हुआ कि आप अमृत का सेवन कीजिये । अब अमृत मिले कहाँ से ? तो उन्होंने अनेक वैदिक ग्रंथों को पढ़ा और उन्हें वहां " अमृत" का तात्पर्य समझ में आया ।
* अमृत दो शब्दों से बना है । आम + रीत ,
आम = सामान्य , रीत = तरीका ( practice)
यानि पानी पीने का सही तरीका ( Travelent Practice of Drinking Water ) भारत में एक कमी है कि हमारे ऋषियों ने जिन तरीको को प्रमाणित करके सिद्द कर रखा है भारत में उस पर खोज नहीं करते, जबकि विदेशों में हर दवाइयों पर Documentation है । हमारे यहाँ माउथ ऑफ़ डॉक्यूमेंटेशन है इस कारण शब्द का मूल अर्थ विलुप्त हो जाता है ।
आम = सामान्य , रीत = तरीका ( practice)
यानि पानी पीने का सही तरीका ( Travelent Practice of Drinking Water ) भारत में एक कमी है कि हमारे ऋषियों ने जिन तरीको को प्रमाणित करके सिद्द कर रखा है भारत में उस पर खोज नहीं करते, जबकि विदेशों में हर दवाइयों पर Documentation है । हमारे यहाँ माउथ ऑफ़ डॉक्यूमेंटेशन है इस कारण शब्द का मूल अर्थ विलुप्त हो जाता है ।
- यदि शरीर को समझना है तो ब्रह्माण्ड को समझना जरुरी है , पृथ्वी पर 73% जल है उसी प्रकार हमारे शरीर में भी 73% जल है । यदि हमारी सारी हड्डियों व मांसपेशियों को निचोड़ा जाए तो 27% स्थूल है ।
- हम जो भी खाते-पीते है वह पानी के माध्यम से शरीर में जाता है पानी का प्रारूप शरीर में रक्त है।
पानी रक्त में घुलकर शरीर के अंगों को पोषकता प्रदान करता है । हम जो पानी पीते है उसका रासायनिक विघटन होता है। जैसे हाइड्रोजन व आक्सीजन ।
शरीर में जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होता है वह साँस से होता है, जिसे प्राणवायु ( Oxigen) कहते है ।
पानी रक्त में घुलकर शरीर के अंगों को पोषकता प्रदान करता है । हम जो पानी पीते है उसका रासायनिक विघटन होता है। जैसे हाइड्रोजन व आक्सीजन ।
शरीर में जो इलेक्ट्रोमैग्नेटिक होता है वह साँस से होता है, जिसे प्राणवायु ( Oxigen) कहते है ।
- यह शरीर हमें अपने माँ-बाप से मिला है , इसीलिए हमारा डीएनए हमारे माँ-वाप से , पूर्वजों से मिलता है, एक अणु से हमारा शरीर कैसे बना ? This is a science of DNA .
यदि हमारे डीएनए में विकृति होगी तो हमें जन्मजात रोग पैदा होते ही शुरू हो जायेंगे।
यदि हमारे डीएनए में विकृति होगी तो हमें जन्मजात रोग पैदा होते ही शुरू हो जायेंगे।
- हमारे शरीर में तीन रचना है १. ओक्सीजन को फैलाना २. भोजन करना व पचाना ३. विजातीय तत्व (Wastage) को बाहर करना । हमारे शरीर में दो तरह का wastage है ।१. Water Soluble २. Non water Soluble जिसे लीवर प्रोसेस करके बाहर निकालता है, तथा किडनी मूत्र के द्वारा प्रोसेस करके शरीर से बाहर निकालती है । अब जरा सोचें ! जो शरीर हमें हमारे माँ-बाप से मिला है उसे क्यूँ Soluble Processing की आदत होगी ?
- हमारे शरीर को Soluble Process करने का तरीका हमारे DNA में हमारे माँ-बाप से मिला । तो क्या हमारे माँ-बाप कोल्ड ड्रिंक्स पीते थे ? यूरिया , रासायनिक खाद खाते थे ? डाई लगाते थे ? चाय-काफी पीते थे ? जंक फूड खाते थे ? नहीं ना ! तो फिर आपके लीवर व किडनी को क्यूँ उन चीजों को प्रोसेस करने की आदत होनी चाहिए । हो सकता है हमारी आने वाली पीड़ी इन्हें प्रोसेस कर पायें लेकिन अभी से कुछ कहना मुश्किल है ।
* * हमारी 90 % विमारियां हमारे शरीर से Wastage ना निकलने के कारण होती है। हमारा मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ़ वेस्टेज प्रोसेस को बिगाड़ा किसने ? खुद हमने
- आज मेडिकल साइंस मानवता से दूर होता जा रहा है इनका उद्देश्य सिर्फ पैसे कमाना है , जिस चीज की कीमत 1000 रुपये है यह फर्मासिस्टकल कम्पनियाँ उसे अस्पताल को 20 हजार में बेचती है और वह अस्पताल उसी सामान के 1.5 से 2 लाख रूपये आपसे वसूलती है कितना अधिक प्रॉफिट मार्जिन है ? ? ये फर्मासिस्टूकल कम्पनियाँ डाक्टरों को मोटे-मोटे गिफ्ट और विदेशी दौरों का पूरा खर्च खुद उठाती है।
* => हमारे शरीर में 73% पानी है और सारे ओर्गन्स पानी में तैरते स्पांज जैसे है यदि स्पांज से पानी निकाल दें तो वह सूख जायेगा, निष्क्रिय हो जायेगा और काम करना बंद कर देगा । हमारे शरीर में जब भी पानी की कमी होती है तो शरीर सबसे पहले बेन व हार्ट को बचाने का प्रयास करता है । शरीर ब्रेन व हार्ट को पानी की कमी नहीं होने देगा उसके लिए वह दूसरे अंगों से पानी को अवशोषित करके ब्रेन व हार्ट को देगा , अब मान लीजिये आपके शरीर में पानी की कमी हो गयी तो शरीर ने आपके पेनक्रियाज से पानी खींच लिया और हार्ट को दे दिया तो क्या होगा ? आपका पेनक्रियाज सूख जायेगा यदि यही क्रिया निरंतर चलती रही तो धीरे-धीरे पेनक्रियाज काम करना बंद कर देगा और काम बंद करते ही इन्सुलिन बनना बंद हो जायेगा और आपको डायबटीज हो जायेगा। शरीर के अन्दर जब भी पानी की कमी होती है शरीर Defective होना शुरू हो जाता है । ब्रेन व हार्ट का पानी सबसे अंत में सूखता है ।
- - शरीर में जब पानी की कमी हो जाती है तो शरीर का wastage नहीं निकलता है वह धीरे-धीरे शरीर में जमा होने लगता है, फिर वह अल्सर का रूप लेता है , फिर टयुमर , फिर कैंसर का रूप ले लेता है । यानि " कैंसर का मूल " शरीर से wastage का ना निकलना है।
* डा. फरीदुल बेटमिन गिलीज एक इजराइली वैज्ञानिक थे , जिन्हें नोबल पुस्कार के लिए चुना गया लेकिन इन फर्मास्विटिकल कंपनियों ने षड्यंत्र करके उन्हें रोक दिया ।
स्पस्टवादी विचारधारा होने के कारण एक बार उन्होंने कुछ बोल दिया होगा तो इजराइल की सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया जहाँ उन्होंने 3000 मरीजों को तीन साल में ठीक किया और वहां पर वाटर थिरेपी के ऊपर एक किताब लिखी " Your Body Many Crises " यह दुनिया के अनेक देशों में प्रतिबंधित है। भारत में भी प्रतिबंधित है यदि आपके कोई रिश्तेदार विदेश में रहते है तो आप उनसे यह किताब मंगवाकर पढ़िए एनाजोन डॉट कॉम । इन्होने अनेक विमारियों को एनालाइज करके लिखा है ।
स्पस्टवादी विचारधारा होने के कारण एक बार उन्होंने कुछ बोल दिया होगा तो इजराइल की सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया जहाँ उन्होंने 3000 मरीजों को तीन साल में ठीक किया और वहां पर वाटर थिरेपी के ऊपर एक किताब लिखी " Your Body Many Crises " यह दुनिया के अनेक देशों में प्रतिबंधित है। भारत में भी प्रतिबंधित है यदि आपके कोई रिश्तेदार विदेश में रहते है तो आप उनसे यह किताब मंगवाकर पढ़िए एनाजोन डॉट कॉम । इन्होने अनेक विमारियों को एनालाइज करके लिखा है ।
- हमारे शरीर में 90% विमारी पानी की कमी के कारण होता है । शरीर के सारे विजातीय तत्व पानी पीने से निकल जाते है। ज्यादा पानी पीने से भी शरीर में सूजन हो जाती है आइये कुछ विमारियों के द्वारा आपको वाटर थिरेपी के विषय में समझाने का प्रयास करते है ।
** ईश्वर ने शरीर से wastage निकलने के लिए मल-मूत्र-पसीना (स्वेद), छींक , पाद आदि प्रारूप दिए हैं ।
=> अस्थमा :- अस्थमा में आदमी साँस नहीं ले पाता है डाक्टर से पूंछो तो कहेंगे कि कैप्लरी में ब्लोकेज है, लेकिन जब पूंछो कि अस्थमा होता क्यों है ? तो डाक्टर कहेंगे श्वांस नलिका में सूजन के कारण , या इन्फेशन के कारण ? अब प्रश्न उठता है कि फिर सबकी श्वांस नलिका में सूजन क्यों नहीं होता है ?
