उत्तराध उत्सव, अमेरिका में रागमाला उत्सव आदि में अपनी प्रस्तुति दे चुकी हैं। सुश्री रूकमिणी दो तमिल फिल्मों में भी अभिनेत्री के रूप में कार्य कर चुकी हैं। आप ने 2009 में प्रस्तुतिकारी कलाओं को समर्पित संस्था `राधा कल्प´ की स्थापना की है। शंकराभरणम की अन्तिम तथा चौथी प्रस्तुति कर्नाटक शास्त्रीय संगीत के विविध लयात्मक चक्रो के माध्यम से शुद्ध नृत्य की प्रस्तुति। भगवान अर्धनारीश्वर को समर्पित ``तनी अवर्तनम´´ नामक इस प्रस्तुति में हर व्यक्ति में समाहित पौरूषोचित सौन्दर्य तथा स्त्रियोचित विशेषताओं को दर्शाया गया है।
भरतनाट्यम की इस अद्भुत प्रस्तुति की अवधारणा तथा नृत्य निर्देशन रूकमिणी विजयकुमार तथा पाश्र्वनाथ का था। गीत डॉ. शतावादानी आर. गणेश तथा डॉ. शंकर के रचना डी. श्रीवत्स तथा जी. गुरूमूर्ति की तथा स्वर प्रान किये थे बालसुब्रम
Monday, May 31, 2010
Tuesday, May 18, 2010
इंडिया टीवी के ब्यूरो चीफ से दुखी हैं पत्रकार
इंडिया टीवी के ब्यूरो चीफ से दुखी हैं पत्रकार
Tuesday, 18 May 2010 14:36 अरशद अली खान भड़ास4मीडिया - टीवी .
दुखी पत्रकारों ने की कई जगह शिकायत : डीजीपी ने दिए जांच के आदेश : भोपाल के पत्रकार अपने एक पत्रकार साथी से ही परेशान हैं. इतने परेशान कि उसके खिलाफ लिखित शिकायतें कर दी हैं. ये शिकायतें उस पत्रकार के संस्थान, पुलिस, प्रशासन और सरकार के उच्चाधिकारियों से की गई हैं. जिस पत्रकार से सभी परेशान हैं उनका नाम है अनुराग उपाध्याय. ये इंडिया टीवी के भोपाल ब्यूरो चीफ हैं.
इंडिया टीवी में काम करने के साथ-साथ ये एक वेबसाइट दखल नाम से चलाते हैं और एक अखबार हिंदू समृद्धि नाम से निकालते हैं. अनुराग पर पत्रकारों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इन आरोपों की जांच के आदेश डीजीपी ने दे दिए हैं. फिलहाल हम यहां भोपाल के पत्रकारों द्वारा इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा को लिखे पत्र को प्रकाशित कर रहे हैं. रजत शर्मा को भेजा गया यह दूसरा पत्र है. पहला पत्र आप इस शीर्षक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं- अपने ब्यूरो चीफ से हम पत्रकारों को बचाओ... रजत शर्मा से भोपाल के पत्रकारों की अपील... पार्ट वन और पार्ट टू
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Sent: Tue, 18 May, 2010 12:16:04 PM
Subject: Fwd: MP POLICE INQUIRY AGAINST INDIA TV CORRESPONDENT ANURAG UPADHYAY
To
Mr Rajat Sharma
India TV
Delhi
Dear Sir,
We have earlier also written to you, seeking your kind attention towards the scandalous activities of your correspondent Anurag Upadhyay.
The Madhya Pradesh Police through its order dated 14/5/2010 order 470/10, have constituted an enquiry against your correspondent. A copy of that order is attached herewith.
There is yet another scam related to correspondent, came in open. After the investigation, the Madhya Pradesh Police will be booking your correspondent under section 420 of IPC, as well. Anurag has been running a two-page paper - Hindu Samvridhi from Gwalior and Morena. The publisher of that paper died three-year ago but Anurag had been running the paper in the name of dead publisher was also operating the account with Vijay Bank in Gwalio, on the behalf of the dead publisher.
Sir, this is an open secret in Bhopal that India TV Correspondent Anurag had been submitting request in writing for the advertisements for his website Dakhal.net and his newspaper Hindu Samvridhi. At your own level you can call anyone at the Director Public Relations Department and know the real business of your correspondent in Madhya Pradesh.
Yours truly,
Brajesh Rajput Star News
Rahul Singh Times Now
Hemender Sharma CNN – IBN
Manoj Sharma IBN 7
Deshdeep Saxena News X
Sanjeev Shrivastav Sadhana News
Jagdeep Singh ETV
Bharat Shashtri Live India
Deepak Tiwari - The Week
Manish Sharma PTI
Sharad Dwivedi UNI
Prakash Tiwari Sahara Samay
Ambreesh Mishra India Today
Suchandana Gupta Times of India
Rajesh Sirorthia News Editor Naiduniya
Ranjan Shrivastav Hindustan Times
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अगली खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें- भोपाल के पत्रकारों ने अनुराग को ब्लैकमेलर कहा
Tuesday, 18 May 2010 14:36 अरशद अली खान भड़ास4मीडिया - टीवी .
दुखी पत्रकारों ने की कई जगह शिकायत : डीजीपी ने दिए जांच के आदेश : भोपाल के पत्रकार अपने एक पत्रकार साथी से ही परेशान हैं. इतने परेशान कि उसके खिलाफ लिखित शिकायतें कर दी हैं. ये शिकायतें उस पत्रकार के संस्थान, पुलिस, प्रशासन और सरकार के उच्चाधिकारियों से की गई हैं. जिस पत्रकार से सभी परेशान हैं उनका नाम है अनुराग उपाध्याय. ये इंडिया टीवी के भोपाल ब्यूरो चीफ हैं.
इंडिया टीवी में काम करने के साथ-साथ ये एक वेबसाइट दखल नाम से चलाते हैं और एक अखबार हिंदू समृद्धि नाम से निकालते हैं. अनुराग पर पत्रकारों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इन आरोपों की जांच के आदेश डीजीपी ने दे दिए हैं. फिलहाल हम यहां भोपाल के पत्रकारों द्वारा इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा को लिखे पत्र को प्रकाशित कर रहे हैं. रजत शर्मा को भेजा गया यह दूसरा पत्र है. पहला पत्र आप इस शीर्षक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं- अपने ब्यूरो चीफ से हम पत्रकारों को बचाओ... रजत शर्मा से भोपाल के पत्रकारों की अपील... पार्ट वन और पार्ट टू
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Sent: Tue, 18 May, 2010 12:16:04 PM
Subject: Fwd: MP POLICE INQUIRY AGAINST INDIA TV CORRESPONDENT ANURAG UPADHYAY
To
Mr Rajat Sharma
India TV
Delhi
Dear Sir,
We have earlier also written to you, seeking your kind attention towards the scandalous activities of your correspondent Anurag Upadhyay.
The Madhya Pradesh Police through its order dated 14/5/2010 order 470/10, have constituted an enquiry against your correspondent. A copy of that order is attached herewith.
There is yet another scam related to correspondent, came in open. After the investigation, the Madhya Pradesh Police will be booking your correspondent under section 420 of IPC, as well. Anurag has been running a two-page paper - Hindu Samvridhi from Gwalior and Morena. The publisher of that paper died three-year ago but Anurag had been running the paper in the name of dead publisher was also operating the account with Vijay Bank in Gwalio, on the behalf of the dead publisher.
Sir, this is an open secret in Bhopal that India TV Correspondent Anurag had been submitting request in writing for the advertisements for his website Dakhal.net and his newspaper Hindu Samvridhi. At your own level you can call anyone at the Director Public Relations Department and know the real business of your correspondent in Madhya Pradesh.
Yours truly,
Brajesh Rajput Star News
Rahul Singh Times Now
Hemender Sharma CNN – IBN
Manoj Sharma IBN 7
Deshdeep Saxena News X
Sanjeev Shrivastav Sadhana News
Jagdeep Singh ETV
Bharat Shashtri Live India
Deepak Tiwari - The Week
Manish Sharma PTI
Sharad Dwivedi UNI
Prakash Tiwari Sahara Samay
Ambreesh Mishra India Today
Suchandana Gupta Times of India
Rajesh Sirorthia News Editor Naiduniya
Ranjan Shrivastav Hindustan Times
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भोपाली पत्रकारों ने अनुराग को 'ब्लैकमेलर' कहा
Tuesday, 18 May 2010 14:58 अरशद अली खान भड़ास4मीडिया - टीवी .वेबसाइट और अखबार के लिए जनसंपर्क विभाग से पचास लाख रुपये लिए : मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में पत्रकारों ने खुद को मनगढ़ंत मामलों में घसीटे जाने की आशंका जताई : चर्चित राष्ट्रीय समाचार चैनल इण्डिया टीवी के भोपाल के पत्रकार अनुराग उपाध्याय के खिलाफ मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने गुप्त वार्ता के उप पुलिस महानिरीक्षक राजेश गुप्ता को जांच के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि गत दिवस इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े लगभग डेढ़ दर्जन पत्रकारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता और पुलिस महानिदेशक एसके राउत से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में इण्डिया टीवी के पत्रकार अनुराग उपाध्याय पर गंभीर आरोप लगाए गये थे।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग उपाध्याय पत्रकार बिरादरी को लगातार बदनाम कर रहा है, उसके कामकाज के तरीके आपत्तिजनक हैं। सरकार द्वारा पोषित वेबसाइट के जरिये वो लगातार पत्रकार बिरादरी के खिलाफ घटिया स्तर पर जाकर दुष्प्रचार कर रहा है। ज्ञापन में कहा गया है कि अनुराग के खिलाफ श्यामला हिल्स थाने में लूट का केस दर्ज है लेकिन पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रही है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग झूठे और मनगढ़त मामलों की शिकायतें करने में भी पारंगत है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वह अपने परिवार से जुड़े हिन्दू समृद्धि नामक समाचार पत्र और दखल वेबसाइट के जरिए पचास लाख से अधिक की जनसम्पर्क विभाग से उगाही कर चुका है। ज्ञापन में अनुराग को ब्लैकमेलर बताते हुए उसके परिवार के समाचार पत्र और वेबसाइट को दिए जाने वाले विज्ञापन को बंद करने की मांग की गयी है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों ने इस सम्बध में एक शिकायत इण्डिया टीवी के प्रधान संपादक रजत शर्मा से भी की है।
ज्ञापन में जिन पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए हैं उनमें स्टार न्यूज़ के बृजेश राजपूत, टाईम्स नाऊ के राहुल सिंह, सीएनएन-आईबीएन के हेमन्त शर्मा, आईबीएन 7 के मनोज शर्मा, न्यूज़ एक्स के देशदीप सक्सेना, साधना न्यूज़ के संजीव श्रीवास्तव, ईटीवी के जगदीप सिंह, लाईव इण्डिया के भारत शास्त्री, दा वीक के दीपक तिवारी, पीटीआई के मनीष श्रीवास्तव, यूएनआई के शरद द्विवेदी, सहारा समय के प्रकाश तिवारी, इण्डिया टूडे के अम्बरीष मिश्रा, टाइम्स ऑफ इण्डिया की सुचिंदना गुप्ता, नई दुनिया के राजेश सिरौठिया, हिन्दुस्तान टाइम्स के रंजन श्रीवास्तव आदि शामिल है।
