Friday, April 8, 2011

जिंदगी की इनिंग्स में बड़ा स्कोर


जिस जिंदगी को लेकर हम और आप हर पल, हर जगह फिक्रमंद रहते हैं, वह एक इनिंग्स की तरह है। यहां आपको किसी क्रिकेट मैच से कहीं ज्यादा संभलकर खेलना है, क्योंकि हार-जीत से कहीं ज्यादा दांव पर लगा है। यहां सवाल जी के ललचाने और मुंह में पानी आने जैसी आदतों को रोकने का है। तो जिंदगी की दौड़ में वही जीतेगा, जिसे खुद पर कंट्रोल रखना आता है और जिसने नियमों को जीने का जरिया बना लिया है। आइये जानते हैं कि इस इनिंग्स में कब क्या खाएं, जिससे कि स्कोर लंबा बना पाएं। पूरी जानकारी दे रहे हैं सत्येंद्र कनौजिया :

जब हों 20 से कम

- किशोरावस्था के दौरान शरीर का विकास सबसे तेजी से होता है। इस स्टेज में मेटाबॉलिक रेट काफी ऊंचा होता है। मेटाबॉलिज्म से मतलब उस क्रिया से है, जिससे भोजन जीवित पदार्थों या जीवाणुओं में बदल जाता है। हम जो भी खाते हैं, वह एनर्जी में तब्दील हो जाता है।

- इस उम्र में रोजाना के खानपान में अगर डेरी प्रॉडक्ट्स और शाकाहारी भोजन को शामिल किया जाए, तो बेहद फायदा होता है। नियमित रूप से प्रोटीन लेते रहने से शरीर का विकास होता है।

- हड्डियों की मजबूती के लिए कैल्शियम बेहद अहम है। किशोरावस्था की तरफ बढ़ने और इसमें दाखिल होने के वक्त स्केलिटल मास का 45 फीसदी हिस्सा विकसित होता है।

- शाकाहारी लोगों को भरपूर मात्रा में पनीर या सोया खाना चाहिए। इसे किसी भी रूप में डाइट में शामिल किया जा सकता है।

- लाइफ की इस स्टेज में चाय या कॉफी कम-से-कम मात्रा में लेना चाहिए, क्योंकि कैफीन हड्डियों से कैल्शियम लेने लगता है।

- युवावस्था में हड्डियों के विकास के लिए डाइट में विटामिंस की मौजूदगी जरूरी है। वयस्कों को अपनी डाइट में विटामिन ए (नारंगी और पीले रंग वाले सभी फल और सब्जियां), विटामिन सी (सिट्रस की मात्रा वाले फल और लाल मिर्च) और विटामिन ई (बादाम और पिस्ता) जरूर शामिल करने चाहिए। ये कोशिकाओं को मजबूत बनाते हैं। सभी तरह के विटामिन बी की भूमिका भी अहम होती है।

- इस दौरान एक समस्या आमतौर पर सामने आती है। एनीमिया और आयरन की कमी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देती है। इससे बचने के लिए आयरन की मात्रा वाली चीजों को खाने में शामिल करें। सूखे अंजीर या मुनक्का/किशमिश और दाल में पालक का साग लिया जा सकता है।

जब हों 20 के पार

- इस उम्र में हम पर काम का दबाव होता है। शिड्यूल अस्त-व्यस्त हो जाता है। 20 से 30 साल के लोगों की डाइट में अक्सर जरूरी विटामिन और मिनरल्स की कमी होती है।

- इस स्टेज में शरीर को प्रोटीन की जरूरत होती है, ताकि टिश्यू का निर्माण हो सके। भोजन में ऐसे पदार्थों को शामिल करना चाहिए जो रेशेदार हों और जिनमें स्टार्च की मात्रा हो। ऐसे पदार्थ ब्रेन और मांसपेशियों के लिए एनर्जी के प्राइमरी सोर्स होते हैं। इनसे जंक फूड पर निर्भरता कम हो जाती है।

- पोटैशियम की भरपूर मात्रा वाली चीजें, जैसे केला, आलू और मशरूम आदि भी हेल्थ के लिहाज से फायदेमंद हैं। इस अवस्था में विटामिन सी की अहमियत गौर करने लायक है। यह ऐंटि- स्ट्रेस विटामिन है, जो तमाम तनावों से दूर रखने में मदद करता है। इसके अलावा यह आयरन का अवशोषण भी करता है।

- इस उम्र की महिलाओं को भरपूर मात्रा में हरी सब्जियों और साग का सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे को जन्म देने के वक्त पैदा होने वाले खतरों में कमी आती है। दिल की बीमारियों की चपेट में आने की आशंका भी कम हो जाती है।

- पुरुषों को लेकोपीन (लाल रंग के फलों और सब्जियों में पाया जाने वाला कैरटिन) युक्त टमाटर खाना चाहिए। इससे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा 35 फीसदी तक कम हो जाता है।

- अगर आप चाहते हैं कि हड्डियां मजबूत रहें तो आपको नियमित रूप से विटामिन डी युक्त दूध पीना होगा। कैल्शियम की जरूरत पूरी करने के लिए डिनर में ब्रोकली लेना अच्छा रहेगा। इसमें मैग्नीशियम, विटामिन के और फास्फोरस जैसे तत्व भी पाए जाते हैं।

