Wednesday, November 19, 2014

belapur

बिलासपुर और यही वे गांव हैं जहां गरीब महिलाओं की निशुल्क नसबंदी शिविर में इन पंक्तियों के लिखे जाने तक १३ महिलाओं की मृत्यु हो चुकी है और ५० की हालत गंभीर है. छह घंटे में ८३ आपरेशन कर डालने वाले डाक्टर को इसी साल के गणतंत्र दिवस पर १००.००० (एक लाख) नसबंदी सर्जरी का रिकार्ड बनाने के लिए सरकार पुरस्कृत कर चुकी है., उसी तरह, जिस तरह सोनी सोरी के गुप्तांग में गिट्टी-पत्थर भरने वाले पुलिस अफ़सर को किसी और गणतंत्र दिवस पर शौर्य-सम्मान दिया जा चुका है.
लेकिन आप-हम सब देखेंगे, बल्कि देखते ही रहिये, कि छत्तीसगढ़ की यह घटना राष्ट्रीय स्तर पर किसी बड़ी चिंता या बौद्धिक विमर्श का मसला नहीं बनेगी. यह तो शासकीय स्वास्थ्य सेवा की एक मामूली ‘भूल’ या ‘लापरवाही’ भर है.
स्त्री के अपमान की जो घटना दिन रात टीवी चैनलों से लेकर अखबारों के पन्नों पर विचारोत्तेजक बहस का मुद्दा कुछ दिनों तक बनेगी, वह है अली गढ़ मुस्लिम वि.वि. के वाइस चांसलर का एक बयान.
वाइस चांसलर का एक वाक्य इसी देश की १३ महिलाओं की मौत से बहुत बड़ा बौद्धिक विषय है, क्योंकि वह वाक्य ही अकेला ‘स्त्री’ के प्रति अपमानजनक है.
बाकी और कुछ भी नहीं.


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Saturday, November 15, 2014

डियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक लखनऊ में

इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक लखनऊ में
भोपाल। इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट की राष्ट्रीय कार्य परिषद की बैठक 17 एवं 18 नवबंर को लखनऊ उत्तर प्रदेष में आयोजित की गई है। इस संबंध में इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट के सेक्रेट्री जनरल श्री परमानंद पांडे के अनुसार 17 एवं 18 नवंबर को उत्तर प्रदेष की राजधानी लखनऊ के गांधी भवन में परिषद के 68वें सत्र की शुरूआत होगी। दो दिन तक चलने वाले इस सत्र में पत्रकारों से जुड़े विभिन्न मुद्दों व समस्याओं पर सोषल मीडिया,पत्रकारिता,मजिठिया वेतन आयोग आदि विषयों पर चर्चा होगी और प्रत्येक राज्य इकाई से राष्ट्रीय परिषद के सदस्य ही भाग लेने के पात्र होंगे।
इंडियन फेडरेषन आॅफ वर्किंग जर्नलिस्ट से संबद्ध वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन भोपाल की कार्यकारणी की आवष्यक बैठक राजंेद्र कष्यप की अध्यक्षता में हुई जिसमें राष्ट्रीय पर्रिषद की आयोजित बैठक में निर्णय लिया गया कि प्रदेष इकाई की और से श्री दिनेषचंद्र वर्मा अध्यक्ष एवं संयोजक प्रदेष स्तरीय सदस्यता अभियान समिति के संयोजक सतीष सक्सेना वरिष्ठ कार्यकारी अध्यक्ष विष्वेष्वर शर्मा एवं राजेष विष्वकर्मा के नेतृत्व में लखनऊ की बैठक में मध्य प्रदेष का प्रतिनिधित्व करेंगे। भोपाल इकाई की कार्यकारणी की बैठक मंे महासचिव जवाहर सिंह कोषाध्यक्ष अनिल षर्मा को भोपाल से भाग लेंगे। प्रदेष के विभिन्न जिला इकाईयांे के प्रतिनिधि उपस्थित होंगे।
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infarmtion