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अनुराग के खिलाफ भोपाल के पत्रकारों द्वारा एमपी के सीएम को दिया गया ज्ञापन इस प्रकार है-
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मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा अनुराग की वेबसाइट और अखबार के लिए दिए गए पैसे
Tuesday, 18 May 2010 14:58 अरशद अली खान भड़ास4मीडिया - टीवी .वेबसाइट और अखबार के लिए जनसंपर्क विभाग से पचास लाख रुपये लिए : मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में पत्रकारों ने खुद को मनगढ़ंत मामलों में घसीटे जाने की आशंका जताई : चर्चित राष्ट्रीय समाचार चैनल इण्डिया टीवी के भोपाल के पत्रकार अनुराग उपाध्याय के खिलाफ मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने गुप्त वार्ता के उप पुलिस महानिरीक्षक राजेश गुप्ता को जांच के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि गत दिवस इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े लगभग डेढ़ दर्जन पत्रकारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता और पुलिस महानिदेशक एसके राउत से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में इण्डिया टीवी के पत्रकार अनुराग उपाध्याय पर गंभीर आरोप लगाए गये थे।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग उपाध्याय पत्रकार बिरादरी को लगातार बदनाम कर रहा है, उसके कामकाज के तरीके आपत्तिजनक हैं। सरकार द्वारा पोषित वेबसाइट के जरिये वो लगातार पत्रकार बिरादरी के खिलाफ घटिया स्तर पर जाकर दुष्प्रचार कर रहा है। ज्ञापन में कहा गया है कि अनुराग के खिलाफ श्यामला हिल्स थाने में लूट का केस दर्ज है लेकिन पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रही है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग झूठे और मनगढ़त मामलों की शिकायतें करने में भी पारंगत है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वह अपने परिवार से जुड़े हिन्दू समृद्धि नामक समाचार पत्र और दखल वेबसाइट के जरिए पचास लाख से अधिक की जनसम्पर्क विभाग से उगाही कर चुका है। ज्ञापन में अनुराग को ब्लैकमेलर बताते हुए उसके परिवार के समाचार पत्र और वेबसाइट को दिए जाने वाले विज्ञापन को बंद करने की मांग की गयी है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों ने इस सम्बध में एक शिकायत इण्डिया टीवी के प्रधान संपादक रजत शर्मा से भी की है।
ज्ञापन में जिन पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए हैं उनमें स्टार न्यूज़ के बृजेश राजपूत, टाईम्स नाऊ के राहुल सिंह, सीएनएन-आईबीएन के हेमन्त शर्मा, आईबीएन 7 के मनोज शर्मा, न्यूज़ एक्स के देशदीप सक्सेना, साधना न्यूज़ के संजीव श्रीवास्तव, ईटीवी के जगदीप सिंह, लाईव इण्डिया के भारत शास्त्री, दा वीक के दीपक तिवारी, पीटीआई के मनीष श्रीवास्तव, यूएनआई के शरद द्विवेदी, सहारा समय के प्रकाश तिवारी, इण्डिया टूडे के अम्बरीष मिश्रा, टाइम्स ऑफ इण्डिया की सुचिंदना गुप्ता, नई दुनिया के राजेश सिरौठिया, हिन्दुस्तान टाइम्स के रंजन श्रीवास्तव आदि शामिल है।
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अनुराग के खिलाफ भोपाल के पत्रकारों द्वारा एमपी के सीएम को दिया गया ज्ञापन इस प्रकार है-
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मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा अनुराग की वेबसाइट और अखबार के लिए दिए गए पैसे
भोपाली पत्रकारों ने अनुराग को 'ब्लैकमेलर' कहा
Tuesday, 18 May 2010 14:58 अरशद अली खान भड़ास4मीडिया - टीवी .वेबसाइट और अखबार के लिए जनसंपर्क विभाग से पचास लाख रुपये लिए : मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में पत्रकारों ने खुद को मनगढ़ंत मामलों में घसीटे जाने की आशंका जताई : चर्चित राष्ट्रीय समाचार चैनल इण्डिया टीवी के भोपाल के पत्रकार अनुराग उपाध्याय के खिलाफ मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने गुप्त वार्ता के उप पुलिस महानिरीक्षक राजेश गुप्ता को जांच के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि गत दिवस इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े लगभग डेढ़ दर्जन पत्रकारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता और पुलिस महानिदेशक एसके राउत से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में इण्डिया टीवी के पत्रकार अनुराग उपाध्याय पर गंभीर आरोप लगाए गये थे।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग उपाध्याय पत्रकार बिरादरी को लगातार बदनाम कर रहा है, उसके कामकाज के तरीके आपत्तिजनक हैं। सरकार द्वारा पोषित वेबसाइट के जरिये वो लगातार पत्रकार बिरादरी के खिलाफ घटिया स्तर पर जाकर दुष्प्रचार कर रहा है। ज्ञापन में कहा गया है कि अनुराग के खिलाफ श्यामला हिल्स थाने में लूट का केस दर्ज है लेकिन पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रही है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग झूठे और मनगढ़त मामलों की शिकायतें करने में भी पारंगत है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वह अपने परिवार से जुड़े हिन्दू समृद्धि नामक समाचार पत्र और दखल वेबसाइट के जरिए पचास लाख से अधिक की जनसम्पर्क विभाग से उगाही कर चुका है। ज्ञापन में अनुराग को ब्लैकमेलर बताते हुए उसके परिवार के समाचार पत्र और वेबसाइट को दिए जाने वाले विज्ञापन को बंद करने की मांग की गयी है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों ने इस सम्बध में एक शिकायत इण्डिया टीवी के प्रधान संपादक रजत शर्मा से भी की है।
ज्ञापन में जिन पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए हैं उनमें स्टार न्यूज़ के बृजेश राजपूत, टाईम्स नाऊ के राहुल सिंह, सीएनएन-आईबीएन के हेमन्त शर्मा, आईबीएन 7 के मनोज शर्मा, न्यूज़ एक्स के देशदीप सक्सेना, साधना न्यूज़ के संजीव श्रीवास्तव, ईटीवी के जगदीप सिंह, लाईव इण्डिया के भारत शास्त्री, दा वीक के दीपक तिवारी, पीटीआई के मनीष श्रीवास्तव, यूएनआई के शरद द्विवेदी, सहारा समय के प्रकाश तिवारी, इण्डिया टूडे के अम्बरीष मिश्रा, टाइम्स ऑफ इण्डिया की सुचिंदना गुप्ता, नई दुनिया के राजेश सिरौठिया, हिन्दुस्तान टाइम्स के रंजन श्रीवास्तव आदि शामिल है।
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अनुराग के खिलाफ भोपाल के पत्रकारों द्वारा एमपी के सीएम को दिया गया ज्ञापन इस प्रकार है-
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मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा अनुराग की वेबसाइट और अखबार के लिए दिए गए पैसे
Tuesday, 18 May 2010 14:58 अरशद अली खान भड़ास4मीडिया - टीवी .वेबसाइट और अखबार के लिए जनसंपर्क विभाग से पचास लाख रुपये लिए : मुख्यमंत्री को दिए गए ज्ञापन में पत्रकारों ने खुद को मनगढ़ंत मामलों में घसीटे जाने की आशंका जताई : चर्चित राष्ट्रीय समाचार चैनल इण्डिया टीवी के भोपाल के पत्रकार अनुराग उपाध्याय के खिलाफ मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक एसके राउत ने गुप्त वार्ता के उप पुलिस महानिरीक्षक राजेश गुप्ता को जांच के निर्देश दिए हैं। गौरतलब है कि गत दिवस इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े लगभग डेढ़ दर्जन पत्रकारों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता और पुलिस महानिदेशक एसके राउत से मिलकर एक ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में इण्डिया टीवी के पत्रकार अनुराग उपाध्याय पर गंभीर आरोप लगाए गये थे।
ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग उपाध्याय पत्रकार बिरादरी को लगातार बदनाम कर रहा है, उसके कामकाज के तरीके आपत्तिजनक हैं। सरकार द्वारा पोषित वेबसाइट के जरिये वो लगातार पत्रकार बिरादरी के खिलाफ घटिया स्तर पर जाकर दुष्प्रचार कर रहा है। ज्ञापन में कहा गया है कि अनुराग के खिलाफ श्यामला हिल्स थाने में लूट का केस दर्ज है लेकिन पुलिस उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नही कर रही है। ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि अनुराग झूठे और मनगढ़त मामलों की शिकायतें करने में भी पारंगत है।
ज्ञापन में कहा गया है कि वह अपने परिवार से जुड़े हिन्दू समृद्धि नामक समाचार पत्र और दखल वेबसाइट के जरिए पचास लाख से अधिक की जनसम्पर्क विभाग से उगाही कर चुका है। ज्ञापन में अनुराग को ब्लैकमेलर बताते हुए उसके परिवार के समाचार पत्र और वेबसाइट को दिए जाने वाले विज्ञापन को बंद करने की मांग की गयी है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकारों ने इस सम्बध में एक शिकायत इण्डिया टीवी के प्रधान संपादक रजत शर्मा से भी की है।
ज्ञापन में जिन पत्रकारों ने हस्ताक्षर किए हैं उनमें स्टार न्यूज़ के बृजेश राजपूत, टाईम्स नाऊ के राहुल सिंह, सीएनएन-आईबीएन के हेमन्त शर्मा, आईबीएन 7 के मनोज शर्मा, न्यूज़ एक्स के देशदीप सक्सेना, साधना न्यूज़ के संजीव श्रीवास्तव, ईटीवी के जगदीप सिंह, लाईव इण्डिया के भारत शास्त्री, दा वीक के दीपक तिवारी, पीटीआई के मनीष श्रीवास्तव, यूएनआई के शरद द्विवेदी, सहारा समय के प्रकाश तिवारी, इण्डिया टूडे के अम्बरीष मिश्रा, टाइम्स ऑफ इण्डिया की सुचिंदना गुप्ता, नई दुनिया के राजेश सिरौठिया, हिन्दुस्तान टाइम्स के रंजन श्रीवास्तव आदि शामिल है।
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अनुराग के खिलाफ भोपाल के पत्रकारों द्वारा एमपी के सीएम को दिया गया ज्ञापन इस प्रकार है-
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मध्य प्रदेश जनसंपर्क विभाग द्वारा अनुराग की वेबसाइट और अखबार के लिए दिए गए पैसे
Sunday, May 16, 2010
SC, ST youth get jobs
Bhopal, May 15:
The Madhya Pradesh Council of Employment and Training (MAPCET) being run under Tribal Welfare Department is making training available in various trades to youths belonging to scheduled castes and scheduled tribes. After the training, such youths get jobs in various commercial and industrial establishments.
Recently, the MAPCET arranged training to 11 SC and 5 ST youths in plastic processing techniques and quality assurance. During the six-month training, every candidate was given Rs 500 stipend per month. The minimum qualification for the training was passage of class X exam. Tool kits were provided to the trainees free of cost. There were two women trainees also among the trainees drawn mainly from Raisen, Bhopal, Sehore and Shivpuri districts.
