भोपाल 22 दिसंबर 2012। नदी किनारों की रेत में तरबूज-खरबूज उत्पादन हेतु मछुआरों को प्राथमिकता मिलेगी। इसके लिये नवगठित मछुआ कल्याण बोर्ड नीति बनाने के लियु सुझाव देगा। इसके अलावा बोर्ड सिंघाड़ा अनुसंधान, उत्पादन तथा विपणन के विकास तथा सुधार हेतु और कमल गट्टा तथा उससे उत्पादित मखाना के बेहतर विपणन के लिये भी सुझाव देगा। बंद ऋतु तथा मत्स्याखेट प्रतिबंधित क्षेत्र में मत्स्याखेट प्रतिबंध प्रभावी रखने में मछुआरों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिये भी बोर्ड परमर्श देगा। वह मछुआ कल्याणकारी योजनाओं हेतु मत्स्योद्योग विभाग तथा मत्स्य महासंघ को अनुशंसायें भी करेगा।
ज्ञातव्य है कि राज्य सरकार ने विधायक मोती कश्यप की अध्यक्षता में मछुआ कल्याण बोर्ड का गठन किया है। अब सरकार ने इस बोर्ड के कामकाज अधिसूचित कर दिये हैं। मछलीपालन विभाग द्वारा अधिसूचित कामकाज के अंतर्गत बोर्ड सुखान मछली के आखेट तथा विपणन की नीति, अक्रियाशील मछुआरों के चिन्हांकन हेतु गठित समिति की अनुशंसा/निर्णयों के क्रियान्वयन के लिये और नौका/तैराकी के लिये बच्चों को प्रशिक्षण संबंधी सुझाव भी देगा। इसी तरह बोर्ड नौका घाटों पर नौका संचालन नीति पर भी राय देगा।
विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बोर्ड का कार्यकाल तीन साल रहेगा तथा इसमें विभागीय अमले को प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ किया जायेगा और बोर्ड में कुल 23 पद होंगे। बोर्ड को इस साल कार्यालय व्यय के लिये चालीस लाख रुपये मिलेंगे तथा अगले दो वर्षों में यह राशि क्रमश: 35-35 लाख रुपये होगी। बोर्ड का स्वतंत्र कार्यालय होगा तथा इसका मुख्यालय भोपाल में रहेगा लेकिन बोर्ड प्रदेश में कहीं भी बैठक रखने के लिये स्वतंत्र होगा।
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Saturday, December 22, 2012
रेत में तरबूज-खरबूज उत्पादन में मछुआरों को मिलेगी प्राथमिकता
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