Sunday, April 7, 2013

आदिवासियों का मुख्य शत्रु राज्य है. माओवादियों की भांति वे भी चाहते है


 आदिवासियों का मुख्य शत्रु राज्य है. माओवादियों की भांति वे भी चाहते है लोकतंत्र के मंदिर पर बंदूकधारियों का कब्ज़ा हो. ज़ाहिर है बंदूकधारी माओवादियों और उनके कलमधारी समर्थकों का अजेंडा एक है. आंबेडकर की भाषा में कहा जाय तो वेद्विश्वासी आर्यों का दोनों ही खेमा आदिवासियों को जंगली व असभ्य बनाये रखना चाहता है. 

चूंकि माओवादी नेता आदिवासी इलाकों में व्याप्त शोषण और गरीबी को हथियार बनाकर ही अपना लक्ष्य पूरा करना चाहते हैं इसलिए वे अपने इच्छित लक्ष्य के लिए नरेगा-मनरेगा जैसी राहत टाइप की योजनाओं में भी बाधक बनते तथा अलेक्स पाल मेनन जैसे कर्तव्यनिष्ठ अफसरों का अपहरण करते रहेंगे। अब अगर सरकारें वेद विश्वासियों के शिकंजे से आदिवासियों को मुक्त कर उन्हें 21 वीं सदी में पहुँचाना चाहती है तो उनकी आकांक्षा के अनुरूप कार्ययोजना बनायें.

21वीं सदी के सूचनातंत्र ने आदिवासियों की आकांक्षाएं जल-जंगल-जमीन से बहुत आगे बढ़ा दी है. वे भी मेट्रोपोलिटन शहरों के लोगों की भांति अत्याधुनिक सुख-सुविधाओं का भोग करना चाहते हैं. वे भी उद्योगपति-व्यापारी;अख़बारों और फिल्म स्टूडियो के मालिक तथा किसी एमएनसी के सीइओ बनने जैसे सपने देखना शुरू कर दिए है. ऐसे में माओवाद प्रभावित इलाकों की सरकारें यदि ईमानदारीपूर्वक आदिवासियों को सप्लाई,डीलरशिप,ठेकों ,पार्किंग-परिवहन,प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मिडिया इत्यादि में सख्यानुपात में भागीदारी देने की ठोस नीति की घोषणा कर दें ,परिदृश्य पूरी तरह बदल जायेगा. तब नरेगा-मनरेगा में एवरेस्ट बननेवाले माओवादी उनकी आकांक्षा को देखते हुए क्रांति के लिए किसी और समुदाय कि तलाश में निकल जायेंगे.

अगर सरकारें माओवाद के खात्मे तथा अदिवासियों को सभ्यतर जीवन प्रदान करने के लिए ऐसी नीति पर अमल करना चाहती हैं तो 13 जनवरी 2002 को भोपाल के ऐतिहासिक दलित –आदिवासी सम्मलेन,जिसमे महान आदिवासी विद्वान दिवंगत रामदयाल मुंडा ने भी शिरकत किया था, से जारी डाइवर्सिटी केंद्रित ‘भोपाल-घोषणापत्र’ एक मार्गदर्शन का काम कर सकता है.इसमे दलित-आदिवासियों को कैसे उद्योगपति-व्यापारी,ठेकेदार इत्यादि बनाया जाय,इसका उपाय सुझाया गया है. इससे प्रेरणा पाकर ही आज अम्बेडकरवादी आन्दोलन डाइवर्सिटी आन्दोलन में तब्दील हो चुका है.
hl-dusadhएच एल दुसाध  डाइवर्सिटी मिशन के अध्यक्ष हैं.

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