The trained youths have been employed by plastic goods manufacturing companies in Daman island in Gujarat. MPACET imparts training to SC, ST and backward class youths. Its office is situated at Rajiv Gandhi Bhawan, 35, Shamla Hills, Bhopal. Youths belonging to reserved classes can contact the office for enquiring about the training programmes.
The Madhya Pradesh Council of Employment and Training (MAPCET) being run under Tribal Welfare Department is making training available in various trades to youths belonging to scheduled castes and scheduled tribes. After the training, such youths get jobs in various commercial and industrial establishments.
Recently, the MAPCET arranged training to 11 SC and 5 ST youths in plastic processing techniques and quality assurance. During the six-month training, every candidate was given Rs 500 stipend per month. The minimum qualification for the training was passage of class X exam. Tool kits were provided to the trainees free of cost. There were two women trainees also among the trainees drawn mainly from Raisen, Bhopal, Sehore and Shivpuri districts.
The trained youths have been employed by plastic goods manufacturing companies in Daman island in Gujarat. MPACET imparts training to SC, ST and backward class youths. Its office is situated at Rajiv Gandhi Bhawan, 35, Shamla Hills, Bhopal. Youths belonging to reserved classes can contact the office for enquiring about the training programmes.
Horticulture, irrigation and land development works undertaken in 62.5 lakh hectare private lands of reserved and backward class people
Horticulture, irrigation and land development works undertaken in 62.5 lakh hectare private lands of reserved and backward class people (Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme)
Bhopal:Sunday, May 16, 2010:
Horticulture, irrigation and land development works have been undertaken in 62.5 lakh hectare private lands of reserved and backward class people in the state under Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme. Giving this information, Minister for Panchayats, Rural Development and Social Justice Shri Gopal Bhargava said that on one hand large-scale employment is being generated under MNAREGA and on the other hand important infrastructural works are also being undertaken.
Minister for Panchayats and Rural Development Shri Bhargava said that 2.27 lakh works of horticulture, irrigation and land reforms have been done on private lands while 1.3 lakh works are underway. Shri Bhargava informed that this scheme has benefited small and marginal farmers of scheduled castes, scheduled tribes, beneficiaries of Indira Awas Yojana and people living below poverty line. Shri Bhargava said that for increasing irrigation potential, wells, ponds etc are dug on the private lands of these sections of society.
So far, 79 thousand such works have been completed in 8 districts of Indore division, 6791 works in five districts of Bhopal division, 2650 works in three districts of Morena division, 7689 works in five districts of Gwalior division, 15335 works in three districts of Narmadapuram division, 50233 works in seven districts of Jabalpur division, 19000 works in three districts of Rewa division, 17498 works in five districts of Sagar division, 6000 works in six districts of Ujjain division and 22848 works in four districts of Shahdol division.
Bhopal:Sunday, May 16, 2010:
Horticulture, irrigation and land development works have been undertaken in 62.5 lakh hectare private lands of reserved and backward class people in the state under Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Scheme. Giving this information, Minister for Panchayats, Rural Development and Social Justice Shri Gopal Bhargava said that on one hand large-scale employment is being generated under MNAREGA and on the other hand important infrastructural works are also being undertaken.
Minister for Panchayats and Rural Development Shri Bhargava said that 2.27 lakh works of horticulture, irrigation and land reforms have been done on private lands while 1.3 lakh works are underway. Shri Bhargava informed that this scheme has benefited small and marginal farmers of scheduled castes, scheduled tribes, beneficiaries of Indira Awas Yojana and people living below poverty line. Shri Bhargava said that for increasing irrigation potential, wells, ponds etc are dug on the private lands of these sections of society.
So far, 79 thousand such works have been completed in 8 districts of Indore division, 6791 works in five districts of Bhopal division, 2650 works in three districts of Morena division, 7689 works in five districts of Gwalior division, 15335 works in three districts of Narmadapuram division, 50233 works in seven districts of Jabalpur division, 19000 works in three districts of Rewa division, 17498 works in five districts of Sagar division, 6000 works in six districts of Ujjain division and 22848 works in four districts of Shahdol division.
It must be ensured that health workers wear uniform
It must be ensured that health workers wear uniform
Physical verification of health institutions to be made thrice a year, Instructions issued to field workers on the orders of Health Minister Shri Anup Mishra
Bhopal:Sunday, May 16, 2010:
Orders have been issued to the health workers posted in the government hospitals for wearing uniform invariably. Doctors have also been told to wear aprons during the duty hours. Orders have been issued to this effect to all the Chief Medical and Health Officers and Hospital Superintendents on the instruction of Minister for Public Health, Family Welfare, Medical Education and AYUSH Shri Anup Mishra.
Public Health Minister Shri Mishra had noticed during the review of health services and programmes that work is hampered due to non-identification of health staff at government hospitals. Though uniforms for ANMs, staff nurse and class IV employees are fixed, yet they are complying with the rule strictly. Now, all the CMHOs and Hospital Superintendents have been instructed to ensure wearing of uniform by the health staff strictly. Disciplinary action should be taken against those who do not comply with these instructions. On the instructions of the Health Minister, the field health workers have also been told to use the generators first for maintaining cold chain and in blood bank and emergency cases. The health officers have also been told to undertake physical verification of their respective health institutions thrice a year in the months of April, July and October while the health institutions will be physically verified twice a year by outside health officers. Verification of stock register balance, issue register, expenses register, case papers and cross verification of entries of medicines will be done invariably. The information about the physical verification on the basis of stipulated rotation should be sent to divisional joint director within seven days.
***
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Physical verification of health institutions to be made thrice a year, Instructions issued to field workers on the orders of Health Minister Shri Anup Mishra
Bhopal:Sunday, May 16, 2010:
Orders have been issued to the health workers posted in the government hospitals for wearing uniform invariably. Doctors have also been told to wear aprons during the duty hours. Orders have been issued to this effect to all the Chief Medical and Health Officers and Hospital Superintendents on the instruction of Minister for Public Health, Family Welfare, Medical Education and AYUSH Shri Anup Mishra.
Public Health Minister Shri Mishra had noticed during the review of health services and programmes that work is hampered due to non-identification of health staff at government hospitals. Though uniforms for ANMs, staff nurse and class IV employees are fixed, yet they are complying with the rule strictly. Now, all the CMHOs and Hospital Superintendents have been instructed to ensure wearing of uniform by the health staff strictly. Disciplinary action should be taken against those who do not comply with these instructions. On the instructions of the Health Minister, the field health workers have also been told to use the generators first for maintaining cold chain and in blood bank and emergency cases. The health officers have also been told to undertake physical verification of their respective health institutions thrice a year in the months of April, July and October while the health institutions will be physically verified twice a year by outside health officers. Verification of stock register balance, issue register, expenses register, case papers and cross verification of entries of medicines will be done invariably. The information about the physical verification on the basis of stipulated rotation should be sent to divisional joint director within seven days.
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Monday, May 10, 2010
चिदम्बरम के बाद राजा के निशाने पर रमन
चिदम्बरम के बाद राजा के निशाने पर रमन
04 May, 2010 20:58;00 visfot news network