जब फेफड़ा पम्प करता है तो उसे पानी की ज्यादा जरुरत होती है लेकिन शरीर में पानी की कमी है तब ? शरीर फेफड़े का पानी खींचकर हार्ट व ब्रेन को बचाएगा उस समय फेफड़ों में पानी की कमी के कारण कैप्लरी में " स्टामिन " बनेगा अर्थात सूजन होगा । स्टामिन मनुष्य का दुश्मन नहीं है , शरीर स्टामिन बनाती है तो उसका कारण है। मान लीजिये शरीर में पानी की कमी हो जाये तो फेफड़ा सारा पानी खींच लेगा तो उस स्थति में हार्ट व ब्रेन को पानी नहीं मिलेगा लिहाजा हार्ट व ब्रेन ख़राब हो जायेगा ।
1% दवाइयां स्टामिन मैनेजमेंट सिस्टम की है। जब डाक्टर स्प्रे व नोसल ड्राप देते है तो जरा सोचिये वह क्या करता है ? ? वह force fully स्टामिन के ब्लोकेज को खोलने का प्रयास करेगा अब ऐसी स्थति में जब शरीर में पानी की कमी है तो फेफड़ा और सूख जाएगा अतः आपकी दवाओं का डोस बढ़ा दिया जायेगा और एक समय बाद डाक्टर कहेगा आपको दवाइयां असर नहीं कर रही है लिहाजा आपको आर्टिफिशयल कैप्लरी सर्जरी के द्वारा लगवानी पड़ेगी। यह समस्या फिर आएगी तब डाक्टर कहेगा इन्हें घर ले जाइये अब इन्हें दुवाओं की जरुरत है। यानि हम अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे है ।
जब फेफड़ा पम्प करता है तो उसे पानी की ज्यादा जरुरत होती है लेकिन शरीर में पानी की कमी है तब ? शरीर फेफड़े का पानी खींचकर हार्ट व ब्रेन को बचाएगा उस समय फेफड़ों में पानी की कमी के कारण कैप्लरी में " स्टामिन " बनेगा अर्थात सूजन होगा । स्टामिन मनुष्य का दुश्मन नहीं है , शरीर स्टामिन बनाती है तो उसका कारण है। मान लीजिये शरीर में पानी की कमी हो जाये तो फेफड़ा सारा पानी खींच लेगा तो उस स्थति में हार्ट व ब्रेन को पानी नहीं मिलेगा लिहाजा हार्ट व ब्रेन ख़राब हो जायेगा ।
1% दवाइयां स्टामिन मैनेजमेंट सिस्टम की है। जब डाक्टर स्प्रे व नोसल ड्राप देते है तो जरा सोचिये वह क्या करता है ? ? वह force fully स्टामिन के ब्लोकेज को खोलने का प्रयास करेगा अब ऐसी स्थति में जब शरीर में पानी की कमी है तो फेफड़ा और सूख जाएगा अतः आपकी दवाओं का डोस बढ़ा दिया जायेगा और एक समय बाद डाक्टर कहेगा आपको दवाइयां असर नहीं कर रही है लिहाजा आपको आर्टिफिशयल कैप्लरी सर्जरी के द्वारा लगवानी पड़ेगी। यह समस्या फिर आएगी तब डाक्टर कहेगा इन्हें घर ले जाइये अब इन्हें दुवाओं की जरुरत है। यानि हम अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहे है ।
=> ब्लड -प्रेशर :- एक व्यक्ति जब तक मरता है तब तक 2.5 लाख की ब्लड-प्रेशर की दवाइयां खा लेता है। याद रखें " जो दवाई आपको पूरी जिन्दगी लेनी पड़े वह दवाई नहीं बल्कि आपके भोजन का हिस्सा है " । ब्लड-प्रेशर का मुख्य कारण "हाइपर टेंशन" है हाइपर टेंशन यानि क्या ? यानि आपका दिमाग हमेशा गर्म रहेगा । वह Electromagnetic Wave निकालता है तो ब्रेन में सेंसेसन चक-चक-चक करता रहता है। यदि Electromagnetic Wave बढ़ जाता है तो दिमाग गर्म हो जायेगा तब उसे पानी की ज्यादा जरुरत पड़ेगी । ऐसी स्थति में शरीर को तो ब्रेन को बचाना है इस कारण शरीर तेजी से ब्रेन को पानी पहुँचाने की कोशिश करेगा वही स्पीड बढ़ते ही हाई-ब्लड-प्रेशर शुरू हो जायेगा। यदि दिमाग ठंडा होगा तो उसे पानी की जरुरत नहीं होगी , यदि दिमाग को पानी की जरुरत नहीं होगी तो ब्लड-प्रेशर नहीं बढेगा ।
** ब्लड-प्रेशर के रोगी नहाने के पहले 150 ml पानी को पियें , भोजन के पहले व भोजन के बाद पेशाब करें । इससे धीरे-धीरे BP सामान्य हो जायेगा।
=> डाइबटीज ( शुगर ) :- हमारे शरीर में एक अंग है पेनक्रियाज जो इन्सुलिन बनाता है जो कि हमारे रक्त के अन्दर मौजूद ब्लड-शुगर को use करता है शरीर में जब ग्लूकोस पचता नहीं है तो शुगर बढ़ जाता है ग्लूकोस , इन्सुलिन ना बनने के कारण पचता नहीं है और इन्सुलिन जब शरीर में पानी की कमी हो जाती है तो शरीर पेनक्रियाज से पानी खींचकर हार्ट व ब्रेन को बचाता है ऐसा बार-बार होने पर पेनक्रियाज निष्क्रिय हो जाता है और इन्सुलिन नहीं बनाता है , लिहाजा ब्लड के अन्दर शुगर की मात्रा बढ़ जाती है और हमें शुगर हो जाता है । फिर हम बाहर से आर्टिफिशियल इन्सुलिन की गोली लेते है , इससे ब्लड-शुगर अवशोषित होगा तब फिर हमें पानी की जरूरत पड़ेगी और शरीर में पानी की कमी के कारण पेनक्रियाज में स्टामिन बनेगा यानि सूजन आएगी फिर हम इन्सुलिन की गोली व गोली से इंजेक्शन की तरफ जायेंगे। शुरुआत गोली से करते हैं और ख़त्म हाई डोस इंजेक्शन पर करते है ।
इसी पानी की चिकित्सा से थर्ड स्टेज कैंसर और पैरालिसिस भी ठीक हुआ है ।
आइये अब हम पानी पीने के तरीकों की बात करते है ।
इसी पानी की चिकित्सा से थर्ड स्टेज कैंसर और पैरालिसिस भी ठीक हुआ है ।
आइये अब हम पानी पीने के तरीकों की बात करते है ।
* => सुबह उठते ही सवा लीटर पानी पीजिये क्योकि हमारे आमाशय की कैपिसिटी 600 मिली है यदि इसको जबरदस्ती फैलाया जाए तो लगभग तीन लीटर पानी आ सकता है अब आप 600 ml का दूना कर लीजिये यानि सवा लीटर पानी विना कुल्ला किये बैठकर पीजिये । जब आप पानी पियेंगे तो आमाशय से हवा निकलेगी और पानी को focefully यूरिन ट्रैप से किडनी द्वारा या डाइजेस्टिव ट्रैप से पानी निकाला जायेगा इस कारण सारा कचरा मल व पेशाब के रास्ते साफ हो जायेगा सारे विजातीय तत्व बाहर निकल जायेंगें । जब wastage निकल जायेगा तो आपको विमारियां नहीं होंगी ।
- => हमारे शरीर में कोलन है आँतों के पीछे का हिस्सा जिसमे हेपेटाइटस -H जो कि शरीर के बचे निष्क्रिय कोशिकाओं को पेशाब व मल के द्वारा बाहर निकाल देता है। इसका कार्य पुरुष में वीर्य व औरतों में अंडे बनाने का कार्य करता है ।
-*- 15 वर्ष से ऊपर के सभी बच्चे 600 ml से ज्यादा पानी पी सकते है । जिन्हें आदत नहीं है वो 100 ml प्रति सप्ताह बढ़ाते जाएँ दो-तीन माह में वो भी सवा लीटर पानी आसानी से पी सकते है । पानी पीने के एक घंटे पहले व बाद में कुछ भी ना खाएं ना-पीये , अन्यथा वह पाचन में जायेगा जबकि आपने पानी पिया है wastage को निकालने के लिए ।
*- भोजन के एक घंटे बाद ही जल का सेवन करें ।
*- जिन्हें गैस या एसिडिटी है वह भोजन के आधे घंटे पहले 150 ml पानी पियें ।
*- जो सोने से पहले 150 ml पानी पीकर सोते है उन्हें हार्ट व लकवा की शिकायत जल्द नहीं होती है ।
*=> ध्यान दें :- मोटापा , कफ प्रवृति , जोड़ों के दर्द , न्योरिजिकल डिसीज जैसे लकवा , लाइजमर, पार्किसेन्स, वाले ही सुबह गर्म पानी पियें बाकि सारे लोग सामान्य पानी पियें ।
*- जिन्हें गैस या एसिडिटी है वह भोजन के आधे घंटे पहले 150 ml पानी पियें ।
*- जो सोने से पहले 150 ml पानी पीकर सोते है उन्हें हार्ट व लकवा की शिकायत जल्द नहीं होती है ।
*=> ध्यान दें :- मोटापा , कफ प्रवृति , जोड़ों के दर्द , न्योरिजिकल डिसीज जैसे लकवा , लाइजमर, पार्किसेन्स, वाले ही सुबह गर्म पानी पियें बाकि सारे लोग सामान्य पानी पियें ।
**=> पानी ना पियें :- जिन्हें पानी पीने के बाद हाथ-पैरों व चहरे पर सूजन आती हो , नाक से पानी गिरता हो, छींक आती हो, चक्कर आते हों
ब्रेकिंग न्यूज
ब्रेकिंग न्यूज
