Monday, February 28, 2011

महाशिवरात्रि का व्रत

सुसंस्कारों की जननी वेदगर्भा, जीवन-मृत्यु व ईश्वर की सत्ता का सतत्‌ अनुभव व प्रत्यक्ष दर्शन कराने वाली भारतीय भूमि धन्य है। जो त्रिगुणात्मक (रज, सत, तम) शक्ति ईश्वर की आराधना के माध्यम से व्यक्ति को मनोवांछित फल दे उसे मोक्ष के योग्य बना देती है। ऐसा ही परम कल्याणकारी व्रत महाशिवरात्रि है जिसके विधि-पूर्वक करने से व्यक्ति के दुःख, पीड़ाओं का अंत होता है और उसे इच्छित फल पति, पत्नी, पुत्र, धन, सौभाग्य, समृद्धि व आरोग्यता प्राप्त होती है तथा वह जीवन के अंतिम लक्ष्य (मोक्ष) को प्राप्त करने के योग्य बन जाता है।

महाशिवरात्रि का व्रत प्रति वर्ष की भाँति इस वर्ष भी फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष चतुदर्शी तिथि 2 मार्च 2011 दिन बुधवार को भारत सहित विश्व के कई हिस्सों मे ईश्वर की सत्ता मे विश्वास रखने वाले भक्तों द्वारा बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाएगा।

ज्योतिषीय दृष्टि से चतुदर्शी (14) अपने आप में बड़ी ही महत्त्वपूर्ण तिथि है। इस तिथि के देवता भगवान शिव हैं, जिसका योग 1+4=5 हुआ अर्थात्‌ पूर्णा तिथि बनती है। साथ ही कालपुरुष की कुण्डली में पाँचवाँ भाव प्रेम भक्ति का माना गया है। अर्थात्‌ इस व्रत को जो भी प्रेम भक्ति के साथ करता है उसके सभी वांछित कार्य भगवान शिव की कृपा से पूर्ण होते हैं।

इस व्रत को बाल, युवा, वृद्ध, स्त्री व पुरुष, भक्ति व निष्ठा के साथ कर सकते हैं। इस व्रत से संबंधित कई जनश्रुतियाँ तथा पुराणों में अनेक प्रसंग हैं। जिसमें प्रमुख रूप से शिवलिंग के प्रकट होने तथा शिकारी व मृग परिवार का संवाद है। निर्धनता व क्षुधा से व्याकुल जीव हिंसा को अपने गले लगा चुके उस शिकारी को दैवयोग से महाशिवरात्रि के दिन खाने को कुछ नहीं मिला तथा सायंकालीन वेला मे सरोवर के निकट बिल्वपत्र में चढ़ कर अपने आखेट की लालसा से रात्रि के चार पहर अर्थात्‌ सुबह तक बिल्वपत्र को तोड़कर अनजाने में नीचे गिराता रहा जो शिवलिंग पर चढ़ते गए।


NDजिसके फलस्वरूप उसका हिंसक हृदय पवित्र हुआ और प्रत्येक पहर में हाथ आए उस मृग परिवार को उनके वायदे के अनुसार छोड़ता रहा। किन्तु किए गए वायदे के अनुसार मृग परिवार उस शिकारी के सामने प्रस्तुत हुआ। परिणामस्वरूप उसे व मृग परिवार को वाँछित फल व मोक्ष प्राप्त हुए।

इस दिन व्रती को प्रातःकाल ही नित्यादि स्नानादि क्रियाओं से निवृत होकर भगवान शिव की पूजा, अर्चना विविध प्रकार से करना चाहिए। इस पूजा को किसी एक प्रकार से करना चाहिए। जैसे- पंचोपचार (पांच प्रकार) या फिर षोड़शोपचार (16 प्रकार से) या अष्टादशोपचार (18 प्रकार) से करना चाहिए। भगवान शिव से श्रद्धा व विश्वासपूर्वक 'शुद्ध चित्त' से प्रार्थना करनी चाहिए, कि

हे देवों के देव!
हे महादेव!
हे नीलकण्ठ!
हे विश्वनाथ!
हे आदिदेव!
हे उमानाथ!
हे काशीपति!


NDआपको बारम्बार नमस्कार है। आप मुझे ऐसी कृपा शक्ति दो जिससे मैं दिन के चार और रात्रि के चार पहरों मे आपकी अर्चना कर सकूँ और मुझे क्षुधा, पिपासा, लोभ, मोह पीड़ित न करें, मेरी बुद्धि निर्मल हो मै जीवन को सद्कर्मों, सन्मार्ग में लगाते हुए इस धरा पर चिरस्मृति छोड़ आपकी परम कृपा प्राप्त करूँ।

इस व्रत में रात्रि जागरण व पूजन का बड़ा ही महत्त्व है इसलिए सांयकालीन स्नानादि से निवृत्त होकर यदि वैभव साथ देता हो तो वैदिक मंत्रों द्वारा प्रत्येक पहर में वैदिक ब्राह्मण समूह की सहायता से पूर्वा या उत्तराभिमुख होकर रूद्राभिषेक करवाना चाहिए। इसके पश्चात्‌ सुगंधित पुष्प, गंध, चंदन, बिल्वपत्र, धतूरा, धूप-दीप, भाँग, नैवेद्य आदि द्वारा रात्रि के चारों पहर में पूजा करनी चाहिए। किन्तु जो आर्थिक रूप से शिथिल हैं उन्हें भी श्रद्धा व विश्वासपूर्वक किसी शिवालय में या फिर अपने ही घर में उपरोक्त सामग्री द्वारा पार्थिव पूजन प्रत्येक पहर में करते हुए 'ऊँ नमः शिवाय' का जप करना चाहिए।

यदि अशक्त (किसी कारण या परेशानी) होने पर सम्पूर्ण रात्रि का पूजन न हो सके तो पहले पहर की पूजा अवश्य ही करनी चाहिए। इस प्रकार अंतिम पहर की पूजा के साथ ही समुचित ढंग व बड़े आदर के साथ प्रार्थना करते हुए संपन्न करें। तत्पश्चात्‌ स्नान से निवृत्त होकर व्रत खोलना यानी पारण करना चाहिए।

इस व्रत में त्रयोदशी विद्धा (युक्त) चतुर्दशी तिथि ली जाती है। पुराणों के अनुसार भगवान शिव इस ब्रह्माण्ड के संहारक व तमोगुण से युक्त हैं जो महाप्रलय की बेला में तांडव नृत्य करते हुए अपने तीसरे नेत्र से ब्रह्माण्ड को भस्म कर देते हैं। अर्थात्‌ जो काल के भी महाकाल हैं जहाँ पर सभी काल (समय) या मृत्यु ठहर जातें हैं, सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की गति वहीं स्थित या समाप्त हो जाती है।

रात्रि की प्रकृति भी तमोगुणी है, जिससे इस पर्व को रात्रि काल में मनाया जाता है। भगवान शंकर का रूप जहाँ प्रलयकाल में संहारक है वहीं भक्तों के लिए बड़ा ही भोला,कल्याणकारी व वरदायक भी है जिससे उन्हें भोलेनाथ, दयालु व कृपालु भी कहा जाता है। अर्थात्‌ महाशिवरात्रि में श्रद्धा और विश्वास के साथ अर्पित किया गया एक भी पत्र या पुष्प पापों को नष्ट कर पुण्य कर्मों को बढ़ा भाग्योदय करता है। इसीलिए इसे परम उत्साह, शक्ति व भक्ति का पर्व कहा जाता है।

इसी प्रकार मास शिवरात्रि का व्रत भी है जो चैत्रादि सभी महीनों की कृष्ण चतुर्दशी को किया जाता है। इस व्रत में त्रयोदशी युक्त (विद्धा) अर्थात्‌ रात्रि तक रहने वाली चतुर्दशी तिथि का बड़ा ही महत्त्व है। अतः त्रयोदशी व चतुदर्शी का योग बहुत शुभ व फलदायी माना जाता है। यादि आप मासिक शिवरात्रि व्रत रखना चाह रहें हैं तो इसका शुभारम्भ दीपावली या मार्गशीर्ष मास से करें तो शुभ फलदायी रहता है।

मध्यप्रदेश में यदि शहरों का नाम बदलने की सियासत शुरू हो गई

भोपाल। मध्यप्रदेश में यदि शहरों का नाम बदलने की सियासत शुरू हो गई तो प्रदेश के दर्जन भर एतिहासिक नगरों के नाम सरकार को बदलना पड़ेगे। सरकार के पास एतिहासिक नगरों के नाम बदले जाने के प्रस्ताव भी विचाराधीन हैं।

ज्ञातव्य है मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली राज्य की भारतीय जनता पार्टी सरकार प्रदेश के एतिहासिक शहरों के नाम बदलने की कवायद कर रही है। सरकार यह कवायद राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सांस्कृतिक एजेंडे के तहत कर रही है। इसी कड़ी में भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल किए जाने का प्रस्ताव भी है। कांग्रेस इस प्रस्ताव का विरोध कर रही है।

सरकार यदि भोपाल का नाम बदलती है तो यह तय माना जा रहा है कि प्रदेश के कई शहरों के नाम भी आने वाले दिनों में बदलने की मांग उठेगी। प्रमुख धार्मिक शहर जो कभी अवन्तिका, उज्जयिनी अवंतिपुर, के नाम से जाना जाता था। इसका नाम उज्जैन से उज्जयिनी अथवा अवन्तिका करने की माग उठ रही है। सूत्रों के अनुसार,राज्य सरकार के पास इसी तरह संस्कारधानी जबलपुर सहित एक दर्जन शहरों के नाम बदलने के प्रस्ताव विचाराधीन हैं। इसमें उज्जैन,इंदौर,मंदसौर,धार,माडू,अमरकंटक,वि9ि दशा,ओंकारेश्वर,ग्वालियर,महेश्वर आदि के नाम शामिल हैं।

सियासत के बीच राजा भोज की प्रतिमा का लोकार्पण

भोपाल। राजा भोज की सहस्त्राब्दी वर्ष का आयोजन सियासत के रंग में रंग गया है। भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल किए जाने की सियासत भी शुरू हो गई है। यद्यपि विरोध के स्वर कमजोर हैं। भोपाल के व्ही.आई.पी. रोड़ का नामकरण राजा भोज के नाम पर करने की घोषणा मुख्यमंत्री ने कर दी है। लोकार्पण समारोह में भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष वैंकैया नायडू उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राजा भोज को अपना आदर्श और मार्गदर्शक बताते हुए उनकी प्रतिमा के अनावरण को एक संकल्प की पूर्ति बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजा भोज वीर के साथ ही विद्वान, न्यायप्रिय, कलाप्रेमी, संगीतज्ञ और सुशासक थे। उन्होंने कहा कि जल-प्रबंधन और शहरी विकास की अवधारणा को देश और दुनिया में लागू करने वाले पहले शासक राजा भोज ही थे।

मुख्यमंत्री ने वी.आई.पी.रोड का नामकरण राजा भोज मार्ग किये जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राजा भोज की आराध्य वाग्देवी की प्रतिमा को भी ब्रिटिश म्यूजियम से वापस लाने के लिये हर संभव प्रयास किये जायेंगे।

मुख्यमंत्री ने राजा भोज द्वारा निर्मित बड़ी झील को भव्य और सुंदर बनाने की कार्य योजना को इसी सप्ताह अंतिम रूप देने की बात कही। उन्होंने कहा कि बड़ी झील को न केवल देश बल्कि दुनिया के आकर्षण का केंद्र बनाने के लिये झील की परिधि में प्रदेश के ऐतिहासिक, सास्कृतिक वैभव को प्रदर्शित करने वाला गलियारा भी बनाया जायेगा।

समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सदस्य वैंकैया नायडू ने कहा कि इतिहास की अवहेलना कर कोई भी सभ्यता या राष्ट्र तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने सभी स्तर की शैक्षणिक संस्थानों में इतिहास के अध्ययन को अनिवार्य बनाये जाने की जरूरत रेखाकित की। उन्होंने राजा भोज को न केवल प्रदेश बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष की विभूति बताया। श्री नायडू ने राजा भोज को सुशासन का पर्याय बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में देश और प्रदेश का एकमात्र एजेंडा सुशासन होना चाहिये। उन्होंने राच्य शासन को राजा भोज की प्रतिमा की स्थापना और उनके राच्यारोहण के सहस्त्राब्दी वर्ष समारोहों के आयोजन के लिये साधुवाद दिया।

विधानसभा उपाध्यक्ष श्री हरवंश सिंह ने कहा कि राजा भोज एक प्रतापी सम्राट के साथ ही धर्म, कला, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान के संरक्षक के रूप में भारतीय इतिहास की कालजयी विभूति है। श्री सिंह ने प्रतिमा की स्थापना को एक प्रेरक प्रयास निरूपित किया।

पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और भोपाल मध्य के विधायक श्री धु्रवनारायण सिंह ने कहा कि राजा भोज की प्रतिमा की स्थापना से प्रदेश में ज्ञान और विद्वता के सम्मान की परंपरा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कामना की कि प्रदेश विकसित प्रदेश बने और नागरिकों के जीवन में सुख-समृद्धि आये। श्री सिंह ने भोपाल का नाम परिवर्तित कर भोजपाल रखे जाने की भी माग की।

इसके पहले अतिथियों ने वी.आई.पी.रोड पर बने मंच से बटन दबाकर बड़ी झील के बुर्ज पर स्थापित राजा भोज की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया। अनावरण के बाद मध्यप्रदेश पुलिस के जवानों ने राजा भोज को 21 हवाई फायर कर सलामी दी
28-2-2011

आंदोलन शेरों को लाने के लिए किया जा रहा है।

भोपाल, ग्वालियर, संवाददाता।

श्योपुर जिले के कूनो-पालपुर में एशियाई शेर लाने का मुद्दा अब राजनीतिक रंग पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इस सेंक्चुरी में शेर लाने को विकास से जोड़कर अपना आंदोलन तेज कर दिया है और पूरे श्योपुर जिले में धरना आंदोलन की तैयारी करनी शुरू कर दी है।

जनवरी माह में श्योपुर जिले के कांग्रेस नेताओं ने एक अनोखा आंदोलन शुरू किया था। इसमें कूनो-पालपुर सेंक्चुरी में एशियाई शेर लाने के लिए उन्होंने श्योपुर शहर को ही बंद करा दिया और बाद में इस सेंक्चुरी तक एक पदयात्रा का भी आयोजन किया। इस अभियान को इलाके के लोगों का व्यापक जनसमर्थन मिलते देख वहां के नेताओं ने फिर से आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है। अब कांग्रेस नेता श्योपुर के अलावा उसकी तहसीलों, विजयपुर, बड़ौदा सहित अन्य इलाकों में आंदोलन को तेज करने के उद्देश्य से मार्च के महीने में बंद रखकर लोगों को इस अभियान की जानकारी दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले तीन दशक से कूनो-पालपुर सेंक्चुरी में एशियाई शेरों को लाने की तैयारी हो रही है और ये शेर गुजरात के गिर अभ्यारण्य से लाए जाने हैं, लेकिन गुजरात सरकार इन शेरों को देने के लिए राजी नहीं है। इसके अलावा राज्य की भाजपा सरकार ने भी इस दिशा में ज्यादा प्रयास नहीं किए हैं। यही कारण है कि स्थानीय कांग्रेस नेता इस मुद्दे को श्योपुर जिले के विकास से जोड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इसके पहले श्योपुर में यह आंदोलन होता था कि कूनो-पालपुर सेंक्चुरी के नाम पर वहां से आदिवासियों को विस्थापित कर दिया गया, लेकिन अब यह आंदोलन शेरों को लाने के लिए किया जा रहा है।

आंदोलन शेरों को लाने के लिए किया जा रहा है।

भोपाल, ग्वालियर, संवाददाता।

श्योपुर जिले के कूनो-पालपुर में एशियाई शेर लाने का मुद्दा अब राजनीतिक रंग पकड़ता जा रहा है। कांग्रेस ने इस सेंक्चुरी में शेर लाने को विकास से जोड़कर अपना आंदोलन तेज कर दिया है और पूरे श्योपुर जिले में धरना आंदोलन की तैयारी करनी शुरू कर दी है।

जनवरी माह में श्योपुर जिले के कांग्रेस नेताओं ने एक अनोखा आंदोलन शुरू किया था। इसमें कूनो-पालपुर सेंक्चुरी में एशियाई शेर लाने के लिए उन्होंने श्योपुर शहर को ही बंद करा दिया और बाद में इस सेंक्चुरी तक एक पदयात्रा का भी आयोजन किया। इस अभियान को इलाके के लोगों का व्यापक जनसमर्थन मिलते देख वहां के नेताओं ने फिर से आंदोलन तेज करने का निर्णय लिया है। अब कांग्रेस नेता श्योपुर के अलावा उसकी तहसीलों, विजयपुर, बड़ौदा सहित अन्य इलाकों में आंदोलन को तेज करने के उद्देश्य से मार्च के महीने में बंद रखकर लोगों को इस अभियान की जानकारी दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि पिछले तीन दशक से कूनो-पालपुर सेंक्चुरी में एशियाई शेरों को लाने की तैयारी हो रही है और ये शेर गुजरात के गिर अभ्यारण्य से लाए जाने हैं, लेकिन गुजरात सरकार इन शेरों को देने के लिए राजी नहीं है। इसके अलावा राज्य की भाजपा सरकार ने भी इस दिशा में ज्यादा प्रयास नहीं किए हैं। यही कारण है कि स्थानीय कांग्रेस नेता इस मुद्दे को श्योपुर जिले के विकास से जोड़ रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इसके पहले श्योपुर में यह आंदोलन होता था कि कूनो-पालपुर सेंक्चुरी के नाम पर वहां से आदिवासियों को विस्थापित कर दिया गया, लेकिन अब यह आंदोलन शेरों को लाने के लिए किया जा रहा है।