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नक्सलवाद के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम को कोसने के बाद अब छत्तीसगढ के मुख्य मंत्री रमन सिंह और संयुक्त मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तथा वर्तमान में कांग्रेस के सबसे ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के बीच नक्सलवाद को लेकर तकरार तेज हो गई है। दोनों ही नेता एक दूसरे को कटघरे में खडा करने से अपने आप को पीछे नहीं रख रहे हैं।
वैसे तो कांग्रेस की संस्कृति रही है कि पार्टी के अंदर की कोई भी बात पार्टी मंच पर ही उठाई जानी चाहिए। इससे उलट महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने जब कलम के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदंबरम को लानत मलानत भेजी तब कांग्रेस की कडाही मंे उबाल आने लगा था। बाद में साफ सफाई करवाकर और माफी मंगवाकर मामला शांत कराया गया। लोगों का कहना है कि अगर इस तरह की धृष्टता राजा दिग्विजय सिंह के अलावा अगर किसी और ने की होती तो अब तक उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया होता।
इसके बाद दिग्विजय सिंह को छग के सीएम रमन सिंह ने बहुत बुरा कहा। इससे कुपित होकर राजा दिग्विजय सिंह ने रमन सिंह पर दस सवाल दाग दिए। एसा लगता है कि दोनों सिंहों के बीच चल रही इस लडाई का काई अंत नहीं है, दोनों ही एक दूसरे के कपडे उतारने पर उतरू नजर आ रहे हैं। रमन सिंह ने अपने आलेख में राजा दिग्विजय सिंह को आडे हाथों लिया। रमन का कहना है कि राजा दिग्विजय सिंह दस साल तक अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पर उन्होंने नक्सलवाद के खात्मे के लिए कुछ नहीं किया।
राजा को रमन की बात दिल में लग गई। राजा दिग्विजय सिंह ने भावुक होकर रमन सिंह को पत्र लिख मारा। राजा दिग्विजय सिंह का पत्र में कहना है कि रमन सिंह के लेख की भाषा से उन्हें दुख पहुंचा है। राजा दिग्विजय सिंह का मानना है कि नक्सल प्रभावित इलाके के लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए यह आवश्यक है कि उनका विश्वास शासन के प्रति जगाया जाए। महेंद्र कर्मा के नेतृत्व में आरंभ किए गए सलवा जुडूम की गलत नीतियों के चलते हजारों आदिवासी अपने ही क्षेत्रों में शरणार्थी बनकर रह गए हैं। राजा दिग्विजय सिंह ने रमन सिंह को कोसते हुए कहा कि उनके शासनकाल में दंतेवाडा में एक हजार से ज्यादा नक्सली जुडते हैं और राज्य की गुप्तचर एजेंसी को पता न चले एसा संभव ही नहीं है। इसका प्रतिकार करते हुए रमन सिंह कहते हैं कि नक्सल समस्या के मामले में राजा दिग्विजय सिंह पूरी तरह दिग्भ्रमित ही नजर आ रहे हैं। उन्होने राजा दिग्विजय सिंह इस मामले में जहां चाहे वहां बहस की चुनौति भी दे दी है।
वैसे न तो पी.चिदम्बरम और न ही रमन सिंह ने राजा दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में मध्य प्रदेश में हुई गंभीर घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया है। गौरतलब है कि राजा दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में उनके ही मंत्रीमण्डल के परिवहन मंत्री लिखीराम कांवरे को बालाघाट जिले में ही उनके घर पर आधी रात को नक्सलियों ने बुरी तरह गला रेतकर मौत के घाट उतार दिया था, यह घटना अपने आप में बहुत बडी थी। इतना ही नहीं बालाघाट जिले में ही एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बंसल और उप निरीक्षक ठाकुर को भी नक्सलियों ने मार डाला था। रही बात सिपाहियों की तो उप निरीक्षक प्रकाश कतलम की अगवानी में सर्च पार्टी के सोलह जवानों की जीप उडा दी गई थी। इसके अलावा न जाने कितने जाबांज सिपाहियों को अपनी जान गंवानी पडी थी। अगर राजा दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके मंत्रीमण्डल के सहयोगी और पुलिस के जवान ही सुरक्षित नहीं थे, तो आज किस हक से वे उसी नक्सल समस्या के बारे में किसी को शक के कटघरे में खडा करने का माद्दा रख रहे हैं।
04 May, 2010 20:58;00 visfot news network
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नक्सलवाद के मुद्दे पर अपनी ही सरकार के गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदम्बरम को कोसने के बाद अब छत्तीसगढ के मुख्य मंत्री रमन सिंह और संयुक्त मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे तथा वर्तमान में कांग्रेस के सबसे ताकतवर महासचिव राजा दिग्विजय सिंह के बीच नक्सलवाद को लेकर तकरार तेज हो गई है। दोनों ही नेता एक दूसरे को कटघरे में खडा करने से अपने आप को पीछे नहीं रख रहे हैं।
वैसे तो कांग्रेस की संस्कृति रही है कि पार्टी के अंदर की कोई भी बात पार्टी मंच पर ही उठाई जानी चाहिए। इससे उलट महासचिव राजा दिग्विजय सिंह ने जब कलम के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्री पलनिअप्पम चिदंबरम को लानत मलानत भेजी तब कांग्रेस की कडाही मंे उबाल आने लगा था। बाद में साफ सफाई करवाकर और माफी मंगवाकर मामला शांत कराया गया। लोगों का कहना है कि अगर इस तरह की धृष्टता राजा दिग्विजय सिंह के अलावा अगर किसी और ने की होती तो अब तक उसे पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया होता।
इसके बाद दिग्विजय सिंह को छग के सीएम रमन सिंह ने बहुत बुरा कहा। इससे कुपित होकर राजा दिग्विजय सिंह ने रमन सिंह पर दस सवाल दाग दिए। एसा लगता है कि दोनों सिंहों के बीच चल रही इस लडाई का काई अंत नहीं है, दोनों ही एक दूसरे के कपडे उतारने पर उतरू नजर आ रहे हैं। रमन सिंह ने अपने आलेख में राजा दिग्विजय सिंह को आडे हाथों लिया। रमन का कहना है कि राजा दिग्विजय सिंह दस साल तक अविभाजित मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे पर उन्होंने नक्सलवाद के खात्मे के लिए कुछ नहीं किया।
राजा को रमन की बात दिल में लग गई। राजा दिग्विजय सिंह ने भावुक होकर रमन सिंह को पत्र लिख मारा। राजा दिग्विजय सिंह का पत्र में कहना है कि रमन सिंह के लेख की भाषा से उन्हें दुख पहुंचा है। राजा दिग्विजय सिंह का मानना है कि नक्सल प्रभावित इलाके के लोगों को मुख्य धारा में लाने के लिए यह आवश्यक है कि उनका विश्वास शासन के प्रति जगाया जाए। महेंद्र कर्मा के नेतृत्व में आरंभ किए गए सलवा जुडूम की गलत नीतियों के चलते हजारों आदिवासी अपने ही क्षेत्रों में शरणार्थी बनकर रह गए हैं। राजा दिग्विजय सिंह ने रमन सिंह को कोसते हुए कहा कि उनके शासनकाल में दंतेवाडा में एक हजार से ज्यादा नक्सली जुडते हैं और राज्य की गुप्तचर एजेंसी को पता न चले एसा संभव ही नहीं है। इसका प्रतिकार करते हुए रमन सिंह कहते हैं कि नक्सल समस्या के मामले में राजा दिग्विजय सिंह पूरी तरह दिग्भ्रमित ही नजर आ रहे हैं। उन्होने राजा दिग्विजय सिंह इस मामले में जहां चाहे वहां बहस की चुनौति भी दे दी है।
वैसे न तो पी.चिदम्बरम और न ही रमन सिंह ने राजा दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में मध्य प्रदेश में हुई गंभीर घटनाओं की ओर ध्यान आकर्षित कराया है। गौरतलब है कि राजा दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में उनके ही मंत्रीमण्डल के परिवहन मंत्री लिखीराम कांवरे को बालाघाट जिले में ही उनके घर पर आधी रात को नक्सलियों ने बुरी तरह गला रेतकर मौत के घाट उतार दिया था, यह घटना अपने आप में बहुत बडी थी। इतना ही नहीं बालाघाट जिले में ही एक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बंसल और उप निरीक्षक ठाकुर को भी नक्सलियों ने मार डाला था। रही बात सिपाहियों की तो उप निरीक्षक प्रकाश कतलम की अगवानी में सर्च पार्टी के सोलह जवानों की जीप उडा दी गई थी। इसके अलावा न जाने कितने जाबांज सिपाहियों को अपनी जान गंवानी पडी थी। अगर राजा दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उनके मंत्रीमण्डल के सहयोगी और पुलिस के जवान ही सुरक्षित नहीं थे, तो आज किस हक से वे उसी नक्सल समस्या के बारे में किसी को शक के कटघरे में खडा करने का माद्दा रख रहे हैं।
सूचना अधिकार पर नौकरशाही की नकेल
08 May, 2010 16:12;00 पंकज चतुर्वेदी
Font size: 113
आजादी के बाद इस देश में तमाम तरीके के कायदे कानून बनाये गये जिनका उद्देश्य जनहित था । कौन सा कानून अपने उद्देश्य में कितना सफल है, उस पैमाने पर यदि सूचना के अधिकार अधिनियम का आंकलन किया जाये तो यह अधिनियम अच्छे के उद्देश्य के बाद भी अच्छे क्रियान्वयन की बाट जोह रहा है।
देश के नौकरशाही और सरकारी कर्मचारियों का गिरोह, आज सबसे ज्यादा इस आर.टी.आई. के खिलाफ हैं, क्योंकि इसने सन् 2005 से इन सबकी नाक में दम कर रखा है । पहले पहल तो यह गिरोह इस प्रयास में था कि ऐसा कोई कानून ही ना बन पाये पर शायद इस बार राजनीतिक इच्छाशक्ति की प्रबलता के आगे नौकरशाही का विरोध कमजोर पड़ गया और इस सोच ने बकायदा एक कानून का रूप ले लिया ।
यदि ऐसा कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आर.टी.आई. ने भारत के हर आम नागरिक को इस अधिनियम के द्वारा सांसद और विधायक जैसी शक्तियां प्रदान कर दी हैं। जहां साधारण नागरिक भी इस नियम के तहत बिना किसी सत्र के सरकार से उसके हर विभाग की हर जानकारी मांग सकता है। यद्यपि यह कानून भारत में अभी अपनी शैशव अवस्था में ही है, और सवाल यह है कि यह कैसे युवा बने? और फिर चिरयुवा बना रहे। क्योंकि भारत भर के अधिकारी और उनके मातहत कर्मचारी पग पग पर इस कानून को चोट पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि यह अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा ना हो सके क्योंकि जिस दिन यह कानून और इसकी कार्यवाही सशक्त हो जावेगी वह दिन सही मायनों में इस देश से भ्रष्टाचार के खात्मे की शुरूआत होगी ।
ऐसा नहीं कि आर.टी.आई. की अवधारणा दुनिया में कोई नई बात हो, स्वीडन जैसे देश ने आज से लगभग सवा दो सौ वर्ष पूर्व ही इस तरह का कानून लागू कर लिया था। हमारे यहां हम निसंदेहः देर से आये हैं परंतु दुरस्त नहीं आये हैं। वर्तमान स्थिति में नौकरशाही द्वारा प्रथम प्रयास तो आर.टी.आई. के आवेदन को किसी भी आधार पर अस्वीकृत करने का किया जाता है। यदि आपने पंजीकृत डाक के माध्यम से आवेदन भेजा है जो स्वीकृत करना विभाग की मजबूरी है, तो यह प्रयास किया जाता है कि इसे निरस्त कर दिया जाये या फिर इसे अपने ही विभाग की किसी अन्य शाखा की ओर अग्रेषित कर अपना पिण्ड छुड़ाया जाये। जबकि ऐसा करना आर.टी.आई. एक्ट 2005 की धारा 25 के प्रावधानों का उल्लंघन है, जिसके अनुसार इस अधिनियम का अमल प्रभावी रूप से हो यह सुनिश्चित करना संबंधित विभाग के लोक सूचना अधिकारी का दायित्व है।
