Friday, December 31, 2010

मस्जिद की मांग करने वाले हिंदुओं के शत्रु


जालौन। विहिप के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री डा.प्रवीण भाई तोगड़िया ने अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर स्थल पर मस्जिद बनाने की मांग करने वालों को बाबर की तरह भारत और हिंदुओं का शत्रु बताया। उन्होंने कहा कि बाबर के नाम पर इस देश में किसी भी मस्जिद का निर्माण स्वीकार नहीं होगा।

भाजपा नेता अरविंद सिंह चौहान के आवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए डा.तोगड़िया ने कहा कि बाबर ने राम जन्मभूमि मंदिर को तोप से तुड़वाकर मस्जिद बनवायी थी। भारत सरकार ने पुरातत्व विभाग से उक्त स्थल की जब खुदाई करायी तो वहां मंदिर के अवशेष रूप में 54 खंभे निकले थे। फिर भी एक वर्ग उस जगह कानून का सहारा लेकर मस्जिद बनवाना चाहता है।

उन्हे यह विचार करना चाहिए कि हिंदुओं के साथ उनका व्यवहार शत्रुता का रहेगा या मित्रता का। तोगडि़या बोले यदि रामजन्मभूमि स्थल पर मस्जिद निर्माण की जिद न छोड़ी गयी तो बात बहुत दूर तक जायेगी। इसके बाद धार्मिक मान्यता की आड़ में किसी वर्ग के एक से अधिक विवाह करने की अनुमति नहीं रहने दी जायेगी।

उन्होंने कहा कि रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए वे जनजागरण अभियान के तहत अभी तक पांच हजार यज्ञ सभाओं को संबोधित कर चुके है। साथ ही सभी पार्टियों के हिंदू सांसदों से संपर्क कर रहे है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में बुंदेलखंड के एकमात्र प्रतिनिधि प्रवीण जैन सहित जिन सांसदों से उनकी बात हुई सभी ने निजी तौर पर उनके अभियान का समर्थन किया है।

उन्होंने कहा कि कश्मीर के मामले में ढुलमुल नीति की वजह से देश के एक और विभाजन का खतरा मंडरा रहा है। गिलानी पाकिस्तान परस्त हैं। उन्हे महत्व देने का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कांग्रेस के युवा महासचिव राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनके अंदर जिन्ना की आत्मा प्रवेश कर गयी है।

Here is a wish that the coming year is a glorious

Here is a wish that the coming year is a glorious
one that rewards all your endeavors with success.
Happy New Year!

सेक्स एक प्रकार का व्यायाम भी है।

आप शीर्षक पढ़कर चौंक गए होंगे कि भला सेक्स परफ्यूम भी होता है। इसमें चौंकने की कोई बात नहीं है। डॉक्टरों व वैज्ञानिकों ने शोध करके यह पता लगाया है कि सेक्स अगर स्वस्थ दिल-दिमाग और मानसिकता से किया जाए तो फेरोमोंस नामक रसायन शरीर में एक प्रकार की गंध उत्पन्न करता है, जिसे सेक्स परफ्यूम कहा जा सकता है।

यह सेक्स परफ्यूम दिल व दिमाग को असाधारण सुख व शांति देता है। सेक्स हृदय रोग, मानसिक तनाव, रक्तचाप और दिल के दौरे से दूर रखता है। सेक्स से दूर भागने वाले इन रोगों से अधिक पीड़ित रहते हैं।

सेक्स से शरीर में अनेक प्रकार के हार्मोन उत्पन्न होते हैं, जो शरीर के स्वास्थ्य एवं सौंदर्य को बनाए रखने में सहायक होते हैं। इससे पहले वैज्ञानिक यह सिद्ध कर चुके हैं कि सेक्स कई रोगों का इलाज भी है। जीवन में सेक्स एक-दूजे के बीच सुख, आनंद, अपनापन लाता है, वहीं एक-दूजे की हेल्थ एवं ब्यूटी को भी बनाए रखता
खुद को तरोताजा रखने व तनाव को दूर करने के लिए नियमित सेक्स एक अच्छा उपाय है। सेक्स से शरीर में उत्पन्न एस्ट्रोजन हार्मोन 'ऑस्टियोपोरोसिस' नामक बीमारी नहीं होने देता है। सेक्स से एंडॉर्फिन हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे स्किन सुंदर, चिकनी व चमकदार बनती है। एस्ट्रोजन हार्मोन शरीर के लिए एक चमत्कार है, जो एक अनोखे सुख की अनुभूति कराता है।

सफल व नियमित सेक्स करने वाले दंपति अधिक स्वस्थ देखे गए हैं। उनका सौंदर्य भी लंबी उम्र तक बना रहता है। उनमें उत्तेजना, उत्साह, उमंग और आत्मविश्वास भी अधिक होता है। सेक्स से परहेज करने वाले शर्म, संकोच, अपराधबोध व तनाव से पीड़ित रहते हैं।



सेक्स एक प्रकार का व्यायाम भी है। इसके लिए खास किस्म के सूट, शू या महँगी एक्सरसाइज सामग्री की आवश्यकता नहीं होती। जरूरत होती है बस बेडरूम का दरवाजा बंद करने की। सेक्स व्यायाम शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को दूर करता है और शरीर को लचीला बनाता है। एक बार का हेल्दी सेक्स किसी थका देने वाले एक्सरसाइज या स्विमिंग के 10-20 चक्करों से अधिक असरदार होता है। सेक्स विशेषज्ञों के अनुसार मोटापा दूर करने के लिए सेक्स काफी सहायक सिद्ध होता है।

चुंबन से मोटापा दूर
सेक्स से शारीरिक ऊर्जा खर्च होती है, जिससे चर्बी घटती है। एक बार के सेक्स में 500 से 1000 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। सेक्स के समय लिए गए चुंबन भी मोटापा दूर करने में सहायक सिद्ध होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार सेक्स के समय लिए गए एक चुंबन से लगभग 9 कैलोरी ऊर्जा खर्च होती है। इस तरह 390 बार चुंबन लेने से 1/2 किलो वजन घट सकता है।

दिल्ली पुलिस ने लेखिका अरुंधति राय, हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और अन्य लोगों पर पिछले महीने एक सेमिनार में ‘भारत विरोधी’ भाषण देने के मामले में


दिल्ली पुलिस ने लेखिका अरुंधति राय, हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी और अन्य लोगों पर पिछले महीने एक सेमिनार में ‘भारत विरोधी’ भाषण देने के मामले में देशद्रोह का मामला दर्ज किया है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सुशील पंडित नामक व्यक्ति की याचिका पर शनिवार को एक स्थानीय अदालत के दिशानिर्देश के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। पंडित ने आरोप लगाया था कि गिलानी और राय ने 21 अक्टूबर को ‘आजादी : द ओनली वे’ के बैनर तले हुए एक सेमिनार में भारत विरोधी भाषण दिया था।

राय और अन्य पर धारा 124-ए (देशद्रोह), 153-ए (वर्गों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), 153-बी (राष्ट्रीय अखंडता को नुकसान पहुँचाने के लिए लांछन), 504 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान) और 505 (विद्रोह के इरादे से झूठे बयान, अफवाहें फैलाना या जन शांति के खिलाफ अपराध) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।

अरुंधति राय के मामले से इतना तो स्पष्ट हुआ है कि मात्र पुरस्कारों को घर में सजा लेने से कोई भी व्यक्ति सही मायनों में लेखक नहीं हो जाता। लेखक होने की अनिवार्य, पहली और एकमात्र शर्त यह होती है( होनी चाहिए) कि उसके सामाजिक और राष्ट्रीय सरोकार बेहद स्पष्ट हो। अगर राष्ट्रीय मुद्दों की गहरी समझ ना हो तो उन मुद्दों पर लिखना या बोलना भी अनुचित है।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का यह मतलब नहीं है कि आप राष्ट्रीय हितों को नजरअंदाज करते हुए ऐसा कुछ कह जाए जो देश के सबसे नाजुक मसले को और अधिक कमजोर कर दे। यह पीड़ा इसलिए भी घनीभूत हो जाती है कि अरुंधति जैसी युवा लेखिका से इस तरह की नादानी की उम्मीद किसी संवेदनशील पाठक ने नहीं की थी। कश्मीर का मसला सस्ती बयानबाजी का नहीं है यह बात अरुंधति को समझाने की जरूरत नहीं है यह उनके 'स्वविवेक' से की जाने वाली एक सहज अपेक्षा है।

यह उम्मीद हम गिलानी से नहीं करते, यह उम्मीद हम किसी राजनेता या कम समझ वाले सामान्य नागरिक से भी नहीं करते पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए गौरव का परचम लहरा चुकी अरूंधति से यह आशा करना हम सबका सहज अधिकार है। आखिर किस आधार पर अरुंधति ने यह बयान दिया कि कश्मीर भारत का अंग नहीं है।

सब जानते हैं कि कश्मीर मसला तथ्यों के आइने में आज भी उलझा हुआ है। एक तरफ खूनी मंजर दूसरी तरफ कश्मीरवासियों का अव्यक्त दर्द। एक तरफ पड़ोसी देश की बेइमान निगाहें, दूसरी तरफ राष्ट्र की स्थिरता और प्रगति के प्रश्न।

ऐसे में अरुंधति की सोच महज इतनी ही दूर तक चल पाई कि एक अत्यत संवेदनशील मसले पर गैर जिम्मेदाराना बयान देकर सस्ती लोकप्रियता हासिल की जाए। जब तक हम कश्मीर के रहवासी को मन और भावनाओं से अपने से नहीं जोड़ते तब तक अरुंधति और गिलानियों के संस्करण निकलते रहेंगे।

बात अरुंधति पर आकर फिर अटकती है कि लेखन के धर्म से उनका विमुख होना इस बात का संकेत है कि मन के किसी कोने में राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने अँगड़ाई ली है। लोकप्रियता के लिए मीडिया में छा जाने का खुमार। लेखक समाज को रोशनी देता है, समाज के वंचितों की आवाज बनता है, समाज की सोच किस दिशा में प्रवृत्त हो इस बात का मार्गदर्शन करता है, राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा हो सके ऐसे विचारों को पोषित करता है।

पाठकों में एक प्रखर और उजली सोच का जन्म हो, अपनी लेखनी से ऐसे फूल झरता है। अरुंधति की वाणी से यह संकेत मिल रहा है कि देश के अहम मामलों में अब कड़े अनुशासन की जरूरत है। अगर स्व-अनुशासन एक 'संवेदनशील' लेखक में नहीं है तो यह अनुशासन उन पर दंड के रूप में थोपा जाए। यहाँ एक बात ना चाहते हुए भी लेखनी पर आ रही है कि अगर लेखिका होने की गरिमा अरुंधति नहीं निभा सकीं तो उन्हें अपनी नारीत्व की गंभीरता का परिचय तो देना ही था आखिर यह समूचे देश की अस्मिता का सवाल है। आप क्या सोचते हैं?

सोनुम kapoor

वे 'मुन्नी' (मलाइका अरोरा) के 3 करोड़ रुपए के ठुमके को खुली आँखों से देखना चाहते हैं तो अपनी जेब में सिर्फ 25 हजार रुपए रख लें।


नये साल के जश्न मनाने की तैयारियों में लगे युवाओं के लिए ये खबर चौंकाने वाली है कि यदि वे 'मुन्नी' (मलाइका अरोरा) के 3 करोड़ रुपए के ठुमके को खुली आँखों से देखना चाहते हैं तो अपनी जेब में सिर्फ 25 हजार रुपए रख लें।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार मलाइका अरोराHot & Sexy Pictures of Malaika Arora 31 दिसम्बर की रात में नये साल के जश्न को लेकर एक प्रोगाम पेश करने जा रही हैं। इस प्रोगाम के लिए उन्होंने आयोजकों से 3 करोड़ की कीमत तय की है। मलाइका का शो 3 घंटे चलेगा और होटल वालों ने एक पैकेज भी दिया है। यदि चार लोगों डांस देखने आना चाहते हैं तो इसके लिए आपको चुकाने होंगे 75 हजार रुपए।

31 दिसम्बर की शाम को हसीन बनाने के लिए हमेशा बॉलीवुड सितारों की माँग रहती है और इस बार सबसे बड़ी कीमत मलाइका ने ही लगाई है। जी हाँ, वे एक कार्यक्रम को देने के लिए पूरे 3 करोड़ रुपए लेने जा रही हैं।

नये साल के जश्न के लिए यूँ भी युवाओं में हसीनाओं के लटके-झटके और शोख व सेक्सी अदाएँ देखने की होड़ मची रहती है और अपर मिडिल क्लास से लेकर विशेष वर्ग का तबका अपने स्टेटस सिंबल को कायम रखने के लिए हर कीमत अदा करने को तैयार रहता है। लिहाजा मलाइका के 3 करोड़ के ठुमके को देखने के लिए वह एक हसीन शाम के लिए 25 हजार रुपए खर्च को तैयार है।

कैटरीना ने ठुकराया 5 करोड़ का ऑफर : सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कैटरीना कैफ को 31 दिसम्बर की रात में लाइव पर्फोमेंस के लिए 5 करोड़ का ऑफर दिया गया था ताकि लोग 'शीला की जवानी' को अपनी आँखों में कैद कर सकें लेकिन कैटरीना ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उनका कहना था कि दर्शकों में मेरी अलग तरह की इमेज बनी हुई है और इस इमेज के लिए 5 करोड़ रुपए कोई कीमत नहीं रखते।

बॉलीवुड से आउट चल रही सेक्सी बाला मल्लिका शेरावत भी 31 दिसम्बर की शाम को रंगीन बनाने के लिए 1 करोड़ रुपए लेकर प्रोगाम पेश करने जा रही हैं। मल्लिका के सेक्सी डांस को देखने की कीमत साढ़े बारह हजार है।

गोविंदा भी 40 लाख रुपए लेकर मुंबई में ही एक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे लेकिन गोविंदा को लाइव देखने के लिए किसने पैसे खर्च करना होंगे, यह अभी तक तय नहीं हो पाया है।

जो लोग क्लब या बड़ी होटलों में पैसा खर्च करने में रुचि नहीं रखते हैं, उसके लिए भी बॉलीवुड ने अपनी दरियादिली दिखाई है। अक्षय कुमार, रानी मुखर्जीऔर प्रियंका चोपड़ा टीवी पर रहेंगे। पता चला है कि अक्षय कुमार ने 31 दिसम्बर के लिए लाइव टीवी प्रोग्राम पेश करने के लिए 2 करोड़ 50 लाख रुपए का कांक्ट्रेक्ट साइन किया है।

नया साल के जश्न पर आयटम गर्ल और उभरती हुई अभिनेत्रियों के लिए भी चाँदी लेकर आता है। आयटम डांसर नंदिनी जुमानी नये साल को लेकर काफी रोमांचित हैं। उनका कहना है कि पिछले सप्ताह ही मेरा एलबम रिलीज हुआ है, लिहाजा मेरी भी डिमांड बढ़ गई है। मैं 31 दिसम्बर के जश्न को लेकर काफी तैयारियाँ कर रही हूँ।

डांसर रूपाली जुमानी का कहना है कि मैं न तो 'मुन्नी बदनाम हुई' पेश करूँगी और नहीं 'शीला की जवानी' पर नाचूँगी। मैंने नये साल के लिए फिल्म 'शोले' के गीत 'मेहबूबा ओ मेहबूबा' पर डांस करने की तैयारी की है क्योंकि हेलन जी को मैं अपना आदर्श मानती हूँ।

नवोदित अभिनेत्री मोहिनी नीलकंठ की भी 31 दिसम्बर के लिए माँग बढ़ गई है और उन्होंने भी अपना कार्यक्रम पेश करने के लिए जमकर तैयारियाँ की हैं। उनका मानना है कि हमारी साल भर की मेहनत फल हमें 31 दिसम्बर के एक ही दिन मिल जाता है।

वर्ष 2011 कैसा रहेगा खास लोगों के लिए


वर्ष 2011 कैसा रहेगा खास लोगों के लिए

शिवराज सिंह चौहान:- जन्म दिनांक 05.03.59 लग्न सिंह जन्म राशि मकर इनको वर्ष भर राशि का स्वामी राशि से नवम पंचम महायोग बना रहा है तथा राशि का स्वामी शनि गुरू की पूर्ण दृष्टि से दृष्टव्य है । यह वर्ष मान-प्रतिष्ठा सुख सौभाग्यवर्धक है। इस वर्ष इनकी प्रगति निरन्तर जारी रहेगी । जन सहयोग में कुछ अच्छा कर लेंगे । अंक ज्योतिष के आधार पर इस वर्ष के दो अंग बनते जिसका स्वामी चन्द्र है । श्री शिवराज सिंह के मूलांक पांच है जिसका स्वामी बुध है दोनों शुभ ग्रह व्यापारिक ग्रह हैं अतः प्रदेश के लिए कुछ अच्छा करा सकते हैं ।

