ॐ चमत्कारी.लाभ धर्म सेहत
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श् किसी धर्म से जुड़ा न होकर ध्वनिमूलक है। माना जाता है कि सृष्टि के आरंभ में केवल यही एक ध्वनि ब्रह्मांड में गूँजती थी। जब हम श्ॐश् बोलते हैंए तो वस्तुतः हम तीन वर्णों का उच्चारण करते हैंरू श्ओश्ए श्उश् तथा श्मश्। श्ओश् मस्तिष्क सेए श्उश् हृदय से तथा श्मश् नाभि ;जीवनद्ध से जुड़ा है। मनए मस्तिष्क और जीवन के तारतम्य से ही कोई भी काम सफल होता है। श्ॐश् के सतत उच्चारण से इन तीनों में एक रिदम आ जाती है।
जब यह तारतम्य आ जाता हैए तो व्यक्ति का व्यक्तित्व पूर्ण हो जाता है। उसका आभामंडल शक्तिशाली हो जाता हैए इंद्रियाँ अंतरमुखी हो जाती हैं। जैसे किसी पेड़ को ऊँचा उठने के लिए जमीन की गहराइयों तक जाना पड़ता हैए ठीक उसी तरह व्यक्ति को अपने भीतर की गहराइयों में झाँकने हेतु ;अपने संपूर्ण विकास के लिएद्ध श्ॐश् का सतत जाप बहुत मदद करता है। ॐ आध्यात्मिक साधना है। इससे हम विपदाए कष्टए विघ्नों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।
छक्श्ॐश् के जाप से वह स्थान जहाँ जाप किया जा रहा हैए तरंगित होकर पवित्र एवं सकारात्मक हो जाता है। इसके अभ्यास से जीवन की गुत्थियाँ सुलझती हैं तथा आत्मज्ञान होने लगता है। मनुष्य के मन में एकाग्रताए वैराग्यए सात्विक भावए भक्तिए शांति एवं आशा का संचार होता है। इससे आध्यात्मिक ऊँचाइयाँ प्राप्त होती हैं। श्ॐश् से तनावए निराशाए क्रोध दूर होते हैं। मनए मस्तिष्कए शरीर स्वस्थ होते हैं। गले व साँस की बीमारियोंए थायरॉइड समस्याए अनिद्राए उच्च रक्तचापए स्त्री रोगए अपचए वायु विकारए दमा व पेट की बीमारियों में यह लाभदायक है। विद्यार्थियों को परीक्षा में सफलता हेतु एकाग्रता दिलाने में भी यह सहायक है। इन दिनों पश्चिमी देशों में नशे की लत छुड़ाने में भी श्ॐश् के उच्चार का प्रयोग किया जा रहा है।
ध्यानए प्राणायामए योगनिद्राए योग आदि सभी को श्ॐश् के उच्चारण के बाद ही शुरू किया जाता है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए दिन में कम से कम 21 बार श्ॐश् का उच्चारण करना चाहिए।
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