सामान्य तौर पर लोक सूचना अधिकारी इस नियम के तहत पूछे गये प्रश्न, दस्तावेज आदि की जानकारी नहीं देते जबकि आर.टी.आई. एक्ट की धारा 8 में यह स्पष्ट है कि किन 11 संवेदनशील विषयों को छोड़कर अन्य सब की जानकारी देना अनिवार्य है। आर.टी.आई. एक्ट ने तो यहां तक अधिकार दिया है कि कोई भी व्यक्ति इस कानून के तहत शासकीय कार्यों की गुणवत्ता एवं सामग्री का भी निरीक्षण कर सकता है। पर दुखद यह है कि यह लोक सूचना अधिकारी ही जाने-अनजाने इस नियम की कमर तोड़ रहा है। इस सब में पूरा-पूरा दोष उस सरकारी तंत्र का भी है जिन्होंने यह अधिनियम तो लागू कर दिया लेकिन यह नहीं सोचा कि अच्छी सैद्धांतिक सोच और अच्छे व्यवहारिक अमल में जमीन आसमान का फर्क है।
हमारे लोक सूचना अधिकारी इस नियम को लेकर शायद इसलिये भयभीत रहते हैं कि सूचना देने पर कोई उन्हें या उनके सहकर्मी अधिकारी या कर्मचारी को ब्लैकमेल ना करे या कहीं ऐसा ना हो कि आर.टी.आई. के आवेदन की प्रक्रिया से बहुत से अन्य आवश्यक शासकीय कार्य पिछड़ जायें। और इस सबके अतिरिक्त आर.टी.आई. पर किये जाने वाले व्यय को लेकर भी भ्रांतियां हैं। वर्तमान समय में देश के अनेक राज्यों ने केन्द्र से आर.टी.आई. के प्रभावी अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये आर्थिक सहयोग मांगा है।
यदि आर.टी.आई. को उसकी मूल अवधारणा के अनुरूप देश भर में लागू करना है तो सबसे पहले ऐसी सोच बदलनी होगी जिससे कि शासकीय अधिकारी और कर्मचारी इस आर.टी.आई. का उचित सम्मान कर उत्तर देवें। अन्यथा होगा यह कि आर.टी.आई. कानून इस देश में रेंग-रेंग कर धीरे-धीरे दम तोड़ देगा और एक बार फिर भ्रष्टाचारी तंत्र निरंकुश होकर अपना खेल खेलने लगेगा। यह सब तभी संभव है जब आर.टी.आई. के लाभ का व्यापक प्रचार-प्रसार हो और आर.टी.आई. का प्रयोग इस प्रकार से हो कि लोगों को सरकारी तंत्र महज उनका "प्रतिनिधि” महसूस ना होकर उनका "सहयोगी” महसूस हो।
कई राज्यों में राज्य स्तरीय सूचना आयोग की नियुक्ति भी लोगों की समझ में नहीं आ सकी है। यदि इसमें और पारदर्शिता लाई जा सके तो बेहतर होगा क्योंकि जनता अपनी शिकायतों के लिये पहले राज्य स्तर पर ही जाती है। कई बार ऐसा भी प्रतीत हुआ है कि इन राज्य सूचना आयुक्त कार्यालयों पर काम का बोझ भी इतना है कि कई-कई महीनों तक पुरानी शिकायतों का निपटारा लंबित रहता है । इसके लिये आर.टी.आई. मद में और अधिक आर्थिक एवं मानव संसाधन लगाने होंगे तभी शीघ्र परिणाम प्राप्त होना संभव है। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि इन शिकायतों के बाद निर्धारित अर्थदंड को किस मद से लिया जायेगा एवं कहां जमा किया जावेगा, इस तक को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है।
इस व्यवस्था में परिवर्तन या सुधार तभी संभव है जबकि दृढ़ इच्छाशक्ति वाले राजनीतिज्ञ जो सरकार का भाग हैं । जानकारी ना देने वाले या टालनेवाले लोक सूचना अधिकारी के विरूद्ध कड़ी कार्यवाहीं करें, वरना देश में व्यापक रूप से फैले भ्रष्टाचार से लड़ने का यह अचूक हथियार जल्दी ही अपनी धार खो देगा।
08 May, 2010 16:12;00 पंकज चतुर्वेदी
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आजादी के बाद इस देश में तमाम तरीके के कायदे कानून बनाये गये जिनका उद्देश्य जनहित था । कौन सा कानून अपने उद्देश्य में कितना सफल है, उस पैमाने पर यदि सूचना के अधिकार अधिनियम का आंकलन किया जाये तो यह अधिनियम अच्छे के उद्देश्य के बाद भी अच्छे क्रियान्वयन की बाट जोह रहा है।
देश के नौकरशाही और सरकारी कर्मचारियों का गिरोह, आज सबसे ज्यादा इस आर.टी.आई. के खिलाफ हैं, क्योंकि इसने सन् 2005 से इन सबकी नाक में दम कर रखा है । पहले पहल तो यह गिरोह इस प्रयास में था कि ऐसा कोई कानून ही ना बन पाये पर शायद इस बार राजनीतिक इच्छाशक्ति की प्रबलता के आगे नौकरशाही का विरोध कमजोर पड़ गया और इस सोच ने बकायदा एक कानून का रूप ले लिया ।
यदि ऐसा कहा जाये तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि आर.टी.आई. ने भारत के हर आम नागरिक को इस अधिनियम के द्वारा सांसद और विधायक जैसी शक्तियां प्रदान कर दी हैं। जहां साधारण नागरिक भी इस नियम के तहत बिना किसी सत्र के सरकार से उसके हर विभाग की हर जानकारी मांग सकता है। यद्यपि यह कानून भारत में अभी अपनी शैशव अवस्था में ही है, और सवाल यह है कि यह कैसे युवा बने? और फिर चिरयुवा बना रहे। क्योंकि भारत भर के अधिकारी और उनके मातहत कर्मचारी पग पग पर इस कानून को चोट पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि यह अपने पैरों पर मजबूती से खड़ा ना हो सके क्योंकि जिस दिन यह कानून और इसकी कार्यवाही सशक्त हो जावेगी वह दिन सही मायनों में इस देश से भ्रष्टाचार के खात्मे की शुरूआत होगी ।
ऐसा नहीं कि आर.टी.आई. की अवधारणा दुनिया में कोई नई बात हो, स्वीडन जैसे देश ने आज से लगभग सवा दो सौ वर्ष पूर्व ही इस तरह का कानून लागू कर लिया था। हमारे यहां हम निसंदेहः देर से आये हैं परंतु दुरस्त नहीं आये हैं। वर्तमान स्थिति में नौकरशाही द्वारा प्रथम प्रयास तो आर.टी.आई. के आवेदन को किसी भी आधार पर अस्वीकृत करने का किया जाता है। यदि आपने पंजीकृत डाक के माध्यम से आवेदन भेजा है जो स्वीकृत करना विभाग की मजबूरी है, तो यह प्रयास किया जाता है कि इसे निरस्त कर दिया जाये या फिर इसे अपने ही विभाग की किसी अन्य शाखा की ओर अग्रेषित कर अपना पिण्ड छुड़ाया जाये। जबकि ऐसा करना आर.टी.आई. एक्ट 2005 की धारा 25 के प्रावधानों का उल्लंघन है, जिसके अनुसार इस अधिनियम का अमल प्रभावी रूप से हो यह सुनिश्चित करना संबंधित विभाग के लोक सूचना अधिकारी का दायित्व है।
सामान्य तौर पर लोक सूचना अधिकारी इस नियम के तहत पूछे गये प्रश्न, दस्तावेज आदि की जानकारी नहीं देते जबकि आर.टी.आई. एक्ट की धारा 8 में यह स्पष्ट है कि किन 11 संवेदनशील विषयों को छोड़कर अन्य सब की जानकारी देना अनिवार्य है। आर.टी.आई. एक्ट ने तो यहां तक अधिकार दिया है कि कोई भी व्यक्ति इस कानून के तहत शासकीय कार्यों की गुणवत्ता एवं सामग्री का भी निरीक्षण कर सकता है। पर दुखद यह है कि यह लोक सूचना अधिकारी ही जाने-अनजाने इस नियम की कमर तोड़ रहा है। इस सब में पूरा-पूरा दोष उस सरकारी तंत्र का भी है जिन्होंने यह अधिनियम तो लागू कर दिया लेकिन यह नहीं सोचा कि अच्छी सैद्धांतिक सोच और अच्छे व्यवहारिक अमल में जमीन आसमान का फर्क है।
हमारे लोक सूचना अधिकारी इस नियम को लेकर शायद इसलिये भयभीत रहते हैं कि सूचना देने पर कोई उन्हें या उनके सहकर्मी अधिकारी या कर्मचारी को ब्लैकमेल ना करे या कहीं ऐसा ना हो कि आर.टी.आई. के आवेदन की प्रक्रिया से बहुत से अन्य आवश्यक शासकीय कार्य पिछड़ जायें। और इस सबके अतिरिक्त आर.टी.आई. पर किये जाने वाले व्यय को लेकर भी भ्रांतियां हैं। वर्तमान समय में देश के अनेक राज्यों ने केन्द्र से आर.टी.आई. के प्रभावी अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिये आर्थिक सहयोग मांगा है।
यदि आर.टी.आई. को उसकी मूल अवधारणा के अनुरूप देश भर में लागू करना है तो सबसे पहले ऐसी सोच बदलनी होगी जिससे कि शासकीय अधिकारी और कर्मचारी इस आर.टी.आई. का उचित सम्मान कर उत्तर देवें। अन्यथा होगा यह कि आर.टी.आई. कानून इस देश में रेंग-रेंग कर धीरे-धीरे दम तोड़ देगा और एक बार फिर भ्रष्टाचारी तंत्र निरंकुश होकर अपना खेल खेलने लगेगा। यह सब तभी संभव है जब आर.टी.आई. के लाभ का व्यापक प्रचार-प्रसार हो और आर.टी.आई. का प्रयोग इस प्रकार से हो कि लोगों को सरकारी तंत्र महज उनका "प्रतिनिधि” महसूस ना होकर उनका "सहयोगी” महसूस हो।
कई राज्यों में राज्य स्तरीय सूचना आयोग की नियुक्ति भी लोगों की समझ में नहीं आ सकी है। यदि इसमें और पारदर्शिता लाई जा सके तो बेहतर होगा क्योंकि जनता अपनी शिकायतों के लिये पहले राज्य स्तर पर ही जाती है। कई बार ऐसा भी प्रतीत हुआ है कि इन राज्य सूचना आयुक्त कार्यालयों पर काम का बोझ भी इतना है कि कई-कई महीनों तक पुरानी शिकायतों का निपटारा लंबित रहता है । इसके लिये आर.टी.आई. मद में और अधिक आर्थिक एवं मानव संसाधन लगाने होंगे तभी शीघ्र परिणाम प्राप्त होना संभव है। कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि इन शिकायतों के बाद निर्धारित अर्थदंड को किस मद से लिया जायेगा एवं कहां जमा किया जावेगा, इस तक को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है।
इस व्यवस्था में परिवर्तन या सुधार तभी संभव है जबकि दृढ़ इच्छाशक्ति वाले राजनीतिज्ञ जो सरकार का भाग हैं । जानकारी ना देने वाले या टालनेवाले लोक सूचना अधिकारी के विरूद्ध कड़ी कार्यवाहीं करें, वरना देश में व्यापक रूप से फैले भ्रष्टाचार से लड़ने का यह अचूक हथियार जल्दी ही अपनी धार खो देगा।
Friday, May 7, 2010
पुलिसकर्मियों से क्षतिपूर्ति राशि वसूलकर पीड़ित किसान को दिलाई
पुलिसकर्मियों से क्षतिपूर्ति राशि वसूलकर पीड़ित किसान को दिलाई
Bhopal:Friday, May 7, 2010: म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने पुलिस प्रताड़ना से पीड़ित छतरपुर जिले के एक किसान श्री जगदीश पाल को पांच हजार रूपये की क्षतिपूर्ति दिलवाई है। गृह विभाग ने दोषी दो पुलिसकर्मियों से यह राशि वसूल कर किसान को प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि छतरपुर जिले के सरवई थाना क्षेत्र के ग्राम धौरारा निवासी एक गरीब किसान जगदीश पाल को पुलिस ने अवैध रूप से थाने में बैठा दिया और उसके विरूद्ध आर्म्स एक्ट की धारा 25/27 का प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। पुलिसकर्मी इस व्यक्ति को जब घर से थाने ले जा रहे थे, तो उसकी जेब में उसकी पत्नी के नाम का एक शस्त्र लायसेंस था, जिसे थाना प्रभारी ने छीन लिया। पुलिस से लायसेंस वापस मांगने पर पीड़ित किसान जगदीश से पांच हजार रूपये की मांग की गयी। यह पैसा न देने पर पुलिस ने उसके साथ मारपीट की तथा आर्म्स एक्ट में प्रकरण दर्ज कर उसे न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। जमानत पर रिहा होने के बाद फिर से पुलिसकर्मियों ने इस किसान के साथ सार्वजनिक रूप से गाली-गलौज और मारपीट की। इस घटना के दो प्रत्यक्षदर्शी भी मौजूद थे।
इस घटना के बाद पीड़ित किसान जगदीश पाल ने म.प्र. मानव अधिकार आयोग में शस्त्र लायसेंस वापस दिलवाने की गुहार की। आयोग ने पूरे घटना क्रम की अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया की तरह छानबीन की और यह पाया कि इस मामले में उप निरीक्षक आर.एस. बागड़ी और प्रधान आरक्षक विष्णुदत्त चतुर्वेदी दोषी हैं। आयोग ने राज्य शासन से दोषी पुलिसकर्मियों से पांच हजार रूपये की राशि वसूल कर पीड़ित किसान जगदीश पाल को देने की अनुशंसा की। शासन ने अनुशंसा का पालन कर दिया है।
Date: 07-05-2010 Time: 14:39:08
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Bhopal:Friday, May 7, 2010: म.प्र. मानव अधिकार आयोग ने पुलिस प्रताड़ना से पीड़ित छतरपुर जिले के एक किसान श्री जगदीश पाल को पांच हजार रूपये की क्षतिपूर्ति दिलवाई है। गृह विभाग ने दोषी दो पुलिसकर्मियों से यह राशि वसूल कर किसान को प्रदान कर दी है।
