Sunday, November 18, 2012

24 से मांगलिक कार्यों का श्री गणेश


24 से मांगलिक कार्यों का श्री गणेश

उज्जैन 17 नवंबर, 2012 । 24 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी से देव जागेंगे। इस दिन से मांगलिक कार्यों का श्री गणेश होगा। भारतीय संस्कृति के प्रथम 15 संस्कारों में देवों का उत्थापन या साक्षी महत्वपूर्ण माने गए हैं। अत: देव उठनी एकादशी से विवाह, यज्ञोपवीत, चौलकर्म (मुंडन), देव प्रतिष्ठा, गृह प्रवेश, गृह आरंभ (नीव खुदाई) जैसे कई शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। इसके साथ ही चार्तुमास का समापन भी होगा। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार जीवन में सुख-शांति तथा समृद्घि के लिए शुभ कार्यों में देवों की साक्षी का विशेष महत्व है। यही कारण है कि चार्तुमास काल में जब देव शयन करते हैं, उस दौरान मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है। देव उत्थापन के साथ ही 8 मास पर्यंत शहनाई गूंजने लगती है। इस वर्ष करीब 32 श्रेष्ठ मुहूर्त हैं, जिनमें शुभ विवाह किए जा सकते हैं। अन्य मांगलिक कार्यों के लिए भी मुहूर्तों के मान से यह वर्ष श्रेष्ठ हैं।
विवाह मुहूर्त- नवंबर- 24 नवंबर रेवती नक्षत्र शनिवार (देवउठनी ग्यारस), 28 नवंबर रोहिणी नक्षत्र बुधवार, 29 नवंबर रोहिणी नक्षत्र गुरुवार, 30 नवंबर मृगशीरा नक्षत्र शुक्रवार, दिसंबर- 5 दिसंबर मघानक्षत्र बुधवार, 7 दिसंबर उ.फा. नक्षत्र शुक्रवार, 8 दिसंबर हस्त नक्षत्र शनिवार, 9 दिसंबर चित्रानक्षत्र (दिन के लग्न) रविवार
जनवरी-, 16 जनवरी उ.भा. नक्षत्र बुधवार, 17 जनवरी उ.भा. नक्षत्र गुरुवार, 18 जनवरी रेवती नक्षत्र (दिन के लग्न) शुक्रवार, 23 जनवारी मृगशीरा नक्षत्र (रात्रि लग्न) बुधवार, 30 जनवरी उ.फा. नक्षत्र बुधवार, 31 जनवरी उ.फा. नक्षत्र गुरुवार
फरवरी-1 फरवरी हस्त नक्षत्र शुक्रवार, 4 फरवरी अनुसराधा नक्षत्र सोमवार, 5 फरवरी अनुराधा नक्षत्र मंगलवार, 6 फरवरी मूलनक्षत्र बुधवार, 7 फरवरी मूल नक्षत्र गुरुवार,
मार्च - मलमास होने के कारण इस माह में मांगलिक कार्य निषेध माने गए हैं।
अप्रेल - 29 अप्रैल मूल नक्षत्र सोमवार
मई -  6 मई उ.भा.नक्षत्र सोमवार, 11 मई रोहिणी नक्षत्र शनिवार, 12 मई रोहिणी नक्षत्र रविवार, 18 मई मघा नक्षत्र शनिवार, 20 मई उ.फा. सोमवार, 21 मई हस्त नक्षत्र मंगलवार, 26 मई मूल नक्षत्र रविवार, 27 मई मूल नक्षत्र सोमवार, 28 मई मंगलवार
जून- जुलाई- 2 जून उ.भा. नक्षत्र रविवार तथा जुलाई में 11, 13 व 15 तारीख के तीन शुभ मुहूर्त हैं।


-  डॉ. अरुण जैन

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