***-*******
पहले कलेक्टर भोपाल के द्वारा पत्रकार भवन की लीज निरस्त करने को लेकर बहुरूपिये विजयसिंह भदौरिया उर्फ शलभ भदौरिया उर्फ शंकरा द्वारा मुख्यमंत्री का घेराव 17 अप्रेल को करने की घोषणा,इसके पहले आयुक्त जन सम्पर्क को पत्रकार भवन तोड़कर नया भवन बनाने की अपनी सहमति देने वाला अपराधी चरित्र का यह ब्यक्ति सौदेबाजी पर उतर आया,इसके लिये पत्रकार भवन या पत्रकारों के हितों से कोई लेना देना नहीं,इसे सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में भी रखा गया,किन्तु जब यह सौदेबाजी में सफल नहीं हो पाया तो सरकार को ब्लैकमेल करने की नीयत से हाईकोर्ट की शरण में चला गया।
मित्रो, यहॉ इस पोस्ट को डालने का उद्देश्य सिर्फ ये है,कि हमारी पत्रकार बिरादरी पत्रकार का चोला पहने,अपराधी प्रकृति,चरित्र के इस ब्यक्ति की असलियत से रूबरु और भिग्य हो जायें,और पत्रकार बिरादरी को सरकार से 10 मंजिला भवन की सौगात के रास्ते में आ रही अड़चनों को निपटाने के लिये एकजुट हो जायें,,। मित्रो, पत्रकार भवन समिति के चुनाव 2012 में हुये थे,उच्च न्यायालय के आदेश पर,सरकार ने 1998 में इस समिति पर प्रसाशक बैठा दिया था,उस समय यह ब्यक्ति पत्रकार भवन समिति का अध्यक्ष था,श्री श्री पाद वाटवे जो यू एन आई से रिटायर हुये थे,वे उपाध्यक्ष थे,अक्षय मुदगल जो दैनिक भास्कर से रिटायर हुये थे वे सचिव थे,और हंसराज शर्मा कोषाध्यत्ष के पद पर थे,रजिस्ट्रार फर्मस एवम् संस्थायें ने पत्रकार भवन समिति की जॉच करवाई थी,जिसमें इसके विरुद्ध 2.50 लाख के घपले की पुष्टि की थी,इसने जेल जाने के भय से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और वाटवे जी को अध्यक्ष पद का प्रभार भीसौंप दिया था, यहॉ यह उल्लेखनीय है कि 1995 व 1992 के चुनाव में अपनी गुन्डा गर्दी की दम पर यह अध्यक्ष बनने में कामयाब हो गया था।
पंजीयक को सूचना भी भेज दी गई,और वाटवे जी अध्यक्ष हो गये,रिकार्ड में भी वाटवे जी अध्यक्ष के रूप में दर्ज हो गये।
1998 में रजिस्ट्रार की अनुसंशा पर प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई।प्रसाशक का कार्यकाल तीन वर्ष तक लगातार बढ़ाया जाता रहा किन्तु प्रसाशक चुनाव नहीं करा पाये,और सरकार को अनुसंशा कर दी कि समित में कोई बैधानिक सदस्य नहीं हैं,अतएव पंजीयन निरस्त कर दिया जावे।इस प्रकार 2001 मेंसमिति का पंजीयन निरस्त कर दिया गया।अब तक वाटवे जी 2001 के पूर्व ही भोपाल छोड़कर पूना जा चुके थे,वे समझ चुके थे कि घपले इसने किये हैं और भुगतना मुझे पड़ेगा।
इस षड़यंत्रकारी ने एक षड़यंत्र कर वाटवे जी के नाम से एक अधिकार पत्र बनाया और सरकार के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट चला गया,वहॉ भी हाईकोर्ट को धोखा दिया और अपने आपको एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन,म.प्क. श्रमजीवी पत्रकार संघ तथा पत्रकारभवन समिति का अध्यक्ष बताकर रिट लगाई।जबकि यह सिर्फ म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ का भर अध्यक्ष था।प्रकरण चलता रहा 2011 में हाई कोर्ट ने निरणय दे दिया ,और समिति का पंजीयन बहाल कर दिया,दुबारा चुनाव कराने के निर्देश दिये,
चुनाव में इसने अपने राजनैतिक रसूख का पूरा लाभ लिया ,और एक सांसद जिसे ये अपने कजिन का साढ़ू कहता है,का इस्तेमाल कर 1995 में आखिरी बार जो चुनाव हुये थे,की सूची पर चुनाव कराने में सफल हो गया,किन्तु इसके मंसूबों में पानीइसलिये फिर गया,कि यह दो बार अध्यक्ष रह चुका था,इसलिये चुनाव नहीं लड़ पाया। किन्तुविनोद तिवारी का अध्ृक्ष बनने से इसके सीने में लाखों सॉप लोटने लगे,और गलत तरीके से विनोद तिवारी को हटा अपने आपको अध्यक्ष घोषित कर लिया।
विनोद तिवारी निर्भीकता से अध्यक्ष बने रहे,और अपना कार्यकाल पूरा होने पर,नयेअध्यक्ष एन पी अग्रवाल बने,उन्हे इसने एक देह ब्यापार के दलाल नफरत अली खान की मदद से और अपने निठल्ले भाई की मदद से दहसत का माहौल बनाकर काम नहीं करने दिया। अग्रवाल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इसके गुर्गों के विरुद्ध स्टे प्राप्त कर लिया,और अपना कार्यालय पत्रकार भवन में खोल लिया।मामला यहीं नहीं रुका स्टे के बावजूद अग्रवाल के कार्यालय का ताला तोड़कर इसने व इसके गुर्गों ने कब्जा कर लिया,पुलिस में कई रिर्पोर्ट हुई पर इनके कथित साढ़ू ने अपनी पंहुच के कारण कार्यवाही नहीं होने दी।
यहॉ तक कि स्टे भी कैंसिल करा दिया।अग्रवाल मे दुबारा स्टे लगाया,और अग्रवाल को दुबारा स्टे प्राप्त हो गया।इस बीच इसके गुर्गे पत्रकार भवन का इस्तेमाल किराये से देकर अपनी आय का साधन बना चुके थे,असामाजिक तत्वों को जुये की फड़ चलाने,देहब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने,नाटक मंडली को रिहर्सल के लिये किराये से हाल आदि दे चुके थे,नाटक मंडली में चूंकि लड़कियॉ भी आती थी,इसलिये उसकी आड़ में धंधे वाली औरतों को देह ब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने लगे,जब अग्रवाल ने ये सब देखा तो खूब शिकायतें की,किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई,अतएव अग्रवाल की टीम ने सरकार द्वारा दी गई जमीन सरकार को वापस कर नये भवन के निर्माण की शर्त के साथ जमीन वापसी की पेशकस कर दी।इधर एक प्रकरण लीज के दुरुपयोग का कलेक्टर न्यायालय में चल ही रहा था ,कलेक्टर ने उसमें सुनवाई कर 2 फरवरी2015 को लीज निरस्त कर दी।कब्जा एस डीएम को सौप दिया गया,एस डी एम ने जनसम्पर्क विभाग को कब्जा सौंप दिया।अब भी सोशल मीडिया में अपने साढ़ू की धौंस और मुख्यमंत्री जी के घेराव की घोषणा कर के कब्जा अपना जमाये बैठा है,
इधर कलेक्टर भोपाल के निर्णय के विरुद्ध कलेक्टर ,राजस्व सचिव,जन सम्पर्क आयुक्त को पार्टी बनाकर हाई कोर्ट जबलपुर में रिट लगा चुका है,वकील सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता को किया है,याचिका का नम्बर है,WP-4721/15 ,याचिका में मुख्य पार्टी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल जिसके विरुद्ध कलेक्टर ने निर्णय दिया है,को पक्षकार नही ं बनाया ,जिसके अध्यक्ष अवधेश भार्गव जबलपुर आपत्ति दरज करवाने पंहुच चुके हैं,
यह बहुरूपिया खुश हो रहा होगा कि पहले जैसे हाई कोर्ट से झूठ बोलकर स्टे प्राप्त कर लेगा,क्यों कि अभी भी भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन व शलभ भदौरिया नाम से धोखाधड़ी पूर्ण रिट लगाई है,किन्तु इसकी रिट डिफाल्ट में आ चुकी है,और इसके मनसूबों के अनुसार 6 अप्रेल को सुनवाई नहीं हो पायेगी।
आप सब पहचानिये इसे और पत्रकारों के नाम पर कलंक इस अपराधिक चरित्र व अपराधी को हतोत्साहित कर पत्रकारों को मिलने वाली नई सौगात,नया भवन का मार्ग प्रसश्त करने में इसका चरित्र उजागर करें,,,।
( पत्रकार हित में जारी)
***-*******
पहले कलेक्टर भोपाल के द्वारा पत्रकार भवन की लीज निरस्त करने को लेकर बहुरूपिये विजयसिंह भदौरिया उर्फ शलभ भदौरिया उर्फ शंकरा द्वारा मुख्यमंत्री का घेराव 17 अप्रेल को करने की घोषणा,इसके पहले आयुक्त जन सम्पर्क को पत्रकार भवन तोड़कर नया भवन बनाने की अपनी सहमति देने वाला अपराधी चरित्र का यह ब्यक्ति सौदेबाजी पर उतर आया,इसके लिये पत्रकार भवन या पत्रकारों के हितों से कोई लेना देना नहीं,इसे सरकार द्वारा बनाई गई कमेटी में भी रखा गया,किन्तु जब यह सौदेबाजी में सफल नहीं हो पाया तो सरकार को ब्लैकमेल करने की नीयत से हाईकोर्ट की शरण में चला गया।
