जब भोपाल से पृथक कहारस्थान की माग की गई
लेखक-राजेन्द्र सिंह कश्यप
आजादी के आखरी दशक में देश भर में राजनैतिक और सामाजिक गतिविधियां काफी तेजी से प्रारंभ हो गई थीं । संपूर्ण भारतवर्ष में चेतना की नई लहर दौड़ रहथी। 100 वर्षों की स्वतंत्रता संग्राम के चलते अंग्रेजों के देश छोड़कर जाने के आसार दिखने लगे थे। जहां जिन्ना मुसलमानों के लिये पाकिस्तान मांग उठा रहे थे। वहींसिखस्थान की मांग मास्टर तारासिंह उठा रहे थें। आदिवासी बहुल क्षेत्रों में भी उत्तर पूर्व में डा0 जेड0ए0 किंजों नागालेंड की मांग कर रहे थे। मिजोरम में लालडेगा,झारखंड,में बिहार,छोटा नागपुर,मध्यभारत,महा कौशल में डा0जयपाल सिंह पृथक झारखंड गणतंत्र की मांग लेकर चल पड़े थे। देश पिछड़ा आदिवासी निषाद समुदाय भीआन्दोलित हो रहा था,तब भोपाल स्टेट के नवाब हमीदुल्लाह खां की चिकित्सिक सेवा में लगे डा0 इन्द्रजीत सिंह ने दिल्ली,लाहौर,ढ़ाका,कलकत्ता,अमृतसर का दौरा कर आलइंडिया कहार महासभा की जनरल मिटिंग में पारित प्रस्ताव जिसके माध्यम से पृथक कहारस्थान की मांग तात्कालिक लार्ड पेथिक लारेन्स (ब्रिटिशकेबिनेट मिशन लंदन)वायसराय दिल्ली को मेमोरन्डम महासभा द्वारा दिनांक 20/04/1946 को दिया गया।
पंजाब,लाहोर,मुल्तान में बाबूबिहारी दास सक्रिय थे। सिख धर्म के उत्थान में कहार समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा था । इस कारण पंजाब के सामाजिक नेताओंने कहारस्थान पर भारी जोर दिया। जिस समय कांग्रेस आंदोलनों के फलस्वरूप साइमन कमीशन भारत आयाथा, उस समय हमारे नेताओं जिनमें डा0इन्द्रजीत सिंह सहाब केसाथ श्री महावीर प्रसाद शास्त्री कानपुर,रश्री दुर्गादत्तसिंह कुशन बिजनौर,श्री गुलजारी मलजी बाथम पीलीभीत आदि बु़िद्धजीवी समाज के नेता थें, उन्होंने देश की स्वतंत्रता केसमय कहारस्थान की मांग की थी। समाज का महत्वपूर्ण योगदान रहा था । इस कारण पंजाब के सामाजिक नेताओं ने कहारस्थान पर भारी जोर दिया। जिस समय कांग्रेसआंदोलनों के फलस्वरूप साइमन कमीशन भारत आयाथा, उस समय हमारे नेताओं जिनमें डा0इन्द्रजीत सिंह सहाब के साथ श्री महावीर प्रसाद शास्त्री कानपुर,श्रीदुर्गादत्तसिंह कुशन बिजनौर,श्री गुलजारी मलजी बाथम पीलीभीत आदि बु़िद्धजीवी समाज के नेता थें, उन्होंने देश की स्वतंत्रता के समय कहारस्थान की मांग की थी। देश के दूसरे प्रातों में भी कुछ इस प्रकार की मांगें उठी थी। छूत एवं अछूत का प्रश्न भी गर्माहट के साथ उठाा था। यह प्रश्न बाबासाहेब आबंेडकर जी ने उठाया था। जिस समय समाज का प्रबुद्ध वर्ग जाति का नाम बताने में लज्जा अनुभव करता था, उस समय डा0इन्द्रजीत सिंह जीने सार्वजनिक मंच से कहार महासभा का झंडा उठाया था,जिसमें निषाद महासभा का यथा संभव सहयोग मिला था।
इसी समय लगभग सन 30-31 में होंशंगाबाद में बाबू गुलाबसिंह जी की अध्यक्षता में कहार सम्मेलन का वृहद् आयोजन किया गया था, जिसमें भोपाल सहित देश केविभिन्न प्रांतों से आये नवयुवकों ने स्वयंसेवक के रूप में भाग लिया था,तदनंतर बनारस के सम्मेलन में एकता प्रयास हुूआ। डा0 सहाब समाज को संगठित करने ,उनकीसमस्याओं को अखिल भारतीय स्तर पर ब्रिटिशतथा स्थानीय शासन के सामने नियमित रूप से रखते रहे। राजनीति के मंच पर विशेष रूचि के साथ उन्होंने सन 1945 केपश्चात भाग लिया, क्योंकि डा0 सहाब भोपाल राज्य के अस्पताल में डाक्टर थे तथा उनकी ड्यूटी नवाब हमीद उल्ला साहब भोपाल के साथ रहती थी,जब वे प्रवास परहोते थे। भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई के समय ही हमारे नेताओं को अनुमान हो गया था कि स्वतंत्रता के पश्चात हमारे समाज के साथ न्याय नहीं किया जावेगा। इसीकारण कहारस्थान की मांग की गई थी, मास्टर तारासिंह जी ने भी खालिस्तान मांगा था।