मनमोहन सिंह :- जन्म दिनांक 26.09.1932 लग्न सिंह राशि भी सिंह इनको भी शिवराज सिंह जैसा ही वर्ष रहेगा अपनी प्रतिबद्धता स्थापित करने में कामयाब होंगे। श्रीमती सोनिया गांधी :- जन्म दिनांक 09.12.1946 लग्न कर्क राशि मिथुन इनको भाग्यभाव में गुरू का गोचर भ्रमण लाभदायी है व्यतीत वर्ष की तुलना में यह वर्ष श्रेष्ठ है । यही हाल मुलायम सिंह जी के भी हैं, जन्म दिनांक 08.11.1941 लग्न कर्क जन्म राशि मीन गुरू का भ्रमण लाभदायी है ।

श्री लालकृष्ण आडवानी :- जन्म दिनांक 08.10.1928 लग्न वृश्चिक जन्म राशि मेष भाग्येश गुरू की भाग्य भाव पर पंचम पूर्ण दृष्टि उन्नति सूचक है । कुछ अच्छा करने में कामयाब होंगे । इनको शनि के एकादशभाव में भ्रमण राज राजेश्वरी योग बना रहा है इनके लिए श्रेष्ठ है ।
यही हाल शरद पंवार जी के भी हैं । जन्म दिनांक 17.11.1939 लग्न वृश्चिक जन्म राशि मेष गुरू दृष्टि इनका उन्नति सूचक है । यश प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। इसी प्रकार म.प्र. के डी.जी.पी. श्री सन्तोष कुमार राऊत की भी वृश्चिक लग्न मीन राशि जन्म दिनांक 10.11.1951 इनका भाग्येश भाग्य भाव को पंचम पूर्ण दृष्टि से देख रहा है । वर्ष उपलब्धि कारक है । श्री जयन्त मलैया जन्म दिनांक 15.11.47 लग्न वृश्चिक राशि भी वृश्चिक जन्मकालिक एवं गोचर ग्रहों के प्रभाव से यह वर्ष इसके लिए सर्वश्रेष्ठ साबित होगा । यश सम्मान में वृद्धि होगी विरोधी पराजित होंगे । कुछ अच्छा कर लेंगे ।
डॉ0 गिरजा व्यास (राजस्थान):- जन्म दिनांक 15.04.1947 जन्म लग्न मकर राशि भी मकर व्यतीत वर्ष की तुलना में यह वर्ष महत्वपूर्ण है । सम्मान वृद्धि होगी उच्च कार्य करने में कामयाब होंगी ।

रमेश चेन्नीथला :- केरल के प्रदेशाध्यक्ष हैं जन्म दि. 09.06.1956 लग्न कुम्भ इनको इस वर्ष महत्वपूर्ण पद प्राप्त हो सकता है । यश प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी ।
सुषमा स्वराज :- जन्म दिनांक 14.02.1952 जन्म लग्न धनु जन्म राशि कन्या इस वर्ष उत्तरोत्तर वृद्धि होगी लग्नेश एवं राशि एवं लग्न से केन्द्र का गोचर प्रभाव बढ़ा रहा है । ईश्वरीय शक्ति का पूर्ण सहयोग रहेगा । लग्नेश केन्द्र में कुल भूषण अधिराज योग बना रहा है सुषमा जी के लिए यह वर्ष अत्यनत श्रेष्ठ है ।

गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी :-जन्म दिनांक 21.12.1963 लग्न वृषभ राशि मिथुन ग्रह गोचर के अनुयार से प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पा जावे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी इनके सारे ग्रह फेवर में चल रहे हैं । यही दिनांक एवं सन् फिल्त स्टिार गोविन्दा के हैं, उनको ग्रह फेवर में हैं ।

श्रीमती प्रतिभा पाटिल महामहिम राष्ट्रपति (भारत) :-जन्म दिनांक 19.12.1934 जन्म लग्न सिंह जन्म राशि वृषभ वर्गोत्तम नवांश में जन्मीं श्रीमती पाटिल का गोचर ग्रह अनुकूल है । गुरू द्वितीय भाव पर पूर्ण दृष्टि लाभदायक है । इनको बुध की महादशा में गुरू महादशा चल रही है । शनि की अन्तरदशा 2011 में प्रारम्भ होगी। शनि वृषम राशि के लिए योग कारक है अतः उपलब्धियाँ प्राप्त होंगी ।

विश्वास सारंग :- जन्म दिनांक 29.12.1970 लग्न सिंह राशि मकर इनको भी यह वर्ष लाभदायी है ।

सुरेन्द्र पटवा:- जन्म दिनांक 19.01.1962 लग्न मेष राशि मिथुन गुरू का अनुकूल प्रभाव है । संघर्ष में पूर्ण सफलता हासिल होवे । कुछ ताजपोषी की सम्भावना के आसार प्रबल हैं ।
गजेन्द्र सिंह राजूखेड़ी :-जन्म दिनांक 21.12.1963 लग्न वृषभ राशि मिथुन ग्रह गोचर के अनुयार से प्रदेशाध्यक्ष की कुर्सी पा जावे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी इनके सारे ग्रह फेवर में चल रहे हैं । यही दिनांक एवं सन् फिल्त स्टिार गोविन्दा के हैं, उनको ग्रह फेवर में हैं ।

सुश्री मायावती :-जन्म दिनांक 15.01.1956 लग्न सिंह जन्म राशि मकर, मेष नवांश में जन्म सूर्य वर्गोत्तम है लग्नेश वर्गोत्तम होने से मुख्यमंत्री बनीं इनको यह वर्ष सफलता सूचक है फिर भी शत्रुओं से दो-चार होना अवश्यम्भावी है । गुरू इनको संघर्ष का लाभ देवेगा ।

चौधरी राकेश चतुर्वेदी :-जन्म दिनाक 21.01.1962 लग्न तुला जन्म राशि कर्क इनको जन्म कुण्डली का गजकेशरी योग महत्वपूर्ण पद दिलाने में सहायक हो सकता है । गुरू की गोचर दृष्टि राशि के स्वामी पर रहेगी जो यश प्रतिष्ठा के मान से उत्तम है ।

डॉ0 गोविन्द सिंह:- का गोचर का गुरू महत्व बढ़ाने में सहायक है किसी उच्च व्यक्ति के सहयोग से हासिल कर सकते हैं । नेता प्रतिपक्ष के प्रयास सफल हो सकते हैं ।
दिग्विजय सिंह:-जन्म दिनांक 28.02.1947 जन्म लग्न मीन जन्म राशि वृषभ लग्न में गोचर गुरू का भ्रमण इनके लिए वरदान साबित होगा । ये अपनी खोई हुई ताकत वापस स्थापित करने में कामयाब होंगे ।

श्रीमती उर्मिला सिंह :-जन्म दिनांक 20.08.1946 जन्म लग्न मकर जन्म राशि वृषभ शांति एवं सौहार्द के साथ राजनीति का पूर्ण लाभ लेंगी ।

कैलाश जोशी (पूर्व मुख्यमंत्री :-जन्म दिनांक 14.07.1929 जन्म लग्न मिथुन जन्म राशि तुला दसवें भाव का गुरू का गोचर भ्रमण पुत्र के लिए लाभदायी है ।
अमर अग्रवाल मंत्री (छ.ग.):- जन्म लग्न मीन दिनांक 22.09.1963 जन्म राशि तुला पार्टी में कद बढ़ेगा । अच्छी कामयाबियाँ प्राप्त करेंगे ।

डॉ0 गौरीशंकर शेजवार:-व्यतीत वर्ष की तुलना में यह वर्ष उपलब्धि का है । दिनांक 25.12.1949 लग्न कर्क जन्म राशि मकर गुरू का भाग्य भाव से भ्रमण स्मिता स्थापित करने में कामयाब होगा । तथा नजमा हेपतुल्ला जन्म दिनांक 13.04.1940 गुरू की अनुकूलता है, इसी लग्न की हैं, उन्हें उच्च पद पार्टी में मिल सकता है ।

चरणदास महंत (छ.ग.) :- जन्म दिनांक 1301201954 लग्न वृश्चिक जन्म राशि कर्क गुरू का भ्रमण एवं शनि के एकादश भाव का पूर्ण लाभ मिलेगा । यही स्थिति पूर्व मंत्री राजा पटैरिया की है जन्म दिनांक 18.08.1954 लग्न वृश्चिक राशि मीन गुरू का प्रभाव लाभदायी है । छ.ग. के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी जन्म दिनांक 9.04.1946 जन्म लग्न कुम्भ जन्म राशि मीन राशि के प्रभाव से नैया पार हो रही है। लग्न से दूसरे भाव का गुरू कारक है किन्तु शनि की सप्तम दृष्टि नेटवर्क के अनुरूप एच्यूमेन्ट नहीं ।

राहुल सिंह पूर्व मंत्री म.प्र.:- जन्म दिनांक 23.09.55 लग्न कन्या जन्म राशि तुला गुरू लग्न से केन्द्र गत प्रभाव प्रदेशाध्यक्ष बना देवे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी ।
कैलाश विजयवर्गीय:- जन्म दिनांक 13.05.56 लग्न मेष राशि कन्या गुरू का प्रभाव अनुकूल एवं शनि शत्रुहंता योग बना रहा है शत्रुओं को पराजित कर देंगे ।

सुन्दरलाल पटवा (पूर्व मुख्यमंत्री) :- जन्म दिनांक 11.11.1924 लग्न धनु जन्म राशि मेष गोचर में दसवें भाव से शनि का भ्रमण तथा गुरू का केन्द्रगत प्रभाव यश प्रतिष्ठा में वृद्धि करेगा । कई नेताओं के सहायक होंगे अच्छी भूमिका में होंगे ।

अटल बिहारी वाजपेयी:- जन्म दिनांक 25.12.1925 जन्म लग्न तुला राशि वृश्चिक गुरू का प्रभाव श्रेष्ठ है । गुरू की गोचर दृष्टि राज्यभाव पर अनुकूलता स्थापित करती है । श्रीमती वसुन्धरा राजे (पूर्व मुख्यमंत्री-राजस्थान):- जन्म दिनांक 08.03.1953 लग्न कुम्भ राशि वुश्चिक लग्न से दूसरे भाव पर राजनीति में चमत्कार उत्पन्न कर देवे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । वहाँ अभी कांग्रेस को कोई चुनौती नहीं है इनके ग्रहों के प्रभास से कांग्रेस को वहाँ चुनौती मिलने केअधिक चान्स हैं ।
प्रभात झा (प्रदेशाध्यक्ष भाजपा) :- जन्म राशि कन्या गुरू का गोचर भ्रमण इनके काफी अनुकूल है । गुरू सप्तम पूर्ण दृष्टि से इनकी राशि कन्या को सप्तम पूर्ण दृष्टि से देख रहा है । उत्तरोत्तर राजनीैतिक प्रभाव में वृद्धि करने में पूर्ण सहायक है । गोचर में लग्न में चल रहा शनि अपने दशमभाव को कारक दृष्टि से देखने से जनता के भाव में गुरू का भ्रमण बहुत श्रेष्ठ है । काफी ऊँचाईयाँ प्राप्त करेंगे ।

राकेश साहनी :-जन्म दिनांक 26.01.1950 जन्म लग्न तुला जन्म राशि मेष गुरू छठवें भाव में भ्रमण पंचम दृष्टि से राज्य भाव को देख रहा है । जो उन्हें लाभ प्रदान करेगा तुलालग्न के योग कारक ग्रह शनि को गुरू की सप्तमपूर्ण दृष्टि दृग्बली बना रही है । बुध जब धनु राशि में आयेगा तो उन्हें महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रदान करेगा ।
नरेन्द्र सिंह तोमर :-राशि वृश्चिक गुरू का प्रभाव विशेष अनुकूल है तथा 11वां शनि राज राजेश्वरी योग बना रहा है । उत्तरप्रदेश भाजपा का ग्राफ बढ़ा देवे तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी । इनका शनि इस समय सन् 2012 में शनि की अनुकूलता बड़ा गुल खिला सकती है ।
गोचर ग्रह का फल जन्म राशि से देखना अनिवार्य होता है । चन्द्र मन का कारक ग्रह है चन्द्र के द्वारा नवग्रहों का तारतम्य स्थापित करने पर वस्तुस्थिति स्पष्ट हो जाती है । ग्रह भी नक्षत्रों पर आरूद होते हैं । नक्षत्रों का अतिपति चन्द्रमा है। उन्नति सूचक ज्ञान चन्द्रमा से प्राप्त होता है जबकि सूर्य कुण्डली देखने पर विपदा आपत्ति का ज्ञान होता है । लग्न कुण्डली पूर्व जन्म का प्रारब्ध दर्शाती है अतः इन तीनों की सुदर्शन कुण्डली देखना अनिवार्य हो जाता है । इन ग्रहों के अलावा पूर्व जन्म का प्रारब्ध भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है ।
डॉ. राधेश्याम शर्मा
संपर्कः 91 94256 67345

हैप्पी न्यू years2011

Thursday, December 30, 2010

सऊदी अरब… डॉक्टर शालिनी चावला इस देश को कभी भूल नहीं सकतीं… यह बर्बर इस्लामिक देश, रह-रहकर उन्हें सपने में भी डराता रहेगा, भले ही मनमोहन जी चैन की नीं

आप सभी को याद होगा कि किस तरह से ऑस्ट्रेलिया में एक डॉक्टर हनीफ़ को वहाँ की सरकार ने जब गलती से आतंकवादी करार देकर गिरफ़्तार कर लिया था, उस समय हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने बयान दिया था कि “हनीफ़ पर हुए अत्याचार से उनकी नींद उड़ गई है…” और उस की मदद के लिये सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। डॉक्टर हनीफ़ के सौभाग्य कहिये कि वह ऑस्ट्रेलिया में कोर्ट केस भी जीत गया, ऑस्ट्रेलिया सरकार ने उससे लिखित में माफ़ी भी माँग ली है एवं उसे 10 लाख डॉलर की क्षतिपूर्ति राशि भी मिलेगी…

अब चलते हैं सऊदी अरब… डॉक्टर शालिनी चावला इस देश को कभी भूल नहीं सकतीं… यह बर्बर इस्लामिक देश, रह-रहकर उन्हें सपने में भी डराता रहेगा, भले ही मनमोहन जी चैन की नींद लेते रहें…

डॉक्टर शालिनी एवं डॉक्टर आशीष चावला की मुलाकात दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में हुई, दोनों में प्रेम हुआ और 10 साल पहले उनकी शादी भी हुई। आज से लगभग 4 वर्ष पहले दोनों को सऊदी अरब के किंग खालिद अस्पताल में नौकरी मिल गई और वे वहाँ चले गये। डॉ आशीष ने वहाँ कार्डियोलॉजिस्ट के रुप में तथा डॉ शालिनी ने अन्य मेडिकल विभाग में नौकरी ज्वाइन कर ली। सब कुछ अच्छा-खासा चल रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था…

जनवरी 2010 (यानी लगभग एक साल पहले) में डॉक्टर आशीष चावला की मृत्यु हार्ट अटैक से हो गई, अस्पताल की प्रारम्भिक जाँच रिपोर्ट में इसे Myocardial Infraction बताया गया था अर्थात सीधा-सादा हार्ट अटैक, जो कि किसी को कभी भी आ सकता है। यह डॉ शालिनी पर पहला आघात था। शालिनी की एक बेटी है दो वर्ष की, एवं जिस समय आशीष की मौत हुई उस समय शालिनी गर्भवती थीं तथा डिलेवरी की दिनांक भी नज़दीक ही थी। बेटी का खयाल रखने व गर्भावस्था में आराम करने के लिये शालिनी ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा पहले ही दे दिया था। इस भीषण शारीरिक एवं मानसिक अवस्था में डॉ शालिनी को अपने पति का शव भारत ले जाना था… जो कि स्थिति को देखते हुए तुरन्त ले जाना सम्भव भी नहीं था…।

फ़िर 10 फ़रवरी 2010 को शालिनी ने एक पुत्र “वेदांत” को जन्म दिया, चूंकि डिलेवरी ऑपरेशन (सिजेरियन) के जरिये हुई थी, इसलिये शालिनी को कुछ दिनों तक बिस्तर पर ही रहना पड़ा… ज़रा इस बहादुर स्त्री की परिस्थिति के बारे में सोचिये… उधर दूसरे अस्पताल में पति का शव पड़ा हुआ है, दो वर्ष की बेटी की देखभाल, नवजात शिशु की देखभाल, ऑपरेशन की दर्दनाक स्थिति से गुज़रना… कैसी भयानक मानसिक यातना सही होगी डॉ शालिनी ने…