मित्रो, यहॉ इस पोस्ट को डालने का उद्देश्य सिर्फ ये है,कि हमारी पत्रकार बिरादरी पत्रकार का चोला पहने,अपराधी प्रकृति,चरित्र के इस ब्यक्ति की असलियत से रूबरु और भिग्य हो जायें,और पत्रकार बिरादरी को सरकार से 10 मंजिला भवन की सौगात के रास्ते में आ रही अड़चनों को निपटाने के लिये एकजुट हो जायें,,। मित्रो, पत्रकार भवन समिति के चुनाव 2012 में हुये थे,उच्च न्यायालय के आदेश पर,सरकार ने 1998 में इस समिति पर प्रसाशक बैठा दिया था,उस समय यह ब्यक्ति पत्रकार भवन समिति का अध्यक्ष था,श्री श्री पाद वाटवे जो यू एन आई से रिटायर हुये थे,वे उपाध्यक्ष थे,अक्षय मुदगल जो दैनिक भास्कर से रिटायर हुये थे वे सचिव थे,और हंसराज शर्मा कोषाध्यत्ष के पद पर थे,रजिस्ट्रार फर्मस एवम् संस्थायें ने पत्रकार भवन समिति की जॉच करवाई थी,जिसमें इसके विरुद्ध 2.50 लाख के घपले की पुष्टि की थी,इसने जेल जाने के भय से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और वाटवे जी को अध्यक्ष पद का प्रभार भीसौंप दिया था, यहॉ यह उल्लेखनीय है कि 1995 व 1992 के चुनाव में अपनी गुन्डा गर्दी की दम पर यह अध्यक्ष बनने में कामयाब हो गया था।
पंजीयक को सूचना भी भेज दी गई,और वाटवे जी अध्यक्ष हो गये,रिकार्ड में भी वाटवे जी अध्यक्ष के रूप में दर्ज हो गये।
1998 में रजिस्ट्रार की अनुसंशा पर प्रशासक की नियुक्ति कर दी गई।प्रसाशक का कार्यकाल तीन वर्ष तक लगातार बढ़ाया जाता रहा किन्तु प्रसाशक चुनाव नहीं करा पाये,और सरकार को अनुसंशा कर दी कि समित में कोई बैधानिक सदस्य नहीं हैं,अतएव पंजीयन निरस्त कर दिया जावे।इस प्रकार 2001 मेंसमिति का पंजीयन निरस्त कर दिया गया।अब तक वाटवे जी 2001 के पूर्व ही भोपाल छोड़कर पूना जा चुके थे,वे समझ चुके थे कि घपले इसने किये हैं और भुगतना मुझे पड़ेगा।
इस षड़यंत्रकारी ने एक षड़यंत्र कर वाटवे जी के नाम से एक अधिकार पत्र बनाया और सरकार के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट चला गया,वहॉ भी हाईकोर्ट को धोखा दिया और अपने आपको एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन,म.प्क. श्रमजीवी पत्रकार संघ तथा पत्रकारभवन समिति का अध्यक्ष बताकर रिट लगाई।जबकि यह सिर्फ म.प्र. श्रमजीवी पत्रकार संघ का भर अध्यक्ष था।प्रकरण चलता रहा 2011 में हाई कोर्ट ने निरणय दे दिया ,और समिति का पंजीयन बहाल कर दिया,दुबारा चुनाव कराने के निर्देश दिये,
चुनाव में इसने अपने राजनैतिक रसूख का पूरा लाभ लिया ,और एक सांसद जिसे ये अपने कजिन का साढ़ू कहता है,का इस्तेमाल कर 1995 में आखिरी बार जो चुनाव हुये थे,की सूची पर चुनाव कराने में सफल हो गया,किन्तु इसके मंसूबों में पानीइसलिये फिर गया,कि यह दो बार अध्यक्ष रह चुका था,इसलिये चुनाव नहीं लड़ पाया। किन्तुविनोद तिवारी का अध्ृक्ष बनने से इसके सीने में लाखों सॉप लोटने लगे,और गलत तरीके से विनोद तिवारी को हटा अपने आपको अध्यक्ष घोषित कर लिया।
विनोद तिवारी निर्भीकता से अध्यक्ष बने रहे,और अपना कार्यकाल पूरा होने पर,नयेअध्यक्ष एन पी अग्रवाल बने,उन्हे इसने एक देह ब्यापार के दलाल नफरत अली खान की मदद से और अपने निठल्ले भाई की मदद से दहसत का माहौल बनाकर काम नहीं करने दिया। अग्रवाल ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और इसके गुर्गों के विरुद्ध स्टे प्राप्त कर लिया,और अपना कार्यालय पत्रकार भवन में खोल लिया।मामला यहीं नहीं रुका स्टे के बावजूद अग्रवाल के कार्यालय का ताला तोड़कर इसने व इसके गुर्गों ने कब्जा कर लिया,पुलिस में कई रिर्पोर्ट हुई पर इनके कथित साढ़ू ने अपनी पंहुच के कारण कार्यवाही नहीं होने दी।
यहॉ तक कि स्टे भी कैंसिल करा दिया।अग्रवाल मे दुबारा स्टे लगाया,और अग्रवाल को दुबारा स्टे प्राप्त हो गया।इस बीच इसके गुर्गे पत्रकार भवन का इस्तेमाल किराये से देकर अपनी आय का साधन बना चुके थे,असामाजिक तत्वों को जुये की फड़ चलाने,देहब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने,नाटक मंडली को रिहर्सल के लिये किराये से हाल आदि दे चुके थे,नाटक मंडली में चूंकि लड़कियॉ भी आती थी,इसलिये उसकी आड़ में धंधे वाली औरतों को देह ब्यापार के लिये कमरे उपलब्ध कराने लगे,जब अग्रवाल ने ये सब देखा तो खूब शिकायतें की,किन्तु कोई कार्यवाही नहीं हुई,अतएव अग्रवाल की टीम ने सरकार द्वारा दी गई जमीन सरकार को वापस कर नये भवन के निर्माण की शर्त के साथ जमीन वापसी की पेशकस कर दी।इधर एक प्रकरण लीज के दुरुपयोग का कलेक्टर न्यायालय में चल ही रहा था ,कलेक्टर ने उसमें सुनवाई कर 2 फरवरी2015 को लीज निरस्त कर दी।कब्जा एस डीएम को सौप दिया गया,एस डी एम ने जनसम्पर्क विभाग को कब्जा सौंप दिया।अब भी सोशल मीडिया में अपने साढ़ू की धौंस और मुख्यमंत्री जी के घेराव की घोषणा कर के कब्जा अपना जमाये बैठा है,
इधर कलेक्टर भोपाल के निर्णय के विरुद्ध कलेक्टर ,राजस्व सचिव,जन सम्पर्क आयुक्त को पार्टी बनाकर हाई कोर्ट जबलपुर में रिट लगा चुका है,वकील सिद्धार्थ राधेलाल गुप्ता को किया है,याचिका का नम्बर है,WP-4721/15 ,याचिका में मुख्य पार्टी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल जिसके विरुद्ध कलेक्टर ने निर्णय दिया है,को पक्षकार नही ं बनाया ,जिसके अध्यक्ष अवधेश भार्गव जबलपुर आपत्ति दरज करवाने पंहुच चुके हैं,
यह बहुरूपिया खुश हो रहा होगा कि पहले जैसे हाई कोर्ट से झूठ बोलकर स्टे प्राप्त कर लेगा,क्यों कि अभी भी भोपाल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन व शलभ भदौरिया नाम से धोखाधड़ी पूर्ण रिट लगाई है,किन्तु इसकी रिट डिफाल्ट में आ चुकी है,और इसके मनसूबों के अनुसार 6 अप्रेल को सुनवाई नहीं हो पायेगी।
आप सब पहचानिये इसे और पत्रकारों के नाम पर कलंक इस अपराधिक चरित्र व अपराधी को हतोत्साहित कर पत्रकारों को मिलने वाली नई सौगात,नया भवन का मार्ग प्रसश्त करने में इसका चरित्र उजागर करें,,,।
( पत्रकार हित में जारी)
Monday, March 16, 2015
Friday, January 30, 2015
Builder nabbed for cheating house buyersSep 22, 2014, 12.24PM IST
Builder nabbed for cheating house buyersSep 22, 2014, 12.24PM ISTTNNBHOPAL: A builder has been arrested for allegedly mopping up over Rs 20 crore from people wishing to buy houses and failing to give them duplexes. The action came nearly five months after a case of forgery was registered against three accused, identified as Deepak Kapil of Niho Constructions, New Delhi, builder Ashok Goyal and Diwan Singh Chauhan, at Nishatpura police station on April 24.On Saturday, Goyal was arrested and other two accused are on the run. Goyal is on remand till Monday. Police said two builders and another person have been booked for cheating over 300 people for not giving them duplexes despite collecting money from them. When people did not get back their money, the matter was reported to police.Kapil, Goyal and Chauhan allegedly madesale agreement on behalf of Niho Constructions. The project, which was to come up near Sanjeev Nagar, is pending for four years. Rajesh, a resident of MANIT campus, lodged the complaint after which the police probed the matter and a case was registered after finding charges true.