सन् 1946 में देश की अंतरिम सरकार बनी थी तब लाहौर से प्रकाशित डान अखबार ने एक कार्टून छापा था, नीचे लिखा था,पंडित नेहरू वरूण देवें के दरबार मेंअर्थात अंतरिम सरकार में हमारे समाज का प्रतिनिधि लेने की बात चल रही थी। कांग्रेस के द्वारा आश्वासन देने पर समाज ने भारत स्वतंत्रता के पक्ष में कहारस्थान कीमांग वापस ले ली थी। इस समय समाज को गोत्रों के आधार पर संगठित करने क प्रयास त्याग दिया था,क्योंकि भारत में भिन्न भिन्न प्रदेशों में अनेंकों गोत्र, उपजातियां हैं,इस कारण डा0साहब ने कर्णधार महासभा का गठन किया था तथापि वे सभी गोत्रीय संगठनों, सम्मेलनों में तथा नेतृत्व करते रहे। इसी समय समाज का पत्र कर्णधार काप्रकाशन भोपाल से किया,पश्चात् उसका प्रकाशन एक प्रकाशन मंडल बनाकर झांसी से प्रकाशित किया गया,जिसके मुख्य प्रकाशक श्री सुन्दरलाल जी रायकवार थे।
निषाद समुदाय की राजनीतिक गतिविधयों का प्रमुख केन्द्र भोपाल रहा, ओर राजनैतिक चेतना का केन्द्र बिन्दु अखिल भारतीय निषाद समाज का कर्णधार रहा है।
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MO-9753041701
Monday, July 18, 2011
Monday, July 11, 2011
Sunday, July 10, 2011
Friday, July 8, 2011
Wednesday, July 6, 2011
विधानसभा में गूंजेगा फर्जीवाड़ा और वेट
विधानसभा में गूंजेगा फर्जीवाड़ा और वेट
भोपाल 6 जुलाई 2011। विधानसभा में मानसून सत्र की सात्त?ापक्ष और विपक्ष में जमकर तैयारी कर ली है। एक ओर जहां मुख्यमंत्री ने अपने कबीना मंत्रियों और प्रशासनिक अधिकारियों को सदन के गरिमा के अनुरूप? कार्य करने की हिदायत दी, वहीं दूसरी तरफ विपक्ष ने भी सरकार को घेरने की तैयारी कर ली हैं। मानसून सत्र में इस बार सहकारी समितियों के फर्जीकरण प्रदेश में वेट टेक्स, बिजली के दरों में बढ़ोत्त?री, गेहूं खरीदी और परिवहन व्यवस्था में अनियमितताओं के मामले सदन में प्रमुख्ता से गूंज सकते हैं। विधानसभा में 11 से 22 जुलाई तक चलने वाले मानसून सत्र में सहकारी समितियों के फर्जीकरण का मामला जोर-शोर से उठ सकता हैं। प्रदेश में सहकारी समितियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के मामले में सरकार की खिंचाई हो सकती है। दरअसल सहकारी संस्थाएं चाहती हैं कि सरकारी समितियों केञ् खिलाफ एफआईआर दर्ज हो, जबकि पुलिस महकमा सहकारिता एक्ट का हवाला देकर ऐसा करने से बच रहा हैं और सीधा समितियों के खिलाफ चालान कोर्ट में पेश करना चाहता है। दूसरी तरफ प्राथमिकता दर्ज करने पर दोषी अध्यक्षों, संचालकों को दंड मिलेगा और जांच पूरी होगी। जानकारी के अनुसार राजधानी में लगभग चार दर्ज समितियों के खिलाफ अपराध दर्ज करने की रिपोर्ट संबंधित अधिकारियों के पास भेजी है। लेकिन उनमें से मात्र आधे प्रकरणों पर ही प्राथमिकी दर्ज हो पाई है। यह मामला सदन में गर्माने की पूरी संभावना है। वहीं प्रदेश में बिजली की दरों में बढ़ोत्त?री वेट टेक्स तथा गेहूं उपार्जन व उसमें परिवहन में अनियमितताओं के मामले में विपक्ष सात्तापक्ष को घेर सकता है।
Date: 06-07-2011
Tuesday, July 5, 2011
Bhopal Gas Tragedy,
Bhopal, June 28 (Pervez Bari): The pain and misery of the survivors of the 1984 Bhopal Gas Tragedy, the world’s worst industrial disaster, sees no end and has been transferred to their progenies. They continue to suffer, writhe in pain and agony in the face of governments’ apathy while counting days as to when their souls will be liberated from their poisonous gas-affected malfunctioning mortal remains.
About one hundred children from Bhopal, who have been affected by the Union Carbide's poisons, demonstrated in front of the Prime Minister's office on Monday, demanding medical care, rehabilitation and poison-free environment.