लेकिन रुकिये… अभी विपदाओं का और भी वीभत्स रुप सामने आना बाकी था…

1 मार्च 2010 को नज़रान (सऊदी अरब) की पुलिस ने डॉ शालिनी को अस्पताल में ही नोटिस भिजवाया कि ऐसी शिकायत मिली है कि “आपके पति ने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था एवं शक है कि उसने अपने पति को ज़हर देकर मार दिया है”। इन बेतुके आरोपों और अपनी मानसिक स्थिति से बुरी तरह घबराई व टूटी शालिनी ने पुलिस के सामने तरह-तरह की दुहाई व तर्क रखे, लेकिन उसकी एक न सुनी गई। अन्ततः शालिनी को उसके मात्र 34 दिन के नवजात शिशु के साथ पुलिस कस्टडी में गिरफ़्तार कर लिया गया व उससे कहा गया कि जब तक उसके पति डॉ आशीष का दोबारा पोस्टमॉर्टम नहीं होता व डॉक्टर अपनी जाँच रिपोर्ट नहीं दे देते, वह देश नहीं छोड़ सकती। डॉ शालिनी को शुरु में 25 दिनों तक जेल में रहना पड़ा, ज़मानत पर रिहाई के बाद उसे अस्पताल कैम्पस में ही अघोषित रुप से नज़रबन्द कर दिया गया, उसकी प्रत्येक हरकत पर नज़र रखी जाती थी…। चूंकि नौकरी भी नहीं रही व स्थितियों के कारण आर्थिक हालत भी खराब हो चली थी इसलिये दिल्ली से परिवार वाले शालिनी को पैसा भेजते रहे, जिससे उसका काम चलता रहा… लेकिन उन दिनों उसने हालात का सामना बहुत बहादुरी से किया। जिस समय शालिनी जेल में थी तब यहाँ से गई हुईं उनकी माँ ने दो वर्षीय बच्ची की देखभाल की। शालिनी के पिता की दो साल पहले ही मौत हो चुकी है…

डॉ आशीष का शव अस्पताल में ही रखा रहा, न तो उसे भारत ले जाने की अनुमति दी गई, न ही अन्तिम संस्कार की। डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने दूसरी बार पोस्टमॉर्टम किया तथा ज़हर दिये जाने के शक में “टॉक्सिकोलोजी व फ़ोरेंसिक विभाग” ने भी शव की गहन जाँच की। अन्त में डॉक्टरों ने अपनी फ़ाइनल रिपोर्ट में यह घोषित किया कि डॉ आशीष को ज़हर नहीं दिया गया है उनकी मौत सामान्य हार्ट अटैक से ही हुई, लेकिन इस बीच डॉ शालिनी का जीवन नर्क बन चुका था। इन बुरे और भीषण दुख के दिनों में भारत से शालिनी के रिश्तेदारों ने सऊदी अरब स्थित भारत के दूतावास से लगातार मदद की गुहार की, भारत स्थित सऊदी अरब के दूतावास में भी विभिन्न सम्पर्कों को तलाशा गया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली, यहाँ तक कि तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री शशि थरुर से भी कहलवाया गया, लेकिन सऊदी अरब सरकार ने “कानूनों”(?) का हवाला देकर किसी की नहीं सुनी। मनमोहन सिंह की नींद तब भी खराब नहीं हुई…

शालिनी ने अपने बयान में कहा कि आशीष द्वारा इस्लाम स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता था, यदि ऐसा कोई कदम वे उठाते तो निश्चित ही परिवार की सहमति अवश्य लेते, लेकिन मुझे नहीं पता कि पति को ज़हर देकर मारने जैसा घिनौना आरोप मुझ पर क्यों लगाया जा रहा है।

इन सारी दुश्वारियों व मानसिक कष्टों के कारण शालिनी की दिमागी हालत बहुत दबाव में आ गई थी एवं वह गुमसुम सी रहने लगी थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और सऊदी प्रशासन से लगातार न्याय की गुहार लगाती रही। अन्ततः 3 दिसम्बर 2010 को सऊदी सरकार ने यह मानते हुए कि डॉ आशीष की मौत स्वाभाविक है, व उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया था, शालिनी चावला को उनका शव भारत ले जाने की अनुमति दी। डॉ आशीष का अन्तिम संस्कार 8 दिसम्बर (बुधवार) को दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया… आँखों में आँसू लिये यह बहादुर महिला तनकर खड़ी रही, डॉ शालिनी जैसी परिस्थितियाँ किसी सामान्य इंसान पर बीतती तो वह कब का टूट चुका होता…

यह घटनाक्रम इतना हृदयविदारक है कि मैं इसका कोई विश्लेषण नहीं करना चाहता, मैं सब कुछ पाठकों पर छोड़ना चाहता हूँ… वे ही सोचें…



1) डॉ हनीफ़ और डॉ शालिनी के मामले में कांग्रेस सरकार के दोहरे रवैये के बारे में सोचें…


2) ऑस्ट्रेलिया सरकार एवं सऊदी सरकार के बर्ताव के अन्तर के बारे में सोचें…


3) भारत में काम करने वाले, अरबों का चन्दा डकारने वाले, मानवाधिकार और महिला संगठनों ने इस मामले में क्या किया, यह सोचें…


4) डॉली बिन्द्रा, वीना मलिक जैसी छिछोरी महिलाओं के किस्से चटखारे ले-लेकर दिन-रात सुनाने वाले “जागरुक” व “सबसे तेज़” मीडिया ने इस महिला पर कभी स्टोरी चलाई? इस बारे में सोचें…

5) भारत की सरकार का विदेशों में दबदबा(?), भारतीय दूतावासों के रोल और शशि थरुर आदि की औकात के बारे में भी सोचें…

और हाँ… कभी पैसा कमाने से थोड़ा समय फ़्री मिले, तो इस बात पर भी विचार कीजियेगा कि फ़िजी, मलेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब और यहाँ तक कि कश्मीर, असम, बंगाल जैसी जगहों पर हिन्दू क्यों लगातार जूते खाते रहते हैं? कोई उन्हें पूछता तक नहीं…
=======


विषय से जुड़ा एक पुराना मामला –

जो लोग “सेकुलरिज़्म” के गुण गाते नहीं थकते, जो लोग “तथाकथित मॉडरेट इस्लाम”(?) की दुहाईयाँ देते रहते हैं, अब उन्हें डॉ शालिनी के साथ-साथ, मलेशिया के श्री एम मूर्ति के मामले (2006) को भी याद कर लेना चाहिये, जिसमें उसकी मौत के बाद मलेशिया की “शरीयत अदालत” ने कहा था कि उसने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था। परिवार के विरोध और न्याय की गुहार के बावजूद उन्हें इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफ़नाया गया था। जी नहीं… एम मूर्ति, भारत से वहाँ नौकरी करने नहीं गये थे, मूर्ति साहब मलेशिया के ही नागरिक थे, और ऐसे-वैसे मामूली नागरिक भी नहीं… माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी, मलेशिया की सेना में लेफ़्टिनेंट रहे, मलेशिया की सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था… लेकिन क्या करें, दुर्भाग्य से वह “हिन्दू” थे…। विस्तार से यहाँ देखें… http://en.wikipedia.org/wiki/Maniam_Moorthy

भारत की सरकार जो “अपने नागरिकों” (वह भी एक विधवा महिला) के लिये ही कुछ नहीं कर पाती, तो मूर्ति जी के लिये क्या करती…? और फ़िर जब “ईमानदार लेकिन निकम्मे बाबू” कह चुके हैं कि “देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है…” तो फ़िर एक हिन्दू विधवा का दुख हो या मुम्बई के हमले में सैकड़ों मासूम मारे जायें… वे अपनी नींद क्यों खराब करने लगे?

बहरहाल, पहले मुगलों, फ़िर अंग्रेजों, और अब गाँधी परिवार की गुलामी में व्यस्त, "लतखोर" हिन्दुओं को अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाएं… क्योंकि वे मूर्ख इसी में "खुश" भी हैं…। विश्वास न आता हो तो 31 तारीख की रात को देख लेना…।

डॉ शालिनी चावला, मैं आपको दिल की गहराईयों से सलाम करता हूँ और आपका सम्मान करता हूँ, जिस जीवटता से आपने विपरीत और कठोर हालात का सामना किया, उसकी तारीफ़ के लिये शब्द नहीं हैं मेरे पास…
(…समाप्त)

सऊदी अरब… डॉक्टर शालिनी चावला इस देश को कभी भूल नहीं सकतीं… यह बर्बर इस्लामिक देश, रह-रहकर उन्हें सपने में भी डराता रहेगा, भले ही मनमोहन जी चैन की नीं

आप सभी को याद होगा कि किस तरह से ऑस्ट्रेलिया में एक डॉक्टर हनीफ़ को वहाँ की सरकार ने जब गलती से आतंकवादी करार देकर गिरफ़्तार कर लिया था, उस समय हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जी ने बयान दिया था कि “हनीफ़ पर हुए अत्याचार से उनकी नींद उड़ गई है…” और उस की मदद के लिये सरकार हरसंभव प्रयास करेगी। डॉक्टर हनीफ़ के सौभाग्य कहिये कि वह ऑस्ट्रेलिया में कोर्ट केस भी जीत गया, ऑस्ट्रेलिया सरकार ने उससे लिखित में माफ़ी भी माँग ली है एवं उसे 10 लाख डॉलर की क्षतिपूर्ति राशि भी मिलेगी…

अब चलते हैं सऊदी अरब… डॉक्टर शालिनी चावला इस देश को कभी भूल नहीं सकतीं… यह बर्बर इस्लामिक देश, रह-रहकर उन्हें सपने में भी डराता रहेगा, भले ही मनमोहन जी चैन की नींद लेते रहें…

डॉक्टर शालिनी एवं डॉक्टर आशीष चावला की मुलाकात दिल्ली के राममनोहर लोहिया अस्पताल में हुई, दोनों में प्रेम हुआ और 10 साल पहले उनकी शादी भी हुई। आज से लगभग 4 वर्ष पहले दोनों को सऊदी अरब के किंग खालिद अस्पताल में नौकरी मिल गई और वे वहाँ चले गये। डॉ आशीष ने वहाँ कार्डियोलॉजिस्ट के रुप में तथा डॉ शालिनी ने अन्य मेडिकल विभाग में नौकरी ज्वाइन कर ली। सब कुछ अच्छा-खासा चल रहा था, लेकिन नियति को कुछ और ही मंज़ूर था…

जनवरी 2010 (यानी लगभग एक साल पहले) में डॉक्टर आशीष चावला की मृत्यु हार्ट अटैक से हो गई, अस्पताल की प्रारम्भिक जाँच रिपोर्ट में इसे Myocardial Infraction बताया गया था अर्थात सीधा-सादा हार्ट अटैक, जो कि किसी को कभी भी आ सकता है। यह डॉ शालिनी पर पहला आघात था। शालिनी की एक बेटी है दो वर्ष की, एवं जिस समय आशीष की मौत हुई उस समय शालिनी गर्भवती थीं तथा डिलेवरी की दिनांक भी नज़दीक ही थी। बेटी का खयाल रखने व गर्भावस्था में आराम करने के लिये शालिनी ने अपनी नौकरी से इस्तीफ़ा पहले ही दे दिया था। इस भीषण शारीरिक एवं मानसिक अवस्था में डॉ शालिनी को अपने पति का शव भारत ले जाना था… जो कि स्थिति को देखते हुए तुरन्त ले जाना सम्भव भी नहीं था…।

फ़िर 10 फ़रवरी 2010 को शालिनी ने एक पुत्र “वेदांत” को जन्म दिया, चूंकि डिलेवरी ऑपरेशन (सिजेरियन) के जरिये हुई थी, इसलिये शालिनी को कुछ दिनों तक बिस्तर पर ही रहना पड़ा… ज़रा इस बहादुर स्त्री की परिस्थिति के बारे में सोचिये… उधर दूसरे अस्पताल में पति का शव पड़ा हुआ है, दो वर्ष की बेटी की देखभाल, नवजात शिशु की देखभाल, ऑपरेशन की दर्दनाक स्थिति से गुज़रना… कैसी भयानक मानसिक यातना सही होगी डॉ शालिनी ने…

लेकिन रुकिये… अभी विपदाओं का और भी वीभत्स रुप सामने आना बाकी था…

1 मार्च 2010 को नज़रान (सऊदी अरब) की पुलिस ने डॉ शालिनी को अस्पताल में ही नोटिस भिजवाया कि ऐसी शिकायत मिली है कि “आपके पति ने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था एवं शक है कि उसने अपने पति को ज़हर देकर मार दिया है”। इन बेतुके आरोपों और अपनी मानसिक स्थिति से बुरी तरह घबराई व टूटी शालिनी ने पुलिस के सामने तरह-तरह की दुहाई व तर्क रखे, लेकिन उसकी एक न सुनी गई। अन्ततः शालिनी को उसके मात्र 34 दिन के नवजात शिशु के साथ पुलिस कस्टडी में गिरफ़्तार कर लिया गया व उससे कहा गया कि जब तक उसके पति डॉ आशीष का दोबारा पोस्टमॉर्टम नहीं होता व डॉक्टर अपनी जाँच रिपोर्ट नहीं दे देते, वह देश नहीं छोड़ सकती। डॉ शालिनी को शुरु में 25 दिनों तक जेल में रहना पड़ा, ज़मानत पर रिहाई के बाद उसे अस्पताल कैम्पस में ही अघोषित रुप से नज़रबन्द कर दिया गया, उसकी प्रत्येक हरकत पर नज़र रखी जाती थी…। चूंकि नौकरी भी नहीं रही व स्थितियों के कारण आर्थिक हालत भी खराब हो चली थी इसलिये दिल्ली से परिवार वाले शालिनी को पैसा भेजते रहे, जिससे उसका काम चलता रहा… लेकिन उन दिनों उसने हालात का सामना बहुत बहादुरी से किया। जिस समय शालिनी जेल में थी तब यहाँ से गई हुईं उनकी माँ ने दो वर्षीय बच्ची की देखभाल की। शालिनी के पिता की दो साल पहले ही मौत हो चुकी है…

डॉ आशीष का शव अस्पताल में ही रखा रहा, न तो उसे भारत ले जाने की अनुमति दी गई, न ही अन्तिम संस्कार की। डॉक्टरों की एक विशेष टीम ने दूसरी बार पोस्टमॉर्टम किया तथा ज़हर दिये जाने के शक में “टॉक्सिकोलोजी व फ़ोरेंसिक विभाग” ने भी शव की गहन जाँच की। अन्त में डॉक्टरों ने अपनी फ़ाइनल रिपोर्ट में यह घोषित किया कि डॉ आशीष को ज़हर नहीं दिया गया है उनकी मौत सामान्य हार्ट अटैक से ही हुई, लेकिन इस बीच डॉ शालिनी का जीवन नर्क बन चुका था। इन बुरे और भीषण दुख के दिनों में भारत से शालिनी के रिश्तेदारों ने सऊदी अरब स्थित भारत के दूतावास से लगातार मदद की गुहार की, भारत स्थित सऊदी अरब के दूतावास में भी विभिन्न सम्पर्कों को तलाशा गया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली, यहाँ तक कि तत्कालीन विदेश राज्यमंत्री शशि थरुर से भी कहलवाया गया, लेकिन सऊदी अरब सरकार ने “कानूनों”(?) का हवाला देकर किसी की नहीं सुनी। मनमोहन सिंह की नींद तब भी खराब नहीं हुई…

शालिनी ने अपने बयान में कहा कि आशीष द्वारा इस्लाम स्वीकार करने का कोई सवाल ही नहीं उठता था, यदि ऐसा कोई कदम वे उठाते तो निश्चित ही परिवार की सहमति अवश्य लेते, लेकिन मुझे नहीं पता कि पति को ज़हर देकर मारने जैसा घिनौना आरोप मुझ पर क्यों लगाया जा रहा है।

इन सारी दुश्वारियों व मानसिक कष्टों के कारण शालिनी की दिमागी हालत बहुत दबाव में आ गई थी एवं वह गुमसुम सी रहने लगी थी, लेकिन उसने हार नहीं मानी और सऊदी प्रशासन से लगातार न्याय की गुहार लगाती रही। अन्ततः 3 दिसम्बर 2010 को सऊदी सरकार ने यह मानते हुए कि डॉ आशीष की मौत स्वाभाविक है, व उन्होंने इस्लाम स्वीकार नहीं किया था, शालिनी चावला को उनका शव भारत ले जाने की अनुमति दी। डॉ आशीष का अन्तिम संस्कार 8 दिसम्बर (बुधवार) को दिल्ली के निगमबोध घाट पर किया गया… आँखों में आँसू लिये यह बहादुर महिला तनकर खड़ी रही, डॉ शालिनी जैसी परिस्थितियाँ किसी सामान्य इंसान पर बीतती तो वह कब का टूट चुका होता…

यह घटनाक्रम इतना हृदयविदारक है कि मैं इसका कोई विश्लेषण नहीं करना चाहता, मैं सब कुछ पाठकों पर छोड़ना चाहता हूँ… वे ही सोचें…



1) डॉ हनीफ़ और डॉ शालिनी के मामले में कांग्रेस सरकार के दोहरे रवैये के बारे में सोचें…


2) ऑस्ट्रेलिया सरकार एवं सऊदी सरकार के बर्ताव के अन्तर के बारे में सोचें…


3) भारत में काम करने वाले, अरबों का चन्दा डकारने वाले, मानवाधिकार और महिला संगठनों ने इस मामले में क्या किया, यह सोचें…


4) डॉली बिन्द्रा, वीना मलिक जैसी छिछोरी महिलाओं के किस्से चटखारे ले-लेकर दिन-रात सुनाने वाले “जागरुक” व “सबसे तेज़” मीडिया ने इस महिला पर कभी स्टोरी चलाई? इस बारे में सोचें…

5) भारत की सरकार का विदेशों में दबदबा(?), भारतीय दूतावासों के रोल और शशि थरुर आदि की औकात के बारे में भी सोचें…

और हाँ… कभी पैसा कमाने से थोड़ा समय फ़्री मिले, तो इस बात पर भी विचार कीजियेगा कि फ़िजी, मलेशिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, सऊदी अरब और यहाँ तक कि कश्मीर, असम, बंगाल जैसी जगहों पर हिन्दू क्यों लगातार जूते खाते रहते हैं? कोई उन्हें पूछता तक नहीं…
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विषय से जुड़ा एक पुराना मामला –

जो लोग “सेकुलरिज़्म” के गुण गाते नहीं थकते, जो लोग “तथाकथित मॉडरेट इस्लाम”(?) की दुहाईयाँ देते रहते हैं, अब उन्हें डॉ शालिनी के साथ-साथ, मलेशिया के श्री एम मूर्ति के मामले (2006) को भी याद कर लेना चाहिये, जिसमें उसकी मौत के बाद मलेशिया की “शरीयत अदालत” ने कहा था कि उसने मौत से पहले इस्लाम स्वीकार कर लिया था। परिवार के विरोध और न्याय की गुहार के बावजूद उन्हें इस्लामी रीति-रिवाजों के अनुसार दफ़नाया गया था। जी नहीं… एम मूर्ति, भारत से वहाँ नौकरी करने नहीं गये थे, मूर्ति साहब मलेशिया के ही नागरिक थे, और ऐसे-वैसे मामूली नागरिक भी नहीं… माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की थी, मलेशिया की सेना में लेफ़्टिनेंट रहे, मलेशिया की सरकार ने उन्हें सम्मानित भी किया था… लेकिन क्या करें, दुर्भाग्य से वह “हिन्दू” थे…। विस्तार से यहाँ देखें… http://en.wikipedia.org/wiki/Maniam_Moorthy

भारत की सरकार जो “अपने नागरिकों” (वह भी एक विधवा महिला) के लिये ही कुछ नहीं कर पाती, तो मूर्ति जी के लिये क्या करती…? और फ़िर जब “ईमानदार लेकिन निकम्मे बाबू” कह चुके हैं कि “देश के संसाधनों पर पहला हक मुस्लिमों का है…” तो फ़िर एक हिन्दू विधवा का दुख हो या मुम्बई के हमले में सैकड़ों मासूम मारे जायें… वे अपनी नींद क्यों खराब करने लगे?