Saturday, January 17, 2015
ifwj
izfr"Bk
esa]
Jh f’kojkt flag pkSgku]
Ekkuuh; eq[;ea=hth]
e0iz0 'kklu]ea=ky;
oYyHk Hkou]HkksikyA
i=dkj Hkou
dh orZeku fLFkfr ds laca/k esa tkudkjh fuEukuqlkj gS%&
1½ i=dkj Hkou lfefr e/;izns’k lfefr iath;u
vf/kfu;e 19559 ds varxZr jftLVªkj Hkksiky ls iath—r gS]ftldk iath;u Øekad 1638
,oa fnukad 21@2@70 gSA
2½ Hkksiky esa i=dkj Hkou cukus gsrq e/;izns’k
'kklu }kjk ofdZax tuZfyLVl ;wfu;u Hkksiky ds lkmFk Vh-Vh-uxj Hkksiky esa 27007
oxZQhV dk Hkw&[kaM fnukad 11@2@69 dks vkoafVr dj yht ij fn;k x;kA
;gka ij ;g Li"V djuk mfpr gS fd
Hkwfe **ofdZax tuZfyLV ;wfu;u^^ Hkksiky ds uke ij gS] tks Hkkjrh; Jethoh i=dkj
la?k ¼bafM;u QsMjs’ku vkWQ ofdZax tuZfyLVl½ ls laca) e/;izns’k bdkbZ dh ofdZax
tuZfyLVl ;wfu;u dh LVsV ;wfuV dh ftyk bdkbZ gSA blh Hkksiky bdkbZ dks Hkwfe
vkaofVr dh xbZ gSA bl rjg Hkwfe dh ,d ek= Lokeh ofdZax tuZfyLVl ;wfu;u Hkksiky
bdkbZ gSA fdlh vU; laLFkk dks bl tehu ds laca/k esa fdlh Hkh izdkj dh dk;Zokgh
djus dk vf/kdkj ugha gSA
i=dkj Hkou lfefr ds fo/kku ds lnL;rk fu;eksa esa Hkh Li"V gS fd
Hkkjrh; Jethoh i=dkj la?k tks vc egkla?k dgykrk gS fd Hkksiky bdkbZ dh lnL;rk gh i=dkj Hkou
lfefr ds lnL; dgyk, tkrs gSaA i=dkj Hkou lfefr ds fo/kku esa Li"V gS fd
i=dkj Hkou ds fuekZ.k djus okys ofdZax tuZfyLV ;wfu;u Hkksiky ds lnL; gh i=dkj
Hkou fuekZ.k lfefr ds lnL; jgs ,oa ogh Hkfo"; esa Hkh i=dkj Hkou lfefr ds
lnL; jgsaxsAbafM;u QsMjs’ku vkWQ ofdZax tuZfyLVl ,oa bldh LVsV ;wfuV ls laca)
ofdZax tuZfyLV ;wfu;u ¼Hkksiky Jethoh i=dkj la?k½ls vuqeksfnr ,oa izekf.kr
Hkksiky dh lnL;rk lwph ij gh i=dkj Hkou lfefr ds pquko gksrs jgs gSa vkSj vkxs
Hkh blh rjg gksaxs] D;ksafd i=dkj Hkou dh vyx ls dksbZ lnL;rk lwph ugha gksrh A
Hkksiky ofdZax ;wfu;u ds lnL; gh i=dkj Hkou lfefr ds lnL; jgrs gSa ,oa ;gh
i=dkj Hkou lfefr dk fuokZpu djrs gSaA
bl laLFkk ds vfrfjDr fdlh Hkh vU;
laLFkk gekjh iSr`d laLFkk IFWJ ls fudkys x;s jk/kk oYyHk 'kkjnk ofdZax tuZfyLV
;wfu;u ,oa 'kyHk Hknksfj;k e/;izns’k Jethoh i=dkj la?k ds uke ls nksuks us
feydj xr 16&17 o"kksZa ls i=dkj Hkou dks ftyk iz’kklu ,oa jkT; 'kklu
dks fookn eas Mkys j[krs gSa ftlds dkj.k l=g lky ls i=dkj Hkou eas i=dkjkas dh
lkjh xfrfof/k;ka]i=dkj okrkZ,a]lsfeukj]i=dkjlaca/kh leLr xfrfof/k;ka iw.kZr%
can gks xbZ gSaA vc ;g nksuksa laLFkk,a i=dkj Hkou dks viu opZLo dks LFkkfir
djus esa yM+rh jgha vkSj bl chp i=dkj Hkou dh bekjr ttZj gksrh x;h A bl dkj.k
;g nksuks laLFkkvksa esa lsa fdlh Hkh laLFkk dk bl Hkwfe ij dksbZ vf/kdkj ugha
gSA bldk okLrfod fu.kZ; v/;{k jktsanz d’;i ofdZax tuZfyLVl ;wfu;u Hkksiky vkSj IFWJ ds
jk"Vªh; inkf/kdkfj;ksa dh lgefr ls gh fd;k tk ldrk gSA
vr% ekuuh; eq[;ea=h th ls fuosnu gS
fd i=dkj Hkou dh Hkwfe ds laca/k eas mfpr fopkj foe’kZ djds gh fu.kZ; ysaA
vk’kk gh ugha oju iw.kZ fo’okl gS fd
vki bl fo"k; ij xaHkhjrkiwoZd fopkj dj gesa lwfpr djsaA
eksckbZy
Øekad 9753041701 Hkonh;
fnukad
02@01@2015
jktsUnz d’;i
v/;{k
ofdZax tuZfyLVl Hkksiky
,e vkbZ th 11@4 xhrkatyh dkaiysDl
ih ,aM Vh pkSjkgk gtsyk vLirky ds ikl
Hkksiky
Friday, January 16, 2015
-1-2015
i=dkj Hkou
dh orZeku fLFkfr ds laca/k esa tkudkjh fuEukuqlkj gS%&
1½ i=dkj Hkou lfefr e/;izns’k lfefr iath;u
vf/kfu;e 19559 ds varxZr jftLVªkj Hkksiky ls iath—r gS]ftldk iath;u Øekad 1638
,oa fnukad 21@2@70 gSA
2½ Hkksiky esa i=dkj Hkou cukus gsrq e/;izns’k
'kklu }kjk ofdZax tuZfyLVl Hkksiky ds lkmFk Vh-Vh-uxj Hkksiky esa 27007 oxZQhV
dk Hkw&[kaM fnukad 11@2@69 dks vkoafVr dj yht ij fn;k x;kA
;gka ij ;g Li"V djuk mfpr gS fd
Hkwfe **ofdZax tuZfyLV ;wfu;u^^ Hkksiky ds uke ij gS] tks Hkkjrh; Jethoh i=dkj
la?k ¼bafM;u QsMjs’ku vkWQ ofdZax tuZfyLVl½ ls laca) e/;izns’k bdkbZ dh ofdZax
tuZfyLVl ;wfu;u dh laifRr gS],oa blh Hkksiky bdkbZ dks Hkwfe vkaofVr dh xbZ gSA
bl rjg Hkwfe dh ,d ek= Lokeh ofdZax tuZfyLVl ;wfu;u Hkksiky bdkbZ gSA
fdlh vU; laLFkk dks bl tehu ds
laca/k esa fdlh Hkh izdkj dh dk;Zokgh djus dk vf/kdkj ugha gSA i=dkj Hkou lfefr
ds fo/kku ds lnL;rk fu;eksa esa Hkh Li"V gS fd Hkkjrh; Jethoh i=dkj la?k
tks vc egkla?k dgykrk gS fd Hkksiky
bdkbZ dh lnL;rk gh i=dkj Hkou lfefr ds lnL; dgyk, tkrs gSaA i=dkj Hkou lfefr ds
fo/kku esa Li"V gS fd i=dkj Hkou ds fuekZ.k djus okys ofdZax tuZfyLV
;wfu;u Hkksiky ds lnL; gh i=dkj Hkou fuekZ.k lfefr ds lnL; jgs ,oa ogh
Hkfo"; esa Hkh i=dkj Hkou lfefr ds lnL; jgsaxsA
bl laLFkk ds vfrfjDr fdlh Hkh vU;
laLFkk gekjh iSr`d laLFkk IFWJ ls fudkys x;s jk/kk oYyHk 'kkjnk ofdZax tuZfyLV
;wfu;u ,oa 'kyHk Hknksfj;k e/;izns’k Jethoh i=dkj la?k ds uke ls nksuks us
feydj xr 16&17 o"kksZa ls i=dkj Hkou dks ftyk iz’kklu ,oa jkT; 'kklu
dks fookn eas Mkys j[krs gSa ftlds dkj.k l=g lky ls i=dkj Hkou eas i=dkjkas dh
lkjh xfrfof/k;ka]i=dkj okrkZ,a]lsfeukj]i=dkjlaca/kh leLr xfrfof/k;ka iw.kZr%
can gks xbZ gSaA vc ;g nksuksa laLFkk,a i=dkj Hkou dks viu opZLo dks LFkkfir
djus esa yM+rh jgha vkSj bl chp i=dkj Hkou dh bekjr ttZj gksrh x;h A bl dkj.k
;g nksuks laLFkkvksa esa lsa fdlh Hkh laLFkk dk bl Hkwfe ij dksbZ vf/kdkj ugha
gSA bldk okLrfod fu.kZ; v/;{k jktsanz d’;i ofdZax tuZfyLVl ;wfu;u Hkksiky vkSj IFWJ ds jk"Vªh;
inkf/kdkfj;ksa dh lgefr ls gh fd;k tk ldrk gSA
vr% ekuuh; eq[;ea=h th ls fuosnu gS fd
i=dkj Hkou dh Hkwfe ds laca/k eas mfpr fopkj foe’kZ djds gh fu.kZ; ysaA
vk’kk gh ugha oju iw.kZ fo’okl gS fd
vki bl fo"k; ij xaHkhjrkiwoZd fopkj dj gesa lwfpr djsaA
eksckbZy
Øekad 9753041701 Hkonh;
fnukad
01@01@2015
jktsUnz
d’;i
v/;{k
ofdZax tuZfyLVl Hkksiky
,e vkbZ th 11@4 xhrkatyh dkaiysDl
ih ,aM
Vh pkSjkgk gtsyk vLirky ds ikl Hkksiky
Tuesday, December 2, 2014
Wednesday, November 19, 2014
belapur