राजा भोज वीरता, विद्वता और सुशासन के समुच्चय : मुख्यमंत्री चौहान

सुशासन ही हो देश-प्रदेश का एजेंडा: श्री वैंकैया नायडू, बड़ी झील के बुर्ज पर स्थापित राजा भोज की प्रतिमा लोकार्पित, वी.आई.पी.रोड अब राजा भोज मार्ग होगा, बड़ी झील के संरक्षण की कार्य योजना को इसी सप्ताह अंतिम रूप
भोपाल 28 फरवरी 2011। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने राजा भोज को अपना आदर्श और मार्गदर्शक बताते हुए उनकी प्रतिमा के अनावरण को एक संकल्प की पूर्ति बताया है। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज राजा भोज के राज्यारोहण के सहस्त्राब्दी वर्ष के आयोजनों की श्रृंखला में बड़ी झील स्थित राजा भोज की प्रतिमा के अनावरण समारोह को संबोधित कर रहे थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजा भोज वीर के साथ ही उद्भट विद्वान, न्यायप्रिय, कलाप्रेमी, संगीतज्ञ और सुशासक थे। उन्होंने कहा कि राजा भोज न केवल सुशासन बल्कि सर्व धर्म समभाव के भी प्रतीक थे। श्री चौहान ने कहा कि जल-प्रबंधन और शहरी विकास की अवधारणा को देश और दुनिया में लागू करने वाले पहले शासक राजा भोज ही थे। श्री चौहान ने कहा कि राजा भोज ने ही भारत वर्ष को सांस्कृतिक राष्ट्र का रूप दिया था।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वी.आई.पी.रोड का नामकरण राजा भोज मार्ग किये जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि राजा भोज की आराध्य वाग्देवी की प्रतिमा को भी ब्रिटिश म्यूजियम से वापस लाने के लिये हर संभव प्रयास किये जायेंगे।
मुख्यमंत्री ने राजा भोज द्वारा निर्मित बड़ी झील को भव्य और सुंदर बनाने की कार्य योजना को इसी सप्ताह अंतिम रूप देने की बात कही। उन्होंने कहा कि बड़ी झील को न केवल देश बल्कि दुनिया के आकर्षण का केंद्र बनाने के लिये झील की परिधि में प्रदेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक वैभव को प्रदशिर्त करने वाला गलियारा भी बनाया जायेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजा भोज के राज्यारोहण के सहस्त्राब्दी वर्ष के आयोजन अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान को गढ़ने के राज्य शासन के प्रयासों का अंग है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रदेश को विकासशील के बाद विकसित प्रदेश बनाने में भी कामयाबी मिलेगी।
समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्य सभा सदस्य श्री वैंकैया नायडू ने कहा कि इतिहास की अवहेलना कर कोई भी सभ्यता या राष्ट्र तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने सभी स्तर की शैक्षणिक संस्थानों में इतिहास के अध्ययन को अनिवार्य बनाये जाने की जरूरत रेखांकित की। उन्होंने राजा भोज को न केवल प्रदेश बल्कि संपूर्ण भारतवर्ष की विभूति बताया।
श्री नायडू ने राजा भोज को सुशासन का पर्याय बताते हुए कहा कि लोकतंत्र में देश और प्रदेश का एकमात्र एजेंडा सुशासन होना चाहिये।
श्री नायडू ने कहा कि राजा भोज को तीन देवियों लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा का आशीर्वाद मिला। उन्होंने कहा कि जहां सरस्वती अर्थात विद्या होती है वहां लक्ष्मी आ ही जाती है। श्री नायडू ने कहा कि पूरे देश में शिक्षा का प्रसार और सुशासन की स्थापना राजा भोज के प्रति सच्चा सम्मान होगा। उन्होंने राज्य शासन को राजा भोज की प्रतिमा की स्थापना और उनके राज्यारोहण के सहस्त्राब्दी वर्ष समारोहों के आयोजन के लिये साधुवाद दिया।
विधानसभा उपाध्यक्ष श्री हरवंश सिंह ने कहा कि राजा भोज एक प्रतापी सम्राट के साथ ही धर्म, कला, संस्कृति और ज्ञान-विज्ञान के संरक्षक के रूप में भारतीय इतिहास की कालजयी विभूति है। श्री सिंह ने प्रतिमा की स्थापना को एक प्रेरक प्रयास निरूपित किया।
पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष और भोपाल मध्य के विधायक श्री ध्रुवनारायण सिंह ने कहा कि राजा भोज की प्रतिमा की स्थापना से प्रदेश में ज्ञान और विद्वता के सम्मान की परंपरा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कामना की कि प्रदेश विकसित प्रदेश बने और नागरिकों के जीवन में सुख-समृद्धि आये। श्री सिंह ने भोपाल का नाम परिवर्तित कर भोजपाल रखे जाने की भी मांग की।
इसके पहले अतिथियों ने वी.आई.पी.रोड पर बने मंच से बटन दबाकर बड़ी झील के बुर्ज पर स्थापित राजा भोज की विशाल प्रतिमा का अनावरण किया। अनावरण के बाद मध्यप्रदेश पुलिस के जवानों ने राजा भोज को 21 हवाई फायर कर सलामी दी। पुलिस बैंड के वादन के साथ ही बड़ी झील का आकाश रंग-बिरंगे गुब्बारों से आच्छादित किया गया। इस अवसर पर 21 पंडितों द्वारा स्वस्ति-वाचन के अलावा मध्यप्रदेश गान का गायन भी किया गया। पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष श्री ध्रुवनारायण सिंह और प्रबंध संचालक श्री हरिरंजन राव ने अतिथियों का पगड़ी पहनाकर और पुष्प-गुच्छ भेंट कर स्वागत किया1 समारोह का आरंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुआ। समारोह में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राजा भोज की प्रतिमा के मूूर्तिकार श्री प्रभात राय का शाल-श्रीफल भेंट कर सम्मान किया। अतिथियों ने पर्यटन विकास निगम द्वारा राजा भोज के जीवन और उपलब्धियों पर प्रकाशित फोल्डर 'भोज दर्शन-जानिये राजा भोज को' का विमोचन भी किया।
समारोह में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य सभा सदस्य श्री प्रभात झा, सांसद श्री कैलाश जोशी, नगरीय प्रशासन मंत्री श्री बाबूलाल गौर, वित्त मंत्री श्री राघवजी, संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा, गृह मंत्री श्री उमाशंकर गुप्ता, संसदीय कार्य मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा, राजस्व मंत्री श्री करण सिंह वर्मा, पर्यटन मंत्री श्री तुकोजीराव पंवार, पशुपालन मंत्री श्री अजय विश्नोई, खाद्य-नागरिक आपूर्ति राज्य मंत्री श्री पारस जैन, महिला-बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती रंजना बघेल, विधायक श्री विश्वास सारंग और श्री जितेन्द्र डागा एवं महापौर श्रीमती कृष्णा गौर विशिष्ट अतिथि के बतौर मंचासीन थे।
समारोह में प्रदेश भाजपा के संगठन महामंत्री श्री अरविंद मेनन, पूर्व सांसद श्री कैलाश सारंग और श्री रामपाल सिंह, प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती ऊषा चतुर्वेदी, नागरिक आपूर्ति निगम के अध्यक्ष श्री रमेश शर्मा 'गुट्टू भैया', राज्य कृषि उद्योग विकास निगम के अध्यक्ष श्री रामकृष्ण चौहान, खनिज विकास निगम के अध्यक्ष श्री कोकसिंह नरवरिया, मुख्य सचिव श्री अवनि वैश्य, भोपाल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री सुरेन्द्रनाथ सिंह, भाजपा के प्रदेश मंत्री श्री रामेश्वर शर्मा और सुश्री सरिता देशपाण्डे एवं बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित थे।
Date: 28-02-2011 Time: 21:47:10

पत्रकारिता की वास्तविकता


पत्रकारिता की वास्तविकता


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-राजेश कुमार

हम अक्सर उस दिशा की तरफ जाने के लिए लालायित रहते है, जहां हम खुद को एक हीरो की भांति पेश कर सकें। गलैमर और शान भरी जिंदगी के लिए प्रसिद्ध पत्रकारिता क्षेत्र में इसी कारण बीते कुछ सालों में काफी छात्र-छात्राएं खिंचे चले आ रहे हैं। छात्राओं की बढ़ती भीड़ के कारण देश में पत्रकारिता के संस्थानों में धड़ल्ले से ईजाफा हो रहा है, लेकिन क्या इतने विद्यार्थियों के लिए मीडिया क्षेत्र में पर्याप्त संभावनाएं हैं? यह सच है कि देश मीडिया के क्षेत्र में दिन रात उन्निती कर रहा है और पत्रकारिता के क्षेत्र में पिछले एक दशक में क्रांति सी आ गई है। इसके बावजूद लोगों को यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि देश की जनसंख्या भी माशाअल्लाह दिन दुगुनी रात चौगुनी रफ्तार से बढ़ रही है। ऐसे में जाहिर है हर किसी को तो पत्रकार नहीं बनाया जा सकता।



खैर मैं अपने लेख में पत्रकारिता में प्रवेश करने के बाद की चुनौतियों से अवगत करवाना चाहता हूं ताकि इस क्षेत्र में आने वाले किसी से प्रभावित होकर या मात्र चकाचौंध भरी दुनिया का ख्बाब मन में संजोए हुए न आए, बल्कि पत्रकारिता में प्रवेश करने से पहले मानसिक रूप से पूरे तैयार बनें। सबसे पहले बात की किसी भी संस्थान में पत्रकारिता की पढ़ाई कर लेने मात्र से कोई पत्रकार नहीं बन जाता। इसके लिए हमें अपने भीतर अनेक गुणों को पैदा करना होगा। बल्कि यूं कहें कि यदि कोई व्यक्ति गहरी सूझबूझ रखता है और स्वयं को किसी भी चुनौती में ढालने से कतराता नहीं, वह बिना किसी डिग्री के भी पत्रकार बन सकता है। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि जो भी नौजवान पत्रकारिता में कदम रखना चाह है, वह अपने मन से यह सोच मिटा दे कि पत्रकार बनने का मतलब मात्र बड़ी बड़ी शख्सियतों से बातें करना व खुद को कैमरे के सामने खड़ा करना ही नहीं है। पत्रकारिता का क्षेत्र इस सोच से भी कहीं अधिक विस्तृत है व चुनौतियों कहीं अधिक खतरनाक। एक पत्रकार को रात व दिन एक बराबर होते हैं, उसे अधूरी नींद होने के बावजूद भी हर वक्त चुस्त-दुरुस्त रहना पड़ता है।इएक छोटी सी छोटी गलती भी पत्रकारिता में आपके करियर के लिए घातक साबित हो सकती है। फिर चाहे वह गलती आपके लिखने में हो या जानकारी में। सबसे अहम बात तनाव में काम करने का गुण आपको अपने भीतर ईजाद करना ही होगा, अन्यथा आप मानसिक तौर पर बीमार पड़ जाएंगे। भाषा व शब्दों पर सही पकड़ इस क्षेत्र के लिए काफी अहम हैं। पत्रकारिता में रहते हुए अधिक छट्टियों की आशा करना व्यर्थ्थ है, आपको अपने ऑफिस में ही अपने परिवार को टटोलकर काम पर पूरा ध्यान देना होगा। यदि आप ऐसा सब कर पाने में सक्षम हैं तो निश्चित तौर पर आप बहुत बढ़िया पत्रकार बन सकते हैं और आपको मेरी तरफ से शुभकानाएं।

पति-पत्‍‌नी को पंचों ने बनाया भाई-बहन!

मुजफ्फरनगर। सगोत्रीय विवाह के विवाद में रिश्तों की डोर उलझ गई। तीन दिन पहले साथ जीने-मरने की कसम खाने वाले दूल्हा-दुल्हन को समाज ने जुदा कर दिया। जो राजेश व पायल कल तक पति-पत्‍‌नी थे, वो पंचायत की व्यवस्था के बाद आज भाई-बहन बन गए। हालांकि दोनों अभी भी साथ रहने की जिद पर अड़े हैं, जबकि पुलिस की मौजूदगी में हुए समझौते में दोनों पक्षों में एक-दूसरे का सामान लौटाने पर सहमति बन गई।

शामली क्षेत्र के गांव नंगली जलालपुर निवासी राजेश की शादी तीन दिन पहले शाहपुर क्षेत्र के गांव दुल्हैरा की रहने वाली पायल के साथ हुई थी। पायल का गोत्र बालियान है, जबकि राजेश मलिक गोत्र से ताल्लुक रखते हैं। शादी के बाद राजेश अपनी दो बहनों के साथ पगफेरा के लिए ससुराल दुल्हैरा आया तो वहां बातों ही बातों में खुलासा हुआ कि राजेश और पायल के मामा का गोत्र एक है। दोनों की मां तोमर गोत्र से हैं। मामला सह गोत्रीय होते ही गांव में चर्चा फैल गई। बंधक बनाए जाने की सूचना पर पहुंची पुलिस दूल्हे और उसकी दोनों बहनों को थाने ले आई। पुलिस ने बहनों को तो रिश्तेदारों के साथ भेज दिया, जबकि राजेश को थाने में ही बैठा लिया।

रविवार को थाने पहुंचे राजेश और पायल के परिजनों में समझौते को बातचीत शुरू हुई। घंटों की वार्ता के बाद दोनों पक्षों में एक-दूसरे का सामान वापस करने पर सहमति बन गई। दोनों पक्षों ने पुलिस को कोई तहरीर नहीं दी है। उधर, राजेश और पायल साथ रहने की जिद पर अड़े हैं।

समाज के जानकारों के मुताबिक समान गोत्र के व्यक्तियों में कहीं न कहीं खून का ताल्लुक रहता है। मां का गोत्र समान होने पर भी विवाह वर्जित है। समान गोत्र में लड़का-लड़की के संबंध भाई-बहन के होते हैं।

सोरम की महापंचायत में भी गूंजा था मुद्दा

नवंबर माह में शाहपुर क्षेत्र के गांव सोरम में हुई दो दिवसीय सर्वखाप-सर्वजातीय महापंचायत में सहगोत्रीय विवाह का ही मुद्दा गूंजा था। महापंचायत के फैसले में सगोत्र में विवाह करने पर पूर्ण प्रतिबंध का ऐलान किया गया था।
28-2-2911

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक अज्ञात व्यक्ति ने बम से उड़ाने की धमकी दी है।




भोपाल. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक अज्ञात व्यक्ति ने बम से उड़ाने की धमकी दी है। पुलिस नियंत्रण कक्ष में एक सार्वजनिक टेलीफोन बूथ से किए गए फोन पर यह धमकी दी गई। हालांकि पुलिस ने फोन करने वाले को चिन्हिंत कर लिया है। पुलिस का कहना है कि वह शाम तक युवक को गिरफ्तार कर लेगी।



पुलिस अधीक्षक योगेश चौधरी ने बताया है कि पुलिस नियंत्रण कक्ष में सोमवार की सुबह 8.40 बजे एक फोन आया था, जिसमें कहा गया था कि वीआईपी रोड पर राजा भोज की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री चौहान पर बम फेंका जाएगा। फोन करने वाले ने अपने बारे में कोई खुलासा नहीं किया।



गौरतलब है कि सोमवार को भोपाल में राजा भोज सहस्राब्दि समारोह आयोजित किया जा रहा है और इसी के तहत प्रतिमा का अनावरण होना था।



चौधरी ने बताया कि प्रतिमा अनावरण का कार्यक्रम बिना किसी व्यवधान के निपट चुका है। पुलिस को जांच में पता चला है कि यह फोन मंगलवारा क्षेत्र के एक सार्वजनिक टेलीफोन बूथ से किया गया था, पुलिस ने अभी पूछताछ के लिए टेलीफोन मालिक को गिरफ्तार कर लिया है।

Sunday, February 27, 2011

लाल परेड ग्राउंड पर आज संध्या बिखरेगी भारतीय संस्कृति की अदभुत छटाएं (राजाभोज राज्यारोहण सहस्त्राब्दी समारोह)

लाल परेड ग्राउंड पर आज संध्या बिखरेगी भारतीय संस्कृति की अदभुत छटाएं (राजाभोज राज्यारोहण सहस्त्राब्दी समारोह)

संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत ने तैयारियों का जायजा लिया
Bhopal: Sunday, February 27, 2011:


मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के लिये 28 फरवरी का दिन एक गौरवमय दिवस है। इस दिन यहां महान कालजयी प्रतिभा राजा भोज के राज्यारोहण का सहस्त्राब्दी समारोह पूरी गरिमा के साथ आयोजित होने जा रहा है। इतिहास की महान भारतीय परम्पराओं से लोगों को अवगत कराने 28 फरवरी की संध्या लाल परेड ग्राउंड में रंगारंग संस्कृति संध्या का आयोजन भी किया गया है। इतिहास से प्रेरणा पाने और ऐतिहासिक परम्पराओं से जुड़ने के इस अनूठे आयोजन को सफल बनाने के लिये भव्य तैयारियां की गई है।

संस्कृति मंत्री श्री लक्ष्मीकांत शर्मा ने लाल परेड ग्राउंड पर राजा भोज राज्यारोहण सहस्त्राब्दी समारोह के अंतर्गत आयोजित होने जा रही भव्य सांस्कृतिक संध्या की पूर्व तैयारियों का आज शाम जायजा लिया। उन्होंने यहां विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिये किये गए पूर्वाभ्यास का अवलोकन किया और इसमें बड़ी तदाद में भागीदारी कर रहे कलाकारों की हौसला अफजाई कर उन्हें शुभकामनाएं दी। इस अवसर पर संचालक, संस्कृति श्री श्रीराम तिवारी सहित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे। लाल परेड ग्राउन्ड पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या का शुभारम्भ 28 फरवरी की शाम को सात बजे दीप प्रज्जवलन और मध्यप्रदेश गीत के साथ होगा। इस अवसर पर सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता श्री कबीर बेदी राजा भोज का परिचय प्रस्तुत करेंगे और कार्यक्रम का संचालन भी करेंगे। इसके बाद राजा भोज के तेल चित्र का अनावरण होगा और वाराणसी से आये विद्ववान पंडितजन वेद मंत्रोच्चार के साथ वेद पाठ और स्वस्ति वाचन करेंगे। शंख ध्वानि और पायरो तकनीक की आतिशबाजी के साथ राज्यारोहण प्रस्तुति आरम्भ होगी। इस नृत्य प्रस्तुति में करीब 600 से अधिक कलाकार भव्य मंच पर एक साथ प्रस्तुति देंगे।

समारोह के मुख्य मंच पर अतिथियों के स्वागत और उद्बोधन के पश्चात आकर्षक लेजर शो के द्वारा राजा भोज के जीवन का सजीव चित्रण ध्वनि प्रकाश माध्यम से किया जायेगा। इसके पश्चात इंडिया टेलेंट हंट के प्रथम विजेता विख्यात प्रिंस ग्रुप द्वारा दशावतार और कृष्णावतार कार्यक्रम की प्रस्तुति की जायेगी। प्रसिद्ध संगीतकार श्री शिवमणि (चेन्नई) और प्रख्यात पार्श्व गायक श्री सुखविंदर मुम्बई द्वारा गीत-संगीत की मधुर प्रस्तुति इस कार्यक्रम का सबसे खास आकर्षण होगी। अंत में प्रिंस ग्रुप द्वारा स्प्रिट ऑफ फ्रीडम कार्यक्रम की प्रस्तुति और विश्व प्रसिद्ध अमीर मोरानी फायवरर्वक्स द्वारा की जाने वाली नयनाभिराम आतिशबाजी के साथ समारोह का समापन होगा। इलेक्ट्रानिक फायर मेकेनिज्म द्वारा नियंत्रित यह आतिशबाजी 400 फिट की ऊंचाई तक होगी जिसे पूरे भोपाल शहर में देखा जा सकेगा।

कार्यक्रम स्थल पर सभी दर्शक आयोजन का प्रसारण विशाल एलईडी स्क्रीन पर भी देख सकेंगे। कार्यक्रम स्थल पर विशिष्ट अतिथियों और पत्रकारगण तथा इलेक्ट्रानिक मीडिया के प्रतिनिधियों को सत्कार द्वार से प्रवेश दिया जायेगा। इसके अलावा अन्य नागरिकगण विजय द्वार से समारोह स्थल पर प्रवेश कर सकेंगे।

शिवसेना ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर पूरी दुनिया में साढ़े नौ करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए

मुंबई ॥ शिवसेना ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर पूरी दुनिया में साढ़े नौ करोड़ लोगों द्वारा बोली जाने वाली मराठी भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग की है। सांसद संजय राउत ने पत्र के जरिए मराठी को शास्त्रीय दर्जा दिलाने के कारणों का उल्लेख किया। फिलहाल, इस श्रेणी में तमिल, संस्कृत, कन्नड़ और तेलुगु भाषा शामिल हैं। पत्र में राउत ने लिखा है कि मराठी भाषा संस्कृत से निकली है और माना जाता है कि संस्कृत से निकलने वाली यह पहली भाषा है।

उन्होंने कहा कि मराठी काफी पुरानी भाषा है, जिसका पहला लिखित दस्तावेज 700 ईस्वी का है, जो कर्नाटक में मिला था। मराठी छत्रपति शिवाजी और पेशवा के शासनकाल में समृद्ध हुई और महाराष्ट्र के अलावा तमिलनाडु के तंजावूर और जिंजी से लेकर उत्तरप्रदेश के झांसी तक कई राजवंशों की आधिकारिक भाषा रही। उन्होंने कहा कि संत कवि मुकुंदराज, ज्ञानेश्वर, तुकाराम और नामदेव ने मराठी को इसकी ऊंचाइयों तक पहुंचाया। पत्र में लिखा गया है कि संत नामदेव के 'अभंग' (श्लोक) को गुरु ग्रंथ साहिब में शामिल किया गया है और कुछ वर्तमान पाकिस्तान के लायलपुर में पाए गए हैं।

राउत ने पत्र में प्रधानमंत्री से कहा है कि मराठी भारत में चौथी सर्वाधिक बोली जाने वाली और विश्व में 15वीं सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है। गौरतलब है कि यह मांग उस वक्त उठाई गई है, जब एक वर्ष के अंदर राज्य में मुंबई सहित दस नगर निगमों का चुनाव होने वाले हैं। शिवसेना के अलावा राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने मराठी भाषा के मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया है।
28-2-2011

अनेकानेक प्राचीन वांग्मय महाकाल की व्यापक महिमा से आपूरित हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं।


अनेकानेक प्राचीन वांग्मय महाकाल की व्यापक महिमा से आपूरित हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं।

अवन्तिकायां विहितावतारं
मुक्ति प्रदानाय च सज्जनानाम्‌
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं
वन्दे महाकाल महासुरेशम॥

'अर्थात जिन्होंने अवन्तिका नगरी (उज्जैन) में संतजनों को मोक्ष प्रदान करने के लिए अवतार धारण किया है, अकाल मृत्यु से बचने हेतु मैं उन 'महाकाल' नाम से सुप्रतिष्ठित भगवान आशुतोष शंकर की आराधना, अर्चना, उपासना, वंदना करता हूँ।

इस दिव्य पवित्र मंत्र से निःसृत अर्थध्वनि भगवान शिव के सहस्र रूपों में सर्वाधिक तेजस्वी, जागृत एवं ज्योतिर्मय स्वरूप सुपूजित अनेकानेक प्राचीन वांग्मय महाकाल की व्यापक महिमा से आपूरित हैं क्योंकि वे कालखंड, काल सीमा, काल-विभाजन आदि के प्रथम उपदेशक व अधिष्ठाता हैं।

अवन्तिकायां विहितावतारं
मुक्ति प्रदानाय च सज्जनानाम्‌
अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं
वन्दे महाकाल महासुरेशम॥

'अर्थात जिन्होंने अवन्तिका नगरी (उज्जैन) में संतजनों को मोक्ष प्रदान करने के लिए अवतार धारण किया है, अकाल मृत्यु से बचने हेतु मैं उन 'महाकाल' नाम से सुप्रतिष्ठित भगवान आशुतोष शंकर की आराधना, अर्चना, उपासना, वंदना करता हूँ।

इस दिव्य पवित्र मंत्र से निःसृत अर्थध्वनि भगवान शिव के सहस्र रूपों में सर्वाधिक तेजस्वी, जागृत एवं ज्योतिर्मय स्वरूप सुपूजित श्री महाकालेश्वर की असीम, अपार महत्ता को दर्शाती है।



शिव पुराण की 'कोटि-रुद्र संहिता' के सोलहवें अध्याय में तृतीय ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के संबंध में सूतजी द्वारा जिस कथा को वर्णित किया गया है, उसके अनुसार अवंती नगरी में एक वेद कर्मरत ब्राह्मण हुआ करता था। वह ब्राह्मण पार्थिव शिवलिंग निर्मित कर उनका प्रतिदिन पूजन किया करता था। उन दिनों रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक राक्षस ने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त कर समस्त तीर्थस्थलों पर धार्मिक कर्मों को बाधित करना आरंभ कर दिया।

वह अवंती नगरी में भी आया और सभी ब्राह्मणों को धर्म-कर्म छोड़ देने के लिए कहा किन्तु किसी ने उसकी आज्ञा नहीं मानी। फलस्वरूप उसने अपनी दुष्ट सेना सहित पावन ब्रह्मतेजोमयी अवंतिका में उत्पात मचाना प्रारंभ कर दिया। जन-साधारण त्राहि-त्राहि करने लगे और उन्होंने अपने आराध्य भगवान शंकर की शरण में जाकर प्रार्थना, स्तुति शुरू कर दी। तब जहाँ वह सात्विक ब्राह्मण पार्थिव शिव की अर्चना किया करता था, उस स्थान पर एक विशाल गड्ढा हो गया और भगवान शिव अपने विराट स्वरूप में उसमें से प्रकट हुए।

विकट रूप धारी भगवान शंकर ने भक्तजनों को आश्वस्त किया और गगनभेदी हुंकार भरी, 'मैं दुष्टों का संहारक महाकाल हूँ...' और ऐसा कहकर उन्होंने दूषण व उसकी हिंसक सेना को भस्म कर दिया। तत्पश्चात उन्होंने अपने श्रद्धालुओं से वरदान माँगने को कहा। अवंतिकावासियों ने प्रार्थना की-

'महाकाल, महादेव! दुष्ट दंड कर प्रभो
मुक्ति प्रयच्छ नः शम्भो संसाराम्बुधितः शिव॥
अत्रैव्‌ लोक रक्षार्थं स्थातव्यं हि त्वया शिव
स्वदर्श कान्‌ नरांछम्भो तारय त्वं सदा प्रभो॥

अर्थात हे महाकाल, महादेव, दुष्टों को दंडित करने वाले प्रभु! आप हमें संसार रूपी सागर से मुक्ति प्रदान कीजिए, जनकल्याण एवं जनरक्षा हेतु इसी स्थान पर निवास कीजिए एवं अपने (इस स्वयं स्थापित स्वरूप के) दर्शन करने वाले मनुष्यों को अक्षय पुण्य प्रदान कर उनका उद्धार कीजिए।

इस प्रार्थना से अभिभूत होकर भगवान महाकाल स्थिर रूप से वहीं विराजित हो गए और समूची अवंतिका नगरी शिवमय हो गई।
यह भी खोजें: महाशिवरात्रि 2011, महाशिवरात्रि पर्व, महाशिवरात्रि विशेष, भोलेशंकर, भगवान शिव, भोलेनाथ, आराधना, व्रत त्योहार, शिवरात्री, शिवरात्रि व्रत


ND
शिव पुराण की 'कोटि-रुद्र संहिता' के सोलहवें अध्याय में तृतीय ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल के संबंध में सूतजी द्वारा जिस कथा को वर्णित किया गया है, उसके अनुसार अवंती नगरी में एक वेद कर्मरत ब्राह्मण हुआ करता था। वह ब्राह्मण पार्थिव शिवलिंग निर्मित कर उनका प्रतिदिन पूजन किया करता था। उन दिनों रत्नमाल पर्वत पर दूषण नामक राक्षस ने ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त कर समस्त तीर्थस्थलों पर धार्मिक कर्मों को बाधित करना आरंभ कर दिया।

वह अवंती नगरी में भी आया और सभी ब्राह्मणों को धर्म-कर्म छोड़ देने के लिए कहा किन्तु किसी ने उसकी आज्ञा नहीं मानी। फलस्वरूप उसने अपनी दुष्ट सेना सहित पावन ब्रह्मतेजोमयी अवंतिका में उत्पात मचाना प्रारंभ कर दिया। जन-साधारण त्राहि-त्राहि करने लगे और उन्होंने अपने आराध्य भगवान शंकर की शरण में जाकर प्रार्थना, स्तुति शुरू कर दी। तब जहाँ वह सात्विक ब्राह्मण पार्थिव शिव की अर्चना किया करता था, उस स्थान पर एक विशाल गड्ढा हो गया और भगवान शिव अपने विराट स्वरूप में उसमें से प्रकट हुए।

विकट रूप धारी भगवान शंकर ने भक्तजनों को आश्वस्त किया और गगनभेदी हुंकार भरी, 'मैं दुष्टों का संहारक महाकाल हूँ...' और ऐसा कहकर उन्होंने दूषण व उसकी हिंसक सेना को भस्म कर दिया। तत्पश्चात उन्होंने अपने श्रद्धालुओं से वरदान माँगने को कहा। अवंतिकावासियों ने प्रार्थना की-

'महाकाल, महादेव! दुष्ट दंड कर प्रभो
मुक्ति प्रयच्छ नः शम्भो संसाराम्बुधितः शिव॥
अत्रैव्‌ लोक रक्षार्थं स्थातव्यं हि त्वया शिव
स्वदर्श कान्‌ नरांछम्भो तारय त्वं सदा प्रभो॥

अर्थात हे महाकाल, महादेव, दुष्टों को दंडित करने वाले प्रभु! आप हमें संसार रूपी सागर से मुक्ति प्रदान कीजिए, जनकल्याण एवं जनरक्षा हेतु इसी स्थान पर निवास कीजिए एवं अपने (इस स्वयं स्थापित स्वरूप के) दर्शन करने वाले मनुष्यों को अक्षय पुण्य प्रदान कर उनका उद्धार कीजिए।

इस प्रार्थना से अभिभूत होकर भगवान महाकाल स्थिर रूप से वहीं विराजित हो गए और समूची अवंतिका नगरी शिवमय हो गई।
यह भी खोजें: महाशिवरात्रि 2011, महाशिवरात्रि पर्व, महाशिवरात्रि विशेष, भोलेशंकर, भगवान शिव, भोलेनाथ, आराधना, व्रत त्योहार, शिवरात्री, शिवरात्रि व्रत

1000 वर्ष पुराने राजा भोज कौन हैं यह सवाल उठाया है,मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आरिफ मसूद ने।


पाल. राजा भोज ने भोपाल का तालाब बनवाया और भोजपाल शहर बसाया उनकी समयावधि 1430 वर्ष पुरानी है। प्रदेश सरकार बताए कि यह 1000 वर्ष पुराने राजा भोज कौन हैं,क्योंकि इतिहास में लगभग 14 राजा भोज हुए हैं,जिसका उल्लेख भविष्य पुराण प्रति सरग,पर्व 3,खंड 3,अध्याय 3 व श्लोक 5 व 8 में किया गया है। यह सवाल उठाया है,मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आरिफ मसूद ने।

रविवार को उन्होंने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि प्रदेश सरकार राजा भोज के नाम पर भोपाल का नाम बदल कर भोजपाल करना चाहती है, वह बताए कि यह 1000 वर्ष पुराने कौन से राजा भोज थे। उस इतिहासकार का नाम बताएं जिसने यह जानकारी दी है।

आंदोलन की चेतावनी: श्री मसूद का सुझाव है कि भोपाल का नाम न बदला जाए। मप्र सरकार की कई योजनाएं हैं,जो उनके नाम पर की जा सकती हैं। आगरा के ताज उत्सव की तरह यहां भी भोज उत्सव मनाया जा सकता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यह गंगा-जमुनी तहजीब का शहर है। उन्होंने कहा कि यदि इसके नाम पर छेड़छाड़ की गई तो राजधानी में आंदोलनकिया जाएगा।

Saturday, February 26, 2011

राजनीति आती नहीं थी, इसलिए छोड़ दी : अमिताभ


राजनीति आती नहीं थी, इसलिएभोपाल 26 फरवरी 2011। बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन ने कहा कि उन्होंने राजनीति इसलिए छोड़ दी, क्योंकि उन्हें राजनीति नहीं आती थी। उन्होंने कहा कि राजनीति उनकी व्यक्तिगत हार है, इसलिए उससे पीछा छुड़ा लिया।
प्रकाश झा निर्देशित फिल्म 'आरक्षण' की शूटिंग के लिए भोपाल आए बच्चन ने संवाददाता सम्मेलन के दौरान पूर्व में बनी फिल्म 'राजनीति' में दिखाई गई राजनीति को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में स्वीकार किया कि उन्हें राजनीति आती नहीं थी।
उन्होंने कहा, ''किसी फिल्म में राजनीति का उदाहरण देखकर कैसे कह सकता हूं कि मेरे लिए राजनीति अच्छी या बुरी थी। मैं व्यक्तिगत रूप से इतना जरूर कह सकता हूं कि मुझे राजनीति आती नहीं थी। उसे मैंने अपनी हार मानकर छोड़ दिया।''
बच्चन ने एक बार फिर भोपाल के लोगों के व्यवहार की खुलकर तारीफ की। उन्होंने अपने अनुभवों के आधार पर कहा कि जब वह कहीं शूटिंग के लिए जाते हैं तो काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है, मगर भोपाल में ऐसा कुछ नहीं हुआ। यहां का वातावरण अच्छा है, शूटिंग के दौरान एकाध दिन की छुट्टी मिलने पर यहां से मुम्बई जाने का मन नहीं करता है।
उल्लेखनीय है कि अमिताभ बच्चन भोपाल के जमाई राजा भी हैं। वह यहां पहली दफा फिल्म की शूटिंग के लिए आए हैं।
बच्चन ने बताया कि प्रकाश झा और दीपिका पादुकोण के साथ वह पहली बार काम कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि फिल्म 'आरक्षण' का सभी लोग दिल से स्वागत करेंगे। इस फिल्म में वह एक प्रोफेसर की भूमिका निभा रहे हैं और दीपिका उनकी बेटी बनी हैं। छोड़ दी : अमिताभ

पत्रकार हत्या मामले की जाँच सीबीआई करे

पत्रकार हत्या मामले की जाँच सीबीआई करे
रायपुर, छत्तीसगढ़ सरकार ने बिलासपुर के पत्रकार सुशील पाठक की हत्या का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो यानी सीबीआई को सौंपने की अनुशंसा की है.