बहरहाल, पहले मुगलों, फ़िर अंग्रेजों, और अब गाँधी परिवार की गुलामी में व्यस्त, "लतखोर" हिन्दुओं को अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाएं… क्योंकि वे मूर्ख इसी में "खुश" भी हैं…। विश्वास न आता हो तो 31 तारीख की रात को देख लेना…।

डॉ शालिनी चावला, मैं आपको दिल की गहराईयों से सलाम करता हूँ और आपका सम्मान करता हूँ, जिस जीवटता से आपने विपरीत और कठोर हालात का सामना किया, उसकी तारीफ़ के लिये शब्द नहीं हैं मेरे पास…
(…समाप्त)

विधानसभा के प्रमुख सचिव डॉ एके प्यासी से विधानसभा सचिवालय ने उनके मूल दस्तावेज मांगे हैं।

भोपाल,। अपनी जन्म तिथि और विभिन्न डिग्रियों को लेकर विवादों में रहे विधानसभा के प्रमुख सचिव डॉ एके प्यासी से विधानसभा सचिवालय ने उनके मूल दस्तावेज मांगे हैं। उन्हें 13 विभिन्न दस्तावेज देने के लिए 10 दिन का समय दिया गया है। सूत्रों का कहना है कि अगर दस दिनों के भीतर प्यासी ने बीए, एमए और पीएचडी की अपनी डिग्रियां जमा नहीं की तों उनकी पेंशन रुक जाएगी। प्यासी मई 2011 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

जानकारी के अनुसार यह कार्रवाई राज्य विधानसभा के स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी के निर्देश पर की गई है। रोहाणी ने विधानसभा सचिव उमाशकर रघुवंशी को एक माह पहले इस मामले का परीक्षण कर रिपोर्ट देने के लिए कहा था। इस संबंध में दो व्यक्तियों ने पुलिस थानों में शिकायत भी दर्ज कराई थी और यह मामला कोर्ट में भी चलता रहा है। बहरहाल प्यासी के सर्विस रिकार्ड और शिकायतों का परीक्षण करने के बाद रघुवंशी ने मंगलवार को विधानसभा के प्रमुख सचिव से उनके सर्विस रिकार्ड में अनुपलब्ध जानकारियों के मूल दस्तावेज और छायाप्रतिया 10 दिन में देने के लिए कह दिया।

सबकुछ मांगा है विधानसभा सचिवालय ने

विधानसभा सचिवालय ने प्यासी से हर कागज मांगा है। हायर सेकेण्डरी और स्नातक की अंकसूची व प्रमाणपत्रों की मूल प्रति, रीवा ननि में उपायुक्त पद पर प्रतिनियुक्ति आदेश के बाद प्यासी किस पद पर, कहा-कहा व कितने समय रहे। इन पदों के वेतनमान व वेतन निर्घारण संबंधी शासन के आदेशों की प्रति। भोपाल व रायपुर नगर निगम में नियुक्ति का ब्यौरा। मप्र लोक सेवा आयोग के 3 मई 1989 के पत्र के जवाब में उपायुक्त ननि रीवा रहते हुए सचिव लोक सेवा आयोग को प्यासी द्वारा भेजे गए पत्र एवं उपायुक्त पद पर शासन के नियुक्ति आदेश की प्रति। विधानसभा में अपर सचिव के पद पर प्रतिनियुक्ति से पहले शैक्षणिक योग्यता के प्रमाण पत्रों की प्रति और मूल विभाग के नाम, मूल पद और वेतनमान की जानकारी। विधानसभा सचिवालय में प्रतिनियुक्ति के वक्त स्थानीय शासन विभाग के पत्र के साथ संलग्न बायोडाटा में दी गई जानकारी की पुष्टि।

कथन

सवाल इस बात का है कि राज्य लोक सेवा आयोग क्या बिना डिग्रियां देखे किसी की नियुक्ति कर सकता है? मेरे पास सारे दस्तावेज हैं। मुझे परेशान करने की नीयत से कुछ लोग ऐसा कर रहे हैं।

-डॉ एके प्यासी, प्रमुख सचिव मप्र विधानसभा

अपेक्स बैंक ने किसानों की जमीन विदेश में गिरवी रखी

मध्यप्रदेश में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। राज्य की शीर्ष सहकारी बैंक ने किसानों से पूछे बगैर उनकी 2 लाख करोड़ रूपए से भी ज्यादा कीमत वाली जमीन को विदेश में गिरवी रख दिया है। इस घोटाले के तार महाराष्ट्र के सहकारी बैंक से भी जुड़े हुए हैं। जमीन एक ऐसी संस्था को गिरवी रखी गई है, जो एकदम नई नवेली है और बैंकिंग क्षेत्र के लोग भी जिसके बारे में नहीं जानते। स्पीड स्टार एजेंसीज प्रायवेट लिमिटेड नामक इस संस्था से अपेक्स बैंक ने 6500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने का अनुबंध कर लिया। मामले की भनक लगते ही पूरा सरकारी तंत्र और जांच एजेंसी सक्रिय हो गई हैं। यह प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है।

वित्ता विभाग के प्रमुख सचिव जी.पी. सिंघल ने कर्ज के मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है। क्या बैंक को सीधे विदेशी संस्था से कर्ज लेने का अधिकार है? इस पर सिंघल ने कहा कि इसका जवाब सहकारिता विभाग देगा।

सूत्रों का कहना है कि इस घोटाले के सामने आने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं। यह घोटाला ऐसे वक्त में सामने आया है, जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की संस्था भारतीय किसान संघ की त्यौरियां चढ़ी हुई है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री चौहान कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह को घेरने के लिए उनके शासनकाल में हुए 714 करोड़ रुपए के आईसीडी घोटाले की फाइल खोले हुए बैठे हैं। अपेक्स बैंक द्वारा बेनामी संस्था से 6500 करोड़ रुपए के कर्ज के लिए किसानों की जमीनें गिरवी रखने के मामले में जब दैनिक जागरण ने तहकीकात की तो कई सनसनीखेज जानकारियां सामने आई। सूत्रों ने बताया कि अपेक्स बैंक सीधे विदेश से कर्ज नहीं ले सकता। उसके पास ऐसा करने का लाइसेंस भी नहीं है। लिहाजा उसने बिचौलिये के जरिए किसानों की जमीन गिरवी रखने का तानाबाना इतनी होशियारी से बुना कि बैंक के आला अधिकारियों को भी इसकी भनक नहीं लग पाई। बैंक के संचालक मंडल में भी इसका प्रस्ताव 'एक्स एजेंडा' विषय के तौर रखा गया। संचालक मंडल ने तथ्यों को देखे बगैर ही कर्ज लेने का संकल्प पारित कर दिया। यह प्रस्ताव तीस नवंबर 2009 की संचालक मंडल की बैठक में पारित किया गया।

बैंक द्वारा जिस स्टार एजेंसीज प्रायवेट लिमिटेड से कर्ज लेने और किसानों की जमीन गिरवी रखने की कार्यवाही पूरी कर ली गई है, वह कलकत्ता में पंजीकृत है। इस कंपनी को भोपाल में सालों तक मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्ह का काम करने वाले एस.के. पंडित ने खरीद लिया। पंडित 2008 से वित्ताीय संस्था का काम कर रहे हैं। कंपनी की नेटवर्थ कुछ लाख रुपए की है। अपेक्स बैंक को विदेशी संस्था से 6500 करोड़ रुपए का कर्ज दिलाने के एवज में पंडित को दो प्रतिशत कमीशन मिलना है। व‌र्ल्ड केपिटल स्टेटजी कार्पोरेशन के वाइस प्रसिडेंट रार्बड कोहने और पंडित के बीच हुए पत्राचार में इस कमीशन का उल्लेख है।

दो प्रतिशत कमीशन के चक्कर में अपेक्स बैंक ने किसानों की 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की जमीन विदेशी संस्था को गिरवी रख दी। अपेक्स बैंक ने 16 दिसंबर 2009 को कृषकों की गिरवी रखी जमीन अचल संपत्तितथा 1699.09 करोड़ की नगद प्रतिभूतियों का प्रमाण पत्र दिया है। इसके आधार पर महाराष्ट्र स्टेट कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड द्वारा 688.42 करोड़ रुपए मूल्य का एसजीएल खाते का प्रमाण पत्र जारी किया गया। संपत्तिब्लाक करने का आश्वासन भी बैंक द्वारा लिखित में दिया गया। सूत्रों ने बताया कि कर्ज लेने वाला बैंक किसी वित्ताीय संस्थान पर स्वयं बैंक गारंटी जारी नहीं कर सकता। इस कारण वचन पत्र जारी किया गया। अपेक्स बैंक द्वारा 19 अप्रैल 2010 को स्पीड स्टार एजेंसीज प्रायवेट लिमिटेड के पक्ष में 6500 करोड़ रुपए मूल्य का अखंडनीय टर्म प्रामिसरी नोट भी जारी कर दिया गया। इस नोट के आधार पर स्पीड स्टार एजेंसी प्रायवेट लिमिटेड दस साल बाद महाराष्ट्र स्टेट को आपरेटिव बैंक के माध्यम से बैंक आफ इंडिया लंदन में प्रस्तुत करने पर 6500 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त कर सकती है।

यह मामला सामने आने के बाद राज्य की भाजपा सरकार सहमी हुई है। अपेक्स बैंक के अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत ने दैनिक जागरण से कहा कि हमने किसानों की जमीन गिरवी नहीं रखी है। कर्ज के दस्तावेजों को भी उन्होंने झुठला दिया। सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव मदन मोहन उपाध्याय ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में है। सरकार प्रकरण को देख रही है। सूत्रों ने बताया कि वित्ता विभाग के प्रमुख सचिव जी.पी. सिंघल ने बुधवार को पूरी डील के बारे में एक नोट अपर मुख्य सचिव सहकारिता आभा अस्थाना को भेजा है। इस नोट में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने के लिए कहा है। वित्ता विभाग ने पूरे मामले को षडयंत्र करार दिया है।

सूत्रों ने बताया कि आज पूरे दिन मंत्रालय में इस मामले से निपटने के लिए उच्च स्तरीय बैठक चलती रही। मुख्य सचिव अवनि वैश्य खुद पूरे मामले पर निगरानी रखे हुए थे। सूत्रों ने बताया सरकार ने विधि विभाग से पूछा है कि अखण्डनीय वचन पत्र को समय से पूर्व निरस्त कैसे किया जा सकता है। सरकार को आशंका है कि इस वचन पत्र का उपयोग कर किसानों की जमीनें हड़पी जा सकती हैं। सरकार मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो से कराने पर भी विचार कर रही है।

मुद्दे का सवाल

2 लाख करोड़ रूपए से अधिक कीमत वाली किसानों की यह जमीन दरअसल अपेक्स बैंक में किसानों ने कर्ज के बदले गिरवी रख छोड़ी है। अपेक्स बैंक ने बाला-बाला अपने पास गिरवी रखी यह जमीन ही विदेश की संस्था में गिरवी रखने का फैसला कर लिया और किसानों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। सहकारिता विभाग के अफसर इसे किसानों के साथ धोखाधड़ी बता रहे हैं।
bhopal30-12-2010

आदिवासी मां ने 1500 रुपये में बेचा बेटे कोDec

आदिवासी मां ने 1500 रुपये में बेचा बेटे कोशिवपुरी। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले में गरीबी से तंग आकर एक महिला द्वारा कथित तौर पर अपने ही 12 वर्षीय बेटे का 1500 रुपये में सौदा करने का मामला सामने आया है। वैसे जिलाधिकारी ने बच्चा बेचने की घटना की पुष्टि न होने की बात कही है।

यह मामला तब सामने आया जब उस महिला का बेटा ही सौदागरों के चंगुल से भाग निकला। बताया गया है कि मानिकपुर गांव की जनजातीय महिला गुड्डी के तीन बेटे और दो बेटियां हैं। पति की मौत के बाद उसके लिए इन बच्चों का भरण-पोषण करना मुश्किल हो गया था। इसी बीच गुड्डी की राजस्थान में मवेशी चराने वाले मारवाड़ियों से मुलाकात हुई और उसने अन्य बच्चों की भूख मिटाने के लिए बड़े बेटे विजय का 1500 रुपये में सौदा कर दिया।

सतनवाड़ा में विजय सोमवार को स्वयंसेवी संस्था 'एकता परिषद' के एक कार्यकर्ता के सम्पर्क में आया और उसने आप बीती सुनाई। संस्था के कार्यकर्ता विजय को लेकर जिलाधिकारी राजकुमार पाठक के पास पहुंचे। लड़के को श्रम विभाग के सुपुर्द कर दिया गया है।

वहीं जिलाधिकारी पाठक ने बताया कि कुछ लोग एक बच्चे को लेकर उनके पास आए थे, जिसकी वास्तविकता पता लगाने के लिए श्रम विभाग से कहा गया है मगर अभी तक बच्चे के बेचने जैसी बात प्रमाणित नहीं हो पाई है, क्योंकि बच्चा ज्यादा कुछ नहीं बता पा रहा है।

नक्सलियों का शहीद स्मारकDec 30,

सीतामढ़ी। बिहार के सीतामढ़ी जिले के रूनीसैदपुर थाना क्षेत्र के एक गांव में संदिग्ध नक्सलियों ने न केवल अपने मारे गए साथियों के लिए शहीद स्मारक बनाया है, बल्कि वहां पांच दिनों तक चलने वाले मेले का आयोजन कर पुलिस को सीधे चुनौती दे दी है।

ग्रामीणों के अनुसार गिधा गांव में एक मैदान में करीब 15 फुट ऊंचे बने इस शहीद स्मारक पर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी [माओवादी] के स्वयंभू जोनल कमांडर रवि जी उर्फ मैनुद्दीन समेत उन 17 नक्सलियों के नाम शहीदों की सूची में लिखे गए है जिन्हें पुलिस महकमा नक्सली मान कर उनके समाज विरोधी कारनामों को कहने से नहीं अघाती। शहीद स्मारक का उद्घाटन 28 दिसंबर को किया गया और पांच दिवसीय मेले का आयोजन किया गया है। यह मेला एक जनवरी तक चलेगा।

गिधा गांव में मेले के कारण वहां की फिजा बदल गई है। मेले में नृत्य और संगीत के कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है जिसे देखने के लिए प्रतिदिन हजारों लोग पहुंच रहे है।

मध्यप्रदेश को केन्द्र सरकार का राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार मिलना

