भोपाल। पत्रकारों की समस्याओं को लेकर पत्रकार निर्मल पचौरी 23 अगस्त से जनसंपर्क संचालनालय के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे। राजधानी में आयोजित एक पत्रकार वार्ता में निर्मल पचौरी ने बताया कि पत्रकारों की अनेकों समस्याएं हैं। उन्होंने प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के पत्रकारों एवं प्रेस फोटोग्राफर, कैमरामेनों से अपील की है कि 23 अगस्त की प्रात: 10 बजे से 3 बजे तक प्रतिदिन होने वाले अनिश्चितकालीन धरना स्थल पर आकर वहां रखे रजिस्टर में अपनी समस्याएं लिखे, इन समस्याओं के समाधान के लिए एक समिति द्वारा निर्णय करने के बाद उसको मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान तथा जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा को ज्ञापन के रूप में सौंपा जाएगा। श्री पचौरी ने बताया कि लगभग 16 साल पहले पत्रकारों ने जन संपर्क संचालनालय के सामने धरना दिया था। उन्होंने पत्रकारों से संबंधित संगठनों के पदाधिकारियों से अपील की है कि सभी पत्रकारों के हित में एकत्र होकर सहयोग एवं समर्थन दे। इस अवसर पर उपस्थित जनसंवेदना पत्रिका के संपादक आर.एस. अग्रवाल ने बताया कि धरना दे रहे पत्रकार साथियों के लिए प्रतिदिन दोपहर एक बजे जनसंवेदना की ओर से भोजन व्यवस्था की गई है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ पत्रकार आदित्य नारायण उपाध्याय ने कहा कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं जनसंपर्क मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा द्वारा पत्रकारों के हित में किए जा रहे प्रयासों को धता बताकर जनसपंर्क संचालनालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा पत्रकार विरोधी कार्य किए जा रहे हैं। जनसंपर्क विभाग भ्रष्टाचार का मुख्य अड्डा बन गया है। जहां चेहरे देखकर और कमीशन लेकर विज्ञापन आर्डर जारी किए जाते हैं। वहीं विज्ञापन देने, अधिमान्यता तथा मेडिकल सहायता देने में भी भेदभाव किया जा रहा है। श्री उपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपने निवास पर अन्य पंचायतों की तर्ज पर पत्रकार पंचायत का आयोजन करें, ताकि पत्रकार अपनी समस्याओं से उन्हें अवगत करा सकें।
पत्रकारों एवं फोटोग्राफरों की प्रमुख मांगें
़़1-मुख्यमंत्री और जन संपर्क मंत्री के निर्देशों एवं आदेशों का अवहेलना करने वाले जन संपर्क विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
2-पत्रकारों की हत्या और कातिलाना हमला करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई होना चाहिए तथा पत्रकारों की जानमाल की सुरक्षा के लिए कड़ा कानून बनाना चाहिए।
3-जन संपर्क विभाग द्वारा समाचार पत्र-पत्रिकाओं तथा न्यूज चैनलों को जारी होने वाले विज्ञापनों की सूची प्रतिदिन डिस्प्ले होना चाहिए।
4-समाचार पत्र-पत्रिकाओं को दिए जाने वाले विज्ञापनों में एकरूपता होनी चाहिए।
5-भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके जनसंपर्क संचालनालय मेें भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
6-पत्रकारों के लिए पेंशन योजना शीघ्र लागू की जाए तथा आर्थिक सहायता तत्काल उपलब्ध कराई जाए।
7-अधिमान्यता समिति, आर्थिक सहायता समिति, विधानसभा में पत्रकार दीर्घा समिति के सदस्यों का प्रतिवर्ष पुनर्गठन होना चाहिए।
8- जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा अपनी पत्नी व बच्चों के नाम से निकाली जा रही पत्र-पत्रिकाओं के लिए दिए जाने वाले विज्ञापन तत्काल बंद किए जाए।
9-आपराधिक छवि के तथा सजायाफ्ता पत्रकारों की अधिमान्यता रद्द की जाए।
10-कवरेज के दौरान प्रेस फोटोग्राफरों तथा कैमरामेनों के कैमरे के साथ हुई क्षति का तत्काल मुआवजा दिया जाए।
11-बीस-पच्चीस कॉपी छाप कर पत्रकार बनने वाले लोगों के विज्ञापन पर रोक लगाई जाए। ऑल्टर अखबारों के विज्ञापन बंद किए जाए।
12-प्रसार संख्या के लिए सीए प्रमाण पत्र के साथ समाचार प्रिटिंग प्रेस का बिल लगाना अनिवार्य किया जाए। सीए प्रमाण पत्र तथा प्रिटिंग प्रेस की छपाई के बिल में अंतर होने पर धारा 420 के तहत प्रकरण दर्ज कराया जाए।
13-आठ पृष्ठ के समाचार पत्र में अंतिम पृष्ठ पर कलर विज्ञापन, कलर फोटो कॉपी से तथा सात पृष्ठ ब्लेक एंड व्हाइट छपवाने वाले अखबारों के विज्ञापन बंद किए जाए तथा उनके खिलाफ धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कराया जाए।
14-समाचार पत्र-पत्रिका छापने वाले प्रिंटिग संस्थानों की मशीनों की प्रिंटिग क्षमताओं का प्रमाण पत्र लिया जाए। उनके संस्थानों में छपने वाले पत्र-पत्रिकाओं की सूची प्रतिमाह ली जाए।
15-पत्रकारों के नाम पर बनी गृह निर्माण समितियों के क्रियाकलापों की जांच की जाए। पत्रकारों के नाम पर गैर पत्रकारों को प्लॉट आवंटन एवं सदस्य बनाने की जांच कर उसकी सदस्यता निरस्त की जाए।
16-गृह निर्माण समितियों में धोखाधड़ी करने वाले पदाधिकारियों तथा शपथ पत्र में गलत जानकारी देने वाले सदस्यों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण कायम किए जाए।
17-वास्तविक पत्रकारों को गृह निर्माण समिति का सदस्य बनाया जाए और पत्रकार गृह निर्माण समितियों का व्यावसायीकरण बंद किया जाए।
18-जिन पत्रकारों के भोपाल अथवा अन्य शहरों में स्वयं के निजी मकान है, उनसे शासकीय आवास खाली कराए जाए।
19-पत्रकारों के नाम पर कथित लोगों को आवंटित शासकीय आवास खाली कराए जाए।
20-पत्रकार और उनके परिजनों द्वारा शासकीय आवास में चलाई जा रही व्यापारिक गतिविधियों पर रोक लगाई जाए। व्यापारिक गतिविधियां चलाने वाले पत्रकारों के शासकीय आवास खाली कराए जाए।
21-मुख्यमंत्री निवास पर प्रति वर्ष एक बार पत्रकार पंचायत बुलाई जाए।
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