देखो मीडिया बना रहा है बजरंगबली : बजरंगबली बेहद बलशाली थे लेकिन कहते हैं, उन्हें अपनी ताकत का गुमान नहीं था. वो तब जाग्रत होते थे जब उन्हें ताकत का भान कराया जाता था. मीडिया भी ऐसी ही ताकत का भान कराकर कई लोगों को बजरंगबली बनाता है.
अब बारी पीपली लाइव के लिए गाना लिखने वाले रायसेन जिले के बड़बई गाँव के मास्साब गया प्रसाद प्रजापति की है. पहले तो बेचारे मास्साब ये सोच कर खुश थे की उनके गांव में शूटिंग हो रही है, चलो देश भर के लोग उनके गांव के बारे में जान जायेंगे. फिर उन्हें भी उनकी मण्डली के साथ गाते-बजाते फिल्म में लिया गया. मास्साब का लिखा गाना भी फिल्म में ले लिया गया. न केवल ले लिया गया बल्कि उसे फिल्म के प्रोमो में डाल दिया गया. मास्साब गदगद थे कि अब गांव के साथ उन्हें भी देश के लोग पहचानने लगेंगे. फिर शुरू हुए खबरिया चैनलों के गांव में फेरे. मास्साब और खुश....
आये दिन प्रेस की हुई कमीज़ पहने किसी न किसी चैनल में मण्डली के साथ गाते दिख जाते. उनके लिए ये सपने से कम नहीं था कि अचानक किसी ने उन्हें बजरंगबली बनाने की सोची. मास्साब को ज्ञान दिया गया कि आपके गाने के कारण ही फिल्म को लोकप्रियता मिल रही है और ना केवल लोकप्रियता मिल रही है बल्कि उसे भाजपा बिहार चुनाव में इस्तेमाल करना चाहती है. मास्साब को बताया गया कि भाजपा से मोटी रकम प्रोड्यूसर लेगा और आपका गाना बेचेगा. उन्हें बताया गया कि आपने इतना अच्छा गाना लिखा और उसका कापीराईट भी आपके पास नहीं है. आपको क्या मिला?
बस अचानक मास्साब की चेतना जाग्रत. उन्होंने बाहें चढ़ा लीं. अभी तक वे बेचारे कापी-किताब की दुनिया में जीते थे लेकिन इस नए कापीराइट से उनका पाला नहीं पड़ा था, लेकिन जैसे ही उसमें गुम्फित माल के सपने मास्साब को दिखाए गए, मास्साब हुंकार भरने लगे. कल तक आमिर खान को दिल की अंतरतम गहराइयों से दुआ देने वाले मास्साब अब उन्हें पानी पी पी कर कोस रहे हैं. उनका कहना है कि वे भारी शोषण के शिकार हुए हैं.
मास्साब कह रहे हैं कि उन्हें इसके लिए आमिर खान से दस लाख और मण्डली के प्रत्येक सदस्यों के लिए एक एक लाख रूपये चाहिए. मास्साब ने आमिर खान से खतो किताबत शुरू कर दी है. आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने साजिश करके अंग्रेजी में लिखे पत्र में दस्तखत करवा कर कापीराइट ले लिया गया. खबर है आमिर खान ने उन्हें मुंबई बुलाने पर विचार किया है.
मास्साब कुछ भी ऐसा नहीं कर रहे हैं जो मौजूदा दौर में गलत हो. प्रोफेशनलिज्म उनमे नहीं था तो मीडिया ने इसका उन्हें बोध करवाया और इसमें गलत कुछ भी नहीं है. जब गाने के कारण कमाई होगी तो उसे बंटना ही चाहिए.
गानों को लेकर विवाद कोई नया नहीं है. इसके पहले दिल्ली-6 में छत्तीसगढ़ के फोक सोंग- 'ससुराल गोंदा फूल' पे बबाल हुआ. इसे 'ससुराल गेंदा फूल' करके इस्तेमाल किया गया. जबकि असली गाना 'गोंदा फूल' था जिसका मायना होता है नाज़ुक सा फूल. खैर इस गाने को किसने लिखा है ये तो अभी तक विवादों में है लेकिन सबसे पहले इसे हबीब तनवीर ने अपने थियेटर में इस्तेमाल किया था. इस फिल्म के रिलीज़ के वक्त भी बेहद दावे- प्रतिदावे हुए लेकिन बाद में मामला सुलटा लिया गया.
फिर आई इश्किया जिसके इब्नबतूता गाने में सर्वेश्यर दयाल सक्सेना को क्रेडिट ना मिलने पर हंगामा हुआ. अप्रत्यक्ष तौर से गुलज़ार को भी चोरी के आरोप झेलने पढ़े. अब ये नया मामला मास्साब का. कहते हैं कि फिल्म की पब्लिसिटी में विवाद अहम् रोल अदा करते हैं. उसे देख कर लगता है कि आमिर इस मसले को रिलीज़ के कुछ पहले तक रबर के तरह तानेंगे. इस बात का ध्यान रखते हुए कि वो बीच से टूटे ना. उसके बाद हो सकता है मास्साब का मुंह नोट देकर बंद करा दिया जाए.
जो भी हो मास्साब की तो निकल पड़ी है, यदि उनका गाना भाजपा ने लिया तो उनके दिन बहुरने तय हैं. एमपी में भाजपा की सरकार है, हो सकता है शिवराज उन्हें स्कूली पढ़ाई से मुक्ति दिलाकर किसी निगम मंडल का सदस्य बनाकर भोपाल में रख लें और उनके गाने से विरोधी दलों पर हमला करवाएं. यानी मास्साब के दोनों हाथों में लड्डू आने वाले हैं. उन्होंने कागज़ के टुकड़ों में जो भी टेड़ा मेड़ा लिखा और अखबारों में छपने भेजने की भी हिम्मत वे नहीं जुटा पाते थे मगर अब शान से बताते हैं कि कितनी मेहनत लगी उन्हें ये गाना लिखने में. जैसे मास्साब के दिन फिरे वैसे ही सब पर इश्वर की कृपा हो.
जय हो पीपली लाइव!
लेखक प्रवीण दुबे न्यूज चैनल 'न्यूज़24' के भोपाल में विशेष संवाददाता हैं.
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