बिलासपुर और यही वे गांव हैं जहां गरीब महिलाओं की निशुल्क नसबंदी शिविर में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक १३ महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है और ५० की हालत गंभीर है. छह घंटे में ८३ आपरेशन कर डालने वाले डाक्टर को इसी साल के गणतंत्र दिवस पर १००.००० (एक लाख) नसबंदी सर्जरी का रिकार्ड बनाने के लिए सरकार पुरस्कृत कर चुकी है., उसी तरह, जिस तरह सोनी सोरी के गुप्तांग में गिट्टी-पत्थर भरने वाले पुलिस अफ़सर को किसी और गणतंत्र दिवस पर शौर्य-सम्मान दिया जा चुका है.
लेकिन आप-हम सब देखेंगे, बल्कि देखते ही रहिये, कि छत्तीसगढ़ की यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर किसी बड़ी चिंता या बौद्धिक विमर्श का मसला नहीं बनेगी. यह तो शासकीय स्वास्थ्य सेवा की एक मामूली ‘भूल’ या ‘लापरवाही’ भर है.
स्त्री के अपमान की जो घटना दिन रात टीवी चैनलों से लेकर अखबारों के पन्नों पर विचारोत्तेजक बहस का मुद्दा कुछ दिनों तक बनेगी, वह है अली गढ़ मुस्लिम वि.वि. के वाइस चांसलर का एक बयान.
स्त्री के अपमान की जो घटना दिन रात टीवी चैनलों से लेकर अखबारों के पन्नों पर विचारोत्तेजक बहस का मुद्दा कुछ दिनों तक बनेगी, वह है अली गढ़ मुस्लिम वि.वि. के वाइस चांसलर का एक बयान.
वाइस चांसलर का एक वाक्य इसी देश की १३ महिलाओं की मौत से बहुत बड़ा बौद्धिक विषय है, क्योंकि वह वाक्य ही अकेला ‘स्त्री’ के प्रति अपमानजनक है.
बाकी और कुछ भी नहीं.
बाकी और कुछ भी नहीं.
Read more: http://mediadarbar.com/category/world/nation/#ixzz3JVzmllv7
Saturday, November 15, 2014
डियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक लखनऊ में
इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक लखनऊ में
भोपाल। इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक 17 एवं 18 नवबंर को लखनऊ उत्तर प्रदेष में आयोजित की गई है। इस संबंध में इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट के सेक्रेट्री जनरल श्री परमानंद पांडे के अनुसार 17 एवं 18 नवंबर को उत्तर प्रदेष की राजधानी लखनऊ के गांधी भवन में परिषद के 68वें सत्र की शुरूआत होगी। दो दिन तक चलने वाले इस सत्र में पत्रकारों से जुड़े विभिन्न मुद्दों व समस्याओं पर सोषल मीडिया,पत्रकारिता,मजिठिया वेतन आयोग आदि विषयों पर चर्चा होगी और प्रत्येक राज्य इकाई से राष्ट्रीय परिषद के सदस्य ही भाग लेने के पात्र होंगे।
इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट से संबद्ध वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल की कार्यकारणी की आवष्यक बैठक राजंेद्र कष्यप की अध्यक्षता में हुई जिसमें राष्ट्रीय पर्रिषद की आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेष इकाई की और से श्री दिनेषचंद्र वर्मा अध्यक्ष एवं संयोजक प्रदेष स्तरीय सदस्यता अभियान समिति के संयोजक सतीष सक्सेना वरिष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष विष्वेष्वर शर्मा एवं राजेष विष्वकर्मा के नेतृत्व में लखनऊ की बैठक में मध्य प्रदेष का प्रतिनिधित्व करेंगे। भोपाल इकाई की कार्यकारणी की बैठक मंे महासचिव जवाहर सिंह कोषाध्यक्ष अनिल षर्मा को भोपाल से भाग लेंगे। प्रदेष के विभिन्न जिला इकाईयांे के प्रतिनिधि उपस्थित होंगे।
पसंदपसंद · · साझा करें
भोपाल। इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक 17 एवं 18 नवबंर को लखनऊ उत्तर प्रदेष में आयोजित की गई है। इस संबंध में इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट के सेक्रेट्री जनरल श्री परमानंद पांडे के अनुसार 17 एवं 18 नवंबर को उत्तर प्रदेष की राजधानी लखनऊ के गांधी भवन में परिषद के 68वें सत्र की शुरूआत होगी। दो दिन तक चलने वाले इस सत्र में पत्रकारों से जुड़े विभिन्न मुद्दों व समस्याओं पर सोषल मीडिया,पत्रकारिता,मजिठिया वेतन आयोग आदि विषयों पर चर्चा होगी और प्रत्येक राज्य इकाई से राष्ट्रीय परिषद के सदस्य ही भाग लेने के पात्र होंगे।
इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट से संबद्ध वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल की कार्यकारणी की आवष्यक बैठक राजंेद्र कष्यप की अध्यक्षता में हुई जिसमें राष्ट्रीय पर्रिषद की आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेष इकाई की और से श्री दिनेषचंद्र वर्मा अध्यक्ष एवं संयोजक प्रदेष स्तरीय सदस्यता अभियान समिति के संयोजक सतीष सक्सेना वरिष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष विष्वेष्वर शर्मा एवं राजेष विष्वकर्मा के नेतृत्व में लखनऊ की बैठक में मध्य प्रदेष का प्रतिनिधित्व करेंगे। भोपाल इकाई की कार्यकारणी की बैठक मंे महासचिव जवाहर सिंह कोषाध्यक्ष अनिल षर्मा को भोपाल से भाग लेंगे। प्रदेष के विभिन्न जिला इकाईयांे के प्रतिनिधि उपस्थित होंगे।
पसंदपसंद · · साझा करें
infarmtion
मप्र सरकार ने सूचना आयुक्तों की राजशाही सुविधाओ की मांग को ठुकरा कर कचरे की टोकरी में डाल दिया है। जरा ध्यान से देखिये इन साहबो की मांगो को जो ये नियुक्ति के केवल 6 महीनो में ही सरकार के समक्ष लेकर गए थे। यदि ये साहब लोग इतनी मेहनत जनता को समय पर जानकारी दिलवानें और बड़े आरोपियों को सजा दिलवाने पर करते तो बेहतर होता।
Thursday, November 6, 2014
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधाल्लभ शारदा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा गया पत्र
वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधाल्लभ शारदा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा गया पत्र
प्रति,
श्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश
भोपाल
विषय : प्रदेश के पत्रकारों में असंतोष एवं सरकार के प्रति आक्रोश।
महोदय,
भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र एवं राज्य सरकारें आम जनता के हितों को ध्यान में रखकर अच्छे निर्णय ले रही है और ये सारे निर्णय भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार है। यहां तक तो सब ठीक है परन्तु सरकार एवं संगठन द्वारा लिये गये निर्णयों एवं कार्यों को आम जन तक पहुंचाने वाले पत्रकार एवं छोटे समाचार पत्र मध्यप्रदेश सरकार के जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों की तानाशाही के शिकार हो रहे है। अधिकारी वर्ग पत्रकारों एवं छोटे समाचार पत्रों को अपनी तानाशाही से उद्वेलित कर भाजपा एवं सरकार के प्रति असंतोष उत्पन्न कर रहे है।
जनसम्पर्क विभाग द्वारा किये जा रहे कार्य :-
1. विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा के घोषणा पत्र में अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को लेपटॉप देने की बात कही थी। विभाग को इस मद में 12 करोड़ मिल चुके है। परन्तु विभाग के अधिकारियों ने लेपटॉप देने के लिये जो नियम एवं शर्तें रखी है जो अनुचित है। घोषणा पत्र में नियम एवं शर्तों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। विभाग द्वारा रखे नियम एवं शर्तों से ऐसा लगता है कि पत्रकारों को विभिन्न श्रेणी में बांटा गया। मुझे लगता है कि अंग्रेजों की नीति ‘फूट डालो राज करो’ का पालन किया जा रहा है।
2. छोटे समाचार पत्रों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। जहां सरकार छोटे उद्योगों को प्रदेश में बरियता देते हुए प्रोत्साहित कर रही है। वहीं आम जन एवं सरकार के मध्य सेतू का काम करने वाले समाचार पत्रों के लिये विज्ञापन देने में कटौती कर दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि ‘समाचार पत्रों को विज्ञापन क्यों दे उनसे क्या लाभ’ का सीधा-सीधा अर्थ है कि अब सरकार को चलाने वाले अधिकारी जिनके परिवार एवं उनका पेट भरने, मौज-मस्ती के लिये जो वेतन एवं भत्ते प्रतिमाह मिलते है वो आम जनता से टैक्स के रूप में प्राप्त धन से दिये जाते है। नौकरी करने वाला व्यक्ति नौकर होता है परन्तु म.प्र. के जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी अपने आप को मालिक समझ कर मनमाने निर्णय ले रहे है।
3. जनसम्पर्क विभाग ने अधिमान्यता नियमों में संशोधन कर जटिल कर दिये है। पत्रकार को अधिमान्यता से रेलवे द्वारा 50 प्रतिशत किराये पर यात्रा का अधिकार मिलता है। अधिमान्यता कार्ड दिखाने पर वाहन का टोल टैक्स नहीं लगता तथा उसे कार्ड दिखाने पर मंत्रालय में प्रवेश हेतु पास नहीं बनवाना पड़ता है। विभाग द्वारा मात्र एक कार्ड दिया जाता है।
4. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हवाला देते हुए जिन शासकीय आवासों में पत्रकार निवासरत है उन्हें खाली कराने का मन बना लिया है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के समय कुछ पत्रकारों को शासकीय आवास आवंटित किये तब सरकारी अफसरों ने क्या सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं की। प्रदेश की आबादी के साथ-साथ समाचार पत्र एवं पत्रकारों की संख्या में भी वृद्धि हुई उस अनुपात में पत्रकारों के लिये शासकीय आवास का कोटा भी बढ़ाना था जो नहीं हुआ।
5. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकारों को वेज बोर्ड के अनुसार वेतन मिलना चाहिये परन्तु इस ओर भी सरकारी अफसरों का ध्यान नहीं है। सरकार के श्रम विभाग के पास पत्रकारों एवं अन्य कर्मचारियों के आंकड़ें भी नहीं है कि किस समाचार पत्र में कितने पत्रकार और अन्य कर्मचारी कार्यरत है।
सरकारी तंत्र भाजपा एवं सरकार के प्रति पत्रकारों एवं छोटे समाचार पत्र मालिकों में असंतोष की भावना फैलाने का कार्य कर रहा है। अत: हमारा आग्रह है कि पत्र के प्रत्येक बिन्दु की समीक्षा एक उच्च स्तरीय कमेटी से कराई जाए उस कमेटी में श्रम विभाग में पंजीयत पत्रकार संगठन के सदस्यों को रखा जाए। जब तक समीक्षा होकर निर्णय नहीं होता तब तक पुराने नियमों एवं घोषणा पत्र का पालन किया जाए।
धन्यवाद,
--------------------------
Tuesday, November 4, 2014
पत्रकार संचार कल्याण समिति का गठन
पत्रकार सं
| ||||||||||
चार कल्याण समिति का गठन
Wednesday, August 6, 2014
मध्य प्रदेष में साम्प्रदायिकता की चिन्गारियांे के भड़कने के आसार दिख रहे हैं।
मध्य प्रदेष में साम्प्रदायिकता की चिन्गारियांे के भड़कने के आसार दिख रहे हैं।
सहारनपुर उत्तर प्रदेष के दंगों में पूर्ण प्रदेष में हाई एलर्ट लागू कर दिया था। इसी तरह मध्य प्रदेष मं खंडवा,पंधाना और हरसूद मंे मध्य प्रदेष पुलिस और स्थानीय प्रषासन में आपसी सूझबूझ से सांप्रदायिकता की आग को भड़कने और फेलने से पहले रोकने के लिये त्वरित कार्यवाही की गई अब उपद्रवग्रस्त शहरों ओैर कस्बांे मंे शांति है।
पुलिस थानों मं भुक्त भोगी की षिकायत पर ध्यान नहीं दिया जाता। भोपाल में युवती ने पुलिस कार्यवाही न करने पर तालाब में कूदकर आत्महत्या की कोषिष की जब राजधानी के यह हाल हैं तो प्रदेष के ग्रामीण जिलों की गरीब युवतियों और बच्चियों की प्रदेष मंे अन्य जिलों तहसीलों और छोटे कस्बों में पुलिस संवेदनषीलता रखने क्या उम्मीद की जा सकती है।
राजधानी के के थानों में रिपोर्ट नहीं लिखी जाती। अनेक अतिक्रमण संबंधी मामलांे में लिखित आवेदन देने पर पुलिस कर्मी द्वारा कह दिया जाता है और महिनांे सालांे बीत जाने के बाद भी उचित कार्यवाही न कर खानापूर्ति कर दी जाती है। षिकायतकर्ता की षिकायत बढ़ती जाती है और एस पी आई जी डी आई जी गृह मंत्री मुख्य सचिव लिखित षिकायती पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। थानों मंे दबंग बिल्डर्स अतिक्रमण भूमाफिया धनबल पुलिसकर्मियों को अपने मनमाफिक रिपोर्ट मनवा लेते हैं।
सहारनपुर उत्तर प्रदेष के दंगों में पूर्ण प्रदेष में हाई एलर्ट लागू कर दिया था। इसी तरह मध्य प्रदेष मं खंडवा,पंधाना और हरसूद मंे मध्य प्रदेष पुलिस और स्थानीय प्रषासन में आपसी सूझबूझ से सांप्रदायिकता की आग को भड़कने और फेलने से पहले रोकने के लिये त्वरित कार्यवाही की गई अब उपद्रवग्रस्त शहरों ओैर कस्बांे मंे शांति है।
पुलिस थानों मं भुक्त भोगी की षिकायत पर ध्यान नहीं दिया जाता। भोपाल में युवती ने पुलिस कार्यवाही न करने पर तालाब में कूदकर आत्महत्या की कोषिष की जब राजधानी के यह हाल हैं तो प्रदेष के ग्रामीण जिलों की गरीब युवतियों और बच्चियों की प्रदेष मंे अन्य जिलों तहसीलों और छोटे कस्बों में पुलिस संवेदनषीलता रखने क्या उम्मीद की जा सकती है।
राजधानी के के थानों में रिपोर्ट नहीं लिखी जाती। अनेक अतिक्रमण संबंधी मामलांे में लिखित आवेदन देने पर पुलिस कर्मी द्वारा कह दिया जाता है और महिनांे सालांे बीत जाने के बाद भी उचित कार्यवाही न कर खानापूर्ति कर दी जाती है। षिकायतकर्ता की षिकायत बढ़ती जाती है और एस पी आई जी डी आई जी गृह मंत्री मुख्य सचिव लिखित षिकायती पत्रों पर कोई कार्यवाही नहीं होती। थानों मंे दबंग बिल्डर्स अतिक्रमण भूमाफिया धनबल पुलिसकर्मियों को अपने मनमाफिक रिपोर्ट मनवा लेते हैं।
Tuesday, July 29, 2014
news
नों गणेशशंकर विद्यार्थी संचयन नामक पुस्तक पढ़ रहा हूं..इसमें विष्णुदत्त शुक्ल की 1 मई सन 1930 में प्रकाशित पुस्तक ..पत्रकार कला.. की भूमिका में श्री विद्यार्थीजी ने जो लिखा था, जो चिंता व्यक्त की थी, वह आज कितने विकराल रूप में सामने आ रही है, इसे समझा जा सकता है..फेसबुक पर अपने पत्रकार साथियों के लिए यह लिख रहा हूं...