ज्ञातव्य है कि छतरपुर जिले के सरवई थाना क्षेत्र के ग्राम धौरारा निवासी एक गरीब किसान जगदीश पाल को पुलिस ने अवैध रूप से थाने में बैठा दिया और उसके विरूद्ध आर्म्स एक्ट की धारा 25/27 का प्रकरण पंजीबद्ध कर लिया। पुलिसकर्मी इस व्यक्ति को जब घर से थाने ले जा रहे थे, तो उसकी जेब में उसकी पत्नी के नाम का एक शस्त्र लायसेंस था, जिसे थाना प्रभारी ने छीन लिया। पुलिस से लायसेंस वापस मांगने पर पीड़ित किसान जगदीश से पांच हजार रूपये की मांग की गयी। यह पैसा न देने पर पुलिस ने उसके साथ मारपीट की तथा आर्म्स एक्ट में प्रकरण दर्ज कर उसे न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। जमानत पर रिहा होने के बाद फिर से पुलिसकर्मियों ने इस किसान के साथ सार्वजनिक रूप से गाली-गलौज और मारपीट की। इस घटना के दो प्रत्यक्षदर्शी भी मौजूद थे।
इस घटना के बाद पीड़ित किसान जगदीश पाल ने म.प्र. मानव अधिकार आयोग में शस्त्र लायसेंस वापस दिलवाने की गुहार की। आयोग ने पूरे घटना क्रम की अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया की तरह छानबीन की और यह पाया कि इस मामले में उप निरीक्षक आर.एस. बागड़ी और प्रधान आरक्षक विष्णुदत्त चतुर्वेदी दोषी हैं। आयोग ने राज्य शासन से दोषी पुलिसकर्मियों से पांच हजार रूपये की राशि वसूल कर पीड़ित किसान जगदीश पाल को देने की अनुशंसा की। शासन ने अनुशंसा का पालन कर दिया है।
Date: 07-05-2010 Time: 14:39:08
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मुख्यालय में गहमा-गहमी का वातावरण
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष को लेकर मुख्यालय में गहमा-गहमी का वातावरण
भोपाल 07 मई 2010 (म.प्र.ब्यूरो) - भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय परिषद सदस्यों के निर्वाचन हेतु शुक्रवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में गहमा-गहमी का वातावरण दिखाई दिया। प्रदेश मुख्यालय में आये जनप्रतिनिधि एक दूसरे के कान में कानाफूसी करते नज़र आ रहे थे। हालांकि अध्यक्ष पद के लिये प्रभात झा का नाम लगभग तय हो चुका है, औपचारिकताओं की घोषणा शनिवार को होना बाकी है। चाल चरित्र और चेहरे वाली भाजपा भी विरोध का सामना न कर ऐसा समीकरण बनाना चाहती है कि एक बहुमत उनके साथ है। फिलहाल समय बतायेगा कि भाजपा अपनी कथनी और करनी में कितना विश्वास रखती है।
भोपाल 07 मई 2010 (म.प्र.ब्यूरो) - भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय परिषद सदस्यों के निर्वाचन हेतु शुक्रवार को प्रदेश भाजपा मुख्यालय में गहमा-गहमी का वातावरण दिखाई दिया। प्रदेश मुख्यालय में आये जनप्रतिनिधि एक दूसरे के कान में कानाफूसी करते नज़र आ रहे थे। हालांकि अध्यक्ष पद के लिये प्रभात झा का नाम लगभग तय हो चुका है, औपचारिकताओं की घोषणा शनिवार को होना बाकी है। चाल चरित्र और चेहरे वाली भाजपा भी विरोध का सामना न कर ऐसा समीकरण बनाना चाहती है कि एक बहुमत उनके साथ है। फिलहाल समय बतायेगा कि भाजपा अपनी कथनी और करनी में कितना विश्वास रखती है।
Tuesday, May 4, 2010
मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में अफसर हैं रोड़ा
मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में अफसर हैं रोड़ा
दीपक कुमार तिवारी
मध्यप्रदेश में . अफसरों ने भ्रष्टाचार की ऐसी आंधी चलाई है कि उसके आगे न केवल मंत्री, मुख्यमंत्री के आदेशों-निर्देशों की धज्जियाँ उड़ रही है बल्कि अब वे सच का पर्दा उठाने वाले मीडिया पर अपना गुस्सा निकालने में लगे हैं । मध्यप्रदेश में अकूत सम्पत्ति अर्जित करने वाले अरविन्द जोशी, टीनू जोशी, डॉ० राजेश राजौरा जैसे आई.ए.एस. अफसरों के कारनामे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, अपनी बिगड़ी सूरत सुधारने की बजाय अब वे आईना तोड़ने में लग गए हैं । बीते दिनों राज्य मंत्रालय, विधानसभा, राजभवन में आई.ए.एस. अफसरों के पर्चे बंटे, एक वेबसाइट ने जब सच को आम जनता में प्रचारित करने का साहस दिखाया तो आई.ए.एस. अफसर गिरोहबद्ध होकर मीडिया की स्वतंत्रता पर ही हमला करने लगे । उन्होंने आईपीएस की शरण लेकर मीडिया को सताने की नाकाम कोशिश शुरू कर दी । वे शायद भूल गए हैं कि देश का संविधान अभी किसी अफसर की तिजोरी का दस्तावेज नहीं बन सका है । देश का संविधान आम जनता के धन को लूटने वालों का साथ नहीं देता, भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे सरमाएदारों की वकालत नहीं करता और मीडिया की आवाज को चन्द बेसुरे दबा नहीं सकते । गीदड़ों के झुण्ड एक शेर का भी शिकार नहीं कर सकते ।
मध्यप्रदेश के ऊर्जावान मुख्यमंत्री जिस बुराई से लड़ने के लिए कमर कस के मैदान में हैं, उन्हीं का साथ वेब जर्नलिज्म, प्रिन्ट जर्नलिज्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दे रहा है, बावजूद इसके अफसरशाह अपनी हरकतों से मैली नदी को और बदबूदार बना रहे हैं ।
एक बेनामी पर्चे ने आई.ए.एस. अफसरों को हिला दिया । पर्चे में अज्ञात व्यक्ति ने अफसरों के शौक, उनकी आदतों का सिलसिलेवार व्यौरा दिया था । यकीनन परचा कोई अधिकृत दस्तावेज नहीं होता बावजूद इसके मीडिया में और राजनैतिक, प्रशासनिक हलकों में इसकी व्यापक प्रतिक्रिया रही । चूँकि परचे की भाषा असंसदीय थी, इस कारण प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसका संपादित अंश ही सामने आया, परन्तु एक वेब साईट (न्यूज फायर ऑन लाइन) ने हू-ब-हू परचे को अपने विजिटर्स के लिए रखा । इससे नाराज होकर नौकरशाहों ने खुद को सुधारने की बजाय वेबसाइट को ही अपना निशाना बनाया । जिन आईपीएस अफसरों को हमेशा अछूत समझते हैं उन्हीं की गोद में आई.ए.एस. एसोसिएशन जा पहुँची । भारतीय संविधान की कसमें खाने वालों ने विधि का सहारा न लेते हुए पुलिस के डन्डे को अपना अस्त्र बनाया । क्या किसी सच को दिखाने की एवज में पुलिसिया जोर दिखाया जा सकता है ?
मीडिया जगत में वेबसाइट के विरूद्ध पुलिस अपराध दर्ज कराने की आई.ए.एस. एसोसिएशन की इस हरकत की निन्दा की जा रही है । राज्य के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता स्वयं इस बात पर खेद प्रकट कर चुके हैं ।
मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया कहते हैं कि अफसर कोई खुदा तो नहीं होते, किसी भी खबर पर संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही पक्ष रखा जा सकता है, पत्रकार की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को पुलिसिया आतंक से नहीं दबाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि यदि कोई शिकायत है तो सक्षम न्यायालय में जाएं, विधि सम्मत कानूनी प्रक्रिया को अपनाए, बगैर जाँच के किसी पत्रकार पर प्रकरण दर्ज किया ही नहीं जा सकता है वहीं वरिष्ठ पत्रकार शिवअनुराग पटैरिया कहते हैं कि पत्रकारों के ऊपर कोई कार्रवाई की प्रक्रिया है तो वह विधि सम्मत होनी चाहिए, प्रेस मामले को जनता के सामने लाती है, प्रेस पर हमला निंदनीय है । इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा कहते हैं कि जो निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे हैं और जो खबरों के लिए लिख रहे हैं, उन पर पुलिस द्वारा दबाव बनाना अनुचित है । जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ एम.पी. के अध्यक्ष सुरेश शर्मा कहते हैं कि पत्रकारिता के क्षेत्र में पुलिस का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं है, पत्रकारों के काम पर पुलिस प्रहार जारी रहा और उन्हें सरकार ने नहीं रोका तो हम आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे ।इस पूरे मामले में पर्चे में जो बाते उठाई गई थी अफसरों की टीम उसे तो दबा गई और अफसरों की बदनामी का ढिंढोरा पीटने लगी | जबकि पर्चे में दिए गए तथ्यों की बिंदुवार जाँच कराइ जाती और फिर दूध का दूध और पानी का पानी किया जाता तो आज तमाम वे लोग अफसरों के साथ खड़े नजर आते जो हमेशा अफसर और अफसर शाही को कोसते रहते हैं, जगजाहिर हैं आज भी पूरे समाज की तरह अफसरों में भी दो धाराएँ हैं इमानदार और बेईमानों की | अब तक बेईमानों के किस्से सुर्खिया बने हैं और इमानदार नेकनीयती से अपने काम में लगे हैं उन्हें न पर्चों की फिकर होती हैं न मीडिया की, रहा सवाल मध्यप्रदेश का तो सरे आम यह कहा जा सकता हैं कि यहाँ इमानदार अफसरों कि तादाद बेईमानों से कहीं ज्यादा हैं | (दखल)
दीपक कुमार तिवारी
मध्यप्रदेश में . अफसरों ने भ्रष्टाचार की ऐसी आंधी चलाई है कि उसके आगे न केवल मंत्री, मुख्यमंत्री के आदेशों-निर्देशों की धज्जियाँ उड़ रही है बल्कि अब वे सच का पर्दा उठाने वाले मीडिया पर अपना गुस्सा निकालने में लगे हैं । मध्यप्रदेश में अकूत सम्पत्ति अर्जित करने वाले अरविन्द जोशी, टीनू जोशी, डॉ० राजेश राजौरा जैसे आई.ए.एस. अफसरों के कारनामे थमने का नाम नहीं ले रहे हैं, अपनी बिगड़ी सूरत सुधारने की बजाय अब वे आईना तोड़ने में लग गए हैं । बीते दिनों राज्य मंत्रालय, विधानसभा, राजभवन में आई.ए.एस. अफसरों के पर्चे बंटे, एक वेबसाइट ने जब सच को आम जनता में प्रचारित करने का साहस दिखाया तो आई.ए.एस. अफसर गिरोहबद्ध होकर मीडिया की स्वतंत्रता पर ही हमला करने लगे । उन्होंने आईपीएस की शरण लेकर मीडिया को सताने की नाकाम कोशिश शुरू कर दी । वे शायद भूल गए हैं कि देश का संविधान अभी किसी अफसर की तिजोरी का दस्तावेज नहीं बन सका है । देश का संविधान आम जनता के धन को लूटने वालों का साथ नहीं देता, भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे सरमाएदारों की वकालत नहीं करता और मीडिया की आवाज को चन्द बेसुरे दबा नहीं सकते । गीदड़ों के झुण्ड एक शेर का भी शिकार नहीं कर सकते ।
मध्यप्रदेश के ऊर्जावान मुख्यमंत्री जिस बुराई से लड़ने के लिए कमर कस के मैदान में हैं, उन्हीं का साथ वेब जर्नलिज्म, प्रिन्ट जर्नलिज्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया दे रहा है, बावजूद इसके अफसरशाह अपनी हरकतों से मैली नदी को और बदबूदार बना रहे हैं ।
एक बेनामी पर्चे ने आई.ए.एस. अफसरों को हिला दिया । पर्चे में अज्ञात व्यक्ति ने अफसरों के शौक, उनकी आदतों का सिलसिलेवार व्यौरा दिया था । यकीनन परचा कोई अधिकृत दस्तावेज नहीं होता बावजूद इसके मीडिया में और राजनैतिक, प्रशासनिक हलकों में इसकी व्यापक प्रतिक्रिया रही । चूँकि परचे की भाषा असंसदीय थी, इस कारण प्रिन्ट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में इसका संपादित अंश ही सामने आया, परन्तु एक वेब साईट (न्यूज फायर ऑन लाइन) ने हू-ब-हू परचे को अपने विजिटर्स के लिए रखा । इससे नाराज होकर नौकरशाहों ने खुद को सुधारने की बजाय वेबसाइट को ही अपना निशाना बनाया । जिन आईपीएस अफसरों को हमेशा अछूत समझते हैं उन्हीं की गोद में आई.ए.एस. एसोसिएशन जा पहुँची । भारतीय संविधान की कसमें खाने वालों ने विधि का सहारा न लेते हुए पुलिस के डन्डे को अपना अस्त्र बनाया । क्या किसी सच को दिखाने की एवज में पुलिसिया जोर दिखाया जा सकता है ?