According to a Press release these children wearing signs with words like “Insaaf” (Justice), “Izzat” (dignity) and “Humanity”, who are members of the Bhopal-based NGO Children Against Dow-Carbide, held a banner with their demands in front of the North Block office. The children said that this was the fourth time they were trying to draw the attention of the Prime Minister towards governmental inaction on environmental and health rehabilitation schemes in Bhopal.
“Since 2006, we have sought help from Prime Minster Dr. Manmohan Singh for the children of Bhopal who are still denied medical care and rehabilitation and who are still forced to drink poisoned water,” said Safreen Khan one of the founders of the Children Against Dow Carbide which organized the demonstration. Safreen charged theGovernment with displaying more care for the financial health of Union Carbide and its owner Dow Chemical than for the children of Bhopal.
Manoj Yadav from the community affected by ground water contamination by Union Carbide’s hazardous waste, said that while there were many children and adults with diseases caused by the poisons, they were denied free treatment at government hospitals. Yasmin Khan whose parents were affected by the Union Carbide’s poisonous gases in December 1984 and now lives in the area with contaminated ground water said that hundreds of children are being born with congenital malformations to parents with exposure to poisons. She said that the government has not made any arrangement to provide rehabilitation for these children. “The Government should ensure that these children get a fair chance at living a life of dignity.” Yasmin said.
Young leaders of the Bhopal children said that many of the congenital deformities are reversible. Corrective surgeries can help children with physical deformities. Some mentally- and physically-challenged children too can be helped to lead normal lives if special-care institutions are set up and run.
The children pointed out that despite a 2005 order of the Supreme Court of India the people living next to the Union Carbide’s abandoned pesticide factory were not being supplied clean water.
A child from these communities, Asma said that thousands of tonnes of toxic waste from the factory lie buried next to their homes. “The Prime Minister must make Dow Chemical clean up the poisons or they will continue to harm generations,” said Asma.
It may be recalled here that on the intervening night of December 2-3, 1984 poisonous methyl isocyanate (MIC) gas spewed from the Union Carbide pesticide factory killing 3,000 people instantly and 25,000 over the years. It also affected 100,000 people that night and estimates are that more than 500,000 continue to suffer from ill effects of the gas till date. (pervezbari@eth.net)
About one hundred children from Bhopal, who have been affected by the Union Carbide's poisons, demonstrated in front of the Prime Minister's office on Monday, demanding medical care, rehabilitation and poison-free environment.