मप्र सरकार ने सूचना आयुक्तों की राजशाही सुविधाओ की मांग को ठुकरा कर कचरे की टोकरी में डाल दिया है। जरा ध्यान से देखिये इन साहबो की मांगो को जो ये नियुक्ति के केवल 6 महीनो में ही सरकार के समक्ष लेकर गए थे। यदि ये साहब लोग इतनी मेहनत जनता को समय पर जानकारी दिलवानें और बड़े आरोपियों को सजा दिलवाने पर करते तो बेहतर होता।

Thursday, November 6, 2014

वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधाल्लभ शारदा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा गया पत्र

वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष राधाल्लभ शारदा द्वारा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखा गया पत्र


प्रति,
श्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री, मध्यप्रदेश
भोपाल

विषय : प्रदेश के पत्रकारों में असंतोष एवं सरकार के प्रति आक्रोश।

महोदय,
भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र एवं राज्य सरकारें आम जनता के हितों को ध्यान में रखकर अच्छे निर्णय ले रही है और ये सारे निर्णय भाजपा के चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार है। यहां तक तो सब ठीक है परन्तु सरकार एवं संगठन द्वारा लिये गये निर्णयों एवं कार्यों को आम जन तक पहुंचाने वाले पत्रकार एवं छोटे समाचार पत्र मध्यप्रदेश सरकार के जनसम्पर्क विभाग के अधिकारियों की तानाशाही के शिकार हो रहे है। अधिकारी वर्ग पत्रकारों एवं छोटे समाचार पत्रों को अपनी तानाशाही से उद्वेलित कर भाजपा एवं सरकार के प्रति असंतोष उत्पन्न कर रहे है। 

जनसम्पर्क विभाग द्वारा किये जा रहे कार्य :-

1. विधानसभा चुनाव के पूर्व भाजपा के घोषणा पत्र में अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को लेपटॉप देने की बात कही थी। विभाग को इस मद में 12 करोड़ मिल चुके है। परन्तु विभाग के अधिकारियों ने लेपटॉप देने के लिये जो नियम एवं शर्तें रखी है जो अनुचित है। घोषणा पत्र में नियम एवं शर्तों का कहीं कोई उल्लेख नहीं है। विभाग द्वारा रखे नियम एवं शर्तों से ऐसा लगता है कि पत्रकारों को विभिन्न श्रेणी में बांटा गया। मुझे लगता है कि अंग्रेजों की नीति ‘फूट डालो राज करो’ का पालन किया जा रहा है। 

2. छोटे समाचार पत्रों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है। जहां सरकार छोटे उद्योगों को प्रदेश में बरियता देते हुए प्रोत्साहित कर रही है। वहीं आम जन एवं सरकार के मध्य सेतू का काम करने वाले समाचार पत्रों के लिये विज्ञापन देने में कटौती कर दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने तो यहां तक कह दिया कि ‘समाचार पत्रों को विज्ञापन क्यों दे उनसे क्या लाभ’ का सीधा-सीधा अर्थ है कि अब सरकार को चलाने वाले अधिकारी जिनके परिवार एवं उनका पेट भरने, मौज-मस्ती के लिये जो वेतन एवं भत्ते प्रतिमाह मिलते है वो आम जनता से टैक्स के रूप में प्राप्त धन से दिये जाते है। नौकरी करने वाला व्यक्ति नौकर होता है परन्तु म.प्र. के जनसम्पर्क विभाग के अधिकारी अपने आप को मालिक समझ कर मनमाने निर्णय ले रहे है। 

3. जनसम्पर्क विभाग ने अधिमान्यता नियमों में संशोधन कर जटिल कर दिये है। पत्रकार को अधिमान्यता से रेलवे द्वारा 50 प्रतिशत किराये पर यात्रा का अधिकार मिलता है। अधिमान्यता कार्ड दिखाने पर वाहन का टोल टैक्स नहीं लगता तथा उसे कार्ड दिखाने पर मंत्रालय में प्रवेश हेतु पास नहीं बनवाना पड़ता है। विभाग द्वारा मात्र एक कार्ड दिया जाता है। 

4. राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के हवाला देते हुए जिन शासकीय आवासों में पत्रकार निवासरत है उन्हें खाली कराने का मन बना लिया है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के समय कुछ पत्रकारों को शासकीय आवास आवंटित किये तब सरकारी अफसरों ने क्या सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं की। प्रदेश की आबादी के साथ-साथ समाचार पत्र एवं पत्रकारों की संख्या में भी वृद्धि हुई उस अनुपात में पत्रकारों के लिये शासकीय आवास का कोटा भी बढ़ाना था जो नहीं हुआ। 

5. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकारों को वेज बोर्ड के अनुसार वेतन मिलना चाहिये परन्तु इस ओर भी सरकारी अफसरों का ध्यान नहीं है। सरकार के श्रम विभाग के पास पत्रकारों एवं अन्य कर्मचारियों के आंकड़ें भी नहीं है कि किस समाचार पत्र में कितने पत्रकार और अन्य कर्मचारी कार्यरत है। 
सरकारी तंत्र भाजपा एवं सरकार के प्रति पत्रकारों एवं छोटे समाचार पत्र मालिकों में असंतोष की भावना फैलाने का कार्य कर रहा है। अत: हमारा आग्रह है कि पत्र के प्रत्येक बिन्दु की समीक्षा एक उच्च स्तरीय कमेटी से कराई जाए उस कमेटी में श्रम विभाग में पंजीयत पत्रकार संगठन के सदस्यों को रखा जाए। जब तक समीक्षा होकर निर्णय नहीं होता तब तक पुराने नियमों एवं घोषणा पत्र का पालन किया जाए। 
धन्यवाद,

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Tuesday, November 4, 2014

पत्रकार संचार कल्याण समिति का गठन

पत्रकार सं

पत्रकार संचार कल्याण समिति का गठन

 

भोपाल : सोमवार, नवम्बर 3, 2014, 17:35 IST
 
राज्य शासन ने पत्रकारों को आर्थिक सहायता देने के लिये मध्यप्रदेश पत्रकार संचार कल्याण समिति का गठन किया है। यह समिति आदेश जारी होने की दिनांक से दो वर्ष तक प्रभावशील रहेगी।
समिति के निम्न सदस्य होंगे श्री अरूण चौहान दैनिक पत्रिका भोपाल, श्री मनीष दीक्षित दैनिक भास्कर भोपाल, श्री रंजन श्रीवास्तव हिन्दुस्तान टाइम्स भोपाल, श्री वीरेन्द्र शर्मा सहारा समय भोपाल, श्री रवीन्द्र वाजपेयी म.प्र. हिन्दी एक्सप्रेस जबलपुर, श्री लोकेन्द्र पाराशर स्वदेश ग्वालियर, श्री प्रवीण खरीवाल अध्यक्ष प्रेस क्लब इंदौर, श्री ब्रजेश राजपूत एबीपी न्यूज भोपाल, श्रीमती दीप्ति चौरसिया इंडिया न्यूज भोपाल, श्री रामबिहारी मिश्र दैनिक जागरण रीवा, श्री पवन शर्मा नवभारत सागर, श्री अमित जैन आज तक भोपाल, श्री आशीष चौबे पी-7 भोपाल, श्री गिरीश उपाध्याय स्वतंत्र पत्रकार भोपाल, श्री धनंजय प्रताप सिंह नवदुनिया भोपाल, सुश्री सुचांदना गुप्ता टाइम्स ऑफ इंडिया भोपाल, श्री प्रभु पटेरिया न्यूज एक्सप्रेस भोपाल, श्री देवेश कल्याणी प्रदेश टुडे भोपाल, श्री जगदीप सिंह बैस नया इंडिया भोपाल, श्री मयंक चतुर्वेदी हिन्दुस्तान समाचार भोपाल, श्री पी. सुंदरराजन द हिन्दू, श्री अनुराग उपाध्याय इंडिया टीवी भोपाल, श्री दीपक शर्मा प्रतिवाद डॉट कॉम भोपाल और श्री महेन्द्र गगन साप्ताहिक पहले-पहल भोपाल।

चार कल्याण समिति का गठन