मीडिया जगत में वेबसाइट के विरूद्ध पुलिस अपराध दर्ज कराने की आई.ए.एस. एसोसिएशन की इस हरकत की निन्दा की जा रही है । राज्य के गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता स्वयं इस बात पर खेद प्रकट कर चुके हैं ।
मध्यप्रदेश श्रमजीवी पत्रकार संघ के अध्यक्ष शलभ भदौरिया कहते हैं कि अफसर कोई खुदा तो नहीं होते, किसी भी खबर पर संवैधानिक प्रक्रिया के तहत ही पक्ष रखा जा सकता है, पत्रकार की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार को पुलिसिया आतंक से नहीं दबाया जा सकता है । उन्होंने कहा कि यदि कोई शिकायत है तो सक्षम न्यायालय में जाएं, विधि सम्मत कानूनी प्रक्रिया को अपनाए, बगैर जाँच के किसी पत्रकार पर प्रकरण दर्ज किया ही नहीं जा सकता है वहीं वरिष्ठ पत्रकार शिवअनुराग पटैरिया कहते हैं कि पत्रकारों के ऊपर कोई कार्रवाई की प्रक्रिया है तो वह विधि सम्मत होनी चाहिए, प्रेस मामले को जनता के सामने लाती है, प्रेस पर हमला निंदनीय है । इसी मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार रमेश शर्मा कहते हैं कि जो निष्पक्ष पत्रकारिता कर रहे हैं और जो खबरों के लिए लिख रहे हैं, उन पर पुलिस द्वारा दबाव बनाना अनुचित है । जर्नलिस्ट यूनियन ऑफ एम.पी. के अध्यक्ष सुरेश शर्मा कहते हैं कि पत्रकारिता के क्षेत्र में पुलिस का हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं है, पत्रकारों के काम पर पुलिस प्रहार जारी रहा और उन्हें सरकार ने नहीं रोका तो हम आन्दोलन के लिए बाध्य होंगे ।इस पूरे मामले में पर्चे में जो बाते उठाई गई थी अफसरों की टीम उसे तो दबा गई और अफसरों की बदनामी का ढिंढोरा पीटने लगी | जबकि पर्चे में दिए गए तथ्यों की बिंदुवार जाँच कराइ जाती और फिर दूध का दूध और पानी का पानी किया जाता तो आज तमाम वे लोग अफसरों के साथ खड़े नजर आते जो हमेशा अफसर और अफसर शाही को कोसते रहते हैं, जगजाहिर हैं आज भी पूरे समाज की तरह अफसरों में भी दो धाराएँ हैं इमानदार और बेईमानों की | अब तक बेईमानों के किस्से सुर्खिया बने हैं और इमानदार नेकनीयती से अपने काम में लगे हैं उन्हें न पर्चों की फिकर होती हैं न मीडिया की, रहा सवाल मध्यप्रदेश का तो सरे आम यह कहा जा सकता हैं कि यहाँ इमानदार अफसरों कि तादाद बेईमानों से कहीं ज्यादा हैं | (दखल)
Saturday, May 1, 2010
जल एवं वृक्ष की महत्ता
भोपाल 29 अप्रैल 10 म.प्र.ब्यूरो - माया महिला बाल विकास समिति गैस राहत शेड नं. 16, छोला मन्दिर भोपाल में दिनांक 28 एवं 29 अप्रैल 2010 को पर्यावरण जागरूकता अभियान के तहत जलवायु परिवर्तन पर ऐ शिविर का आयोजन किया ।
आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री विजय पाल सिंह (विधायक) अध्यक्ष पाठ्य पुस्तक निगम ने एवं उपस्थित झानेश्वर नागरिक बैंक के डायरेक्टर श्री मनमोहन कुरापा जी एवं जनसंवेदना संस्था के अध्यक्ष श्री आर.एस. अग्रवाल ने भी उपस्थित महिलाओं एवं बच्चों को प्र्यावरण जागरूकता के सम्बंध में महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुये उन्हे फेल रहे प्रदूषण का स्वास्थ्य के उपर दुष्प्रभाव एवं बचने के उपाय पर एवं जल और वृक्ष दोनों ही विषयों में अपनी भूमिका का निर्वाह करना बताया। यहीं से जलवायु का संरक्षण होगा।
संस्था अध्यक्ष छाया चौहान ने भी अतिथियों का साथ अपने संबोधन में जल और वायु की अलग महत्ता बताई ।
आयोजन के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री विजय पाल सिंह (विधायक) अध्यक्ष पाठ्य पुस्तक निगम ने एवं उपस्थित झानेश्वर नागरिक बैंक के डायरेक्टर श्री मनमोहन कुरापा जी एवं जनसंवेदना संस्था के अध्यक्ष श्री आर.एस. अग्रवाल ने भी उपस्थित महिलाओं एवं बच्चों को प्र्यावरण जागरूकता के सम्बंध में महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुये उन्हे फेल रहे प्रदूषण का स्वास्थ्य के उपर दुष्प्रभाव एवं बचने के उपाय पर एवं जल और वृक्ष दोनों ही विषयों में अपनी भूमिका का निर्वाह करना बताया। यहीं से जलवायु का संरक्षण होगा।
संस्था अध्यक्ष छाया चौहान ने भी अतिथियों का साथ अपने संबोधन में जल और वायु की अलग महत्ता बताई ।
इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत राजस्थान की पॉटरी पर कार्यक्रमों का आयोज
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल.
इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत राजस्थान की पॉटरी पर कार्यक्रमों का आयोजन किया
भोपाल 30 अप्रैल, 10
बच्चोे के स्कूलों की छुटि्टयॉं शुरू हाने के साथ ही कई संस्थानों द्वारा बच्चों को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखने के लिये ग्रीष्मकालीन शिविर चलाये जाते है। कहीं पर नृत्य सिखाए जाते है तो कहीं पर विभिन्न कलात्मक गतिविधियॉं तथा खेल आदि। यही ग्रीष्मकालीन शिविर ही एक ऐसा माध्यम हैं जहां बच्चों की उनकी रूचि और कला के अनुरूप पहचान मिलती हैं। इसी तारतम्य में इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत जरदोजी कला और राजस्थान की पॉटरी पर दो विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जिनमें प्रतिभागियों का अच्छा खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण दे रहे कलाकार भी प्रतिभागियों के साथ बड़े उत्साह और लगन सेे कला के हुनर और कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। राजस्थान की पॉटरी कला के प्रशिक्षण कार्यक्रम में जहां प्रथम सत्र में बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है वहीं दूसरे सत्र मेें व्यस्कों को इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों और विशेष रूप से बच्चो का रूझान हर दिन बढ़ता जा रहा है। बच्चे जब खुद अपने हाथों से तैयार की गई वस्तुऐ सामने पाते है तो उनके मन खिल उठते है। कला को रूप देने के लिए जब बच्चे पहली बार हाथो में मिट्टी लेकर चक्के पर बैठ कर मिट्टी को आकार देना प्रारम्भ करते है तो कल्पना भी नही कर पाते कि
.2.
तैयार होने पर इसका रूप कैसा होगा, और जब कल्पना से बढ़कर अधिक निखरा रूप उनके सामने आता है तो इन बच्चों का आत्मविश्वास और बनाई गई वस्तुओं के प्रति उनकी खुशी स्पष्ट देखी जा सकती है। इस कार्यक्रम मे प्रशिक्षण दे रहे राजस्थान के पोखरन क्षेत्र से आये कलाकार श्री लूणाराम का मानना है कि एक कला तथा कलाकार हमेशा जीवन्त रहता है। ऐसा बिल्कुल नहीं कि वर्तमान समय में पॉटरी कला का अस्तित्व खतरे में है पर अगर कलाकार को बेहतर जानकारी और उचित माध्यम मिले तो आगे चलकर उसकी कला को पहचान मिल सकती है। इस कार्यक्रम मेे भाग ले रही प्रतिभागी अवनि श्रीवास्तव कहती है कि मैने यहांं चिड़िया, किचन सेट, गुलदस्ते आदि बनाऐ। पहले तो यह काम मैं केवल टेलीविजन में देखा करती थी और अब यह सब प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा है तो काफी प्रसन्नता हो रही है। वही दूसरी ओर जरदोजी प्रशिक्षण कार्यक्रम मे श्रीमती जुलेखा खान से कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही प्रतिभागी शिखा अग्रवाल कहती है कि सीखी हुई बातें हमेशा काम आती हैं। भविष्य में वे चाहती है कि उनका अपना एक बुटिक हो और तब निश्चित ही यहॉं सीखा काम सहायक होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों के साथ कलाकार भी बडी रूचि से प्रशिक्षण दे रहे हैं। यहां आऐ कलाकार काफी विनम्र और मिलनसार है। इन दोनो ही कार्यक्रमों में अब तक लगभग 100 प्रतिभागी अपना पंजीयन करा चुके है।
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रा/ //45// 30/04/10
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल.