According to a Press release these children wearing signs with words like “Insaaf” (Justice), “Izzat” (dignity) and “Humanity”, who are members of the Bhopal-based NGO Children Against Dow-Carbide, held a banner with their demands in front of the North Block office. The children said that this was the fourth time they were trying to draw the attention of the Prime Minister towards governmental inaction on environmental and health rehabilitation schemes in Bhopal.
“Since 2006, we have sought help from Prime Minster Dr. Manmohan Singh for the children of Bhopal who are still denied medical care and rehabilitation and who are still forced to drink poisoned water,” said Safreen Khan one of the founders of the Children Against Dow Carbide which organized the demonstration. Safreen charged theGovernment with displaying more care for the financial health of Union Carbide and its owner Dow Chemical than for the children of Bhopal.
Manoj Yadav from the community affected by ground water contamination by Union Carbide’s hazardous waste, said that while there were many children and adults with diseases caused by the poisons, they were denied free treatment at government hospitals. Yasmin Khan whose parents were affected by the Union Carbide’s poisonous gases in December 1984 and now lives in the area with contaminated ground water said that hundreds of children are being born with congenital malformations to parents with exposure to poisons. She said that the government has not made any arrangement to provide rehabilitation for these children. “The Government should ensure that these children get a fair chance at living a life of dignity.” Yasmin said.
Young leaders of the Bhopal children said that many of the congenital deformities are reversible. Corrective surgeries can help children with physical deformities. Some mentally- and physically-challenged children too can be helped to lead normal lives if special-care institutions are set up and run.
The children pointed out that despite a 2005 order of the Supreme Court of India the people living next to the Union Carbide’s abandoned pesticide factory were not being supplied clean water.
A child from these communities, Asma said that thousands of tonnes of toxic waste from the factory lie buried next to their homes. “The Prime Minister must make Dow Chemical clean up the poisons or they will continue to harm generations,” said Asma.
It may be recalled here that on the intervening night of December 2-3, 1984 poisonous methyl isocyanate (MIC) gas spewed from the Union Carbide pesticide factory killing 3,000 people instantly and 25,000 over the years. It also affected 100,000 people that night and estimates are that more than 500,000 continue to suffer from ill effects of the gas till date. (pervezbari@eth.net)
ॐ चमत्कारी.लाभ धर्म सेहत
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श् किसी धर्म से जुड़ा न होकर ध्वनिमूलक है। माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में केवल यही एक ध्वनि ब्रह्मांड में गूँजती थी। जब हम श्ॐश् बोलते हैंए तो वस्तुतः हम तीन वर्णों का उच्चारण करते हैंरू श्ओश्ए श्उश् तथा श्मश्। श्ओश् मस्तिष्क सेए श्उश् हृदय से तथा श्मश् नाभि ;जीवनद्ध से जुड़ा है। मनए मस्तिष्क और जीवन के तारतम्य से ही कोई भी काम सफल होता है। श्ॐश् के सतत उच्चारण से इन तीनों में एक रिदम आ जाती है।
