Tuesday, June 8, 2010

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ए. एच. अहमदी ने भोपाल गैस कांड में यूनियन कार्बाइड कंपनी

नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस ए. एच. अहमदी ने भोपाल गैस कांड में यूनियन कार्बाइड कंपनी
के अधिकारियों के खिलाफ आरोपों को हल्का किए जाने की आलोचना को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि आपराधिक कानून व्यवस्था में दूसरे के बदले उत्तरदायित्व जैसी अवधारणा नहीं होती। अहमदी ने हालांकि इस बात पर अफसोस जताया कि भोपाल गैस कांड जैसे हादसों से निबटने के लिए देश में उचित कानून का अभाव है। उन्होंने कहा कि दोषियों को उचित सजा दिलवाने के लिए कानून में बदलाव लाया जा सकता है।

गौरतलब है कि जस्टिस अहमदी ने 1996 में सुप्रीम कोर्ट की उस बेंच की अध्यक्षता की थी, जिसने सीबीआई द्वारा भोपाल कांड में धारा 304-2 के तहत आरोपों को, जिसमें अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है, उस धारा में बदल डाला था, जिसमें अधिकतम 2 साल कैद की सजा ही दी जा सकती है। इन्हें भी पढ़ें
क्या इतनी सस्ती है हम भारतीयों की जिंदगी?

एंडरसन के खिलाफ बंद नहीं हुआ है मामला: मोइ


उन्होंने कहा कि लोगों के लिए बात करना और आरोप लगाना आसान है, लेकिन जजों को सिस्टम के तहत ही काम करना होता है।

अहमदी ने कहा, किसी को भी सिस्टम और कानूनी फ्रेमवर्क के तहत ही काम करना पड़ता है। आज की तारीख में धारा के बहाव के साथ बहकर बात करना आसान है। जस्टिस अहमदी उन आलोचनाओं का जवाब दे रहे थे कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच द्वारा दिए गए फैसले के कारण ही सोमवार को भोपाल की अदालत ने इस केस में मुजरिमों को हल्की सजा दी। उन्होंने कह कि आपराधिक कानून में दूसरे के बदले उत्तरदायित्व का कॉन्सेप्ट नहीं है। अगर मेरा ड्राइवर गाड़ी चला रहा है और उससे कोई जानलेवा हादसा हो जाता है, तो इसके लिए धारा 304-2 के तहत मुझे इसका जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता।

No comments:

Post a Comment