अक्षय तृतीया के अवसर पर डाकघरों में सोने के सिक्कों की बिक्री
भोपाल 30 अप्रैल, 10
डाक विभाग द्वारा पिछले कुछ समय से सोने के सिक्कों की बिक्री की जा रही हैं । इस योजना की शुरूआत अक्टूबर 2008 से की गई और इसके अन्तर्गत पिछले डेढ वषाZे में देश के 466 डाकघरों के माध्यम से लगभग 363 किलोग्राम सोना बेचा गया । इस योजना की लोकप्रियता के चलते डाक विभाग अक्षय तृतीय के शुभ अवसर पर सोन के सिक्के बेचने को विशेष अभियान चलाएगा । यह अभियान 30 अप्रैल से 31 मई 2010 तक जारी रहेगा, जिसके अन्तर्गत ग्राकों को 6 प्रतिशत की आर्कषक छूट भी दी जाएगी।
मध्यप्रदेश में यह योजना बालाघाट, मण्डला, सिवनी व डिण्डोरी जिलों को छोड़कर शेष सभी जिलों के चुनिन्दा डाकघरों में उपलब्ध रहेगी । भोपाल में इस योजना के अन्तर्गत भोपाल जी.पी.ओ. सहित सेन्ट्रल टी.टी. नगर, पिपलानी, रीवशंकर नगर, त्रिलंगा, बैरागढ़, 3 ई.एम.ई. सेन्टर एवं जहांगीराबाद डाकघरों में सोने के सिक्के बेचे जाएगें।
डाकघरों में बेचे जाने वाले सोने के इन सिक्कों का निर्माण स्विट्जरलेन्ड में किया गया है तथा इण्डिया पोस्ट लोगो वाले इन सिक्कों की बिक्री भारत के वल्र्ड गोल्ड कौंसिल तथा रिलायंस मनी के सहयोग से की जा रही है । उपभोक्ता सोने के इन सिक्कों पर मिलने वाली इस आकर्षक छूट का अधिक से अधिक लाभ उठा सकते है ।
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रा/ //45// 30/04/10
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल
भारत सरकार
भोपाल.
इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत राजस्थान की पॉटरी पर कार्यक्रमों का आयोजन किया
भोपाल 30 अप्रैल, 10
बच्चोे के स्कूलों की छुटि्टयॉं शुरू हाने के साथ ही कई संस्थानों द्वारा बच्चों को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखने के लिये ग्रीष्मकालीन शिविर चलाये जाते है। कहीं पर नृत्य सिखाए जाते है तो कहीं पर विभिन्न कलात्मक गतिविधियॉं तथा खेल आदि। यही ग्रीष्मकालीन शिविर ही एक ऐसा माध्यम हैं जहां बच्चों की उनकी रूचि और कला के अनुरूप पहचान मिलती हैं। इसी तारतम्य में इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत जरदोजी कला और राजस्थान की पॉटरी पर दो विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जिनमें प्रतिभागियों का अच्छा खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण दे रहे कलाकार भी प्रतिभागियों के साथ बड़े उत्साह और लगन सेे कला के हुनर और कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। राजस्थान की पॉटरी कला के प्रशिक्षण कार्यक्रम में जहां प्रथम सत्र में बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है वहीं दूसरे सत्र मेें व्यस्कों को इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों और विशेष रूप से बच्चो का रूझान हर दिन बढ़ता जा रहा है। बच्चे जब खुद अपने हाथों से तैयार की गई वस्तुऐ सामने पाते है तो उनके मन खिल उठते है। कला को रूप देने के लिए जब बच्चे पहली बार हाथो में मिट्टी लेकर चक्के पर बैठ कर मिट्टी को आकार देना प्रारम्भ करते है तो कल्पना भी नही कर पाते कि
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तैयार होने पर इसका रूप कैसा होगा, और जब कल्पना से बढ़कर अधिक निखरा रूप उनके सामने आता है तो इन बच्चों का आत्मविश्वास और बनाई गई वस्तुओं के प्रति उनकी खुशी स्पष्ट देखी जा सकती है। इस कार्यक्रम मे प्रशिक्षण दे रहे राजस्थान के पोखरन क्षेत्र से आये कलाकार श्री लूणाराम का मानना है कि एक कला तथा कलाकार हमेशा जीवन्त रहता है। ऐसा बिल्कुल नहीं कि वर्तमान समय में पॉटरी कला का अस्तित्व खतरे में है पर अगर कलाकार को बेहतर जानकारी और उचित माध्यम मिले तो आगे चलकर उसकी कला को पहचान मिल सकती है। इस कार्यक्रम मेे भाग ले रही प्रतिभागी अवनि श्रीवास्तव कहती है कि मैने यहांं चिड़िया, किचन सेट, गुलदस्ते आदि बनाऐ। पहले तो यह काम मैं केवल टेलीविजन में देखा करती थी और अब यह सब प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा है तो काफी प्रसन्नता हो रही है। वही दूसरी ओर जरदोजी प्रशिक्षण कार्यक्रम मे श्रीमती जुलेखा खान से कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही प्रतिभागी शिखा अग्रवाल कहती है कि सीखी हुई बातें हमेशा काम आती हैं। भविष्य में वे चाहती है कि उनका अपना एक बुटिक हो और तब निश्चित ही यहॉं सीखा काम सहायक होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों के साथ कलाकार भी बडी रूचि से प्रशिक्षण दे रहे हैं। यहां आऐ कलाकार काफी विनम्र और मिलनसार है। इन दोनो ही कार्यक्रमों में अब तक लगभग 100 प्रतिभागी अपना पंजीयन करा चुके है।
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रा/ //45// 30/04/10
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल.
अक्षय तृतीया के अवसर पर डाकघरों में सोने के सिक्कों की बिक्री
भोपाल 30 अप्रैल, 10
डाक विभाग द्वारा पिछले कुछ समय से सोने के सिक्कों की बिक्री की जा रही हैं । इस योजना की शुरूआत अक्टूबर 2008 से की गई और इसके अन्तर्गत पिछले डेढ वषाZे में देश के 466 डाकघरों के माध्यम से लगभग 363 किलोग्राम सोना बेचा गया । इस योजना की लोकप्रियता के चलते डाक विभाग अक्षय तृतीय के शुभ अवसर पर सोन के सिक्के बेचने को विशेष अभियान चलाएगा । यह अभियान 30 अप्रैल से 31 मई 2010 तक जारी रहेगा, जिसके अन्तर्गत ग्राकों को 6 प्रतिशत की आर्कषक छूट भी दी जाएगी।
मध्यप्रदेश में यह योजना बालाघाट, मण्डला, सिवनी व डिण्डोरी जिलों को छोड़कर शेष सभी जिलों के चुनिन्दा डाकघरों में उपलब्ध रहेगी । भोपाल में इस योजना के अन्तर्गत भोपाल जी.पी.ओ. सहित सेन्ट्रल टी.टी. नगर, पिपलानी, रीवशंकर नगर, त्रिलंगा, बैरागढ़, 3 ई.एम.ई. सेन्टर एवं जहांगीराबाद डाकघरों में सोने के सिक्के बेचे जाएगें।
डाकघरों में बेचे जाने वाले सोने के इन सिक्कों का निर्माण स्विट्जरलेन्ड में किया गया है तथा इण्डिया पोस्ट लोगो वाले इन सिक्कों की बिक्री भारत के वल्र्ड गोल्ड कौंसिल तथा रिलायंस मनी के सहयोग से की जा रही है । उपभोक्ता सोने के इन सिक्कों पर मिलने वाली इस आकर्षक छूट का अधिक से अधिक लाभ उठा सकते है ।
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रा/ //45// 30/04/10
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल
टीममहिला स्वाधार योजना तहत हेल्पलाइन सेवा प्रारम्भ
टीममहिला स्वाधार योजना तहत हेल्पलाइन सेवा प्रारम्भ
पीड़ित महिलाओं का निराकरण करेगें वरिष्ठ जनों की
भोपाल 01 मई 2010 (म.प्र.ब्यूरो) - महिला बाल विकास मन्त्रालय द्वारा जनसंवेदना (मानव सेवा में समर्पित संस्था) को महिला स्वाधार योजना के तहत महिला हेल्पलाइन सेवाएं की स्वीकृति दी गई है। केन्द्रीय मन्त्रालय को यह प्रस्ताव भेजे 6 माह से अधिक हो गये हैं किन्तु बजट आवंटित नहीं किया गया है।
संस्था ने जनहित में इस मुद्दे को कार्यालीन समय 9 से 5 (रविवार अवकाश छोड़कर) हेल्पलाइन सेवा प्रारम्भ करने का निर्णय लिया है, जिसका दूरभाष क्रमांक 2760820 है। इस पर पीड़ित महिला अपनी व्यथा के लिये सम्पर्क कर सकती है। व्यथा का निराकरण वरिष्ठ जनों में वरिष्ठ अधिवक्ता टीकाराम यादव, गिरीराज किशोर एवं श्रीमती सुमन शुक्ला द्वारा उनकी व्यथा का निवारण को काउंसलिंग के द्वारा किया जायेगा।
संस्था अध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल ने पीड़ित महिलाओं से जनसंवेदना हेल्पलाइन की सेवा लेने की अपील की है।
पीड़ित महिलाओं का निराकरण करेगें वरिष्ठ जनों की
भोपाल 01 मई 2010 (म.प्र.ब्यूरो) - महिला बाल विकास मन्त्रालय द्वारा जनसंवेदना (मानव सेवा में समर्पित संस्था) को महिला स्वाधार योजना के तहत महिला हेल्पलाइन सेवाएं की स्वीकृति दी गई है। केन्द्रीय मन्त्रालय को यह प्रस्ताव भेजे 6 माह से अधिक हो गये हैं किन्तु बजट आवंटित नहीं किया गया है।
संस्था ने जनहित में इस मुद्दे को कार्यालीन समय 9 से 5 (रविवार अवकाश छोड़कर) हेल्पलाइन सेवा प्रारम्भ करने का निर्णय लिया है, जिसका दूरभाष क्रमांक 2760820 है। इस पर पीड़ित महिला अपनी व्यथा के लिये सम्पर्क कर सकती है। व्यथा का निराकरण वरिष्ठ जनों में वरिष्ठ अधिवक्ता टीकाराम यादव, गिरीराज किशोर एवं श्रीमती सुमन शुक्ला द्वारा उनकी व्यथा का निवारण को काउंसलिंग के द्वारा किया जायेगा।
संस्था अध्यक्ष राधेश्याम अग्रवाल ने पीड़ित महिलाओं से जनसंवेदना हेल्पलाइन की सेवा लेने की अपील की है।
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