जब यह तारतम्य आ जाता हैए तो व्यक्ति का व्यक्तित्व पूर्ण हो जाता है। उसका आभामंडल शक्तिशाली हो जाता हैए इंद्रियाँ अंतरमुखी हो जाती हैं। जैसे किसी पेड़ को ऊँचा उठने के लिए जमीन की गहराइयों तक जाना पड़ता हैए ठीक उसी तरह व्यक्ति को अपने भीतर की गहराइयों में झाँकने हेतु ;अपने संपूर्ण विकास के लिएद्ध श्ॐश् का सतत जाप बहुत मदद करता है। ॐ आध्यात्मिक साधना है। इससे हम विपदाए कष्टए विघ्नों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
छक्श्ॐश् के जाप से वह स्थान जहाँ जाप किया जा रहा हैए तरंगित होकर पवित्र एवं सकारात्मक हो जाता है। इसके अभ्यास से जीवन की गुत्थियाँ सुलझती हैं तथा आत्मज्ञान होने लगता है। मनुष्य के मन में एकाग्रताए वैराग्यए सात्विक भावए भक्तिए शांति एवं आशा का संचार होता है। इससे आध्यात्मिक ऊँचाइयाँ प्राप्त होती हैं। श्ॐश् से तनावए निराशाए क्रोध दूर होते हैं। मनए मस्तिष्कए शरीर स्वस्थ होते हैं। गले व साँस की बीमारियोंए थायरॉइड समस्याए अनिद्राए उच्च रक्तचापए स्त्री रोगए अपचए वायु विकारए दमा व पेट की बीमारियों में यह लाभदायक है। विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता हेतु एकाग्रता दिलाने में भी यह सहायक है। इन दिनों पश्चिमी देशों में नशे की लत छुड़ाने में भी श्ॐश् के उच्चार का प्रयोग किया जा रहा है।
ध्यानए प्राणायामए योगनिद्राए योग आदि सभी को श्ॐश् के उच्चारण के बाद ही शुरू किया जाता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दिन में कम से कम 21 बार श्ॐश् का उच्चारण करना चाहिए।
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ऐश्वर्या राय को बेटा होगा या बेटी, अब तक 250 करोड़ का सट्टा
ऐश्वर्या राय को बेटा होगा या बेटी, अब तक 250 करोड़ का सट्टा
प्रसव की अनुमानित तारीख और महीने पर भी दांव
राजस्थान के बीकानेर, फलौदी बाजार से शुरू हुआ सट्टा
मुंबई। नए मेहमान के आने की आहट पाकर बॉलीवुड अभिनेता बिग-बी के घर में तो खुशियों की धूम मची ही है, सट्टा बाजार में भी इस खबर ने गरमाहट पैदा कर दी है। क्रिकेट, मानसूनी बारिश के साथ ही अब सटोरिए इस पर भी दांव लगा रहे हैं कि ऐश्वर्या राय को बेटी होगी या बेटा। कहा जा रहा है कि इस पर अब तक 200 से 250 करोड़ का सट्टा लग चुका है।
ऐसा शायद पहली बार सुनने में आ रहा है कि बुकी और सटोरिए अमिताभ बच्चन के घर आनेवाले नए मेहमान को भी सट्टा बाजार में उतार कर करोड़ों की कमाई करने के जुगाड़ में लग गए हैं। गौरतलब है कि बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन मां बनने वाली हैं। उम्मीद की जा रही है कि इस वर्ष नवंबर महीने में बच्चन परिवार के घर में यह नया मेहमान आएगा। वैसे नए मेहमान को लेकर जितनी उत्सुकता बच्चन परिवार में हैं उससे ज्यादा उत्सुकता उनके प्रशंसकों में भी है। यही कारण है कि सटोरियों ने दांव खेलना
शुरू कर दिया है। सट्टे के इस खेल में मुंबई ही नहीं देश भर के सटोरिए शामिल हैं क्योंकि वे ऐसा कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते जिससे उनकी कमाई का रास्ता खुलता हो। इस सट्टे की शुरुआत राजस्थान के बीकानेर और फलौदी सट्टा बाजार से हुई जो कि अब जयपुर, सूरत, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, गोवा, इंदौर, पटना से लेकर देश के कई शहरों तक जा पहुंची है। आने वाले मेहमान का जिस बेसब्री से अमिताभ और जया बच्चन इंतजार कर रहे हैं उससे ज्यादा बेचैनी बुकी और सटोरियों में है।
बुकी इस बात पर भी सट्टा लगा रहे हैं कि ऐश्वर्या के बच्चे का जन्म किस माह में किन तारीखों के बीच होगा। एक सटोरिए के अनुसार 30 अक्तूबर से 15 नवंबर के बीच ऐश्वर्या राय मां बन सकती हैं। गौरतलब है कि एश्वर्या राय बच्चन के मां बनने की खबर सबसे पहले अमिताभ बच्चन ने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट ट्विटर पर दी थी।
सुमंत मिश्र
Monday, July 4, 2011
Sunday, July 3, 2011
Saturday, July 2, 2011
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