श्री विद्यार्थीजी लिखते हैं....जिन लोगों ने पत्रकार कला को अपना काम बना रखा है, उनमें बहुत कम ऐसे लोग हैं जो अपनी चिंताओं को इस बात पर विचार करने का कष्ट उठाने का अवसर देते हों कि हमें सच्चाई की भी लाज रखनी चाहिए. केवल अपनी मक्खन-रोटी के लिए दिन भर में कई रंग बदलना ठीक नहीं है. इस देश में भी दुर्भाग्य से समाचार पत्रों और पत्रकारों के लिए यह मार्ग बनता जाता है. हिन्दी पत्रों के सामने भी यह लकीर खिंचती जा रही है. यहां भी अब बहुत से समाचार पत्र सर्वसाधारण के कल्याण के लिए नहीं रहे. सर्वसाधारण प्रयोग की वस्तु बनते जा रहे हैं...एक समय था, जब इस देश में साधारण आदमी सर्वसाधारण के हितार्थ एक ऊंचा भाव लेकर पत्र निकालता था और उस पत्र को जीवन क्षेत्र में स्थान मिल जाया करता था. आज वैसा नहीं हो सकता. आपके पास जबर्दस्त विचार हों और पैसा न हो और पैसे वालों का बल न हो तो आपके विचार आगे फैल नहीं सकेंगे. आपका पत्र न चल सकेगा. इस देश में भी समाचार पत्रों का आधार धन हो रहा है. धन से ही वे निकलते हैं. धन ही के आधार पर वे चलते हैं और बड़ी वेदना से साथ कहना पड़ता है कि उनमें काम करनेवाले बहुत से पत्रकार भी धन ही की अभ्यर्थना ही करते हैं. अभी यहां पूरा अंधकार नहीं हुआ है, किन्तु लक्षण वैसे ही हैं. कुछ ही समय पश्चात यहां के समाचार पत्र भी मशीन के सहारे हो जाएंगे और उनमें काम करने वाले पत्रकार केवल मशीन के पुर्जे. व्यक्तित्व नहीं रहेगा. सत्य और असत्य का अंतर न रहेगा.अन्याय के विरुद्ध डट जाने और न्याय के लिए आफतों को बुलाने की चाह न रहेगी, रह जाएगा केवल ऊंची लकीर पर चलना.
Monday, July 28, 2014
उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन
उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन की ओर से आज मथुरा में आयोजित पत्रकारों की ज्वलंत समस्याओं के प्रति प्राशसनिक नजरिया विषय पर संगोष्ठी में बोलते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि मीडिया पर पूंजीपतियों ने कब्जा कर लिया है और वे श्रमजीवी पत्रकारों का शोषण करते हैं। उन्होंने कहा कि समाजवादी सरकारों ने पत्रकारों को जितना सम्मान दिया उतना किसी और सरकार ने नहीं दिया लेकिन ताली दोनो हाथों से बजती है। उन्होंने कहा कि मीडिया सरकार के अच्छे कामों को भी सामने लाए। श्री यादव ने स्वास्थ्य, आवास और सुरक्षा, मान्यता समिति के गठन संबंधी मांगों को उचित ठहराते हुए उन्हें पूरा कराने का आश्वासन दिया।
इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफ़डब्लूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव ने कहा कि पूंजी और श्रम के बीच संतुलन होना चाहिए लेकिन आज थैलीशाह मीडिया को नियंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में मीडिया का पक्षपात पूर्ण रवैया बढ़ गया है। इस सिलसिले में उन्होंने उत्तराखंड उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार की खबरों के मीडिया में दबाए जाने का जिक्र किया। श्री राव ने मीडिया से संबंधित समितियों में पत्रकारों के संगठनों को नजरअंदाज कर लोगों के नामांकन पर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को मानना चाहिए।
सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट ने पत्रकार बंधु को पुर्नजीवित करने की यूनियन की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मीडिया को खबरों में विश्वसनीयता बनाए रखना चाहिए। प्रदेश में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सीपी राय ने भी विश्वसनीयता का सवाल उठाते हुए कहा कि मीडिया एक सरकार के खिलाफ कुछ नजरिया रखता है जबकि दूसरी सरकार के लिए कुछ और।
वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण ने कहा कि पत्रकारिता आज व्यवसाय हो गयी है इसके चलते स्वतंत्र पत्रकारिता का अस्तित्व खत्म हो गया है। आईएफडब्लूजे महासचिव परमानंद पांडे ने कहा अगर पत्रकारिता व्यवसाय है तो इसमें लगे श्रमिकों की समस्याओं का निराकरण करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अगर श्रम कानूनों का ईमानदारी से पालन करा दिया जाए तो समस्याओं का अपने आप निराकरण हो जाएगा।
समाजवादी चिंतक दीपक मिश्रा ने कहा कि राजनीति और पत्रकारिता एक दूसरे का पर्याय हैं। बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन टीपी सिंह, विधायक रघुराज शाक्य ने भी अपने विचार रखे।
उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने पत्रकारों की मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा। मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव सिद्धार्थ कलहंस ने विषय प्रवर्तन किया। आईएफडब्लूजे कोषाध्यक्ष श्यामबाबू ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में श्यामलला सिंह, नोयडा से रिंकू यादव, अभिमन्यू पांडे. इखबाल चौधरी, शाहजहांपुर से अमित गुप्ता, कमल, झांसी से विकास शर्मा सहित सैकड़ों श्रमजीवी पत्रकारों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के आयोजक व श्रमजीवी पत्रकार यूनियन आगरा मंडल के अध्यक्ष संतोष चतुर्वेदी ने सभी आगंतुकों को प्रतीक चिन्ह भेंट किया। संतोष चतुर्वेदी ने आगरा मंडल के पत्रकारों की समस्याओं से संबोधित ज्ञापन भी सौंपा।
इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (आईएफ़डब्लूजे) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव ने कहा कि पूंजी और श्रम के बीच संतुलन होना चाहिए लेकिन आज थैलीशाह मीडिया को नियंत्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में मीडिया का पक्षपात पूर्ण रवैया बढ़ गया है। इस सिलसिले में उन्होंने उत्तराखंड उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी की करारी हार की खबरों के मीडिया में दबाए जाने का जिक्र किया। श्री राव ने मीडिया से संबंधित समितियों में पत्रकारों के संगठनों को नजरअंदाज कर लोगों के नामांकन पर प्रदेश सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को मानना चाहिए।
सूचना आयुक्त अरविंद सिंह बिष्ट ने पत्रकार बंधु को पुर्नजीवित करने की यूनियन की मांग का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि मीडिया को खबरों में विश्वसनीयता बनाए रखना चाहिए। प्रदेश में दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री सीपी राय ने भी विश्वसनीयता का सवाल उठाते हुए कहा कि मीडिया एक सरकार के खिलाफ कुछ नजरिया रखता है जबकि दूसरी सरकार के लिए कुछ और।
वरिष्ठ पत्रकार विनीत नारायण ने कहा कि पत्रकारिता आज व्यवसाय हो गयी है इसके चलते स्वतंत्र पत्रकारिता का अस्तित्व खत्म हो गया है। आईएफडब्लूजे महासचिव परमानंद पांडे ने कहा अगर पत्रकारिता व्यवसाय है तो इसमें लगे श्रमिकों की समस्याओं का निराकरण करना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि अगर श्रम कानूनों का ईमानदारी से पालन करा दिया जाए तो समस्याओं का अपने आप निराकरण हो जाएगा।
समाजवादी चिंतक दीपक मिश्रा ने कहा कि राजनीति और पत्रकारिता एक दूसरे का पर्याय हैं। बार काउंसिल के पूर्व चेयरमैन टीपी सिंह, विधायक रघुराज शाक्य ने भी अपने विचार रखे।
उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष हसीब सिद्दीकी ने पत्रकारों की मांगों से संबंधित ज्ञापन सौंपा। मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के सचिव सिद्धार्थ कलहंस ने विषय प्रवर्तन किया। आईएफडब्लूजे कोषाध्यक्ष श्यामबाबू ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में श्यामलला सिंह, नोयडा से रिंकू यादव, अभिमन्यू पांडे. इखबाल चौधरी, शाहजहांपुर से अमित गुप्ता, कमल, झांसी से विकास शर्मा सहित सैकड़ों श्रमजीवी पत्रकारों ने हिस्सा लिया।
कार्यक्रम के आयोजक व श्रमजीवी पत्रकार यूनियन आगरा मंडल के अध्यक्ष संतोष चतुर्वेदी ने सभी आगंतुकों को प्रतीक चिन्ह भेंट किया। संतोष चतुर्वेदी ने आगरा मंडल के पत्रकारों की समस्याओं से संबोधित ज्ञापन भी सौंपा।
Add comment
Subscribe to:
Posts (Atom)