अधिकारियों का कहना है कि इस बाबत शुक्रवार को राज्य सरकार की तरफ़ से एक औपचारिक पत्र केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेज दिया गया है.

इससे पहले गुरुवार को मुख्यमंत्री रमन सिंह ने छत्तीसगढ़ विधान सभा में विपक्ष को आश्वासन दिया था कि पाठक के हत्यारों को बख्शा नहीं जाएगा.

पिछले दो महीनों के दौरान छत्तीसगढ़ में दो पत्रकारों की हत्या कर दी गई है जबकि कुछ पत्रकारों को जान से मारने की धमकी मिली है.

नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच चल रहे संघर्ष का केंद्र माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में पत्रकार वैसे तो पहले से ही अपने आप को असुरक्षित महसूस कर रहे थे मगर अब वह अपराधियों के निशाने पर भी आ गए हैं.

दिसंबर और जनवरी महीनों में लगातार दो पत्रकारों की अपराधियों ने हत्या कर पुलिस तंत्र को एक बड़ी चुनौती दी है.

यह दोनों ही पत्रकार दो प्रमुख अखबारों के लिए काम करते थे. दिसंबर महीने में राज्य के बिलासपुर शहर में दैनिक भास्कर के पत्रकार सुशील पाठक की हत्या तब कर दी गई थी जब वह देर रात काम से अपने घर लौट रहे थे.उनके घर के पास पहले से घात लगाकर बैठे अपराधियों नें उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी.

ठीक एक महीने के बाद रायपुर से लगभग सौ किलोमीटर दूर छुरा इलाके में नई दुनिया के लिए काम करने वाले उमेश राजपूत को भी इसी तरह मार दिया गया.

इससे पहले दंतेवाड़ा के तीन पत्रकारों को एक संगठन नें डंके कि चोट पर जान से मारने की धमकी दी थी. इन सभी वारदातों के बाद अब पत्रकारों में एक अजीब से खौफ का माहौल है.

शुक्रवार को रायपुर के बूढा तलाव इलाके में पत्रकारों नें धरना देकर दोनों पत्रकारों की हत्या की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की.

पत्रकारों पर बढ़ रहे हमलों के बारे में चर्चा करते हुए वरिष्ठ पत्रकार मोहसिन अली सुहैल का कहना था कि शहरी इलाकों में जब पत्रकारों के बीच इतनी असुरक्षा की भावना है तो कस्बाई इलाकों में हालात का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है.

इन घटनाओं के खिलाफ़ हाल ही में पत्रकारों ने बिलासपुर में भी धरने दिए और अधिकारियों से मिलकर सुरक्षा की गुहार भी लगाई. रायपुर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनिल पुस्सद्कर मानते हैं कि अविभाजित मध्य प्रदेश में पत्रकार ज़्यादा सुरक्षित थे.

उनका कहना है,”जब से छत्तीसगढ़ अलग हुआ है, पत्रकारों पर हमले बढ़ गए हैं. कहीं अपराधियों का डर तो कहीं शासन के लोगों द्वारा प्रताड़ित किया जाता है.वैसे तो पत्रकार अपनी जान हथेली पर रख कर काम करते हैं मगर जब उनके साथ कोई घटना घट जाती है तो उनके संस्थान उनसे मुंह मोड़ लेते हैं

शुक्रवार को भी पत्रकारों ने राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह से मुलाक़ात कर सुरक्षा की गुहार लगाई है. पत्रकारों का कहना है कि मौजूदा माहौल में काम करना उनके लिए काफी मुश्किल हो गया है. लगातार हो रहे हमलों से छत्तीसगढ़ के पत्रकारों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है.

स्वातंत्र्यवीर सावरकर को शत-शत नमन्




सूर्यप्रकाश
यह धरा मेरी यह गगन मेरा,

इसके वास्ते शरीर का कण-कण मेरा.



इन पंक्तियों को चरितार्थ करने वाले क्रांतिकारियों के आराध्य देव स्वातंत्र्य वीर सावरकर की 26 फरवरी को पुण्यतिथि है. लेकिन लगता नहीं देश के नीति-निर्माता या मीडिया इस हुतात्मा को श्रद्धांजलि देने की रस्म अदा करेंगे. लेकिन चलिए हम तो उनके आदर्शों से प्रेरणा लेने का प्रयास करें. भारतभूमि को स्वतंत्र कराने में जाने कितने ही लोगों ने अपने जीवन को न्योछावर किया था. लेकिन उनमें से कितने लोगों को शायद हम इतिहास के पन्नों में ही दफन रहने देना चाहते हैं. इन हुतात्माओं में से ही एक थे विनायक दामोदर सावरकर. जिनकी पुण्य तिथि के अवसर पर आज मैं उनको शत-शत नमन करता हूँ.

क्रांतिकारियों के मुकुटमणि और हिंदुत्व के प्रणेता वीर सावरकर का जन्म 28 मई, सन 1883 को नासिक जिले के भगूर ग्राम में हुआ था. इनके पिता श्री दामोदर सावरकर एवं माता राधाबाई दोनों ही धार्मिक और हिंदुत्व विचारों के थे. जिसका विनायक दामोदर के जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ा. वीर सावरकर के हृदय में छात्र जीवन से ही ब्रिटिश सत्ता के खिलाफ विद्रोह के विचार उत्पन्न हो गए थे. छात्र जीवन के समय में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से वीर सावरकर ने मातृभूमि को स्वतंत्र कराने की प्रेरणा ली. सावरकर ने दुर्गा की प्रतिमा के समय यह प्रतिज्ञा ली कि- ‘देश की स्वाधीनता के लिए अंतिम क्षण तक सशस्त्र क्रांति का झंडा लेकर जूझता रहूँगा’.

वीर सावरकर ने लोकमान्य तिलक के नेतृत्व में पूना में विदेशी वस्त्रों कि होली जलाकर विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार की घोषणा की. इसके बाद वे लोकमान्य तिलक की ही प्रेरणा से लन्दन गए. वीर सावरकर ने अंग्रेजों के गढ़ लन्दन में भी क्रांति की ज्वाला को बुझने नहीं दिया. उन्हीं की प्रेरणा से क्रांतिकारी मदन लाल धींगरा ने सर लॉर्ड कर्जन की हत्या करके प्रतिशोध लिया. लन्दन में ही वीर सावरकर ने अपनी अमर कृति 1857 का स्वातंत्र्य समर की रचना की. उनकी गतिविधिओं से लन्दन भी काँप उठा. 13 मार्च,191. को सावरकर जी को लन्दन में गिरफ्तार कर लिया गया. उनको आजीवन कारावास की सजा दी गयी. कारावास में ही 21 वर्षों बाद वीर सावरकर की मुलाकात अपने भाई से हुई. दोनों भाई 21 वर्षों बाद आपस में मिले थे, जब वे कोल्हू से तेल निकालने के बाद वहां जमा कराने के लिए पहुंचे. उस समय जेल में बंद क्रांतिकारियों को वहां पर कोल्हू चलाना पड़ता था.

वर्षों देश को स्वतंत्र देखने की छह में अनेकों यातनाएं सहने वाले सावरकर ने ही हिंदुत्व का सिद्धांत दिया था. स्वातंत्र्य वीर सावरकर के बारे में लोगों के मन में कई भ्रांतियां भी हैं. लेकिन इसका कारण उनके बारे में सही जानकारी न होना है. उन्होंने हिंदुत्व की तीन परिभाषाएं दीं-

(1)- एक हिन्दू के मन में सिन्धु से ब्रहमपुत्र तक और हिमालय से कन्याकुमारी तक संपूर्ण भौगौलिक देश के प्रति अनुराग होना चाहिए.

(2)- सावरकर ने इस तथ्य पर बल दिया कि सदियों के ऐतिहासिक जीवन के फलस्वरूप हिन्दुओं में ऐसी जातिगत विशेषताएँ हैं जो अन्य देश के नागरिकों से भिन्न हैं. उनकी यह परिभाषा इस बात की परिचायक है कि वे किसी एक समुदाय या धर्म के प्रति कट्टर नहीं थे.

(3)- जिस व्यक्ति को हिन्दू सभ्यता व संस्कृति पर गर्व है, वह हिन्दू है.

स्वातंत्र्य वीर सावरकर हिंदुत्व के प्रणेता थे. उन्होंने कहा था कि जब तक हिन्दू नहीं जागेगा तब तक भारत की आजादी संभव नहीं है. हिन्दू जाति को एक करने के लिए उन्होंने अपना समस्त जीवन लगा दिया. समाज में व्याप्त जातिप्रथा जैसी बुराइयों से लड़ने में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया. सन 1937 में सावरकर ने कहा था कि-

”मैं आज से जातिओं की उच्चता और नीचता में विश्वास नहीं करूँगा, मैं विभिन्न जातियों के बीच में विभेद नहीं करूँगा, मैं किसी भी जाति के व्यक्ति के साथ भोजन करने को तत्पर रहूँगा. मैं अपने आपको केवल हिन्दू कहूँगा ब्राह्मण, वैश्य या क्षत्रिय नहीं कहूँगा”. विनायक दामोदर सावरकर ने कई अमर रचनाओं का लेखन भी किया. जिनमें से प्रमुख हैं हिंदुत्व, उत्तर-क्रिया, 1857 का स्वातंत्र्य समर आदि. वे हिन्दू महासभा के कई वर्षों तक अध्यक्ष भी रहे थे. उनकी मृत्यु 26 फरवरी,1966 को 22 दिनों के उपवास के पश्चात हुई. वे मृत्यु से पूर्व भारत सरकार द्वारा ताशकंद समझौते में युद्ध में जीती हुई भूमि पकिस्तान को दिए जाने से अत्यंत दुखी थे. इसी दुखी मन से ही उन्होंने संसार को विदा कह दिया. और क्रांतिकारियों की दुनिया से वह सेनानी चला गया. लेकिन उनकी प्रेरणा आज भी हमारे जेहन में अवश्य होनी चाहिए केवल इतने के लिए मेरा यह प्रयास था कि उनके पुण्यतिथि पर उनके आदर्शों से प्रेरणा ली जाये. स्वातंत्र्य वीर सावरकर को उनकी पुण्यतिथि पर उनको शत-शत नमन्…

कुटिल कणिक की राह पर चल रहे दिग्विजय सिंह




पवन कुमार अरविंद



महाभारत कालीन हस्तिनापुर में महाराज धृतराष्ट्र का एक सचिव था, जिसका नाम था कणिक। उसकी विशेषता यह थी कि वह कुटिल नीतियों का जानकार था और धृतराष्ट्र को पांचों पांडवों के विनाश के लिए नित नए-नए तरकीब सुझाया करता था। महाराज ने उसे इसीलिए नियुक्त भी कर रखा था। इसके सिवाय उसकी और कोई विशेषता नहीं थी, जो राज-काज के संचालन में धृतराष्ट्र के लिए उपयोगी हो।



महाराज ने उसका वेतन और भत्ता भी ज्यादा तय कर रखा था। इसके अलावा उसकी सारी सुविधाएं उसके समकक्ष सभी राज-कर्मचारियों से ज्यादा थी। धृतराष्ट्र ने उसको हर प्रकार से छूट दे रखी थी। यानी उसके केवल सात खून ही नहीं; बल्कि सारे खून माफ थे। वह जो कुछ भी करता,अन्ततः उसको मिली सारी विशेष सुविधाएं व्यर्थ ही साबित हुईं। क्योंकि उसकी एक भी तरकीब पांडवों के विनाश के लिए काम न आ सकी। कणिक ने ही पाण्डवों को मारने के लिए वारणावत नगर में लाक्षागृह के निर्माण का सुझाव दिया था। जब उसके इस सुझाव का पता दुर्बुद्धि दुर्योधन, कर्ण और दुःशासन; आदि को लगा, तो उन लोगों ने इस सुझाव को जल्द ही अमल में लाने के लिए मामा शकुनि के माध्यम से धृतराष्ट्र को मनाने के प्रयास शुरु कर दिए थे। हालांकि उस धधकते लाक्षागृह से माता कुंती सहित पांचों पाण्डव सकुशल निकलने में सफल हुए।



खैर! जो हुआ सो हुआ। अन्ततः पाण्डवों को मारने की सारी तरकीब असफल साबित हुई। इसके बाद क्या हुआ यह सभी जानते ही हैं। महाभारत युद्ध में कौरवों का विनाश हो गया। यानी धर्म व सुव्यवस्था की विजय हुई और अधर्म व कुव्यवस्था का नाश हुआ। अर्थात- दूसरों का अहित चाहने वालों का विनाश हुआ। यही है महाभारत की कथा।



वारणावत नगर का लाक्षागृह कांड कुरु कुटुम्ब का वह जीता-जागता षड्यंत्र था जो अनेक क्रूरतम राज-षड्यंत्रों की सारी सीमाएं पार कर चुका था। वह कोई सामान्य घटना नहीं थी। मानवीयता की भी सारी सीमाएं पार कर देने वाली घटना थी। यह सारा षड्यंत्र हस्तिनापुर की सत्ता को दीर्घकाल तक हथियाए रखने के लिए चलाया जा रहा था।



हालांकि वर्तमान भारतीय संदर्भ में कणिक की चर्चा करने का मेरा औचित्य केवल कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की तुलना करना भर ही है। इसके लिए मेरे पास कणिक के सिवाय और कोई उदाहरण नहीं है जो दिग्विजय सिंह पर सटीक बैठे। कणिक और दिग्विजय में कई मामलों में काफी समानता है। उनकी हर गलत बयानी को कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी माफ कर देती हैं। उनको कुछ भी बोलने की पूरी छूट है। वह सबसे ऊपर हैं। कांग्रेस में सोनिया-राहुल को छोड़कर एक वही ऐसी शख्सियत हैं जिन पर पार्टी अनुसाशन का डंडा काम नहीं करता। पार्टी में उनके खिलाफ कोई शख्स बोलने की हिमाकत भी नहीं कर सकता। क्योंकि वह पार्टी सुप्रीमो के काफी खासम खास हैं। अतः उनके खिलाफ बोलकर कोई अपने कमीज की बखिया क्यों उधड़वाए ?



