Tuesday, December 4, 2012

मैंने कर्मचारियों का ज्यादा भला किया : दिग्गी


मैंने कर्मचारियों का ज्यादा भला किया : दिग्गी


भोपाल 4 दिसंबर 2012। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह ने मंगलवार शाम पीसीसी में आयोजित पत्रकार-वार्ता में कहा कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों का उनके मुख्यमंत्रित्व में ज्यादा भला हुआ।
उन्होंने सिलसिलेवार बताया कि राज्य में भाजपा शासनकाल में वर्ष 2004 से आज तक लगभग 20,000 शासकीय कर्मचारियों के साथ भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा शासन की शह पर मारपीट और दुव्र्यवहार की घटनायें घटी है जिससे स्पष्ट है कि यह पार्टी अधिकारियों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने में नाकाम रही है। इन घटनाओं के आरोपियों में बजरंगदल, विश्वहिन्दू परिषद, अभाविप तथा भाजपा के कार्यकर्ता शामिल थे।
इसी प्रकार, सरकार द्वारा विधानसभा में मार्च 2008 में प्रश्न क्रमांक 115 के उत्तर में जो जानकारी उपलब्ध कराई गई थी उसके अनुसार 1 अप्रेल 2004 से 31 दिसंबर 2007 तक शासकीय कर्मचारियों से मारपीट के 7546 प्रकरण दर्ज हुये थे जिनमें 15646 भाजपा कार्यकर्ता गुण्डागर्दी में शामिल थे।
भाजपा के शासनकाल में न केवल शासकीय कर्मचारी बल्कि पुलिस के वरिष्ठ आई.पी.एस. अधिकारियों के खिलाफ  भी माफि या लोगों ने भाजपा सरकार की षह पर हमले किये है जिनमें से आई.पी.एस. ऑफीसर नरेन्द्र कुमार की मत्यु हो गई। एक दूसरी घटना में आई.पी.एस. अधिकारी जयदेवन पर शराब माफिया ने हमला किया जिसमें भाजपा के पूर्व विधायक नरेन्द्रसिंह कुशवाह शामिल थे। इसी प्रकार खरगोन जिले में पुलिस इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर पर हमले हुये जिनमें से इंस्पेक्टर रघुराम प्रसाद की हत्या हो गई और सब इंस्पेक्टर आर.बी. गोयल गंभीर रूप से घायल हुये।
श्री सिंह ने बताया कि भाजपा के शासनकाल में रेत माफि याओं ने एस.डी.एम. अजयगढ़ जिला पन्ना पर हमला किया और ऐसी अनेक घटनायें पूरे प्रदेश में घटित होती रही है जिसके कारण पूरा प्रदेश माफि या प्रदेश में बदल गया है। पुलिस के इंस्पेक्टर रेंक के अधिकारियों पर राजधानी में ही पिछले वर्ष से अभी तक 25 बार हमले किये गये जिसमें अगस्त 2011 में एस.पी. अभय सिंह की ऑखों की रोशनी ही खत्म हो गई।
फरवरी 2012 में कमला नगर थाने में आर.एस.एस. के स्वयंसेवकों ने पुलिसकर्मियों पर हमला किया। विडंबना यह थी कि पीटने वाले स्वयंसेवकों ने गृहमंत्री से मिलकर पिटे हुये पुलिसकर्मी सब इंस्पेक्टर बी. एम. कुशवाह, सहायक सब इंस्पेक्टर धर्मसिंह आर्य, प्रधान आरक्षक देवेन्द्र, नरवरिया, मुंशी संतराम खन्ना एवं आरक्षक सुरेश यादव, नवीन मिश्रा, विनोद पठारिया, अतुल जंगले, समरसिंह व अन्य को निलंबित करा दिया। देवास जिले में एक महिला तहसीलदार पर रेत माफियाओं ने हमला किया और यह घटना आई.पी.एस. अधिकारी की हत्या के एक माह बाद हुई। इससे लगता है कि यह सरकार आपराधिक और गुण्डा तत्वों के विरूद्ध कोई कार्यवाही नही करना चाहती।
श्री सिंह ने बताया कि कांग्रेस के शासनकाल में कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को केन्द्रीय तिथि से मंहगाई भत्ता दिया जाता था। यद्यकिप उसकी घोषणा 3-4 माह पश्चात होती थी लेकिन उसका एरियर कर्मचारियों के भविष्य निधि खाते में सीधा जमा किया जाता था। इस सरकार ने केन्द्रीय तिथि से मंहगाई भत्ता न देकर लगभग 5 से 6 महीनो का विलंब कर कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता दिया है जिसके कारण सरकार ने 4 लाख 60 हजार शासकीय कर्मचारियों का 133 महीनों के मंहगाई भत्ते का एरियर जो लगभग 8610 करोड़ रूपये है हजम कर लिया है।
श्री सिंह ने कहा कि अग्रवाल आयोग की अनुशंसाओं के अनुसार जो वेतन भत्ते (गृह भाड़ा, यात्रा भत्ता, स्थानांतरण अनुदान इत्यादि) प्रदेश कर्मचारियों को दिनांक 01.01.2006 से देय है वे भी वर्ष 2012 के अंत से दिये जा रहे है जबकि इसे केन्द्र की तिथि से देय मान्य किये जाने की स्थिति में प्रतिवर्ष रू. 306.74 करोड का एरियर कर्मचारियों को दिया जाना चाहिये जो 01.01.2006 से 01.11.2012 तक लगभग 6 वर्ण की एरियर राशि रू. 1840.44 करोड़ रूपये होती है। इसी प्रकार प्रदेश में लगभग 2,75,000 पेंशनर्स है जिनकी मंहगाई राहत का लगभग 9000 करोड़ रूपये का एरियर सरकार ने हजम कर लिया है।
श्री सिंह ने कहा कि यदि सरकार शासकीय कर्मचारियों एवं पेंशनर्स की उपरोक्त उल्लेखित राशि रू. 19450.44 करोड़ रूपयों नही हड़पती तो प्रत्येक कर्मचारी/पेंशनर को औसतन 3 से 4 लाख रूपये नगद मिलते जिससे वह अपना छोटा सा घर बना सकता था या बेटी का विवाह कर सकता था। कांग्रेस के 10 वर्षों के शासनकाल में मृतक कर्मचारियों के आश्रितों को 30 हजार अनुकंपा नियुक्तियां दी गई थी जबकि भाजपा के शासनकाल में अनुकंपा नियुक्तियों के 15 हजार प्रकरण लंबित है तथा अब तक कर्मचारियों के आश्रित अपनी नियुक्ति हेतु कार्यालयों के चक्कर काट रहे है।
श्री सिंह ने दावा किया कि कांग्रेस के शासनकाल में 22334 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की सेवा नियमित की गई थी परन्तु भाजपा के शासनकाल में 55000 दैनिक वेतन भोगी नियमितीकरण से वंचित कर दिये गये। कांग्रेस के शासनकाल में 5 वें वेतन आयोग के एरियर्स एक ही किश्त में दिया गया था जबकि भाजपा के शासनकाल मे छठवें वेतन आयोग के एरियर का भुगतान 5 किश्तों में बगैर ब्याज के किया जा रहा हैं।

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