- 20 से 30 साल के बीच हमारा रोजाना का खान-पान बेहद संतुलित होना चाहिए। फोकस ऐसी लाइफस्टाइल पर होना चाहिए, जिससे डायबीटीज, हाई ब्लडप्रेशर जैसी बीमारियों से बचा जा सके।

टर्निंग 30

- जब आप 30 और उसके पार पहुंचते हैं तो शरीर की जरूरतें बदल जाती हैं। इस अवस्था में मेटाबॉलिक रेट (चयापचय दर) काफी हद तक कम हो जाता है और वेट बढ़ जाता है, जो कि हेल्थ के लिहाज से नुकसानदायक होता है। इससे मोटापा बढ़ता है और पैदा होता है टाइप 2 डायबीटीज का खतरा।

- अगर आप अपनी लाइफस्टाइल में चेंज लाने को तैयार हैं तो चिंता की कोई बात नहीं है। आपको खाने में फैट और शुगर की मात्रा काफी हद तक घटानी होगी। नमकीन स्नैक्स, रंग-बिरंगे फलों और सब्जियों, जैसे गाजर और सेब को छोड़ना होगा। अब थाली में वाइट ब्रेड की जगह गेहूं की रोटी नजर आनी चाहिए।

- अब आपको खाने में ज्यादा-से-ज्यादा हरी सब्जियां लेनी होंगी। ये शरीर को आयरन, फोलिक एसिड, कैल्शियम और विटामिन के प्रदान करेंगी। सलाद और सब्जियों में जैतून के तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे कॉलेस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल में रखने में आसानी होगी।

- 30 की उम्र के बाद इसका ध्यान रखना चाहिए कि हड्डियों को नुकसान न पहुंचे। इस वक्त हड्डियों का विकास चरम पर होता है, मतलब यह कि उनका घनत्व अधिकतम हो जाता है। इसके लिए हड्डियों को मजबूती देने वाले पोषक तत्वों, जैसे कैल्शियम, विटामिन डी और के युक्त चीजों को खाने में शामिल करना चाहिए।

40 की चौखट पर

- यह वह स्टेज है, जब लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों का हमला शुरू हो जाता है। ऐसे में नट्स बेहद अहम हो जाते हैं। खासकर बादाम, क्योंकि ये कॉलेस्ट्रॉल लेवल को नीचे रखने में मददगार होते हैं और दिल की बीमारियों के खतरे को कम करते हैं। इस अवस्था में रोग प्रतिरोधक तंत्र कमजोर पड़ता जाता है।

- कुछ लोग खाने में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा घटा देते हैं। उन्हें इसका अहसास नहीं होता कि कार्बोहाइड्रेट्स ऊर्जा पैदा करते हैं। उनकी गैरमौजूदगी में प्रोटींस कब्जा जमा लेते हैं, जिसके चलते ऊतकों के निर्माण और सेल रीजेनरेशन के काम पर असर पड़ता है।

- अब आपका फोकस ब्राउन वैरायटी पर होना चाहिए। खाने में वाइट के बजाय ब्राउन ब्रेड लें और गेहूं की रोटी का नियमित रूप से सेवन करें। इनमें फाइबर की काफी मात्रा होती है। ये ब्रेन और मांसपेशियों के लिए एनर्जी के प्राइमरी सोर्स हैं। फलों और सब्जियों से प्राप्त फाइबर भी अहम हैं। यह शुगर और कॉलेस्ट्रॉल जैसे लाइफस्टाइल डिस्ऑर्डर्स पर कंट्रोल करता है।

- इस अवस्था में ब्लैडर इन्फेक्शन का खतरा होता है। करौंदा इससे आपकी रक्षा कर सकता है। केले के सेवन से आपकी आंखों की रोशनी को फायदा होगा। 40 से 50 के बीच आहार में पोटैशियम युक्त चीजों, जैसे सभी अनाज, फल और सब्जियों को शामिल करना अच्छा रहेगा। इनमें मौजूद रोग प्रतिरोधी साइटोकेमिकल्स आपको चंगा रखेंगे।

- मछली का सेवन करने वालों को आर्थराइटिस का खतरा कम होता है। नियमित रूप से मछली खाने वालों के शरीर में ओमेगा-3 फैटी एसिड इकट्ठा हो जाता है। फिश ऑयल से कार्टिलेज (नरम हड्डियां) डीजेनरेशन रुकता है। ये इनफ्लेमेशन में कमी लाते हैं।

- भरपूर मात्रा में सेम खाने से आपके चेहरे पर झुर्रियां नहीं पड़ेंगी। एक स्टडी के मुताबिक, वे लोग जो भोजन में फली और सब्जियां ले रहे थे, उनके चेहरे पर झुर्रियां नहीं थीं। वे सूरज की किरणों से होने वाली त्वचा संबंधी बीमारियों से भी बचे रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि बीन्स में भारी मात्रा में ऐंटि-ऑक्सिडेंट्स होते हैं।

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