इस देश में जितने भी विवादित विषय हैं, उन सभी विषयों पर दिग्विजय अपने ‘कणिकवत कुटिल विचार’ प्रकट कर चुके हैं। इसके अलावा भी वह नित नए-नए विवादित विषयों की खोज-बीन में लगे रहते हैं। और उन विषयों पर बोल-बोलकर अपनी भद्द पिटवाते रहते हैं।



अभी हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के अरुणाचल पूर्वी संसदीय सीट से कांग्रेसी सांसद निनोंग एरिंग ने योग गुरु स्वामी रामदेव को ब्लडी इंडियन तक कह डाला था। योग गुरु की गलती मात्र यही थी कि वह राज्य के पासीघाट में आयोजित योग शिविर में जुटे प्रशिक्षणार्थियों को भ्रष्टाचारी कांग्रेस के काले कारनामे का बड़े ही मनोहारी ढंग से वर्णन कर रहे थे। ठीक उसी वक्त सांसद महोदय आ धमके और उन्होंने योग गुरु के साथ जमकर गाली-गलौज की। स्वामी रामदेव के सहायक ने बताया- सांसद ने असंसदीय भाषा का इस्तेमाल करते हुए बाबा से कहा कि वह राज्य में चला रही भ्रष्टाचार विरोधी अपनी मुहिम बंद कर दें, वरना नतीजा अच्छा नहीं होगा। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि कांग्रेस आलाकमान ने उस सांसद के खिलाफ कोई कार्रवाई तक करना उचित नहीं समझा।



विवादित विषय हो तो भला दिग्विजय सिंह कैसे चुप रहें। अतः उन्होंने इस विवाद की बहती नदी में हाथ धोना शुरु कर दिया। उन्होंने योग गुरु से सवाल किया कि भ्रष्टाचार की बातें करने वाले रामदेव को अपनी सम्पत्ति का हिसाब देना चाहिए। ध्यातव्य है कि स्वामी रामदेव पिछले कई महीनों से भ्रष्टाचार के खिलाफ देश भर में जनजागरण अभियान चला रहे हैं। अपने इसी अभियान के तहत योग गुरु अरुणाचल में थे।



दिग्विजय के रवैये से ऐसा लगता है कि उन्होंने हिंदुत्वनिष्ठ संगठनों, साधु-संतों और देशभक्तों को बदनाम करने का ठेका ले रखा है। यहां तक कि वे दिल्ली के बाटला हाउस मुठभेड़ में आतंकियों की गोली से शहीद मोहन चन्द शर्मा जैसे बहादुर सिपाही की शहादत पर भी प्रश्चचिन्ह उठाने से बाज नहीं आए। वह आजमगढ़ जिले के संजरपुर में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों के घर जा कर उन्हें प्रोत्साहित करने से भी नहीं चूके। यही नहीं उन्होंने 26/11 मुम्बई हमलों में शहीद महाराष्ट्र के तत्कालीन एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की शहादत पर भी प्रश्नचिन्ह उठाने की कोशिश की थी। लेकिन स्वर्गीय करकरे की विधवा श्रीमती कविता करकरे ने दिग्विजय की जमकर खिंचाई की थी।



वैसे दिग्विजय के संदर्भ में इस बात की भी खूब चर्चा चलती है कि मुस्लिम मतों को बटोरने के लिए सोनिया गांधी ने उनको मुक्त-हस्त कर दिया है। दिग्विजय भी सोनिया के इस सम्मान का बदला अपने क्षत्रिय मर्यादा की कीमत पर चुकाने के लिए आमादा दिखते हैं। यहां तक कि वह अपनी सारी लोकतांत्रिक मान-मर्यादाएं भी भूल चुके हैं। जो मन में आया वही आंख मूदकर बोल देते हैं। मीडिया भी उनके बयान को खूब तरजीह देता है। यदि उनका यही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जनता उनको एक स्वर से मानसिक दिवालिया घोषित कर देगी।


धृतराष्ट्र उसकी खूब तारीफ करते थे।

इंटरनेट एक योग्य शिक्षकः भारत भूषण


इंटरनेट एक योग्य शिक्षकः भारत भूषण


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भोपाल, 25 फरवरी। आज के समय में ऐसी कोई सूचना नहीं है जो इंटरनेट पर उपलब्ध न हो। इंटरनेट की सामान्य जानकारी रखकर आप किसी भी विषय में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।

यह कहना है लीगल इंडिया डाट इन एवं प्रवक्ता डॉट काम के प्रबंध निदेशक भारतभूषण का। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के जनसंचार विभाग द्वारा अंडरस्टेडिंग इंटरनेट एंड प्रिंट मीडिया विषय पर आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे। उन्होंने इंटरनेट की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि समाज में इंटरनेट योग्य शिक्षक की भूमिका निभा रहा है। उन्होंने पावर पांइट के माध्यम से विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को सर्च इंजन की विस्तृत जानकारी दी जिससे की छात्र बिना समय नष्ट किए बिना अपने विषय की सही व सटीक जानकारी हासिल कर सकते हैं।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में लांचिग ऑफ न्यूजपेपर विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए वरिष्ठ पत्रकार डा. शशिभूषण (शिमला) ने कहा कि मीडिया में वहीं लोग आगे आएं जिनके अंदर समय के साथ अपने आप को बदलने का माद्दा हो नहीं तो समय आपको पीछे धकेल देगा। उन्होंने कहा कि नई तकनीकी ने मीडिया की ताकत को कई गुना अधिक मजबूत कर दिया है। देश में साक्षरता दर जिस तरह से बढ़ रही है उससे आने वाले समय में प्रिंट मीडिया ओर तेजी के साथ विकास करेगा। कार्यशाला के दौरान छात्रों के प्रश्नों के जबाव देकर उनकी जिज्ञासाओं को भी शांत किया गया। अतिथियों का स्वागत वरिष्ठ पत्रकार पूर्णेंदु शुक्ला एवं प्राध्यापक सुरेंद्र पाल ने किया। कार्यक्रम के अंत में योगिता राठौर और श्रीकांत सोनी ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी।

Thursday, February 24, 2011

भारतीय संस्कृति में पत्रकारिता के मूल्य” विषय पर राष्ट्रीय संविमर्श


भारतीय संस्कृति में पत्रकारिता के मूल्य” विषय पर राष्ट्रीय संविमर्श

भोपाल 23 फरवरी। वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री मुजफ्फर हुसैन का कहना है कि पत्रकारिता एक भविष्यवेत्ता की तरह है जो यह बताती है कि दुनिया में क्या होने वाला है। वे यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवम संचार विश्वविद्यालय,भोपाल के तत्वाधान में भारतीय संस्कृति में पत्रकारिता के मूल्य विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संविमर्श के दूसरे दिन समापन सत्र में अध्यक्ष की आसंदी से बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि आज सामाजिक मुद्दों से जुड़े समाचार मीडिया में अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं, इसके लिए जरूरत है कि पारंपरिक मीडिया का संवर्धन किया जाए। उन्होंने कहा कि एक आदमी की विचारधारा कभी भी संवाद का रूप नहीं ले सकती। तानाशाही में संवाद नहीं होता और संस्कृति लोकतंत्र को जन्म देती है। उन्होंन कहा कि संवाद रूकता है तो समाज मरता है, चलता है तो समाज सजीव होता है। उन्होंने कहा कि पत्रकारों का खबरों का चुनाव करते समय उसके प्रभाव को नहीं भूलना चाहिए।

सत्र के मुख्यवक्ता साधना न्यूज के समूह संपादक एनके सिंह ने कहा कि मीडिया पर बाजारवाद हावी है जिसके चलते सामाजिक मुद्दों की उपेक्षा हो रही है। जबकि कोई भी लोकतंत्र निरंतर संवाद से ही प्रभावी होता है। भारत में इलेक्ट्रानिक मीडिया का विकास बहुत नया है किंतु यह धीरे-धीरे परिपक्व हो जाएगा। उन्होंने कहा मीडिया को बदलना है तो दर्शकों को भी बदलना होगा क्योंकि जागरूक दर्शक ही इन रूचियों का परिष्कार कर सकते हैं। श्री सिंह ने देश के इतिहास में इतना कठिन समय कभी नहीं था जब पूरे समाज को दृश्य माध्यम जड़ बनाने के प्रयासों में लगे हैं। इसके चलते विवाह एवं परिवार नाम की संस्थाओं के सामने गहरा संकट उत्पन्न हो रहा है। इस सत्र में स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री नानाभाऊ माहोर एवं गोसंवर्धन बोर्ड के अध्यक्ष शिव चौबे ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर कुलपति प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने कहा कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता आज इस स्तर पर है कि मानव के अस्तित्व और भूमिका पर सवाल और संवाद कर सकती है। पत्रकारिता समाप्त न हो जाए यह चिंता आज सबके सामने है, परंतु भारतीय संस्कृति के आधार पर मीडिया की पुर्नरचना संभव है।

इसके पूर्व प्रातः भारतीय संस्कृति में संवाद की परंपराएं विषय पर चर्चा हुयी जिसके मुख्यवक्ता प्रो. नंद किशोर त्रिखा ने कहा कि पत्रकारिता का मूल उद्देश्य लोकहित होना चाहिए, इसके बिना यह अनर्थकारी हो सकता है। आज पत्रकारिता की आत्मा को अवरोध माना जा रहा है जबकि यह अत्यंत आवश्यकता है। पत्रकार को सत्य , उदारता , स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर अडिग रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि पत्रकारों को समाज में उच्च आदर्शों को प्रस्तुत करना चाहिए। स्वदेश ग्वालियर के संपादक जयकिशन शर्मा ने कहा कि भारतीय साहित्य का वाङमय संवाद से ही शुरू होता है। हमारे यहां धर्म का अर्थ धारणा से है, हमारे धर्म ग्रंथ सही और गलत के निर्णय का आधार देते हैं। विश्व में अन्य किसी संस्कृति में ऐसा नहीं है। उन्होंने भारतीय संस्कृति में संवाद के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा की समाज के अधिकतम लोगों को शोषण से मुक्ति दिलाने का दायित्व पत्रकार का है। सिर्फ रोजी रोटी के लिए पत्रकारिता करना उचित नहीं। देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय, इंदौर में पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉं. एमएस परमार ने कहा कि आज जब विज्ञान की सारी शक्तियां सब कुछ नष्ट करने में लगी है तव भारतीय ग्रंथों में संवाद की परंपरा इसका हल बताती है। यदि भारतीय ग्रंथों का अनुसरण करें तो पश्चिम की तरफ देखने की जरूरत नही पड़ेगी। हमारी वैदिक मान्यताओं के अनुसार संवाद सत्य पर आधारित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज लोकतंत्र के चारों स्तम्भों पर भष्टाचार हावी है जो कि लोकतंत्र के लिए अनर्थकारी है। अनावश्यक खबरों को जरूरतों से ज्यादा तूल देने पर उन्होंने अपनी चिंता जाहिर की। साहित्यकार डॉ. विनय राजाराम ने संवाद में बौद्ध परंपरा पर सबका ध्यान आकृष्ट करते हुए कहा कि देशाटन पत्रकारिता का अहम हिस्सा है। बौद्ध धर्म का प्रसार तंत्र आज के पत्रकारों के लिए अनुकरणीय है। विद्यार्थी सत्र में विभिन्न विषयों पर छात्र-छात्राओं ने अपने विचार रखे। इनमें सर्वश्री सुनील वर्मा, मयंकशेखर मिश्रा, नरेंद्र सिंह शेखावत, उर्मि जैन, कुंदन पाण्डेय, पूजा श्रीवास्तव, हिमगिरी ने अपने विचार रखे। सत्रों का संचालन प्रो. आशीष जोशी, डॉ. पवित्र श्रीवास्तव एवं स्निग्धा वर्धन ने किया।

संतों पर दोषारोपण से बाज आएं राजनेता : विहिप

)
नई दिल्ली। फ़रवरी 24, 2011
को “ब्लडी इंडियन” कहे जाने और उन पर झूठे आरोप लगाए जाने पर कडी आपत्ति
जताते हुए राजनेताओं को संतों के प्रति आदर का भाव रख्नने को कहा है।
विहिप दिल्ली के महा मंत्री श्री सत्येन्द्र मोहन का कहना है कि संतो के
प्रति असभ्य व्यवहार और उन पर निराधार लगाए जा रहे आरोपों को हिन्दू समाज
कतई बर्दास्त नहीं करेगा। विश्व हिन्दू परिषद ने राजनेताओं के इस आचरण
की कडी निंदा करते हुए एक प्रस्ताव भी पारित किया है।
विस्तृत जानकारी देते हुए इंद्रपस्थ विहिप के मीडिया प्रमुख श्री विनोद
बंसल ने बताया कि बाबा राम देव व अन्य संतों के प्रति कुछ राजनेताओं
द्वारा असभ्य भाषा के प्रयोग तथा निराधार आरोपों के संम्बन्ध में
इंद्रपस्थ विश्व हिन्दू परिषद ने आज एक प्रस्ताव पारित कर कहा है कि वे
(नेता) असभ्य भाषा के लिए पूज्य संतों से मांफ़ी मांगें तथा आगे सदा संतों
ने प्रति आदर भाव रखें अन्यथा राजनेताओं में देशवासियों का विश्वास उठ
जाएगा। आज विहिप दिल्ली के झण्डेवालान स्थित कार्यालय में हुई एक बैठक
में पारित प्रस्ताव में आगे कहा गया है कि सन्तों की सम्पत्ति चाहे जितनी
भी हो वह सदा समाज व राष्ट्र हित के कार्य में लगती है। वे इसका
व्यक्तिगत उपभोग नहीं करते। देश के राज नेताओं को संतों पर कीचड उछालने
की बजाय उनसे सीख लेकर समाज व राष्ट्र निर्माण हेतु आगे आना चाहिए। बाबा
के सम्बन्ध में अरुणाचल प्रदेश के एक सांसद द्वारा प्रयुक्त किये गये
“ब्लडी इंडियन” शब्द की कडी निंदा करते हुए कहा है कि यह न सिर्फ़ योग
गुरू बाबा राम देव का बल्कि पूरे देश का अपमान है जिसे कोई भारत वासी
बर्दास्त नहीं कर सकता। विहिप ने सांसद से अविलम्ब मांफ़ी मागने को कहा
है।
बैठक में विहिप दिल्ली के संगठन मंत्री श्री करुणा प्रकाश, वरिष्ठ
उपाध्यक्ष श्री राजेन्द्र गुप्ता, बजरंग दल संयोजक एडवोकेट शैलेन्द्र
जयसवाल सहित अनेक पदाधिकारी उपस्थित थे।

कश्मीरा शाह टॉपलेस हुई हैं। कश्मीरा शाह बॉलीवुड में बी ग्रे़ड अभिनेत्री के तौर पर जानी जाती हैं।


बॉलीवुड की बालाएं दिन ब दिन कुछ ज्यादा ही बोल्ड होती जा रही हैं। पहले विद्या बालन, फिर बिपाशा बसु और अब कश्मीरा शाह टॉपलेस हुई हैं। कश्मीरा शाह बॉलीवुड में बी ग्रे़ड अभिनेत्री के तौर पर जानी जाती हैं।

टॉपलेस हुई विद्या बालन / टॉपलेस हुईं बिपाशा

वो कुछ फिल्मों में छोटे मोटे रोल या आईटम डांस कर चुकी हैं। कश्मीरा इन दिनों अपने लिव इन ब्वॉयफ्रेंड कृष्णा के साथ एक रियलिटी शो में नजर आ रही हैं। कश्मीरा एक कैलेंडर के लिए टॉपलेस हुई हैं। यह कैलेंडर मार्च में लॉन्च होगा। कश्मीरा शाह इस कैलेंडर के मेन फोकस में रहेगी और इसीलिए इस कैलेंडर को 'कश्सेंसुअल' नाम दिया गया है।

अपने इस कैलेंडर फोटे शूट को लेकर कश्मीरा खासी उत्साहित हैं। कश्मीरा का कहना है कि मेरे फोटे देखकर लोग चौंक जाएंगे। मैं हमेशा कुछ हटकर काम करने में विश्वास करती हूं। कश्मीरा को यकीन इस कैलेंडर में उनके फोटो इस कदर हॉट आए हैं कि पुरुष इस कैलेंडर को जरूर अपने बाथरूम में लगाना चाहेंगे।

24-2-2011

सरकार मुस्तैद है तो क्यों आत्महत्या कर रहे हैं किसान

bhopal24=2=2011भोपाल। मध्यप्रदेश में किसानों के आत्महत्या करने के बढ़ते मामलों पर बुधवार को विपक्ष ने राज्य विधानसभा में चिंता जताई और कहा कि सरकार अगर मुस्तैद होती तो किसान आत्महत्या नहीं करते। गृह मंत्री की इस सफाई पर कि आत्महत्या की अधिकांश घटनाओं के पीछे बैंकों का कर्ज या फसल बिगड़ना वजह नहीं है, विपक्षी सदस्य एकदम उखड़ पड़े। उन्होंने पूछा, यदि सरकार अपना काम ठीक ढंग से कर रही है तो किसान मौत को गले क्यों लगा रहे हैं? उनका कहना था कि अभी भी घटनाएं हो रही हैं। किसानों को राहत नहीं मिल पा रही है। कई स्थानों पर मामूली राशि के चेक सौंपे जा रहे हैं, जिन्हें किसान स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

मालूम हो कि राज्य में पिछले तीन माह के भीतर 89 किसान और 47 खेतिहर मजदूर आत्महत्या कर चुके हैं। इस मुद्दे पर कार्यवाहक नेता प्रतिपक्ष चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी की मांग पर आज सदन में स्थगन प्रस्ताव पर बहस हुई।