भोपाल 30 दिसंबर 2010। मध्यप्रदेश को केन्द्र सरकार का राष्ट्रीय खेल प्रोत्साहन पुरस्कार मिलना, प्रदेश के सात खिलाडियों का चीन एशियाड में खेलना, साउथ एशियन फेडरेशन गेम्स.सैफ.में राज्य के खिलाडियों द्वारा सात पदक जीतना, मध्यप्रदेश महिला हॉकी टीम को राष्ट्रीय चैंपियन बनना और राज्य की क्रिकेट टीम का रणजी ट्राफी के क्वार्टरफाइनल में पहुंचना बीत रहे वर्ष में खेल क्षेत्र की सबसे बडी उपलब्धियां रही है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा सरकारी खजाने से खिलाडी कल्याण कोष में एक करोड तथा खिलाडियों के भत्ते की लगभग 70 लाख रूपये बकाया राशि का चैक इन खिलाडियों को प्रदान करना वर्ष 2010 की खेल की प्रमुख घटना रही। राज्य शासन के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा देश में हॉकी की नर्सरी माने जाने वाले भोपाल शहर में हॉकी खेल के विकास की दिशा में ठोस कदम उठाते हुए ऐशबाग स्टेडियम में नया सिंथेटिक टर्फ व फ्लडलाईट लगाना, लगभग 14 वर्ष के लंबे अंतराल के बाद ओबेदुल्ला गोल्ड कप अखिल भारतीय हॉकी टूर्नामेंट सहित राष्ट्रीय रंगास्वामी कप पुरूष हॉकी चैंपियनशिप और अखिल भारतीय महिला हॉकी टूर्नामेंट का आयोजन किया जाना भी इस वर्ष की उल्लेखनीय घटना रही। साथ ही आप्टीमिस्ट वायआयए गोल्डन जुबली सेलिंग चैंपियनशिप का रोमांचक तरीके से बडे तालाब में आयोजित की गई । इसके अलावा प्रदेश के खेल संचालक संजय चौधरी के विशेष प्रयासों से ग्वालियर में राज्य बैडमिंटन अकादमी स्थापित होना और इसका मुख्य कोच पूर्व अंतर्राष्ट्रीय खिलाडी पुलेला गोपीचंद को बनाना, ओलंपिक में देश के पदक जीतने वाले पहलवान सुशील कुमार का राज्य कुश्ती अकादमी का सलाहकार नियुक्त होना, राज्य क्रिकेट अकादमी का मुख्य कोच पूर्व टेस्ट क्र्रिकेटर मदनलाल का बनना, राज्य घुडसवारी और राज्य निशानेबाजी अकादमी का पूर्ण रूप से आकार लेना प्रदेश में खेलों के विकास की कडी में प्रमुख बात रही। प्रदेश में अब 15 खेलों की 16 राज्य अकादमी हो गई है।
प्रदेश के खेल विभाग ने केन्द्र सरकार की पंचायत युवा क्रीडा और खेल अभियान .पायका. के तहत इस वर्ष प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रो में खेलों के विकास की दिशा में नई क्राति लाने का प्रयास किया है । विभाग ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए खेल अधिकारी जलज चतुर्वेदी को इसका नोडल अधिकारी नियुक्त कर ग्रामीण क्षेत्रों में सतत खेल गतिविधियों का विस्तार किया गया है। केन्द्र सरकार की खेल मंत्रालय की सचिव श्रीमती सिंधुश्री खुल्लर द्वारा मध्यप्रदेश पायका रिसोर्स सेंटर को देश का मॉडल सेंटर घोषित करना अहम बात रही। देश में महिला खेलों को इस वर्ष से पायका में शामिल करने से मध्यप्रदेश का बडा लाभ मिला। क्योंकि मध्यप्रदेश ने महिला खेलों में इस बार दो स्वर्ण सहित कुल आठ पदक जीते है। जबकि गत वर्ष केवल एक रजक पदक ही मिला था। वही राष्टमंडल खेलों की क्वींस बेटन का मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा बहिष्कार करना और लंबे समय तक साई के सेंटर भोपाल में राष्ट्रमंडल और विदेश दौरों की तैयारियों के लिए अभ्यासरत भारतीय पुरूष हॉकी टीम का प्रशिक्षण शिविर विदेशी कोच ज्योस ब्रासा की नियुक्ति के बाद अचानक बदलकर पूणे ले जाना चर्चा का विषय रहा। जबकि साई प्रशासन ने राष्ट्रीय हॉकी खिलाडियों के ठहरने के लिए लाखों रूपये खर्च कर आधुनिक सुख सुविधायुक्त होटलनुमा होस्टल का निर्माण कराकर अन्य सुविधाएं प्रदान की गई थी।इस शिविर के पूणे चले जाने से सेंटर के डायरेक्टर आर के नायडू व्यक्तिगत रूप से बडे आहत हुए थे। राज्य शासन द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न खेलों की राज्य अकादमियों के सात खिलाडियों अमरदीप बसेडिया.तलवारबाजी, बिंदु देवी, तलवारबाजी, मोनालिसा.रोइंग, विकास शर्मा, कराते, लतिका भंडारी, ताईक्वांडों, जसवंत सिंह, ताईक्वांडों और राज्य महिला अकादमी की पूर्व खिलाडी रोचलिन रलते, महिला हॉकी. का चयन चीन में संपन्न एशियन गेम्स में भाग लेने वाले भारतीय दल में होना बडी उपलब्धि रही। तलवारबाजी के खिलाडी अमरदीप बसेडिया ने कामनवेल्थ तलवारबाजी चैंपियनशिप, आस्ट्रेलिया में रजत पदक जीता।वही दूसरी ओर साई सेंटर में अभ्यासरत महिला मुक्केबाज एम सी मेरिकाम का पांचवी बार विश्व विजेता बनना और उसे भारत रत्न अवार्ड से नवाजा जाना भी महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शामिल है।
खेल विभाग भोपाल में कार्यरत खेल अधिकारी और बॉस्केटबाल कोच विकास खराडकर ने जर्मनी की प्रतिष्ठित लेपजिक यूनिवर्सिटी में फिटनेस का विशेष प्रशिक्षण का कोर्स कर मध्यप्रदेश का ऐसा पहला कोच होने का गौरव प्राप्त किया है। मध्यप्रदेश टेबल-टेनिस संगठन के लिए भी वर्ष 2010 सौगात भरा रहा, क्योंकि टेबल-टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा दिसंबर माह में देश के सब जूनियर और जूनियर टेबल-टेनिस खिलाडियों की राष्ट्रीय अकादमी में इंदौर में खोलने का निर्णय लेना है। मध्यप्रदेश क्रिकेट टीम का काफी अंतराल के बाद रणजी ट्राफी के एलिट ग्रुप में स्थान बनाना और रणजी ट्राफी के प्लेट ग्रुप के लीग मैचों में शिखर पर रहकर र्क्वाटरफाइनल तक का सफर तय करना महत्वपूर्ण उपलब्धियों में शामिल है। मध्यप्रदेश के सितारा क्रिकेटर नमन ओझा के राजस्थान रायल्स और मोहनिश मिश्रा के डिक्कन चार्जर्स का प्रतिनिधित्व कर इंडियन प्रीमियर लीग .आईपीएल. में खेलना गौरव की बात रही। वही दूसरी ओर प्रदेश के खेल क्षेत्र में कुछ ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं भी घटित हुई जिससे खेल क्षेत्र बदनाम होने के साथ कलंकित भी हुआ है। इसमें मध्यप्रदेश क्रि केट एसोसिएशन के द्विवार्षिक चुनाव के इतिहास में पहली बार किसी राजनेता.प्रदेश के उद्योग मंत्री एवं इंदौर संभागीय क्रिकेट संगठन के अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय. द्वारा एसोसिएशन में सर्वानुमति की परंपरा को धत्ता दिखाते हुए प्रत्यक्ष चुनाव कराना शामिल है।
मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव को राजनैतिक अखाडा बनाने वाली इस घटना से पहली बार एसोसिएशन में लगभग तीन दशक से अपना दबदबा कायम रखने वाले अध्यक्ष एवं केन्द्रीय उद्योग वाणिज्य राज्य मंत्री तथा सिंधिया घराने के श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए सदस्यों के घर घर जाने पर मजबूर होना पडा। हालांकि चुनाव में श्री सिंधिया और उनके पैनल ने एक तरफा जीत हासिल कर अपने प्रभाव को एक फिर साबित कर दिया है। राजधानी भोपाल स्थित भारतीय खेल प्राधिकरण.साई. के सेन्ट्रल जोन सेंटर में अभ्यासरत भारतीय महिला हॉकी टीम की एक खिलाडी द्वारा प्रमुख कोच एम के कौशिक पर देह शोषण का आरोप लगाना और अपने भत्तों के लिए काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शित करना खेल क्षेत्र में एक धब्बा लगाने वाली घटना रही।वही भोपाल के खेल प्रेमी प्रशासक एवं मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष डॉ शफकत मोहम्मद खान का असामायिक निधन प्रदेश के खेल क्षेत्र के लिए बडी क्षति रही। इसके साथ ही खेल एवं युवा कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी पर विभाग की ही एक संविदा नियुक्ति वाली ग्वालियर में कार्यरत महिला अधिकारी द्वारा अश्लील आरोप लगाना तथा स्वयं ही इस जाल में फंसना ् मध्यप्रदेश ताईक्वांडों टीम की एक जूनियर बालिका खिलाडी द्वारा अपने कोच पर बलात्कार करने की रिपोर्ट राजधानी भोपाल में पुलिस में दर्ज कराना खेल क्षेत्र को कलंकित करने वाली घटनाएं रही है।


Date: 30-12-2010




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Wednesday, December 29, 2010

लारा दत्ता फरवरी में महेश भूपति से शादी करेगी

लारा दत्ता फरवरी में महेश भूपति से शादी करेगी
पहले प्यार हुआ। फिर सगाई और अब लारा दत्ता अपने रिश्ते को नेक्स्ट लेवल पर ले जाते हुए फरवरी में महेश भूपति से शादी करने वाली हैं। लारा ने ये बात करण जौहर के शो ‘कॉफी विद करण’ में कही। लारा का साथ इस शो में भूपति ने भी दिया।

लारा के मुताबिक महीना तय हो गया है, लेकिन अभी तारीख तय नहीं हुई है। दोनों के परिवार वाले यह काम कर रहे हैं।

लारा और भूपति लंबे समय से डेटिंग कर रहे हैं। पहले उन्होंने अपने रिश्ते को छिपाने की कोशिश की, लेकिन बाद में उन्होंने स्वीकार लिया। लारा का नाम इससे पहले केली दोरजी और डीनो मोरिया से जुड़ चुका है।

विज्ञापननुमा समाचारों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

हरिद्वार। उत्तराखण्ड विधानसभा के अध्यक्ष हरवंश कपूर ने कहा कि विज्ञापननुमा समाचारों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। वे आज नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स (एन.यू.जे) हरिद्वार द्वारा आयोजित विचारगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। गोष्ठी का विषय था ’आधुनिक परिप्रेक्ष्य में गणेश शंकर विद्यार्थी के विचारों की प्रासंगिकता।‘

कपूर ने कहा कि जब लोकतंत्र के तीन अन्य स्तंभों विधायिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका में मूल्यों का हृास होता है, तब प्रजातंत्र का चौथा स्तंभ पत्रकारिता उनको सहारा देता है और इन तीनों स्तंभों को नियंत्रित करता है। कपूर ने कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी ने वंचितों और दलितों के लिए कार्य किया, उनके विचार हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। समाज की एकता के लिए उन्होंने अपने जीवन को दांव पर लगा दिया। उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता में जो गिरावट आई है वह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए गम्भीर चिन्ता का विषय हैं। पत्रकार बन्धुओं को इस क्षेत्र में गम्भीर मंथन करना चाहिएं। अध्यक्षीय सम्बोधन में नई दुनिया दिल्ली के सम्पादक एवं एन.यू.जे. के राष्ट्रीय महामंत्री रास बिहारी ने कहा कि पत्रकारिता में पारदर्शिता लाने के लिए कहीं कोई सन्देह होता है तो बडे पत्रकारों की जांच हो और वे अपनी सम्पत्ति की घोषणा स्वयं करें। पेड न्यूज के बढते प्रचलन पर चिन्ता जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि पेड न्यूज पर कानूनी पाबंदी लगाई जानी चाहिए। उन्होंने इस बावत चुनाव आयोग द्वारा की जा रही पहल का स्वागत किया उन्होंने कहा कि आज पत्रकारिता मिशन की नहीं बल्कि कमीशन की रह गई है।

विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए उतराखण्ड विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष डॉ० हरक सिंह ने कहा कि साम्प्रदायिकता के खिलाफ शोषित वर्ग की आवाज को बुलंद करने के लिए गणेश शकर विद्यार्थी के विचार आज भी जनता के बीच हमेशा याद किये जायेंगे। कैबिनेट मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि जिस प्रकार उत्तराखण्ड राज्य के निर्माण में पत्रकारों की अहम भूमिका रही है, उसी प्रकार उत्तराखण्ड को आदर्श राज्य बनाने में पत्रकार अग्रणी भूमिका अदा करेंगे।

एन.यू.जे. के राष्ट्रीय सचिव ब्रह्मदत्त शर्मा ने कहा कि आज के युग में जब समाज में नीरा राडिया प्रकरण की बात हो रही है, उस समय हरिद्वार के पत्रकारों द्वारा गणेश शंकर विद्यार्थी को याद करना अपने आप में उल्लेखनीय है। श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाडा के सचिव श्री महन्त रविन्द्र पुरी ने कहा कि आज समाज में हर क्षेत्र में नैतिक पतन हो रहा है। उससे पत्रकारिता भी प्रभावित हुई है। ऐसे में पत्रकारों को सजगता से काम कर नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना के लिए आगे आना होगा।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं शिक्षाविद् प्रोफेसर पी.एस. चौहान ने गणेश शंकर विद्यार्थी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज पत्रकारिता को फिर से मिशन के रूप में स्थापित करने की अत्यन्त आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि हम गणेश शंकर विद्यार्थी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।

इस अवसर पर बाल प्रतिभा के रूप में अमन रहमान, महिला सशक्तिकरण के लिए उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ० श्रीमती सुधा पाण्डेय, पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए वरिष्ठ पत्रकार डॉ० शिव शंकर जायसवाल और श्री प्रवीण झा, लेखन के क्षेत्र में त्रिलोक चन्द्र भट्ट, शिक्षा के क्षेत्र में एस.एम.जे.एन. पी.जी. कॉलेज के प्राचार्य डॉ० अशोक मिश्र समाज सेवा के लिए एन.के. पालीवाल तथा अधिवक्ता के रूप में उत्तराखण्ड बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष सुभाष त्यागी को गणेश शंकर विद्यार्थी सम्मान से नवाजा गया। उन्हें शॉल व स्मृति चिन्ह भेंट कर विधानसभा अध्यक्ष हरबंस कपूर ने सम्मानित किया।

इस अवसर पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका अभिनन्दन किया गया। विचार गोष्ठी में स्वागत भाषण एन.यू.जे. के जिला अध्यक्ष राम चन्द्र कन्नौजिया तथा महामंत्री अश्वनी अरोडा ने आभार जताया।

इस अवसर पर अमर उजाला के प्रभारी अजय चौहान, राजेश शर्मा, लक्ष्मी प्रसाद बडोनी , डॉ. रजनीकान्त शुक्ला, आदेश त्यागी, मनोज सैनी, दीपक नौटियाल, महेश पारिख, सुनील दत्त पांडेय, महेश पांडेय, संदीप रावत, अमर सिंह, बाल कृष्ण शास्त्री, पुष्कर राज कपूर, गुलशन नैय्यर, सुभाष कपिल, अमित शर्मा, अमित कुमार, विवेक शर्मा, डॉ. सन्तोष चौहान, वरिष्ठ समाजसेवी पारस कुमार जैन, ओ.पी. चौहान, डॉ. संजय पालीवाल, मोहन लाल सचदेवा, योजना आयोग सदस्य विमल कुमार, बार एसोसिऐशन के अध्यक्ष सुधीर त्यागी, राम कुमार सेठ, खालिद जहीर, प्रदीप चौधरी, प्रेस क्लब के अध्यक्ष बृजेन्द्र हर्ष, महामंत्री संजय रावल, पूर्व विधायक रामयश आदि उपस्थित थे।

Tuesday, December 28, 2010

मासिक धर्म .स्त्री स्वास्थ्य


P अल्पना वर्मा on Monday, December 27
Labels: -अल्पना वर्मा, मासिक धर्म .स्त्री स्वास्थ्य Disclaimer -यहाँ दी गयी जानकारी केवल शैक्षिक एवं सूचना के प्रसार हेतु है.
यह जानकारी किसी भी तरह से चिकित्सीय परामर्श या व्यवसायिक चिकित्सा स्वास्थ्य कर्मचारी का विकल्प न समझी जाए.
इस जानकारी के दुरूपयोग की ज़िम्मेदारी लेखिका या सबाई परिवार की नहीं है.
पाठकों से अनुरोध है कि किसी भी स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी में सम्बंधित चिकित्सा कर्मचारी से परामर्श करें


चूँकि इस ब्लॉग को पुरुष भी पढते हैं तो इस पोस्ट पर यह प्रश्न उठ सकता है कि क्या महिलाओं की इस 'निजी 'कही जानी वाली जानकारी को पुरुषों को भी बताना कितना ज़रुरी है?
उसका यह जवाब है कि आज हम जिस २१ वीं सदी में हैं उस में पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिला कर स्त्रियाँ भी काम कर रही हैं.ऐसे में अब वो समय नहीं रहा जब मासिक धर्म के दिनों में लडकियों को अलग कमरे में घर से बाहर रहने को भेज दिया जाता था और इस के बारे में बात करना गलत माना जाता था.


