मध्यप्रदेश बाँस विकास मिशन स्थापित होगा, परम्परागत बाँस का कार्य करने वाले बाँस शिल्पी कहलायेंगे, बाँस शिल्पियों का पंजीयन होगा, बाँस शिल्पी पंचायत में मुख्यमंत्री श्री चौहान
भोपाल 24 जून 2013। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश में बाँस एवं बाँस शिल्पियों के हितों के संरक्षण के लिये बाँस एवं बाँस शिल्प बोर्ड गठित किया जायेगा। प्रदेश में बाँस की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिये मध्यप्रदेश बाँस विकास मिशन स्थापित किया जायेगा। पारम्परिक तौर पर बाँस शिल्प का काम करने वालों को शिल्पी का दर्जा दिया जायेगा और उनका पंजीयन किया जायेगा।
श्री चौहान आज यहाँ मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित बाँस शिल्पी पंचायत को संबोधित कर रहे थे। समाज के विभिन्न वर्गों से सीधे संवाद के लिये पंचायतों की श्रंखला में इस पंचायत में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बाँस शिल्पियों के लिये अनेक सौगात की घोषणा की। वन मंत्री श्री सरताज सिंह और अनुसूचित जाति कल्याण राज्यमंत्री श्री हरिशंकर खटीक विशेष रूप से उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि लोकतंत्र में सरकार लोगों के कल्याण के लिये है। जो विकास की दौड़ में पीछे रह गये हैं उन्हें बराबरी पर लाना है। पंचायतों के माध्यम से जिनकी समस्या है उनसे ही बात करके समाधान किया जा रहा है। जिनके हाथों में हुनर है उन्हें कला साधक मानना चाहिये।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने बाँस शिल्पियों के हित में घोषणाएँ करते हुए कहा कि बाँस शिल्पियों का पंजीयन किया जायेगा। पंजीयत बाँस शिल्पियों को सामाजिक सुरक्षा के लिये प्रसूति सहायता, विवाह सहायता, चिकित्सा सहायता, छात्रवृत्ति, आकस्मिक मृत्यु पर सहायता, दुर्घटना पर सहायता योजनाओं का लाभ दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ब्याज अनुदान योजना के तहत बाँस शिल्पियों को उत्पादन और विपणन गतिविधियों के लिये बैंकों से लिये ऋण पर पाँच प्रतिशत की दर से पाँच वर्ष तक ब्याज अनुदान दिया जायेगा। मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत बाँस शिल्पियों को बैंकों से स्वीकृत 10 हजार रूपये के ऋण पर पाँच हजार रुपये का अनुदान तथा शून्य प्रतिशत ब्याज पर पाँच हजार रुपये, 10 हजार से 5 लाख रुपये तक के ऋण पर 25 हजार रुपये का अनुदान तथा पाँच प्रतिशत की दर से पाँच वर्ष तक ब्याज अनुदान दिया जायेगा। बाँस शिल्पियों के स्व-सहायता समूहों को कार्यशाला के निर्माण के लिये 5 लाख रुपये तक की लागत पर 75 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा। बाँस शिल्पियों को आई.टी.आई. में ट्रेनिंग दी जायेगी और ट्रेनिंग के दौरान शिष्यवृत्ति दी जायेगी। बाँस शिल्पियों को उत्पादन के विपणन में सहयोग के लिये हाट मेलों में स्टॉल उपलब्ध करवाये जायेंगे। मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना में ग्रामों में बनाये जा रहे हाट बाजार में बाँस शिल्पियों के लिये स्थान सुनिश्चित किये जायेंगे।
पंजीकृत बाँस शिल्पियों को प्रसूति सहायता योजना में 45 दिन की मजदूरी, विवाह सहायता योजना में 15 हजार रुपये की सहायता, शिक्षा प्रोत्साहन योजना में कक्षा एक से पाँच तक 500 से 5000 रुपये तक की सहायता, चिकित्सा सहायता योजना में 3 लाख रूपये तक की सहायता, दुर्घटना में आकस्मिक मृत्यु होने पर एक लाख रूपये तथा स्थायी विकलांगता होने पर 75 हजार रूपये की सहायता दी जायेगी। बाँस शिल्पियों के प्रतिभाशाली बच्चों के मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रवेश पर राज्य सरकार फीस भरेगी। मेधावी बच्चों को विदेश अध्ययन के लिये सहायता दी जायेगी। संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने पर प्रोत्साहन राशि दी जायेगी। जाति प्रमाण-पत्र व्यवस्था का सरलीकरण किया जायेगा। बाँस शिल्पियों के समाज के लोग यदि किसी शासकीय भूमि पर रह रहे हैं तो उन्हें उस भूमि का पट्टा दिया जायेगा।
वन मंत्री श्री सरताज सिंह ने कहा कि कुटीर उद्योग शिल्पकारों का उत्थान कर सकता है। उन्होंने कहा कि बाँस शिल्प की दुनिया के बाजार में पहचान बनाने के अच्छे अवसर हैं। उन्होंने कहा कि बाँस मिशन बनाया गया है। इसके अंतर्गत बाँस शिल्पियों को प्रशिक्षण दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि पहली बार प्रदेश में बाँस शिल्पियों के कल्याण और भविष्य निर्माण के लिये यह प्रयास किया गया है।
पूर्व सांसद श्री नारायण प्रसाद केसरी ने मुख्यमंत्री श्री चौहान को धानुक, बसोड़ समाज को संगठित करने और बाँस निगम बनाने की पहल करने की सराहना की। उन्होंने कहा कि बाँस शिल्प का आधुनिक प्रशिक्षण देने के लिये प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापना की जाना चाहिये।
पंचायत में धानुक समाज, बरार और बसोर समाज के लिये काम कर रहे विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने बाँस शिल्पी समुदाय के कल्याण के लिये सुझाव दिये।
संयुक्त वंशकार समाज कल्याण समिति के श्री सी.ए. वंशकार ने माँग-पत्र का वाचन किया और बाँस विकास निगम बनाने की पहल करने के लिये समाज की ओर से मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य श्री घनश्याम बरूनिया ने बरार समाज के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये मुख्यमंत्री की सोच की सराहना की। अखिल भारतीय धानुक समाज के राज्य अध्यक्ष श्री एस.डी. बंशकार ने समाज की सामुदायिक गतिविधियों के लिये भवन की जरूरत बताई। श्री क.ेडी. राही ने 13 सूत्रीय माँग-पत्र पढ़ा। उन्होंने सुझाव दिया कि बाँस शिल्पियों के कल्याण के लिये अलग से सरकारी संस्था का गठन किया जाना चाहिये। बाँस `िश्ल्पियों को नगर पालिकाओं द्वारा बनाये जाने वाले शापिंग काम्प्लेक्स में दुकान मिलना चाहिये। बाँस शिल्पियों को ब्याज रहित कर्ज भी मिलना चाहिये। धनकर समाज के श्री दिनेश मौर्य, श्री शिवराम ने भी अपने विचार रखे और वंशकार समाज के लोगों से विकास के मुददों पर सीधी चर्चा करने के लिये मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में बाँस शिल्पी उपस्थित थे।
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