बहस में भाग लेने वाले सदस्य केन्द्र और राज्य सरकार की भूमिका को लेकर जब आपस में टोकाटाकी करने लगे तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को हस्तक्षेप कर कहना पड़ा कि तू-तू, मैं-मैं से किसानों का भला नहीं हो पाएगा। हमें सदन में रचनात्मक सुझाव देना होंगे। मगर बहस की शुरूआत ही ठीक नहीं हुई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य आरिफ अकील के एक शब्द पर स्पीकर ईश्वरदास रोहाणी ने आपत्ति कर उसे कार्यवाही से विलोपित करने का आदेश दे दिया। अकील इस पर नाराज हो गए और यह कहकर वाकआउट कर दिया कि उन्हें बोलने नहीं दिया जा रहा है। हालांकि सदन से बाहर निकलकर उन्होंने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि अगर कटोरा असंसदीय शब्द है तो फिर विधानसभा अध्यक्ष ईश्वरदास रोहाणी बताएं कि सही शब्द क्या है। केन्द्र से बार- बार मदद मागने से साफ है कि भाजपा सरकार अपने स्तर पर कोई काम नहीं कर रही और हर समस्या के लिए वह केन्द्र का दरवाजा खटखटाने लगती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री किसी भी समस्या पर बार - बार कहते हैं, मैं हूं ना। लेकिन किसानों के मुआवजा वितरण में उनका यह डायलाग कहां गायब हो गया1
11इस विषय पर सदन में दिन भर बहस चली। कांग्रेस सदस्य एनपी प्रजापति का कहना था कि सरकार ने कहा था कि पन्द्रह दिन में फसलों को हुए नुकसान का आकलन कर लिया जाएगा, पर ऐसा हुआ नहीं। पांच सौ रूपए में तो बैंक खाता खुलता है और अनेक किसानों को छह और आठ सौ रूपए के चेक थमाए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री को खुद अनशन पर बैठने के बजाए अफसरों से कहना था कि यदि किसानों को समय पर राहत नहीं बंटी तो वे उनका अन्न-जल छुड़वा देंगे। कांग्रेस के ही डॉ गोविंद सिंह ने यह कहकर मुख्यमंत्री को निशाने पर लिया कि प्रजा को राजा के पाप भोगने पड़ते हैं। भाजपा सरकार पूंजीपतियों और व्यापारियों की चिंता करने में लगी रहती है। उसने घोषणा पत्र में किसानों से जो वादे किए थे, पूरे नहीं किए गए हैं। चाहे किसानों के 50 हजार तक की कर्ज माफी हो, दस हार्स पावर के पम्प पर सब्सिडी या डीजल पर टैक्स कम करने का वादा, भाजपा मुकर गई। किसानों की हालत खराब होती जा रही है और पिछले पांच सालों में 8 हजार 258 किसान आत्महत्या कर चुके हैं।

भारतीय जन शक्ति के लक्ष्मण तिवारी ने आरोप लगाया कि उनके रीवा जिले में मुआवजा वितरण दूर की बात है, सर्वे का काम ही अब तक पूरा नहीं हुआ है। कलेक्टर ने उन्हें खुद अपनी परेशानी बताई कि तहसीलदारों के 22 में से ग्यारह पद खाली पड़े हैं, इसलिए फसलों के नुकसान का आकलन कराने में वक्त लगेगा। तिवारी का सुझाव था कि राज्य और केन्द्र सरकार के विवाद में न पड़कर किसानों को राहत बांटने पर ध्यान दिया जाना चाहिए। कांग्रेस के रामनिवास रावत ने कहा कि छह नवम्बर से अब तक 97 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। कोई कारण है जो किसानों को यह कदम उठाने के लिए मजबूर कर रहा है। राज्य सरकार संवेदनशील होती तो समस्या का निदान करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाने की पहल कर सकती थी, किंतु उसने राजनीति करने का सहारा लिया।

चर्चा के दौरान ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसी किसान की मौत भूख या गरीबी के कारण नहीं हुई है। राज्य सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए 900 करोड़ रूपए की व्यवस्था की है और 50 लाख लोगों को रोजाना 122 रूपए के हिसाब से रोजगार दिया जा रहा है। मगर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्यों ने इसका श्रेय भारत सरकार की मनरेगा योजना का दिया तो सदन में शोरगुल बढ़ गया।

इंदौर. पुलिस ने स्कीम 54 क्षेत्र में ब्यूटी पार्लर की आड़ में चल रहे देह व्यापार के अड्डे पर छापा मारकर सात लड़कियों व सात युवकों को गिरफ्तार किया। इन


इंदौर. पुलिस ने स्कीम 54 क्षेत्र में ब्यूटी पार्लर की आड़ में चल रहे देह व्यापार के अड्डे पर छापा मारकर सात लड़कियों व सात युवकों को गिरफ्तार किया। इनमें दो लोग संचालक हैं।



सीएसपी अमरेंद्रसिंह चौहान ने बताया गिरफ्तार आरोपी आशीष सेन निवासी गंगा कॉलोनी, शरद बलदेवा निवासी अखंड धाम उज्जैन, दिनेश वर्मा निवासी दीनदयाल उपाध्याय नगर, अंकित वर्मा निवासी बार्गल कॉम्प्लेक्स (कलेक्टोरेट के पास), सन्नी सेन निवासी खजराना, सुमित प्रजापति निवासी पटानीपुरा और राकेश सेन निवासी देपालपुर तथा सात लड़कियां हैं।



आशीष न्यू लुक ब्यूटी पार्लर,स्कीम 54 का संचालक है। पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी कि इस पार्लर में देह व्यापार चल रहा है। इस पर उन्होंने एएसआई विजेंद्र शर्मा के नेतृत्व में टीम को छापा मारने के लिए रवाना किया।



टीम ने दबिश डाली तो पार्लर में विभिन्न कैबिन बने मिले। एएसआई शर्मा ने बताया दिनेश का ही एंड शी फैशन सलून के नाम से वर्धमान कॉम्प्लेक्स में दुकान है। गिरफ्तार लड़कियों में कुछ कॉलेज छात्राएं बताई जा रही हैं।

ब्यूटी पार्लर में चलता था देह व्यापार, स्टिंग कर पुलिस ने किया भंडाफोड़


भोपाल. मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल के टीटी नगर इलाके में एक ब्यूटी पार्लर में मसाज के नाम पर देह व्यापार कराने का मामला सामने आया है। पार्लर संचालिका पर आरोप है कि उसने एक युवती को पुरुषों की मसाज करने के लिए जबरन मजबूर किया। इस मामले में पुलिस ने पार्लर पर छापा मारकर संचालिका को पीटा एक्ट के तहत गिरफ्तार कर लिया है। छापे के दौरान मौके का फायदा उठाकर पांच ग्राहक वहां से भागने में कामयाब रहे।

पिपलानी निवासी एक युवती माता मंदिर स्थित प्लेटिनम प्लाजा में मोनिका ब्यूटी पार्लर संचालित करती है। करीब एक महीने पहले खुले पार्लर में मसाज की आड़ में देह व्यापार चलाए जाने की खबर टीटी नगर पुलिस को मिली थी।

पुलिस ने महिला पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई करते हुए ब्यूटी पार्लर पर दो पुरुष सिपाहियों और एक महिला सिपाही को ग्राहक बनाकर भेजा। सौदा तय होते ही संचालिका ने उन्हें बगल के एक कमरे में एक युवती के साथ भेजा। इस दौरान पुलिस ने छापा मार दिया।

पुलिस के मुताबिक पार्लर में पांच युवक भी थे,जो मौके का फायदा उठाकर भाग गए। वही संचालिका को गिरफ्तार कर एक युवती को बरामद किया गया है। इस युवती का आरोप है कि पार्लर संचालिका ने पंद्रह दिन पहले उसे काम पर रखा था,लेकिन पहले ही दिन उसने जबरन पुरुषों की मसाज करने के लिए मजबूर कर दिया। इनकार करने पर उसने जान से मारने की धमकी भी दी थी।

पुलिस का कहना है कि इससे पहले भी एमपी नगर पुलिस पार्लर संचालिका को देह व्यापार के आरोप में गिरफ्तार कर चुकी है।

Tuesday, February 22, 2011

हमीदिया चिकित्सालय में फार्मेसिस्ट ग्रेड 2 के 29 पद स्वीकृत हैं जिसमें 10 पद रिक्त हैं।

भोपाल, 23 फरवरी, 2011- मुख्यमन्त्री शिवराजसिंह चौहान ने आज विधानसभा में विधायक दीपक जोशी के लिखित प्रश्न के उत्तर में बताया कि हमीदिया चिकित्सालय में फार्मेसिस्ट ग्रेड 2 के 29 पद स्वीकृत हैं जिसमें 10 पद रिक्त हैं।

विधायक दीपक जोशी को बताया कि हमीदिया चिकित्सालय भोपाल की स्थापना में फार्मासिस्ट ग्रेड-1 के स्वीकृत 3 पदों में से 2 भरे एवं 1 खाली है फार्मासिस्ट ग्रेड-2 के 29 स्वीकृत पदों में 19 भरे एवं 10 रिक्त हैं संविदा के आधार पर फार्मासिस्ट हमीदिया चिकित्सालय में कार्यरत नहीं है फार्मासिस्ट ग्रेड-1 एवं ग्रेड-2 के पदों पर कार्यरत कर्मचारियों की सूची परिशिष्ट भण्डार में काय्र करते हुये 3 वर्ष से अधिक हो गये हैं उनके नाम कु. सुरती वर्मा फार्मासिस्ट ग्रेड-2, कु. प्रियता जैन, फार्मासिस्ट ग्रेड-2, श्री दीपक चौहान, फार्मासिस्ट ग्रेड-2, एवं श्री धनिराम शाक्या, फार्मासिस्ट ग्रेड-2 हैं।

मुख्यमन्त्री ने बताया कि फार्मासिस्ट औषधि एवं भण्डारण के कार्य में प्रशिक्षित होते हैं, जिन्हें केन्द्रीय औषधि भण्डार एवं दवा वितरण केन्द्र में कार्य लिया जाता है, चिकित्सालय प्रबंधक द्वारा प्रशासनिक दृष्टि से सम्बंधित कर्मचारी की कार्य कुशलता के आधार पर केन्द्रीय औषधि भण्छार की विभिन्न शाखाओं में पदस्थ किया जाता है अत: इसके लिये किसी के दोषी होने का प्रश्न उपस्थित नहीं होता है। विगत तीन वषोंZ में श्री सन्तोष वर्मा, फार्मासिस्ट ग्रेड-2 को केन्द्रीय औषधि भण्डार हमीदिया चिकित्सालय से हटाकर मेडिकल ओपीडी में पदस्थ किया था। उन्हें पुन: प्रशासकीय कार्य एवं सुविधा की दृष्टि से केन्द्रीय औषधि भण्डार में पदस्थ किया गया है श्री वर्मा को केन्द्रीय औषधि भण्डार में दीनदयाल अन्तोदय उपचार योजना के स्थानीय क्रय का कार्य आवंटित किया गया है। फार्मासिस्ट की पदस्थापना शासन द्वारा निर्धारित पदीय कर्तव्यों के लिये निर्धारित जोब रेस्पोंसिबिलिटि चार्ट के अनुसार केन्द्रीय औषधि भण्डार एवं उसकी अन्य शाखाओं में की जाती है। यह प्रशासनिक व्यवस्था है।

आर. एस. अग्रवाल
लोकवार्ता इंटरनेट समाचार सेवा
9826013975

ब्रिटेन में रहने वाले मुस्लिम समलैंगिकों ने भी दुनिया के दूसरे देशों में रहने वाले समलैंगिकों की तरह समानता के अधिकार के आंदोलन में खुद को शामिल कर लि


ब्रिटेन में रहने वाले मुस्लिम समलैंगिकों ने भी दुनिया के दूसरे देशों में रहने वाले समलैंगिकों की तरह समानता के अधिकार के आंदोलन में खुद को शामिल कर लिया है। वे इस्लामी रीति-रिवाज के मुताबिक़ निकाह करने की ख्वाहिश रखते हैं।

बीबीसी ने एक ऐसे ही समलैंगिक जोड़े से उनके निकाह के बारे में बात की और उनसे पूछा कि वे अपनी लैंगिक पहचान और अपने धर्म इस्लाम में संतुलन कैसे रख पाएँगी:

इस जोड़े ने बताया, 'हमारी मुलाकात तीन साल पहले रमजान के महीने में एक इफतार पार्टी में हुई थी। मेरे विचार से मुसलमानों की एक बहुत बड़ी संख्या इस महीने को आध्यात्मिक मानती है और मेरे विचार से यही कारण है कि हम लोगों के बीच एक रिश्ता कायम हो गया क्योंकि हमने अपने धर्म के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया।'

असरा ने आगे कहा, 'बाद में इस सिलसिले को हमने आगे बढ़ाया और हम डेट पर गए।'

प्रस्ताव : असरा तीन साल पहले अपनी पार्टनर सारा से पहली मुलाकात को याद कर रही थीं। ये समलैंगिक मुस्लिम जोड़ा ब्रिटेन के समलैंगिक जोड़ों में से एक है जिन्होंने निकाह के जरिए अपने रिश्ते को मजबूत आधार पर रखा है।

असरा उस वक़्त को बड़े मजे लेकर याद करती हैं जब सारा ने उनसे शादी की पेशकश की थी। उन्होंने कहा, 'एक घंटे की मुलाकात के अंत में सारा ने बिना किसी बहाने और दलील के मुझ से शादी की पेशकश कर डाली।'

न्यूज देखते वक्त मर्दों का ध्यान न्यूज में कम न्यूजरीडर में ज्यादा होता है।


न्यूज देखते वक्त मर्दों का ध्यान न्यूज में कम न्यूजरीडर में ज्यादा होता है। ऐसा पाया गया है इंडियाना यूनिवर्सिटी के एक अध्ययन में।

न्यूज चैनलों की हमेशा यह कोशिश रहती है कि टीवी पर सुन्दर और आकर्षक न्यूजरीडर हों ताकि उनकी टीआरपी बढ़ सके। इससे टीआरपी तो बढ़ जाती है लेकिन लोगों तक खबरें ठीक तरह से पहुँच ही नहीं पाती, खास तौर से आदमियों तक।

ब्लूमिंगटन की इंडियाना यूनिवर्सिटी में पत्रकारिता पर हुए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है। अध्यान में 390 पुरुष और महिलाओं को दो गुटों में बाँटा गया। इन दोनों ही गुटों को समाचार दिखाए गए। समाचार भी वही थे और समाचार पढ़ने वाली महिला भी। फर्क सिर्फ इतना था कि एक गुट को जो समाचार दिखाए गए उसमें न्यूजरीडर ने ढीले ढाले सादे कपड़े पहने और मेकअप भी नहीं किया। जबकि दूसरे गुट को दिखाए गए समाचारों में उसने अपनी फिगर पर फबते हुए टाइट कपड़े पहने- सुन्दर नीली जैकेट, काली स्कर्ट, होंठों पर लाल लिपस्टिक और गले में पतली चेन।

बाद में सभी से यह पूछा गया कि उन्होंने समाचारों में क्या सुना। हालाँकि दोनों ही गुटों की महिलाओं के जवाब एक जैसे ही थे, पुरुषों के जवाबों में काफी अंतर दिखा। पहले गुट के आदमियों ने समाचारों के बारे में काफी कुछ बताया, लेकिन दूसरे गुट वालों का सारा ध्यान न्यूजरीडर के कपड़ों और चहरे पर ही रहा। समाचारों के बारे में वो कुछ खास नहीं बता पाए। शायद इसीलिए सरकारी न्यूज चैनलों पर केवल न्यूज पर ही ध्यान दिया जाता है, ग्लैमर पर नहीं।

ramesh saxsana

Friday, February 18, 2011

पुरुष महिला के बांहों के स्पर्श से अधिक रीझते हैं


पुरुष महिला के बांहों के स्पर्श से अधिक रीझते हैं

लंदन। महिलाएं मर्दों को रिझाने के लिए स्वादिष्ट पकवान और खाने को प्रमुख हथियार मानती आई हैं,क्योंकि ऐसा माना जाता रहा है कि मर्द के दिल का रास्ता पेट से जुड़ा होता है, लेकिन एक नए शोध पर भरोसा करें तो यह बात सौ फीसदी सच नहीं है। फ्रांस स्थित साउथ ब्रिटनी यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर व शीर्ष शोधकर्ता डा निकोलस गुग्वेन ने इस संबंध में किए एक शोध में पाया कि पुरुष खाने-पीने की चीजों से अधिक महिला के बांहों के स्पर्श से रीझते हैं। मनोचिकित्सकों के मुताबिक मर्दों को रिझाने के लिए महिलाओं को पुराने नुस्खे मसलन भौंहें घुमाने, कनखियों से देखने व लट निकालने जैसे तरीकों को छोड़ देना चाहिए, क्योंकि ये बाहों के स्पर्श की तुलना में कम प्रभावी साबित होते हैं।
शोधकर्ताओं ने परीक्षण के लिए 20 ऐसी महिलाओं को नौकरी पर रखा, जिन्हें 18 पुरुषों के दल ने औसत सुंदर करार दिया था। परीक्षण में शामिल महिलाओं ने करीब 64 अविवाहित पुरुषों से अलग-अलग संपर्क किया और प्रत्येक को रिझाने की कोशिश की। करीब आधे घंटे तक चली इस प्रक्रिया के बाद जब महिलाओं ने पुरुषों की बांहों पर एक व दो सेकंड अवधि का स्पर्श किया तो देखा गया कि करीब एक तिहाई पुरुष जो स्पर्श किए गए थे कुछ ही देर में उन महिलाओं के इर्द-गिर्द नजर आने लगे, जबकि जिन पुरुषों को महिलाओं द्वारा स्पर्श नहीं किया था। उनमें से मात्र 16 फीसदी पुरुष ही महिलाओं संग देखे गए। उल्लेखनीय है अनगिनत शोधकर्ताओं ने भी इस बात की पुष्टि की है कि बातचीत आधारित तरीके अथवा अन्य दूसरे तरीकों की तुलना में बांहों के स्पर्श का तरीका पुरूषों को तेजी से समर्पण के लिए तैयार करता है।