वैसे भी लगभग सभी को यह ज्ञात है कि यह प्रक्रिया स्त्री शरीर की एक कुदरती प्रक्रिया है और स्वस्थ शरीर में इस प्रक्रिया के दौरान सामान्य रूटीन के कार्य करने से कोई असुविधा या हानि नहीं होती. हर स्त्री को इस विषय के बारे में जानने का जितना अधिकार और आवश्यकता है ,उसी तरह हर पुरुष को भी इस प्रक्रिया को समझने की उतनी ही आवश्यकता है.


स्कूल में जहाँ लडके -लड़कियां एक साथ पढते हैं और महिला -पुरुष अध्यापक पढाते हैं ऐसे में जब किसी लडकी को पहली बार मासिक धर्म[Menarche ] शुरू होता है या किसी लड़की को मासिक धर्म में तेज दर्द [डीस्मेनोरिया ]अचानक उठता है तब यह स्थिति असहजता और शर्मिंदगी का वातावरण न बनाये इसके लिए इस सम्बन्ध में सभी को इस का पूर्व ज्ञान /ज्ञान होना ज़रुरी है. यही बात अन्य कार्य स्थलों के लिए भी लागू होती है.
संयुक्त अरब एमिरात में [सरकारी नियम अनुसार ]सभी स्कूलों की कक्षा ६ की छात्राओं को मासिक धर्म के बारे में व्याख्यान स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा दिया जाता है ताकि वे अपने शरीर में होने वाले इस परिवर्तन के लिए मानसिक रूप से तैयार हो सकें.
विवाह उपरान्त गर्भ धारण करने में /परिवार को प्लान करने में भी इस जानकारी का उपयोग किया जा सकता है.
प्रश्न१-मासिक धर्म या माहवारी या रजोधर्म क्या होता है ?
उत्तर- यह किशोर अवस्था पार कर नव यौवन में प्रवेश करने वाली सामान्यत १० से १६ वर्ष की लड़कियों के शरीर में होने वाला एक हार्मोनल परिवर्तन है जो चक्र के रूप में प्रति मास २८ से ३५ दिन की अवधि में एक बार ३ से ५ दिन के लिए होता है .[एमिरात में ९ वर्ष की उम्र में भी यह चक्र शुरू होते देखा गया है.कुछ स्थानों पर ऋतुस्त्राव की अवधि २ से ७ दिनों को भी सामान्य माना जाता है.]इसकी प्रक्रिया को यहाँ दी गयी विडियो में दिए एक साक्षात्कार में डॉ.शीला गुप्ते इस तरह समझाती हैं-:
स्त्री के शरीर में दो अंडाशय और एक गर्भाशय होता है .हर माह किसी एक ओवरी से एक अंडाणु बनता है***.जैसे जैसे यह अंडाणु परिपक्व होता है ,गर्भाशय की भीतरी सुरक्षा परत भी परिपक्व होती जाती है.जब अंडाणु पूरी तरह परिपक्व हो जाता है और निषेचन योग्य बनता है .अगर यह निषेचित हो जाता है तो यह परत भी उसे ग्रहण करने के लिए तैयार हो जाती है और निषेचित अंडाणु को ग्राभाशय में स्थापित करती है जहाँ शिशु बनता है.
इस का अर्थ है कि इस परत का कार्य निषेचित अंडाणु को आरंभिक पोषण देना है.


अगर अंडाणु का निषेचन नहीं होता तब यह परत बेकार हो जाती है तब मासिक धर्म के चक्र के अंत में इस परत के उत्तक ,रक्त ,म्युकस का मिला जुला स्त्राव होता है .
यह रक्त मिश्रित स्त्राव के रूप में योनी से बाहर निकलता है.जिसे मासिक स्त्राव कहते हैं .
Updated-:
***पोस्ट प्रकाशित होने के बाद ऊपर दी गयी जानकारी के विषय में माननीय दिनेशराय द्विवेदीजी ने एक बहुत ही अच्छा प्रश्न किया -
''मेरा एक प्रश्न भी है, यहाँ कहा गया है कि .....हर माह किसी एक ओवरी से एक अंडाणु बनता है.जैसे जैसे यह अंडाणु परिपक्व होता है....
जहाँ तक मेरा ज्ञान है दोनों अंडाशयों (ओवेरी) में जितने अंडाणु होते हैं वे सभी स्त्री के अपनी माँ के गर्भ में रहते ही बन जाते हैं, और बालिका के जन्म से ही उस के अंडाशयों में मौजूद रहते हैं, केवल हर माह एक अंडाणु विकसित हो कर गर्भाशय तक पहुँचने के लिए अपनी यात्रा आरंभ करता है। क्या यह जानकारी सही है?''
---अपने प्रश्न में दिनेश जी ने आपने बिलकुल सही बताया कि बालिका के शरीर में जन्म से ही दोनों अंडाशयों में अंडाणु मौजूद होते हैं.
इसे थोड़ा विस्तार से जानिये -:


हम जानते हैं कि स्त्री के गर्भाशय के दायीं और बायीं तरफ़ अंडाशय utero-Ovarian ligament द्वारा जुड़े होते हैं. माँ के गर्भ में ही female fetus में अंडाणु बन जाते हैं जिनकी संख्या '२० हफ्ते के fetus /foetus ' में लगभग ७ मिलियन होती है ,जन्म के समय यह लगभग २ मिलियन रह जाती है .और puberty के समय यह संख्या 300,000 - 500,000 के बीच होती है.यह कम होती संख्या 'atresia 'प्रक्रिया के कारण होती है जो एक सामान्य प्रक्रिया है.एक पूरे reproductive काल में सामान्यत ४००-५०० अंडाणु ही परिपक्व पूर्ण विकसित हो पाते हैं.[ripen in to mature egg ] .
पहले से मौजूद ये अंडाणु अभी अपरिपक्व होते हैं जो कि अंडाशय में फोलिकल में रहते हैं जहाँ उनका पोषण और संरक्षण भी होता है.इस स्थिति में ये 'संभावित अंडाणु ' potential egg भी कहे जाते हैं.

प्रस्तुत विडियो में डॉ.गुप्ते द्वारा अंग्रेजी में दी गयी जानकारी में 'egg is formed' का अनुवाद 'अंडाणु बनता है 'किया गया है. यहाँ 'is formed ' भ्रामक है उस स्थिति में .[यहाँ 'अंडाणु का विकसित होना 'वाक्य अधिक सटीक होता ].
वास्तव में कोई भी immature ovarian follicle /potential egg तब तक ' true egg ' नहीं कहलाता जब तक कि वह निषेचन क्रिया में सक्षम न हो सके.[An immature egg can not get fertilized.]
२८ दिन के मासिक चक्र में ओवरी में follicle-stimulating होर्मोन के प्रभाव से follicles mature होते हैं और नियत समयावधि में परिपक्व egg को रिलीज़ करने के लिए तैयार होते हैं .इस दौरान कई follicles mature होते हैं लेकिन एक या दो ही dominating होते हैं वही ovulatory phase में परिपक्व ovum को रिलीज़ करते हैं .२८ दिनों ke चक्र में यह phase १२-१६ दिनों में होती है.अधिकतर केसेस में ओवा १४ वें दिन रिलीज़ होता है .
सीधे शब्दों में कह सकते हैं कि उन लाखों अण्डाणुओं में से प्रतिमाह मात्र एक ova परिपक्व हो कर रिलीज़ होता है



प्रश्न २-गर्भावस्था के समय माहवारी क्यूँ नहीं होती?

उत्तर - जब यह विकसित अंडा शुक्राणु से निषेचित होता है तब गर्भाशय के संस्तर से जुड़ जाता है और फिर वहीं विकसित होने लगता है जिसे गर्भ ठहराना कहते हैं .इसी के साथ अब विशेष हार्मोन का रिसाव होता है जो इस संस्तर को thick कर देते हैं जिससे स्त्राव बंद हो जाता है और साथ ही कुछ खास हार्मोन इस अवधि में अंडाशय में अंडाणु का बनना रोक देते हैं.


प्रश्न ३ -क्या माहवारी के समय सभी स्त्रियों को दर्द होता है ?

उत्तर -माहवारी शुरू होने से पहले कमर /पेडू में हल्का दर्द या बेआरामी की शिकायत आम है जिसे पूर्व माहवारी दर्द कहते हैं.
सामान्य रूप से इस स्त्राव के दौरान थोड़े दर्द या बेआरामी की शिकायत कुछ स्त्रियाँ करती हैं.तो अधिकतर कोई तकलीफ महसूस नहीं करतीं.
माहवारी के समय बहुत सी महिलाओं में सामान्य रूप से कमर में दर्द के साथ साथ पाँव में दर्द ,शरीर में भारीपन,उलटी जैसा आना,सर दर्द,दस्त लगना या कब्ज होना,स्तनों में टेंडरनेस,भारीपन ,मूड में बदलाव देखा गया है .
माहवारी के दौरान बार बार तेज असहनीय दर्द ,अत्यधिक स्त्राव या थक्के के रूप में खून बहना साधारण नहीं है यह किसी सम्बंधित रोग के लक्षण हो सकते हैं .इसलिए डॉक्टर से जांच अवश्य कराएं.
प्रश्न ४-क्या महिला में मानसिक तनाव या बदलते मौसम इस के चक्र के देर से या समयावधि से पूर्व होने का कोई कारण हैं?
उत्तर -हाँ ,ऐसा देखा गया है परन्तु इसके कोई ठोस मेडिकल कारण ज्ञात नहीं हैं.


प्रश्न ५ -महावरी के दिनों में महिलाएं अक्सर चिढ चिढ़ी हो जाती हैं ,ऐसा क्यूँ?

उत्तर -इस का कोई ठोस कारण ज्ञात नहीं है परन्तु कुछ विशेषज्ञ इस स्वभाव परिवर्तन का कारण चक्र के समय बहने वाले होरमोन को मानते हैं.


प्रश्न६ -क्या यह चक्र सारी उम्र चलता है ?
उत्तर -नहीं , यह चक्र स्त्री की ४० से ६० आयु के बीच में कभी भी बंद हो जाता है .उम्र के अंतिम मासिक चक्र को रजोनिवृत्ति[ मेनोपोस] कहते हैं .अधिकतर स्त्रियों में रजोनिवृत्ति की औसत उम्र 51 साल देखी गयी है.



प्रश्न ७ -कितना रक्त एक चक्र में महिला के शरीर से बहता है?

उत्तर -एक सामान्य चक्र में औसतन ३५ मिलीलीटर or १५ to ८० मिलीलीटर तक खून स्त्री के शरीर से बह जाता है.


प्रश्न ८-स्त्राव के दौरान लगाये पेड [pad ] को कितनी देर में बदलना चाहिए?

उत्तर-प्रस्तुत विडियो में डॉ शीला ने कहा है कि जब भी पेड पूरा गीला हो जाये बदल देना चाहिए और नहीं तो हर ८ घंटे में ,रात को सोने के बाद सुबह इसे बदला देना चाहिए .सारा दिन लगाये रखने से इस में जीवाणु पनपेंगे जो दुर्गन्ध और इन्फेक्शन फैलायेंगे.इसलिए इस समय सफाई का खास ध्यान महिलाओं को रखना चाहिए .


प्रश्न९-मासिक धर्म के चक्र में गिनती कैसे की जाये?
उत्तर - २८ दिन के चक्र का पहला दिन माना जाता है जिस दिन स्त्राव शुरू होता है उस दिन से २८ दिन गिन कर २९ वें दिन से अगला चक्र शुरू होना चाहिए.
जैसे अगर १ दिसंबर को किसी को स्त्राव शुरू हुआ है तो अगला चक्र २९ दिसंबर से होना चाहिए और उससे अगला चक्र २६ जनवरी को.
डॉ गुप्ते के अनुसार मासिक चक्र को देर से या जल्दी लाने वाली दवाएं नहीं खानी चाहिए .इसका विपरीत असर चक्र की नियमितता पर पड़ता है.ऐसी हार्मोनल दवाओं के अधिक इस्तमाल करने से रक्त के जमने पर भी प्रतिकूल असर पड़ता है.
इस विषय में फैली भ्रांतियों-विभिन्न धारणाओं के बारे में हम अगली पोस्ट में बात करेंगे .
[इस जानकारी के स्त्रोत -विभिन्न वेब साईट और सबंधित पुस्तक ]
अब प्रसूति व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शीला गुप्ते से सुनीये और विडियो में देखीये कि मासिक धर्म क्या होता है और इस समय स्त्रियों को स्वच्छता का किस तरह और क्यूँ ध्यान रखना चाहिए.

Dr. (Mrs.) Sheela Gupte [M.D.],

Monday, December 27, 2010

बीसीसीआई पर भड़के बाबा रामदेव


बीसीसीआई पर भड़के बाबा रामदेव
Mon Dec 27 2010 भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की ओर से भारतीय टीम के खिलाड़ियों की फिटनेस के लिए विदेशी योग प्रशिक्षक नियुक्त किये जाने पर योग गुरु बाबा रामदेव ने तल्ख़ टिपण्णी की है। बाबा रामदेव ने कहा कि ऐसा करना देश के स्वाभिमान के खिलाफ है। गौरतलब है कि बाबा रामदेव स्वाभिमान यात्रा के तहत कोलकाता आए हुए हैं।

पवन के कार्टून पर लेक्चर


पवन के कार्टून पर लेक्चर
Tue Dec 28 2010 11:22:38 बिहार के उभरते हुए कार्टूनिस्ट पवन के कार्टून अब टेक्सास यूनिर्विसिटी में पढ़ाए जाएंगे। बिहार में हो रहे सामाजिक-आर्थिक बदलावों को समझाने के लिए पवन के कार्टून अमेरिकी विश्वविद्यालय में हिन्दी-उर्दू फ्लैगशिप कोर्स के तहत पढ़ाए जाएंगे। दूसरी ओर, पवन की पहली किताब कार्टूनों की दुनिया का लोकार्पण सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। नीतीश ने कहा कि पवन के कार्टून राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर पैनी नजर

पूरे परिवार को गांव छोड़ने का तुगलकी फरमान सुना दिया। अब पीड़ित परिवार अपनी जान बचाने के लिए पुलिस की हिफाज़त में है।


पानीपत के रक्सेड़ा गांव की पंचायत एक विधवा की शादी से इतनी खफा हुई कि पूरे परिवार को गांव छोड़ने का तुगलकी फरमान सुना दिया। अब पीड़ित परिवार अपनी जान बचाने के लिए पुलिस की हिफाज़त में है। आज कल गांव की गली मुहल्ले में चर्चा है, तो बस कृष्णा और उसके नवजात बच्चे की। कृष्णा ने 6 दिन पहले एक बच्चे को जन्म दिया तो मानो गांव में तूफान आ गया। गांव वाले कृष्णा और उसके बच्चे को अब गांव से बेदखल करना चाहते हैं। इसके पीछे वजह है एक विधवा ने बच्चे को जन्म दिया तो गांव की बदनामी हो गई। दरअसल, 5 साल पहले कृष्णा के पति की रोड हादसे में मौत हो गई थी। इसके बाद कृष्णा ने बृजेंद्र के साथ मंदिर में शादी करके जिंदगी बसर करने लगी, लेकिन समाज के ठेकेदारों को यह बात नागवार गुजरी, तो उन्होंने इन दोनों को गांव से निकालने का तुगलकी फरमान सुना दिया। समाज के ठेकेदारों की मंशा तो कुछ और भी थी, लेकिन परिवार पर आफत देख कर पीड़ित परिवार ने पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगाई। तब जाकर पुलिस प्रोटेक्शन मिला। फिलहाल पीड़ित परिवार पुलिस संरक्षण में है, लेकिन गांव में खतरा बरकरार है। एक ओर विधवा विवाह को स27रकार भी प्रोत्साहित करती है, लेकिन गांव की पंचायत के तुगलकी फरमान ने इस परिवार की मुसाबतें बढ़ा दी हैं।

जमीन के लिए दिया था धरना-अनशन

जमीन के लिए दिया था धरना-अनशन
सीओ की जांच में फंसी हरवीरी
अलीगढ़। हरवीरी और उसकी बहिन को पुलिस ने जांच रिपोर्ट में उल्टा फंसा दिया है। पुलिस रिपोर्ट में कहा है कि यह सब पति कोमल की उस जमीन के लिए किया है जोकि भाई के नाम पर दी गई थी। यह खुलासा सीओ एसएस राठी ने डीआईजी, डीएम और एसएसपी को भेजी रिपोर्ट में किया है।
खैर तहसील के गांव बिसारा गांव की रहने वाली हरवीरी के तीन बेटिया हैं, बेटा न होने के कारण पति कोमल सिंह ने अपनी जमीन भाई बिजेंद्र सिंह को दे दी थी। इसकी पीछे कोमल का तर्क है कि, हरवीरी उसके खाने पीने का ख्याल तक नहीं रखती थी।
बकौल सीओ, हरबीरी के तीन बेटियां हैं, उनमें से एक की शादी हो गई है, जबकि दो दिल्ली में उसकी बहन नीलू के साथ रहती हैं। मौजूदा समय में हरवीरी के कब्जे में तीस बीघा जमीन है, इस पर बाजरा बोया हुआ था, जिसे दोनों बहनें काटकर दिल्ली चली गई। वह चाहती है कि पति वाली जमीन भी उसे मिल जाए। इसके लिए वह अपनी बहिन के माध्यम से दबाव बना रही है।
नीलू ने हिस्ट्री शीटर बलिया से शादी कर ली है, जिस पर 13 अपराध है। एक मामले में आजीवन की सजा हुई है और उसकी अपील पर वह रिहा हुआ है। सीओ ने जांच में यह भी साफ-साफ कहा है कि हरवीरी उनकी जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं हो तो न्याय के लिए सिविल कोर्ट भी जा सकती है।
बता दें कि हरवीरी ने अपनी बहन और बेटियों के साथ न्याय पाने के लिए एसएसपी, डीआईजी और डीएम के यहां पर धरना प्रदर्शन किया था। उसी दौरान डीएम और डीआईजी ने इस मामले की जांच करके रिपोर्ट प्रस्तुत करने के आदेश सीओ को दिए थे। उन दिनों यह प्रकरण सुर्खियों में रहा था।
ड्
डीआईजी, जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भेजी रिपोर्ट

