Sunday, May 8, 2011
सूर्य जगत की आत्मा है,
यह एक विशालकाय तारा है, जिसके चारों ओर आठों ग्रह और अनेकों उल्काएं चक्कर लगाते रहते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि यह जलता हुआ विशाल पिंड है। इसकी गुरुत्वाकर्षण शक्ति के बल पर ही समस्त ग्रह इसकी तरफ खींचे रहते हैं अन्यथा सभी अंधकार में न जाने कहां लीन हो जाए। फिर भी यह ब्रह्मांड की अपेक्षा एक छोटा तारा है। वेदों के अनुसार सूर्य जगत की आत्मा है, यही सूर्य नहीं अनेक दूसरे सूर्य भी।
विज्ञान अनुसार : वैज्ञानिक कहते हैं कि इसका तापमान बाहरी स्तर पर 6000 डिग्री सेंटीग्रेड से लेकर डेढ़ करोड़ डिग्री तक रहता है। इसका आकार, उम्र और तापमान अन्य तारों के लगभग मध्यमान के अनुपात में है। इसकी संरचना अधिकतर हाइड्रोजन एवं हीलीयम नामक तत्वों से हुई है। सूर्य का व्यास 1372400 है। धरती से इसकी औसत दूरी 149000000 किलोमीटर मानी गई है। ये अपनी धुरी पर 30 दिनों में घुम जाते हैं। इस पर पृथ्वी जितने 13 लाख गोले रखे जा सकते हैं। अनुमान है कि अभी यह गोला तीस अरब वर्ष तक जलते रहने की क्षमता रखता है।
WDपुराणों अनुसार : भूलोक तथा द्युलोक के मध्य में अन्तरिक्ष लोक है। इस द्युलोक में सूर्य भगवान नक्षत्र तारों के मध्य में विराजमान रह कर तीनों लोकों को प्रकाशित करते हैं। पुराणों के अनुसार सूर्य देवता के पिता का नाम महर्षि कश्यप व माता का नाम अदिति है। इनकी पत्नी का नाम संज्ञा है जो विश्वकर्मा की पुत्री है।। संज्ञा से यम नामक पुत्र और यमुना नामक पुत्री तथा इनकी दूसरी पत्नी छाया से इनको एक महान प्रतापी पुत्र हुए जिनका नाम शनि है।
अशुभ : सूर्य के अशुभ होने पर शरीर में अकड़न आ जाती है। मुंह में थूक बना रहता है। यदि घर पर या घर के आस-पास लाल गाय या भूरी भैंस है तो वह खो जाती है या मर जाती है। यदि सूर्य और शनि एक ही भाव में हो तो घर की स्त्री को कष्ट होता है। यदि सूर्य और मंगल साथ हो और चंद्र और केतु भी साथ हो तो पुत्र, मामा और पिता को कष्ट।
शुभ : कांतिमय चेहरे और आंखों वाला व्यक्ति महान राजनीतिज्ञ भी हो सकता है या सरकारी महकमें का कोई बड़ा अधिकारी। सोच
-समझकर हित अनुसार गुस्सा करने वाला व्यक्ति न्यायप्रिय होता है। सूर्य नवम और दशम भाव में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
उपाय : भगवान विष्णु की उपासना। सूर्य को अर्ध्य देना। रविवार का व्रत रखना। मुंह में मीठा डालकर ऊपर से पानी पीकर ही घर से निकले। पिता का सम्मान करें।
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