मप्र सरकार ने सूचना आयुक्तों की राजशाही सुविधाओ की मांग को ठुकरा कर कचरे की टोकरी में डाल दिया है। जरा ध्यान से देखिये इन साहबो की मांगो को जो ये नियुक्ति के केवल 6 महीनो में ही सरकार के समक्ष लेकर गए थे। यदि ये साहब लोग इतनी मेहनत जनता को समय पर जानकारी दिलवानें और बड़े आरोपियों को सजा दिलवाने पर करते तो बेहतर होता।
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