गोवा में पकड़ा गया सेक्स रैकेट, तार बैंगलोर से


की नजर लग गई है तभी तो यहां भी अपराध ने अपना फन उठाना शुरू कर दिया है। ताजा खबर के मुताबिक गोवा में एक सेक्स रैकेट पकड़ा गया है। यहां के पाउला क्षेत्र से रविवार रात दो की गिरफ्तारी हुई है जिसने चंगुल से चार नेपाली लड़कियों को छुड़ाया गया है जिनसे जबरन देह व्यापार कराया जा रहा था। इनमें से एक लड़की नाबालिग भी है।



पुलिस के मुताबिक बेंगलुरू का नंदिश गावडा और राजस्थान निवासी हनुमंत पाटिल मुंबई और नेपाल से देह व्यापार के लिए लड़कियों को लेकर आए थे। पुलिस निरीक्षक संदेश चोदानकर ने कहा कि यह रैकेट दोना पाउला क्षेत्र में चल रहा था। पुलिस ने रैकेट का भंडाफोड़ करने के लिए एक नकली ग्राहक को उनके पास भेजा था जिसके बाद रैकेट पकड़ा गया था। पुलिस के मुताबिक इस तरह के रैकेट आई टी के मशहूर बैंगलोर में भी काफी संख्या में हैं। फिलहाल पुलिस के पास पुख्ता सबूत नहीं है इसलिए वो कुछ भी कहने से बच रही है।

जबकि लड़कियों ने अपने बयान में कहा है कि उनसे गोवा में अच्छी नौकरी देने की बात कही गई थी लेकिन उन्हें देह व्यापार में धकेल दिया गया। दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया गया है।

भारत की शरण में पाकिस्तान के 27 हिंदू परिवारसोमवार, दिसंबर 27, 2010,15:08[IST


इस्लामाबाद, 27 दिसम्बर। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में पीढ़ियों से रह रहे हिंदू परिवार अब वहां हो रहे रोज के अपराधों और जिंदगी की अनिश्चितता से इस कदर त्रस्त हो गए हैं कि अह वह अपने पुरखों की जमीन-जायदाद छोड़ कर भारत आना चाहते हैं। पाकिस्तान में बसे इन 27 हिंदू परिवारों ने भारत में राजनीतिक शरण मांगी है। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी है।

हिंदू परिवारों ने यहां स्थित भारतीय उच्चायोग से वीजा एवं राजनीतिक शरण के लिए सम्पर्क किया है। इन परिवारों ने भारत जाने के कारण के रूप में फिरौती के लिए अपहरण और हत्या की घटनाओं में वृद्धि का जिक्र किया है। मानवाधिकार मंत्रालय के आंकड़े भी बताते हैं कि बलूचिस्तान में बड़े पैमाने पर मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है और लोगों को फिरौती के लिए अगवा किया जा रहा है।

समाचार पत्र 'डॉन' में सोमवार को प्रकाशित खबर के अनुसार संघीय मानवाधिकार मंत्रालय से सम्बद्ध क्षेत्रीय निदेशक, सईद अहमद खान ने 'बलूचिस्तान संकट पर प्रांतीय सम्मेलन' शीर्षक पर आयोजित एक संगोष्ठी में यह जानकारी दी है। खान ने कहा है कि बलूचिस्तान में सदियों से हिंदू निवास कर रहे हैं। लेकिन हाल के सप्ताहों में अल्पसंख्यक समुदाय के कई सदस्यों को या तो अगवा कर लिया गया या फिर उनकी हत्या कर दी गई। इस कारण वे भारत में शरण लेने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

अखबार ने खान के हवाले से कहा है, "बलूचिस्तान के 27 हिंदू परिवारों ने भारत में शरण लेने के लिए भारतीय दूतावास में आवेदन भेजा है।" खान ने कहा है कि यह एक गम्भीर चिंता का विषय है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि वह बलूचिस्तान में कानून-व्यवस्था की स्थिति में सुधार के लिए तत्काल कदम उठाए।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

Sunday, December 26, 2010

छिन्नमस्तिका यंत्र के हिसाब से ही बना है।


रांची का एयरपोर्ट छोटा सा था। पर बाहर निकलने पर दोनों ओर की क्यारियों से मन हरा हो जाता है। सुबह की अलसाती किरणों के बीच हम झारखण्ड में थे। मंजिल थी रजरप्पा। आपे सुना है इसके बारे में। नहीं। देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं में से एक छिन्नमस्तिका माता का रजरप्पा मंदिर रांची से 80 किलोमीटर दूर रामगढ़ जिले में है। रजरप्पा छोटा सा स्थान है। यहां मंदिर के अलावा दो नदियों का अनूठा संगम है, जिसके बारे में आपने कम ही सुना होगा। तो हमारी गाड़ी चल निकली। रास्ते में चाय-पानी और साथियों ने किया भरपेट नाश्ता। ये जो सफर में रूकना होता है, वो ही सबसे सुखद पलों में शुमार हो जाता है। रामगढ़ शहर से करीब 28 किमी दूर है रजरप्पा शहर।

यहां बसी मां की छवि पत्थर की जिस शिला पर उकेरी गई है, वो कम रोशनी में साफ नहीं दिखती। मंदिर का गर्भगृह छोटा है, आस्था के इस धाम में कुछ समय पहले चोरों ने असली मूर्ति को ही गायब कर दिया और फिर बाद में एक नई मूर्ति स्थापित की गई। मां छिन्नमस्तिका का रूप थोड़ा भयावह है, उन्होने अपना ही सिर काटकर अपने हाथ में ले रखा है, और उनके धड़ से निकली खून की धारा निकलती है। खास बात ये कि माता के पैरों के नीचे कामदेव और रति मौजूद हैं। इसका अभिप्राय है कि दुनिया की शुरूआत जिस प्रेम ओर संसर्ग से हुई है, उसकी अधिष्ठात्री देवी है मां छिन्नमस्तिका।

रजरप्पा में बना मां छिन्नमस्तिका का मंदिर छोटा ही है, लेकिन यहां भक्तों का तांता लगा रहता है। हम नवरात्रि में यहां पहुंचे थे, चारों ओर इस देवीस्थान में भक्ति का एक अलग अहसास था। मंदिर देखने पर आपको कामाख्या के मंदिर की याद आती है, बस अंतर रंग और रोगन का है। नीले, लाल और सफेद रंगों से मंदिर को लुभावना बना दिया गया है। मंदिर निर्माण की सबसे खास बात ये है कि ये छिन्नमस्तिका यंत्र के हिसाब से ही बना है। इसका मतलब है इसके आठ मुख और चौसठ योगनियों का वास है।


दामोदर और भैरवी। दो नदियां। दो रूप। और प्रकृति के सुरम्य नजारों के बीच भक्ति का पावन स्थान। जरा कल्पना कीजिए। पहाड़ी पत्थरों के बीच से उछलकूद मचाते हुए नदी की एक धारा बह रही है और आप धूप में तपते पत्थरों पर जलते पैरों को बचाते हुए, ठंडे पानी की धारा में सुकून पाते हैं। ये रजप्पा की वो छटा है, जो किसी को भी मोह ले। मंदिर के सामने ही दामोदर और भैरवी का मिलन होता है। मान्यता है कि दामोदर कामदेव का रूप हैं, और भैरवी रति देवी का। और जैसा मंदिर में मां की मूर्ति के नीचे कामदेव-रति का रूप है, वैसे ही इन नदियों का भी रूप है, मतलब कामदेव यानि दामोदर नीचे और रति या भैरवी उनके ऊपर। खैर, नदी की इस धारा के पास रहना बहुत मन भाता है। मैं तो अपनी हड़बड़ाहट में एक बार पानी में गिर भी गया। पर मजा आया। हमने नदी को महसूस किया। ये बात अलग है कि मेरे सहयोगियों के पैर लाल हो गए।

मंदिर के अंदर कई खास स्थान हैं, नवरात्रि भर यहां बलि का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है। फरसे के एक वार में बकरे की जान जाते देखना पीड़ादायक होता है। पर एक लोकमान्यता भी यहां इसे जायज ठहराती है। जिस स्थान पर बलि दी जाती है, वहां खूनमखून होने पर भी मक्खियां नहीं भिनभिनाती। इसे लोग देवी का चमत्कार मानते हैं। बलि स्थान के सामने नारियल बलि भी दी जाती है।
और इन दोनों स्थानों के बीच में रक्षासूत्र में पत्थर बांधकर मनौती मांगने का एक स्थान भी है। मन की मुराद पर अगर मुहर लग जाए, तो आपको यहां वापस आकर पत्थर पर नदी में बहाना पड़ता है। अरे, मैनें भी मांगी है दुआ, पूरी हुई को जाना पड़ेगा। बड़ा मुश्किल है।

रजरप्पा जाने के लिए आपको रांची या बोकारो जाना पड़ता है। दोनों ही शहरों से इसकी दूरी समान ही है। रजरप्पा से जुड़ी मान्यताओं में जन्मकुंडली का राहुदोष दूर होना सबसे मान्य है। कहते है यहां के दर्शन से ही आपका राहु दोष गायब। इसके अलावा यहां शादी विवाह के मौसम में बड़ी भीड़ होती है। एक मॉर्डन मान्यता भी है...नई गाड़ी की यहां पूजा कराने से गाड़ी की उम्र और परफार्मेंस बढ़ जाती है। मारुति वाले सुनो।

रजरप्पा की इस यात्रा में थोड़े में बहुत कुछ मिला... आगे करेंगे वाराणसी की विशालाक्षी देवी के दर्शन। सामान उठाओं....गाड़ी से ही बनारस जाना है।

भव्य

कहीं जहां न ओर हो न छोर हो...बस साथ में कोई मांझी भर हो...


कहीं जहां न ओर हो न छोर हो...बस साथ में कोई मांझी भर हो...

Hot Stills Of Kingfisher Calendar Models

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Hot Model Lisa Haydon Photoshoot For Kingfisher Calendar 2011

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अभिनेत्री की रहस्यमय मौत में कोई एफआईआर नहीं

अभिनेत्री की रहस्यमय मौत में कोई एफआईआर नहीं
26 Date2010bambay

॥ मुंबई
पुराने समय की अभिनेत्री नलिनी जयवंत की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत के म
ामले में किसी ने भी चेम्बूर पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई है।

चेम्बूर के सीनियर इंस्पेक्टर बी राठौड ने शनिवार शाम एनबीटी से इस बात की पुष्टि की है। नलिनी चेम्बूर में अपने बंगले में रहती थीं। उनकी छह दिन पहले इसी बंगले में मौत हुई थी।

नलिनी के एक पड़ोसी ने मीडिया को बताया कि कालोनी के सिक्योरिटी और डोमेस्टिक स्टॉफ ने मंगलवार को नलिनी की लाश को एंबुलेंस में जाते देखा था, लेकिन जब तक हमें इस बारे में पता चला, तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।

इस पड़ोसी के मुताबिक हमें अपने स्टाफ से भी यह पता चला कि एक आदमी, जो उनका दूर का रिश्तेदार लगता था, आया और फिर लाश को एंबुलेंस में रखकर चला गया।

मुंबई पुलिस को मरा हुआ डॉन भी चाहिए

मुंबई पुलिस को मरा हुआ डॉन भी चाहिए
26 Dec 2010,

सुनील मेहरोत्रा ॥ मुंबई

हिंदी फिल्मों में एक डॉयलाग बहुत बोला जाता है - हमें वह आदमी हर हाल में चाहिए ही - जिंदा या मुर्दा। मुंबई पुलिस भी लगता है कि हिंदी फिल्मों की तर्ज पर कई बार काम करती है। उसने कई ऐसे आरोपियों को अभी तक वांटेड बनाया हुआ है , जो या मर चुके हैं या गिरफ्तार चुके हैं। तुर्रा यह है कि ऐसे आरोपियों के फोटो भी मुंबई पुलिस की वेबसाइट पर दर्ज हैं।

इन्हीं में एक है नूरा। नूरा दाऊद का भाई है , जिसकी पिछले साल पाकिस्तान में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी। खबरें इस तरह की भी आईं थीं कि उसकी नेचुरल मौत नहीं हुई , बल्कि छोटा राजन के लोगों ने उसका पाकिस्तान में मर्डर कर दिया था। लेकिन मुंबई पुलिस की वेबसाइट पर वांटेड आरोपियों की जो सूची है , उनमें नूरा का नाम पिछले कई सालों की तरह अभी भी 27 नंबर पर लिखा हुआ है।

मुंबई पुलिस ने नूरा को हालांकि कई संगीन मामलों में आरोपी बनाया था , पर शायद बहुत कम लोगों को पता होगा कि नूरा ने बॉलीवुड की कई फिल्मों के गाने भी लिखे थे। सलमान और रवीना टंडन अभिनीत फिल्म ' पत्थर के फूल ' का चर्चित गीत कभी ' चर्नी रोड , कभी कार्टर रोड ' नूरा द्वारा ही लिखा गया था। हालांकि कई लोगों का यह भी कहना है कि उसमें गीत लिखने की समझ नहीं थी , पर चूंकि वह दाऊद का भाई था और चूंकि वह हिंदी फिल्मों का भी शौकीन था , इसलिए कई निर्माताओं ने बॉलिवुड के किन्हीं और गीतकारों के गानों में उसका नाम डलवा दिया।

मुंबई पुलिस की वेबसाइट की वांटेड सूची में 26 नंबर पर एक और डॉन फजलू का फोटो उसके नाम के सामने दर्ज है , जबकि उसे गिरफ्तार हुए चार साल हो चुके हें। फजलू को दिल्ली पुलिस ने 6 अगस्त , 2006 को नेपाल बॉडर से पकड़ा था। फजलू मूल रूप से हालांकि अंडरवर्ल्ड का आदमी है , लेकिन पिछले कुछ सालों से जिस इंडियन मुजाहिदीन ने पूरे देश में दहशत फैलाई थी , उसके संस्थापकों में से एक अमीर रजा के दोस्त आफताब अंसारी का फजलू दोस्त है। फजलू उस आरएन गैंग से भी जुड़ा रहा है , जिससे कभी जुड़ा था रियाज भटकल भी। खास बात यह है कि गिरफ्तारी के चार साल बाद भी मुंबई पुलिस की वांटेड सूची ( वेबसाइट पर ) में फजलू का नाम तो है , पर इंडियन मुजाहिदीन के जो सरगना रियाज और इकबाल भटकल पिछले दो साल से वांटेड हैं , उनका नाम और फोटो मुंबई पुलिस की वेबसाइट की वांटेड सूची में अभी तक फीड नहीं किया गया है।

मुंबई पुलिस की वेबसाइट की वांटेड सूची में 17 नंबर पर मोहम्मद दोसा का नाम और फोटो लगा हुआ है , पर हकीकत यह है कि मोहम्मद दोसा भी कई साल पहले पकड़ा जा चुका है । इसी साल आर्थर रोड जेल में उसका एक और डॉन अबू सलेम के साथ काफी पंगा हुआ था। इसके बाद सलेम और दोसा दोनों का आर्थर रोड जेल से ट्रांसफर कर नवी मुंबई और ठाणे की जेलों में भेज दिया गया था।

मुंबई पुलिस अक्सर अपनी तुलना स्काटलैंड यार्ड पुलिस से करती है। 26/11 के बाद उसकी वेबसाइट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा रहा है , लेकिन इस वेबसाइट को लेकर बरती गई मुंबई पुलिस की लापरवाही ने निश्चित ही उसकी स्थिति को कम से कम इस मामले में बेहद हास्यास्पद बना दिया है।

'नपुंसक पति ने ससुर से मेरा रेप कराया'

राजकोट ।। एक महिला ने अपने ससुर के खिलाफ रेप का केस दर्ज कराया है। महिला का आरोप है कि उसके पति को डॉक्टरों ने नपुंसक करार दिया था। इसके बाद पति ने बच्चे के लिए अपने पापा को महिला का रेप करने की इजाजत दी।