Wednesday, February 16, 2011

अर्जुन मुंडा ने खरसावा विधानसभा उपचुनाव जीता


अर्जुन मुंडा ने खरसावा विधानसभा उपचुनाव जीता
राची। झारखड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने प्रतिष्ठित खरसावा विधानसभा उपचुनाव में झारखड विकास मोर्चा और काग्रेस के संयुक्त प्रत्याशी दशरथ कृष्णा गगराई को सत्रह हजार से अधिक मतों से पराजित कर आज चुनाव जीत लिया जिससे राज्य सरकार की स्थिरता को लेकर जताई जा रही आशका के बादल छंट गए।

निर्वाचन अधिकारी सी के सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने खरसावा विधानसभा सीट 17,366 मतों के अंतर से जीता।
Feb17-2-2011

एंट्रिक्स-देवास सौदे में पीएमओ बेदाग: मनमोहन


नई दिल्ली । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो और देवास मल्टीमीडिया के स्पेक्ट्रम आवंटन करार को लेकर अपने दफ्तर पर लगे सवालिया निशानों को प्रधानमंत्री ने साफ करने की कोशिश की। मनमोहन का कहना था कि प्रधानमंत्री कार्यालय में इस करार को बचाने की कोई भी प्रत्यक्ष या परोक्ष कोशिश नहीं हुई।

प्रधानमंत्री ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया कि अंतरिक्ष आयोग की सिफारिश के बाद भी पीएमओ में पर्दे के पीछे से देवास मल्टीमीडिया के साथ सौदे को बचाने के लिए बातचीत चल रही थी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पीएमओ ने करार खत्म करने को लेकर जुलाई 2010 में हुए अंतरिक्ष आयोग के फैसले को कमजोर करने की कोई भी कोशिश नहीं की।

देवास और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एंट्रिक्स कारपोरेशन लिमिटेड के बीच हुए सौदे को रद करने में हो रही देरी को भी पीएम ने प्रक्रियात्मक विलंब करार दिया। प्रधानमंत्री ने दोहराया कि व्यावहारिक तौर पर करार किसी भी तरह से अमल में नहीं था। प्रधानमंत्री ने इस मामले पर जल्द ही मंत्रिमंडल की सुरक्षा संबंधी मामलों की समिति [सीसीएस] में अंतिम फैसले का भरोसा दिया। हालांकि मनमोहन का कहना था कि इस मामले में आयोग के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री कार्यालय को अंतरिक्ष विभाग का नोट नवंबर 2010 में मिला।

यहां सवाल उठते हैं कि सीधे पीएम के मातहत काम कर रहे अंतरिक्ष विभाग ने ही प्रधानमंत्री कार्यालय को नोट भेजने में चार महीने का वक्त कैसे लगाया? इस नोट को अगले तीन महीनों के भीतर सीसीएस के आगे पेश क्यों नहीं किया जा सका? प्रधानमंत्री ने इसके पीछे दूरसंचार, वित्त, कानून और रक्षा समेत अनेक मंत्रालय से जारी विचार-विमर्श को कारण बताया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स ने जनवरी 2005 में पूर्व इसरो अधिकारियों की कंपनी देवास मल्टीमीडिया के साथ जीसेट-6 और जीसेट-6 ए के दो ट्रांसपोंडरों पर 90 फीसदी स्पेक्ट्रम आवंटित करने के लिए करार किया था। हालांकि इसरो ने जहां 2007 में इस करार की समीक्षा के आदेश दिए थे, वहीं जुलाई 2010 में अंतरिक्ष आयोग ने इसे रद करने की सिफारिश की थी। इस सौदे पर बीते दिनों नियंत्रक महालेखा परीक्षक ने भी कुछ सवाल उठाए थे।

देवास ने दी कानूनी कार्रवाई की धमकी

नई दिल्ली। एस-बैंड स्पेक्ट्रम विवाद को लेकर सुर्खियों में आई देवास मल्टीमीडिया ने धमकी दी है कि वह अपने अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए कड़े कानूनी कदम उठाएगी। देवास ने कहा कि इसरो की व्यवसायिक शाखा एंट्रिक्स के साथ उसका कानूनी बाध्यता वाला करार है। इसलिए सरकार से अपेक्षा है कि वह करार के सभी दायित्वों को पूरा करेगी।

बेंगलूर स्थित कंपनी ने यहां जारी एक बयान में कहा, हम बुधवार को सरकार द्वारा करार समाप्त करने के बारे में बयान जारी करने से बहुत चिंतित हैं। मामला अभच् च्च्च अधिकार समिति और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] के पास समीक्षा के लिए पड़ा है और अभी बहुत प्रारंभिक चरण में है। कंपनी ने उचित जांच प्रक्रिया व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बगैर करार खत्म करने को सरकार का परेशान करने वाला और एकतरफा फैसला करार दिया है। कंपनी ने कहा है, यदि सरकार हमारे कानूनी अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह न रखे तो हम करार की समीक्षा के लिए जरूरत के मुताबिक सहयोग व सहायता करने को तैयार हैं। लेकिन, हमने इस बारे में सरकार से अभी तक कुछ नहीं सुना है।

मछुआरों की परेशानियों को लेकर सरकार चिंतित


मछुआरों की परेशानियों को लेकर सरकार चिंतितFeb 16, 09:01
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ए के एंटनी ने बुधवार को कहा कि श्रीलंका की नौसेना द्वारा भारतीय मछुआरों पर गोलीबारी किए जाने संबंधी रिपोर्टो पर सरकार चिंतित है और मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाए जाएंगे।

एंटनी ने कहा कि हमारी सरकार भारतीय मछुआरों की परेशानी को लेकर चिंतित है और हम घटनाक्रम पर लगातार नजर रख रहे हैं। हम यह मुद्दा श्रीलंका सरकार के समक्ष उठा रहे हैं। भारतीय मछुआरों के हितों की रक्षा के लिए हम हरसंभव कदम उठाएंगे। वह श्रीलंका द्वारा 106 भारतीय मछुआरों के कथित अपहरण और भारतीय मछुआरों पर गोलीबारी के बारे में पूछे जाने पर बोल रहे थे।

आदर्श सोसाइटी की भूमि रक्षा मंत्रालय की नहीं होने संबंधी खबरों के बारे में पूछे जाने पर एंटनी ने कहा कि हम शुरू से कह रहे हैं कि यह भूमि सेना के कब्जे में है, किसी ने इस पर विवाद नहीं किया है। हाईकोर्ट में हमारा रुख स्पष्ट कर दिया गया है।

अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को 1.2 अरब डालर की सैन्य सहायता दिए जाने के बारे में रक्षा मंत्री एंटनी ने कहा कि हम कई बार अमेरिका को कह चुके हैं कि पाकिस्तान को मदद देने के पीछे उसका इरादा आतंकवाद से मुकाबला है। लेकिन हमारा अनुभव है कि सहायता के एक हिस्से का इस्तेमाल भारत के खिलाफ होता है।

उन्होंने कहा कि भारत अमेरिका को यह समझाने का प्रयास कर रहा है कि एक निगरानी तंत्र स्थापित किया जाना चाहिए ताकि यह देखा जा सके कि सहायता का कोई और उपयोग तो नहीं हो रहा है।

यह पूछे जाने पर कि विदेश मंत्रालय ने वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल पी वी नाइक को विदेशी यात्रा की अनुमति नहीं दी है, एंटनी ने कहा कि हमारी सेनाओं के प्रमुख नियमित रूप से बाहर जाते हैं। अगर कोई प्रक्रियागत समस्या है तो उन्हें दूर

क्या भारतीय सत्ता पीडीपी की राष्ट्रविराधी हरकतों पर अंकुश लगाएगी?


नई दिल्ली [विष्णु गुप्त]। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी जैसी राष्ट्रविरोधी राजनीतिक प्रक्रिया का दमन क्यों नही होना चाहिए? क्या भारतीय सत्ता पीडीपी की राष्ट्रविराधी हरकतों पर अंकुश लगाएगी? अगर नहीं तो फिर भारतीय संप्रभुता इसी तरह लहूलुहान और संकटग्रस्त होती रहेगी? इसका लाभ दुश्मन देश उठाते रहेंगे और हम अपने दुश्मन देश के नापाक इरादों और साजिशों का शिकार होते रहेंगे।

भारतीय सत्ता की उदासीनता और कमजोरी का परिणाम ही है कि परहित साधने और परसंप्रभुता को खुश करने की मानसिकता लहलहाती है। पीडीपी की राष्ट्रविरोधी प्रक्रिया पर हमें आइएसआइ-पाकिस्तान की साजिशों को पूरी तरह खंगालना होगा।

पीडीपी की पृष्ठभूमि और इसके एजेंडे को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह पार्टी आइएसआइ और पाकिस्तान की मोहरा है। कश्मीर पर अंतरराष्ट्रीय दबाव कायम कराना पाकिस्तान की कूटनीति रही है।

पीडीपी की यह कोई पहली राष्ट्रविरोधी हरकत नहीं है। पीडीपी ने देश के अविभाज्य अंग की महत्वपूर्ण चोटियों और भूभाग को चीन और पाकिस्तान का अंग दिखा दिया। पीडीपी के अध्यक्ष मुफ्ती मोहम्मद सईद और उनकी बेटी महबूबा सईद की पूरी राजनीतिक संरचना और मानसिकता भारत विरोधी है। देश का नेतृत्व करने वाली पार्टी काग्रेस की उदासीनता की वजह से पीडीपी की राष्ट्रविरोधी हरकतों को प्रोत्साहन मिलता है।

यकीन मान लीजिए, अगर इन बाप-बेटी पर भारतीय कानूनों का सोटा चलता तो इनकी राष्ट्रविरेाधी हरकतों हदें नहीं पार करती। जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और भारतीय संसद ने चीन और पाकिस्तान द्वारा अतिक्रमण किए गए जम्मू-कश्मीर के हिस्से को वापस लेने का संकल्प दर्शाया था। इसलिए भारतीय सत्ता को कर्तव्यबोध होना चाहिए कि इस तरह की राष्ट्रविरोधी हरकतें हमारी संप्रभुता को न केवल संकट में डालती हैं, बल्कि इससे दुश्मन देशों के मंसूबों को भी खाद-पानी मिलता है।

जाहिर तौर पर चीन और पाकिस्तान हमारे दुश्मन देश हैं और दोनों देशों ने सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हमारी चोटियों और भूभाग पर गैरकानूनी कब्जा कर रखा है। राष्ट की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए जरूरी है कि परराष्ट्रहित साधने वाली नीतियों पर कानून का बुलडोजर चले और सीमाओं पर हमारी सेना दबावरहित होकर अपनी भूमिका निभा सके।

जम्मू-कश्मीर के प्रसंग में यह कहना सही होगा कि भारतीय सत्ता की उदासीनता और गंभीर नीतियों के अभाव में आतंकी संगठन और इसके समर्थक पाकिस्तान के मंसूबों को पूरा करते हैं। पाकिस्तान कभी भी शाति का समर्थक हो ही नही सकता है। उसकी पूरी सक्रियता और संरचना भारत विरोधी है। इस यथार्थ को समझने की हमने कभी कोशिश ही नहीं की है।

जहा तक चीन का सवाल है तो उसने न सिर्फ जम्मू-कश्मीर, बल्कि पूर्वोत्तर क्षेत्र में हमारे सामरिक भूभागों पर कब्जे करने की कुदृष्टि लगाई हुई है। सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश पर वह हमेशा अपना अधिकार जताता रहता है। पीडीपी और महबूबा जैसों की पैंतरेबाजी से सबसे ज्यादा चीन और पाकिस्तान का ही हित सधेगा।

पीडीपी की इस हरकत का यथार्थ क्या है? इस प्रश्न का जवाब भी ढूढ़ना चाहिए कि आखिर भारतीय कश्मीर के महत्वपूर्ण भूभागों को पाकिस्तान और चीन का हिस्सा बताने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या इसमें आइएसआइ की कोई भूमिका है? क्या पीडीपी फिर से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में उफान पैदा करना और आतंक को फिर से बल देना चाहती है? सही तो यह है कि पीडीपी जैसी राष्ट्रविरोधी राजनीतिक संरचना और सक्रियता का यथार्थ से परे कोई कदम हो ही नहीं सकता है।

इस तथ्य पर भी हमें गौर करने की जरूरत है कि जम्मू-कश्मीर की सत्ता से दूर होने के बाद पीडीपी की कोई अहमियत नहीं रही। जम्मू-कश्मीर में काग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस के सत्ता आने के साथ ही पीडीपी व मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा मुफ्ती की हैसियत घट गई। उनकी नीतियों से जम्मू-कश्मीर की जनता भी असहमत हुई है और उफान की राजनीति से तौबा करने लगी है। पीडीपी का आधार सीमावर्ती भूभाग तक ही सिमट कर रह गया है।

भारतीय सत्ता ने कश्मीर की समस्या के लिए जो मैप तैयार किया है और जिस नीति पर चलकर भारतीय सत्ता घाटी के लोगों का विश्वास जीतना चाहती है, उसमें भी पीडीपी की निर्णायक भूमिका नहीं है। घाटी की समस्या का समाधान करने के लिए वातावरण तैयार करने और सलाह देने के लिए नियुक्त वार्ताकार जम्मू-कश्मीर की संपूर्ण राजनीतिक-सामाजिक प्रक्रिया को कसौटी पर रखकर चल रहे हैं। इस कारण जम्मू-कश्मीर में सकारात्मक वातावरण भी तैयार हुआ है। ऐसे में पीडीपी खुद को राजनीतिक रूप से अलग-थलग मान रही है और वह इस नीति पल चल पड़ी है कि कश्मीर पर कोई भी निर्णय लेने के पहले पीडीपी की अहमियत स्वीकार की जाए तथा उसकी राजनीतिक शक्ति को सम्मान दिया जाए।

फारुख अब्दुल्ला परिवार के प्रति जम्मू-कश्मीर की जनता विशेष लगाव रखती है। फारुख अब्दुल्ला के बाद उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने राज्य के अन्य राजनीतिक दलों की शक्तिविहीन करने और उन्हें आवाम की ताकत से अलग करने में भूमिका निभाई है। हालांकि राज्य के अन्य राजनीतिक दलों को कमजोर करने के लिए उमर अब्दुल्ला भी अपने बयानों व नीतियों में राष्ट्र की संप्रभुता के प्रतिकूल प्रक्रिया चलाते रहे हैं।

पत्थरबाजी के पीछे भी पीडीपी का हाथ था। पत्थरबाजी में पीडीपी के कई पार्टी पदाधिकारी गिरफ्तार हुए हैं, पर यह सही है कि मुफ्ती मोहम्मद सईद और महबूबा यह कहते रहे हैं कि उन्होंने पत्थरबाजी को हवा नहीं दिए हैं। पत्थरबाजी आतंकी संगठनों की एक खूनी और उफान वाली राजनीतिक साजिश थी। इस साजिश की नींव भी आयातित थी।

बेशक आइएसआइ ने घाटी में पत्थरबाजी को हथियार बनाया था। आइएसआइ के मंसूबों को पूरा करने में पीडीपी की ताकत लगी हुई थी। पत्थरबाजी ने घाटी में कैसे हालात पैदा किए थे, यह भी जगजाहिर है। इसके लिए आतंकी संगठनों ने हथियार की जगह करेंसी खर्च किए थे। करोड़ों रुपये बाटकर पत्थरबाजी को खतरनाक स्थिति में पहुंचाया और भारतीय सत्ता पर आरोप मढे़ गए।

कहा गया कि घाटी में भारतीय सेना निर्दोष जनता का खून बहा रही है, जबकि असलियत यह थी कि भारतीय सेना ने कठिन परिस्थितियों में भी पत्थरबाजों से धैर्य और अहिंसक ढंग से काम लिया था। फिर भी भारतीय सेना को बदनाम करने के लिए राजनीतिक साजिश रची गई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और भारतीय सेना की छवि खराब की गई। मुस्लिम देशों के संगठनों ने कश्मीर में भारतीय सेना को मुस्लिम समुदाय का संहार करने जैसे आरोप भी लगाए।

इसका परिणाम यह हुआ कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिथ्या प्रचारों से भारतीय सत्ता प्रभावित हो गई और आतंकी संगठनों के नापाक मंसूबों के जाल में फंस गई।

बहरहाल, आइएसआइ और पाकिस्तान की पूरी कूटनीति और मंसूबों को समझा जाना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के बीच संपूर्ण वार्ता का दौर जारी है। अटकी हुई वार्ताएं फिर से शुरू हो चुकी हैं। भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिव संपूर्ण वार्ता का एक पड़ाव हाल ही में तय कर चुके हैं। आइएसआइ की चाल यह हो सकती है कि वार्ता में भारत का पक्ष कमजोर करने और भारत की कूटनीतिक घेरेबंदी के लिए कश्मीर में भारत विरोधी भावनाएं भड़काई जाएं।

ऐसा राजनीतिक माहौल बनाया जाए कि आवाम को लगे कि कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है। इससे पाकिस्तान के पक्ष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थन मिलेगा।

विडंबना है कि भारतीय लोकतंत्र की खूबियों के चलते सत्ता की मलाई खा चुकी पीडीपी पाकिस्तान और आइएसआइ के सुर में सुर मिला रही है। चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी से हमारी संप्रभुता लहूलुहान होती रही है। 1962 में चीन ने हमला कर हमारी लाखों एकड़ भूमि हथिया ली है। पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर का एक बड़ा भूभाग चीन को सौंप दिया है। पीडीपी की इस राजनीतिक साजिश से चीन और पाकिस्तान की खुशी ही बढ़ी होगी। भारतीय सत्ता को पीडीपी जैसे राष्ट्रविरोधी दलों और तत्वों का दमन करना होगा।

सिर्फ भावनाएं भड़काती है पीडीपी

जाहिद खान। एक तरफ भारत सरकार कश्मीरियों को अपने वतन से जोड़ने की लगातार कोशिशें कर रही है तो दूसरी तरफ घाटी के अलगाववादी दल और क्षेत्रीय सियासी पार्टिया आज भी जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा मानने को तैयार नहीं हैं। सूबे के अलगाववादी नेताओं की घोषित-अघोषित चाह क्या है? यह सब जानते हैं, लेकिन लोकतात्रिक तरीके से चुनी गई कोई पार्टी की लीडर इस तरह की बात सार्वजनिक रूप से करे तो हैरानी होती है।

सूबे की अहम विपक्षी पार्टी पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने तो एक कदम और आगे जाते हुए अपने विजन ऑफ कश्मीर नक्शे में अक्साई चीन और कराकोरम इलाके को चीन का हिस्सा बतला दिया। जबकि पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती जिस इलाके की बात कर रही हैं, उसके कूटनीतिक और सियासी एतबार से भारत के लिए काफी महत्व है।

भारत सरकार, जम्मू-कश्मीर के किसी भी हिस्से में चीन का कोई दखल नहीं मानती। जाहिर है, जम्मू-कश्मीर से जब इस तरह की अलगाववादी मागें उठती हैं तो मुल्क में किस तरह का पैगाम जाता होगा, अंदाजा लगाया जा सकता है। सूबे के अलगाववादी नेता और पीडीपी जैसी सियासी पार्टिया ही हैं, जिनकी वजह से कश्मीरियों को मुल्क में भेदभाव का दंश झेलना पड़ता है।

भारतीय संविधान में हर आधुनिक संविधान की तरह संप्रभु व्यवस्था की इकाई व्यक्ति को माना गया है। मुल्क की आजादी का मतलब हर व्यक्ति की आजादी है। इस आजादी पर हमला, चाहे हुकूमत की तरफ से हो या पुलिस-प्रशासन या फिर किसी चरमपंथी उग्रवादी समूह की तरफ से, कुल मिलाकर वह समान रूप से संविधान की मूल भावना का उल्लंघन है। जब धर्माध या चरमपंथी संगठन इस स्वतंत्रता का हनन करते हैं तो हुकूमत से यह उम्मीद होती है कि वह अपने नागरिकों के बुनियादी हुकूकों की हिफाजत करे, लेकिन जब राज्य और उसका पूरा तंत्र ही अपने नागरिकों में धर्म या क्षेत्र के आधार पर फर्क करे तो निश्चित रूप से यह खतरनाक स्थिति है।

दुर्भाग्य से बीते कुछ सालों में कश्मीरियों के मन में भारतीय राज्य के प्रति यकीन अगर टूटा नहीं तो कमजोर जरूर पड़ा है। ज्यादातर कश्मीरियों का मानना है कि उन्हें मुल्क में मुख्तलिफ रियासतों की पुलिस महज इसलिए परेशान, प्रताड़ित करती है, क्योंकि वे जम्मू-कश्मीर से है। सरकार द्वारा तमाम संवैधानिक प्रावधानों व उपबंधों के बावजूद कश्मीरियों को आज भी यह नहीं लगता कि भारतीय संविधान में नागरिकों की जिन मूलभूत स्वतंत्रताओं और बुनियादी अधिकारों की बात की गई है, वे उनके लिए भी हैं।

यह सब बातें उस वक्त सामने निकलकर आई, जब भारत सरकार की ओर से नियुक्त वार्ताकारों की एक टीम ने जम्मू-कश्मीर की यात्रा कर कश्मीरियों से बात की। वार्ताकारों की नियुक्ति केंद्र की उस आठ सूत्रीय पहल का हिस्सा है, जिसका एलान सितंबर महीने में किया गया था। बीते साल जून से शुरू हुई अशांति और हड़ताल के बाद कश्मीर घाटी में शांति बहाली के लिए असंतुष्टों से नए सिरे से बातचीत के लिए केंद्र की ओर से नियुक्त इन तीनों वार्ताकारों ने श्रीनगर के अलावा बारामूला, अनंतनाग, सोपोर, उरी, डोडा, राजौरी जैसे छोटे शहरों की यात्रा की और वहा समाज के मुख्तलिफ तबकों से बात की। कश्मीरी लगातार होने वाली तलाशी, जाच, जब्ती और नाकेबंदी से अब आजाद होना चाहते हैं।

कश्मीरियों का दर्द था कि न सिर्फ कश्मीर में, बल्कि मुल्क के दीगर हिस्सों में उनके साथ हमेशा भेदभाव किया जाता है, जिससे उन्हें अपनी तौहीन महसूस होती है और उनमें अलगाव की भावना पैदा होती है। यह सर्वमान्य सत्य है कि नागरिक अधिकारों का उल्लंघन करते हुए और अन्याय के पक्ष में खड़ी दिखने वाली कोई भी हुकूमत अपनी नैतिक साख को नहीं बचा सकती। लिहाजा, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस दिशा में तुरंत कदम उठाते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को सलाह दी है कि वे अपने यहा रह रहे जम्मू-कश्मीर के निवासियों से पूछताछ करते समय अत्याधिक संवेदनशीलता का परिचय दें। सभी थानों को निर्देश जारी करें कि पुलिस रिपोर्टिग के दौरान इन लोगों को महज इसलिए निशाना न बनाया जाए, क्योंकि वे जम्मू-कश्मीर के हैं।

बहरहाल, कश्मीर वार्ताकारों की सिफारिश के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय की सभी राज्यों और केंद्र शासित राज्यों से कश्मीरियों के मुताल्लिक संवेदनशीलता बरतने की सलाह, एक सकारात्मक शुरुआत है। इससे निश्चित रूप से दोनों तरफ बरसों से जमी बर्फ पिघलेगी। हां, केंद्र सरकार को पीडीपी जैसी पार्टियों को सख्त संदेश भी देना होगा।

Tuesday, February 15, 2011

दलित हूं,इसलिए वो मुझे स्कूली बच्चों को खाना परोसने से रोकते हैं।


भोपाल. मैं दलित हूं,इसलिए वो मुझे स्कूली बच्चों को खाना परोसने से रोकते हैं। अशोक नगर के छेलाई गांव से आई आंगनबाड़ी कार्यकर्ता चंपा बाई ने राज्यस्तरीय जनसुनवाई में शिकायत की कि गांव के सवर्ण उसे प्रताड़ित कर रहे हैं।



चंपा ने बताया कि उसने थाने में भी इसकी शिकायत की थी,लेकिन आरोपियों ने इसके बाद उससे और अभद्रता की।



एडीजी ने इस मामले में अशोक नगर एसपी को फोन कर मामले की जांच के निर्देश दिए। विदिशा से आए अरविंद कुमार जैन ने शिकायत की कि उसके घर से 20 तोला सोना चुराने वालों पर पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।



पति ने मिट्टी का तेल डालकर लगा दी थी आग : झुलसे चेहरे के साथ आई मीना बाई ने शिकायत की कि उसके पति शेर सिंह ने उस पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। वो आए दिन दहेज के लिए उससे मारपीट करता था।



मीना कहती है कि अब उसे अपने पति के पास नहीं जाना। आंखों में आंसू लिए मीना के पिता नारायण सिंह ने बताया कि सुसराल वाले बेटी के दोनों बच्चों को भी अब उनके घर छोड़ गए हैं। पिता-पुत्री को आईजी अरुणा मोहन राव ने भरोसा दिलाया कि उनके साथ अन्याय नहीं होगा।

Sunday, February 13, 2011

लहसुन से दिल का इलाज

लहसुन से दिल का इलाज
मौजूदा दौर में शायद ही कोई ऎसा इंसान होगा, जो किसी न किसी प्रकार से दिल संबंधी रोगों से ग्रस्त न हो। एक नए अध्ययन के अनुसार लहसुन दिल से जुड़ी बीमारियों के इलाज में कारगर है।

वैज्ञानिकों के मुताबिक लहसुन में दिल के एक रोग कार्डियोमायोपेथी से बचाव का गुण होता है। लहसुन के सेवन से न सिर्फ ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि लहसुन का तेल दिल को होने वाले खतरों से भी बचाव करता है। गौरतलब है कि यदि मधुमेह (डायबिटीज) के मरीजों में हर्ट डिजीज के कारण मौत का खतरा आम लोगों के मुकाबले दुगुना होता है। वैज्ञानिकों की मानें तो लहसुन के नियमित सेवन से डायबिटीक मरीजों को दिल संबंधी रोगों से बचाव में काफी हद तक मदद मिल सकती

विंटर सीजन के शुरू होते ही शहरवासियों में त्वचा से जुड़ी समस्या लगातार बढ़ रही है। स्किन स्पेशलिस्ट के मुताबिक इन दिनों सबसे ज्यादा वुलन एलर्जी की समस

सर्दियों में रखें त्वचा का खयाल
विंटर सीजन के शुरू होते ही शहरवासियों में त्वचा से जुड़ी समस्या लगातार बढ़ रही है। स्किन स्पेशलिस्ट के मुताबिक इन दिनों सबसे ज्यादा वुलन एलर्जी की समस्या से ग्रसित मरीज आ रहे हैं। महीने में लगभग 10 से 15 प्रतिशत मरीज वुलन एलर्जी की समस्या के समाधान के लिए डॉक्टर्स से मिल रहे हैंं। प्रॉब्लम का मुख्य कारण रूखी त्वचा है। लगातार मॉश्चराइजर का उपयोग करने से इस समस्या से बचा जा सकता है। रूखी त्वचा वाले लोगों में वुल और स्किन हेयर के बीच होने वाले घष्ाüण से एलर्जी की समस्या उत्पन्न होती है। इस प्रॉब्लम में घष्ाüण की वजह से खुजली होती है और उस जगह पर त्वचा लाल हो जाती है और छोटे-छोटे दाने निकलने लगते हैं।

डॉक्टर्स बताते हैं कि सेंसिटिव त्वचा होने की वजह से यह प्रॉब्लम ज्यादातर महिलाओं, बच्चों और बूढ़ों में होती है। कुछ लोगों में वुलन के डायरेक्ट कान्टेक्ट से अर्टिकेरिया की प्रॉब्लम होती है। इसमें अफेक्टेड एरिया की त्वचा लाल हो जाता है और जलन के साथ ही बहुत ज्यादा खुजली होती है।

एलर्जी से बचें
इन समस्याओं से बचने के लिए मॉश्चराइजर का उपयोग रेगुलर करना चाहिए। नहाने के बाद पूरी बॉडी में मॉश्चराइजर का उपयोग करने के साथ ही शाम को भी इसका पर्याप्त उपयोग करें। धूप में निकलने से बीस मिनट पहले सन स्क्रिन का यूज करें। जिन्हे ंवुलन एलर्जी की समस्या ज्यादा हो वह फुल स्लीव्स के कॉटन इनर वियर पहनें। इससे वुलेन्स त्वचा के डायरेक्ट टच में नहीं आएंगे और एलर्जी से बचा जा सकेगा।

सावधानी बरतने से होगा हल
विंटर सीजन में रूखी त्वचा वाले लोगों को मॉश्चराइजर नियमित लगाना चाहिए। साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए कि वुलन मटेरियल त्वचा के डायरेक्ट कांटेक्ट में न आएं। इसके लिए वुलन पहनने से पहले फुल स्लीव कॉटन इनर जरूर पहनें। इसके अलावा और भी कई सावधानी बरतने की भी जरूरत है और ज्यादा ठंड के वक्त गर्म कपड़े जरूर पहनें।
डॉ. वर्षा अग्रवाल, स्किन स्पेशलिस्ट

बीयर की चुस्की रखे डॉक्टर से दूर

बीयर की चुस्की रखे डॉक्टर से दूर
लंदन। भले ही लोग बीयर पीने को बुरी आदत मानते हों लेकिन वैज्ञानिकों की मानें तो रोजाना बीयर की एक केन लेने से आप सभी बीमारियों से दूर रह सकते हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक बीयर का सेवन ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को दूर रखता है।

स्पेन के शोधकर्ताओं ने शोध मे यह भी पाया है कि बीयर पीने से वजन कम भी किया जा सकता है। शोध के अनुसार एक तय सीता के अंदर बीयर में उतरी ही पौष्टिकता है जितनी कि मछली और फलों में होती है। इसमें फोलिक एसिड, विटामिन, आयरन और कैल्शियम पर्याप्त मात्रा में होता है। इससे वजन मेंटेेंन रहता है और डायबिटीज का खतरा भी कम रहता है। हालांकि बीयर को फैट वाले भोजन या चिप्स के साथ लेने पर यह तोंद को बढ़ा देता है। शोध के मुताकि रोजराना एक केन बीयर का सेवन स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त है।

एक्सरसाइज के दौरान रखें सावधानी

एक्सरसाइज के दौरान रखें सावधानी
कई लोगों की शिकायत होती है कि वे पसीना बहाकर एक्सरसाइज करते हैं लेकिन वजन और चर्बी में कोई क मी नहीं आती। हम बता रहे कुछ टिप्स जिन्हें अपनाने के बाद आपको यह शिकायत नहीं रहेगी।

समय हो निर्धारित
महिलाएं घर में ही मशीनें लाकर एक्सरसाइज करने लगती हैं। इससे कई बार जानकारी न होने पर वे या तो ट्रेडमील मशीन पर वॉकिंग शुरू कर देती हैं या फिर कई एक्सरसाइज के मूवमेंट करने लगती हैं, जबकि मॉर्निग और ईवनिंग के समय पर ही एक्सरसाइज की जानी चाहिए, क्योंकि इस दौरान डाइट का भी ध्यान रखना होता है।

अंकुरित चीजें खाएं
सेब, गाजर, चीज, लहसुन, बिना मंथा दही, शकरकंद, अंकुरित गेहूं, हरि सब्जियां और दूध से बने पदार्थों का सेवन करने से हमेशा स्वस्थ रहा जा सकता है। सेब, गाजर, चीज, लहसुन, बिना मंथा दही, शकरकंद, अंकुरित गेहूं, हरि सब्जियां और दूध से बने पदार्थों का सेवन करने से हमेशा स्वस्थ रहा जा सकता है।

हाईट के अकॉर्डिग वेट
महिलाएं वजन कम करते समय हाईट का बिलकुल ध्यान नहीं रखतीं, इसलिए हाईट के अकॉर्डिग ही वेट होना चाहिए। जैसे 5.5 हाईट हो तो वजन लगभग 55-56 केजी होना चाहिए। साथ ही टमी को कम करने के लिए ज्यादातर बैक और फ्रंट मूवमेंट दिन में दो बार करना चाहिेए। इसमें फोल्डिंग मूवमेंट ज्यादा फायदेमंद होते हैं।

इसके अलावा कैलोरी को बंक करने के लिए कई बार ऎसी डिशेज ले लेती हैं, जिससे और ज्यादा कैलोरी बनती है। वे एक्सरसाइज तो नियमित करती हैं, लेकिन जंक फूड अवॉइड नहीं कर पातीं, जबकि एक्सरसाइज के दौरान बॉडी का पूरा रोटेशन होता है, इसलिए डाइट को भी नियंत्रण में रखें।

प्रॉपर हो डाइट
एक्सरसाइज के आधे घंटे पहले और आधे घंटे बाद तक न तो पानी और न ही कुछ खाना चाहिए। एक्सरसाइज के आधे घंटे बाद ही थोड़ा पानी, फ्रूट्स, सॉफ्ट डिश या वेजिटेबल्स ले सकते हैं। ग्रेवी डिशेज को पूरी तरह अवॉइड करें वरना दिनभर सुस्ती महसूस होती है। डाइट प्रॉपर न रहने से डायरिया, उल्टी और पेट दर्द भी होता है।

समयसीमा हो निर्धारित
साइकलिंग के दौरान लगभग पूरी एनर्जी लग जाती है, इसलिए 15 मिनट से ज्यादा साइकलिंग न करें। साथ ही एब्स कम करने के लिए (एफइनग्रो) के दौरान ज्यादा तेजी से मूवमेंट न करें। तेजी से मूवमेंट करने पर चर्बी कम तो होगी, लेकिन कुछ खाने पर वापस तेजी से बढेगी।