महिला ने शिकायत में अपने पति, देवर और अपनी सास के साथ-साथ पति के एक अंकल का नाम भी दर्ज कराया है। उसके मुताबिक रेप 2 महीने पहले हुआ था और उस सदमे से निकलने में महिला को काफी वक्त लगा। शिकायत राजकोट के मोरबी तालुका पुलिस स्टेशन में लिखाई गई है, जहां महिला के माता-पिता रहते हैं।

महिला की शादी धर्मेश से 7 साल पहले हुई थी। जब दो साल तक वह प्रेगनेंट नहीं हो सकी, तो उसके सास-ससुर उसे अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे अनफिट बताया था। लेकिन महिला को शक हुआ और वह एक और डॉक्टर से मिली। दूसरे डॉक्टर ने बताया कि वह बिल्कुल ठीक है। इस बात को उसने अपने ससुरालवालों के सामने रखा, तो उन्होंने मान लिया कि धर्मेश को मेडिकल प्रॉब्लम है। तब उसे IVF की सलाह दी गई।

महिला का कहना है कि एक दिन जब वह अकेली थी तो उसके ससुर विमल ने उसे नींद की गोलियां खिला दीं और बेहोशी की हालत में ही उसके साथ रेप किया। जब इसकी शिकायत उसने अपने पति से की, तो पता चला कि इस योजना में वह भी शामिल था।

जब उसने शोर मचाने की कोशिश की तो उसे और ज्यादा नींद की गोलियां देकर मरने के लिए छोड़ दिया गया। किसी तरह उसके हाथ एक सेलफोन लग गया और उसने अपने पैरंट्स को खबर कर दी। पुलिस केस के डर से ससुरालवाले उसे एक प्राइवेट हॉस्पिटल ले गए। जब वह इस सदमे से बाहर आई, तो पुलिस केस दर्ज कराने की हिम्मत जुटा पाई।

Saturday, December 25, 2010

धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री राजेश त्रिपाठी जिन्हें मुर्दों पर टैक्स वसूलने के चक्कर में लोकायुक्त के यहाँ पेश होना पड़ा था वे आज अपनी बात से मुकर गए

लखनऊ , दिसंबर । मायावती सरकार के होम्योपैथिक चिकित्सा और धर्मार्थ कार्य राज्य मंत्री राजेश त्रिपाठी जिन्हें मुर्दों पर टैक्स वसूलने के चक्कर में लोकायुक्त के यहाँ पेश होना पड़ा था वे आज अपनी बात से मुकर गए । राजेश त्रिपाठी ने आज गोरखपुर में कहा - मैंने लोकायुक्त से कोई माफ़ी नहीं मांगी । मै तो सिर्फ अपना पक्ष रखने गया था । इस मामले में मै इस्तीफा भी नहीं देने वाला हूँ । राजेश त्रिपाठी ने आगे कहा - बहन जी का निर्देश है की मुझे २०१२ का विधान सभा चुनाव लड़ना है । यही वजह है की विरोधी मुझे फंसा रहे है । दूसरी तरफ राजेश त्रिपाठी के खिलाफ लोकायुक्त को जो शिकायत की गई है उसमे आरोप लगाया गया कि वे मुर्दों के दाह संस्कार के लिए टैक्स वसूलते है । जो प्रति मुर्दे के हिसाब से सौ से डेढ़ सौ रुपए के बीच होती है । समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी ने आरोप लगाया कि मायावती सरकार में वसूली का दायरा शराब से लेकर शमशान तक फ़ैल चुका है ।
धर्मार्थ कार्य मंत्री राजेश त्रिपाठी के खिलाफ गोरखपुर के विजय कुमार शुक्ल ने करीब एक साल पहले लोकायुक्त के यहाँ शिकायत दर्ज कराई थी कि बड़हलगंज में नारकोटिक्स विभाग की जमीन पर कब्ज़ा करने वाले मंत्री राजेश त्रिपाठी शमशान घाट में मुर्दों के पंजीकरण का टैक्स वसूलते है । इसी शिकायत के आधार पर लोकायुक्त जस्टिस एनके मल्होत्रा ने मंत्री राजेश त्रिपाठी को बुधवार को तलब किया था । जानकारी के मुताबिक मल्होत्रा ने यह सवाल किया कि वे किस तरह मुर्दों के पंजीकरण का शुल्क लेते है । इस पर त्रिपाठी ने सफाई दी कि यह धनराशि लोग स्वेच्छा से देते है वसूला नही जाता है । मंत्री राजेश त्रिपाठी बड़हलगंज शमशान घाट मुक्ति पथ सेवा संस्थान के अध्यक्ष भी है । त्रिपाठी ने लोकायुक्त के सामने गलती स्वीकार की और इस संस्थान के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की बात कही । पर आज गोरखपुर पहुँचते ही वे पलट गए ।
राजेश त्रिपाठी ने गोरखपुर में कहा कि इस्तीफा देने का सवाल ही नही पैदा होता है । किसी भी पद से इस्तीफा नही देने वाला हूँ । त्रिपाठी ने यह भी कहा कि जब वे लोकायुक्त क सामने पेश हुए तो वहा कोई और नही था फिर इतनी बातें मीडिया में कैसे आ गई । मैंने न तो कोई गलती मानी और न ही माफ़ी मांगी है । यह संब मुझे बदनाम करने की साजिश है । राजेश त्रिपाठी ने कहा - इस मामले में मै अपनी जनता और नेता मायावती से बात कर ही कोई फैसला करूँगा । हालाँकि लोकायुक्त के सामने त्रिपाठी ने फ़ौरन इस्तीफे की पेशकश की थी । मंत्री के खिलाफ लोकायुक्त को जो शिकायत की गई है उसमे अवैध कब्ज़ा कर शमशान घाट, दूकान और होटल बनवाने का आरोप है । इसक आलावा कछुवों की तस्करी म शामिल होने का भी आरोप है । समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा - मायावती सरकार में वसूली का दायरा शराब से लेकर शमशान तक फ़ैल चुका है । इस घटना से साफ़ है कि इस सरकार के मंत्री कैसे कैसे पैसा वसूल रहे है । दूसरी तरफ भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा - सरकार के कई मंत्रियों के खिलाफ शिकायते आ चुकी है । लोकायुक्त के यहाँ जब ऎसी शिकायतों का ढेर लग जाए तो बिगड़ते हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है ।
मायावती सरकार के दर्जन भर से ज्यादा मंत्री किसी न किसी मामले में फंसे हुए है । पर यह मामला अलग किस्म का है जिसमे मंत्री पर शमशान घाट में वसूली का आरोप लगा है । मंत्री भले ही यह दावा करे कि लोग स्वेच्छा से अंतिम संस्कार के लिए दान देते है पर यह किसी के गले आसानी से उतरने वाला नही है । सरकार के कई मंत्री पहले भी अलग अलग विवादों के चलते सरकार को सांसत में डाल चुके है अब यह नया विवाद भी टूल पकड़ सकता है ।
Posted by savita verma at 11:21 PM 2 comments

सादगी की जिंदगी जीने के लिए प्रसिद्ध सुरेंद्र मोहन केवल भारतीय समाजवादी धारा के नेता नही थे, बल्कि सभी वामपंथी कार्यकर्ता, चाहे वे किसी भी विचारधारा स


विजय प्रताप
लोकतांत्रिक - समाजवादी विचारों, धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों और सादगी की जिंदगी जीने के लिए प्रसिद्ध सुरेंद्र मोहन केवल भारतीय समाजवादी धारा के नेता नही थे, बल्कि सभी वामपंथी कार्यकर्ता, चाहे वे किसी भी विचारधारा से जुड़े हों, उन्हें अपना नेता, सलाहकार और खैरख्वाह मानते थे।
सुरेंद्र मोहन ने युवा अवस्था में ही अंबाला से राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में शरीक होकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। भारतीय समाजवादी आंदोलन के सभी स्वरुपों में उनकी अग्रणी भूमिका रही। इंदिरा गांधी की तानाशाही-आपातकाल - के खिलाफ चली मुहिम में भी उन्होने महत्तवपूर्ण भूमिका निभाई। जय प्रकाश नारायण के विश्वासपात्र होने के साथ-साथ वे विभिन्न राजनीतिक धाराओें को एक जुट कर जनता पार्टी बनाने में सक्रिय प्रमुख व्यक्तियों में थे। आपातकाल के बाद हुए चुनाव और उसके बाद बनी सरकार के दौरान वे जनता पार्टी के महामंत्री थे। 1978 से 1984 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। वे पीयूसीएल के संस्थापक सदस्य थे और लगातार उनके संरक्षक के रुप में सक्रिय रहे। अस्सी के दशक में हिंद मजदूर सभा के साथ उन्होनें ‘काम का अधिकार’ के लिए देश व्यापी अभियान खड़ा किया जिसमें विभिन्न श्रमिक संघों और राजनीतिक धाराओं ने एक जुट होकर इस मांग को बुलंद किया। 1990 में अन्य पिछड़े वर्गों के लिए मंडल आयोग की सिफारिश पर अमल कराने में उनका भी अहम योगदान था।
काशी विद्यापीठ में दो साल समाजशास्त्र पढ़ाने के बाद सुरेंद्र मोहन ने नौकरी छोड़ कर पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता बनना तय किया था। पर पढ़ना-लिखना उनके जीवन का अभिन्न अंग बना रहा। हिंदी और अंग्रजी के अखबारों में उनके विश्लेषणात्मक लेख, अनेक पुस्तिकाएं और तीन पुस्तके प्रकाशित हुईं हैं। वे अंग्रजी में प्रकाशित पत्रिका ‘जनता’के सह-संपादक भी थे।
वे ‘सोशलिस्ट इंटरनेशनल’ और भारत-पाकिस्तान आवामी फोरम के सदस्य थे। दक्षिण एशिया में भारत और नेपाली समाजवादियों के बीच उनकी अहम भूमिका थी। नेपाली कांग्रेस के अनेक नेता उन्हें अपना मित्र, संरक्षक और सलाहकार मानते थे। सुरेंद्र मोहन के शब्द कोश में ‘सफलता’ और ‘विफलता’ दोनों शब्द नही थे। उनके जीवन का एक ही मकसद था, समाजवादी मूल्यों के लिए अनवरत कोशिश। इस मामले में वे संपूर्ण-संभव अर्थों में विदेह थे। सत्ता और संपत्ति के मोह से पूरी तरह ऊपर उठ चुके थे। जीवन संगिनी मंजू मोहन भी ऐसी मिलीं कि उनका घर देश भर के समाजवादी और जेपी आंदोलन के कार्यकर्ताओं के लिए अपने घर जैसा था। कोई कभी भी उनके घर आता तो मंजू जी सबसे पहले पूछतीं - खाना खाया है। मुझे याद है 1977 के चुनाव पूर्व की स्थिति।
15 अप्रैल, 1977 को उनकी दूसरी संतान बिटिया अनघा मोहन को इस दुनिया में आना था। फिर भी सुरेंद्र मोहन सुबह से देर रात तक ऐतिहासिक चुनाव अभियान के लिए मुद्दे और प्रेस वक्तव्य तैयार करने, नौकरशाही में लोकतंत्र के लिए प्रसिद्ध वरिष्ठ अफसरों से संवाद रख कर संभावित साजिशों को भापनें और नाकाम करने की योजना बनाने में जुटे रहते थे और मंजू जी आने वाले हर कार्यकर्ता की देखभाल के लिए अपनें को झोंके रहती थीं।
इंदिरा गांधी ने 1976 में कुछ नेताओं को छोड़ा जरुर था, लेकिन सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने के लिए वे अंत तक साजिशें करती रही थीं। मगर हमारी नौकर शाही, बीएसएफ, सेना और चुनाव आयोग सभी में लोकतंत्र के लिए प्रतिबद्ध लोगों के होने, उनके सुरेंद्र मोहन को आवश्यक सूचनाएं देने और सुरेंद्र मोहन द्वारा आवश्यक कदम उठाने के कारण लोकतंत्र की जीत हुई। इंदिरा जी को बार-बार ऐसी कोशिशों से बाज आने के लिए सार्वजनिक तौर पर ललकारने की भी जनता पार्टी की जीत में एक निर्णायक भूमिका थी। जनता की ‘नब्ज’ पहचानने वाले कई वरिष्ठ जननेता 1977 के चुनाव के बहिष्कार के पक्ष में थे। सुरेंद्र मोहन ऐसे लोगों में थे जो शुरु से मानते थे कि चुनावी मैदान में उतरने से ही दूसरी आजादी की जंग जीती जा सकती है।
1977 के अभियान और जनता पार्टी को चलाने की जिम्मेवारी अन्य तत्कालीन महामंत्रियों, लाल कृष्ण आडवाणी और रामकृष्ण हेगड़े की भी थी, लेकिन जनता पार्टी के थिंक टैंक- प्रो. जेडी सेठी, एलसी जैन, प्रो. राजकृष्ण- द्वारा तैयार सामग्री का धारदार इस्तेमाल जिस प्रकार सुरेंद्र मोहन करते थे, उनकी बानगी उन दिनों के समाचार पत्रों को पढ़ कर आज भी जानी जा सकती है।
सुरेंद्र मोहन आपातकाल में अगस्त में गिरफ्तारी से पहले भी बिहार आंदोलन के दौरान दो अक्तूबर, 1974 को गिरफ्तार हुए थे और 13 अक्टूबर, 1974 को छूटे। उसके बाद वे कई बार छोटी-छोटी अवधि के लिए सत्याग्रहों में शरीक रहे।
जेल में सुरेंद्र मोहन न केवल खुद स्वाध्याय में अपना समय बिताते थे, बल्कि अन्य साथियों को भी पढ़ने-गुनने की प्रेरणा देते थे। जेल में जिंदादिली से कैसे जिया जाता है, वह सुरेंद्र मोहन और और उनके अन्य साथियों बलवंत सिंह अटकान, सांवल दास गुप्ता, ललित मोहन गौतम और राजकुमार जैन आदि के साथ वालों के लिए आज भी एक मीठी याद जैसा है।
सुरेंद्र मोहन अपने विदेह भाव के कारण भविष्य में झांकने की अद्भुत क्षमता रखते थे। जो नकारात्मक पूर्वानुमान थे, वे भी सही निकले। जेल में वे समाजवादी पार्टी को किसी बड़ी पार्टी में विलीन कर देने के स्पष्ट रुप से विरोधी थे। उनका मानना था कि जनसंघ, संघठन कांग्रेस और लोकदल के समाजवाद विरोधी तत्व समाजवादियों और समाजवाद के कार्यक्रमों के खिलाफ एक हो जाएंगे। उनकी राय में समाजवादियों को एक फेडरल फ्रंट ही बनना चाहिए, जिससे हमारी समाजवादी पहचान कायम रहे। लेकिन इसे विडबंना ही कहा जाएगा कि जब जेपी ने सभी पार्टियों के विलय को अपने अभियान में शामिल होने की पूर्व शर्त के बतौर रख दिया तो सुरेंद्र मोहन ने ही निस्पृह भाव सभी नेताओं को एक करने और साझे झंडे, चुनाव चिह्न, घोषणा- पत्र और साझे- सामूहिक नेतृत्व को तैयार करने में महत्ती भूमिका निभाई।
कौन आदमी किस कद का है, यह नापने-जानने की भी सुरेंद्र मोहन में अद्भुत क्षमता थी। आज भी अगस्त 1977 की वह रात याद करके मेरे शरीर में झनझनाहट सी पैदा होती है। जनता पार्टी में विभिन्न घटक कैसे कैसे फिर से टूट सकते हैं, कौन नेता चाल चल सकता है और जनता पार्टी का प्रयोग कैसे अधबीच ही चरमरा सकता है, इस बात को उन्होनें शतरंज की बिसात की तरह चित्रित किया था। दुर्भाग्य से अधिकतर नेताओं ने अपनी चालें ऐसे चलीं तो सामने वाला क्या हारता और क्या जीतता, जनता पार्टी के प्रयोग की गाड़ी जुलाई 1979 में पटरी से उतर गई।
आज भी मेरे लिए यह सवाल अनसुलझी पहेली की तरह है कि जब वे भविष्य के नकारात्मक पहलुओं को इतना स्पष्ट देख लेते थे फिर भी शुभ के लिए, समाजवाद के लिए इतनी निष्ठा, एकाग्रता से कैसे जुटे रहते थे। जीवन के आखिरी क्षणों तक समाजवाद के सांगठनिक ढांचे को फिर से मरम्मत करके खड़ा कर देना है, इसके लिए वैचारिक चौखटे के पुनर्कथन, समाजवादी आंदोलन के विभिन्न संगठनों को चुस्त-दुरुस्त करने और एक साझी, बड़ी और प्रभावी समाजवादी पार्टी बनाने के मिशन में जुटे थे।
सुरेंद्र मोहन चौरासी वर्ष की उम्र में हमसे जुदा हुए। उनके परिवार में सहकर्मी पत्नी, बेटा और बेटी के परिवार ही नहीं, हजारों ऐसे सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, जिनको सुरेंद्र मोहन के जाने से व्यक्तिगत क्षति का आभास हुआ होगा। सामाजिक आंदोलन और उपेक्षित वर्गों के अधिकारों के लिए चल रहे तमाम अभियानों ने भी आज तक ऐसा आघात सहा है, जो कोई पूरा नही कर सकता।