Saturday, May 1, 2010

इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत राजस्थान की पॉटरी पर कार्यक्रमों का आयोज

पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल.

इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत राजस्थान की पॉटरी पर कार्यक्रमों का आयोजन किया
भोपाल 30 अप्रैल, 10
बच्चोे के स्कूलों की छुटि्टयॉं शुरू हाने के साथ ही कई संस्थानों द्वारा बच्चों को रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रखने के लिये ग्रीष्मकालीन शिविर चलाये जाते है। कहीं पर नृत्य सिखाए जाते है तो कहीं पर विभिन्न कलात्मक गतिविधियॉं तथा खेल आदि। यही ग्रीष्मकालीन शिविर ही एक ऐसा माध्यम हैं जहां बच्चों की उनकी रूचि और कला के अनुरूप पहचान मिलती हैं। इसी तारतम्य में इिन्दरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय द्वारा `करो और सीखो´ संग्रहालय शैक्षणिक कार्यक्रम श्रंखला के अन्तर्गत जरदोजी कला और राजस्थान की पॉटरी पर दो विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है जिनमें प्रतिभागियों का अच्छा खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। इस कार्यक्रम में प्रशिक्षण दे रहे कलाकार भी प्रतिभागियों के साथ बड़े उत्साह और लगन सेे कला के हुनर और कला का प्रदर्शन कर रहे हैं। राजस्थान की पॉटरी कला के प्रशिक्षण कार्यक्रम में जहां प्रथम सत्र में बच्चों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है वहीं दूसरे सत्र मेें व्यस्कों को इस कार्यक्रम में प्रतिभागियों और विशेष रूप से बच्चो का रूझान हर दिन बढ़ता जा रहा है। बच्चे जब खुद अपने हाथों से तैयार की गई वस्तुऐ सामने पाते है तो उनके मन खिल उठते है। कला को रूप देने के लिए जब बच्चे पहली बार हाथो में मिट्टी लेकर चक्के पर बैठ कर मिट्टी को आकार देना प्रारम्भ करते है तो कल्पना भी नही कर पाते कि
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तैयार होने पर इसका रूप कैसा होगा, और जब कल्पना से बढ़कर अधिक निखरा रूप उनके सामने आता है तो इन बच्चों का आत्मविश्वास और बनाई गई वस्तुओं के प्रति उनकी खुशी स्पष्ट देखी जा सकती है। इस कार्यक्रम मे प्रशिक्षण दे रहे राजस्थान के पोखरन क्षेत्र से आये कलाकार श्री लूणाराम का मानना है कि एक कला तथा कलाकार हमेशा जीवन्त रहता है। ऐसा बिल्कुल नहीं कि वर्तमान समय में पॉटरी कला का अस्तित्व खतरे में है पर अगर कलाकार को बेहतर जानकारी और उचित माध्यम मिले तो आगे चलकर उसकी कला को पहचान मिल सकती है। इस कार्यक्रम मेे भाग ले रही प्रतिभागी अवनि श्रीवास्तव कहती है कि मैने यहांं चिड़िया, किचन सेट, गुलदस्ते आदि बनाऐ। पहले तो यह काम मैं केवल टेलीविजन में देखा करती थी और अब यह सब प्रत्यक्ष देखने को मिल रहा है तो काफी प्रसन्नता हो रही है। वही दूसरी ओर जरदोजी प्रशिक्षण कार्यक्रम मे श्रीमती जुलेखा खान से कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही प्रतिभागी शिखा अग्रवाल कहती है कि सीखी हुई बातें हमेशा काम आती हैं। भविष्य में वे चाहती है कि उनका अपना एक बुटिक हो और तब निश्चित ही यहॉं सीखा काम सहायक होगा। उन्होंने कहा कि प्रतिभागियों के साथ कलाकार भी बडी रूचि से प्रशिक्षण दे रहे हैं। यहां आऐ कलाकार काफी विनम्र और मिलनसार है। इन दोनो ही कार्यक्रमों में अब तक लगभग 100 प्रतिभागी अपना पंजीयन करा चुके है।
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रा/ //45// 30/04/10


पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल.

अक्षय तृतीया के अवसर पर डाकघरों में सोने के सिक्कों की बिक्री

भोपाल 30 अप्रैल, 10
डाक विभाग द्वारा पिछले कुछ समय से सोने के सिक्कों की बिक्री की जा रही हैं । इस योजना की शुरूआत अक्टूबर 2008 से की गई और इसके अन्तर्गत पिछले डेढ वषाZे में देश के 466 डाकघरों के माध्यम से लगभग 363 किलोग्राम सोना बेचा गया । इस योजना की लोकप्रियता के चलते डाक विभाग अक्षय तृतीय के शुभ अवसर पर सोन के सिक्के बेचने को विशेष अभियान चलाएगा । यह अभियान 30 अप्रैल से 31 मई 2010 तक जारी रहेगा, जिसके अन्तर्गत ग्राकों को 6 प्रतिशत की आर्कषक छूट भी दी जाएगी।
मध्यप्रदेश में यह योजना बालाघाट, मण्डला, सिवनी व डिण्डोरी जिलों को छोड़कर शेष सभी जिलों के चुनिन्दा डाकघरों में उपलब्ध रहेगी । भोपाल में इस योजना के अन्तर्गत भोपाल जी.पी.ओ. सहित सेन्ट्रल टी.टी. नगर, पिपलानी, रीवशंकर नगर, त्रिलंगा, बैरागढ़, 3 ई.एम.ई. सेन्टर एवं जहांगीराबाद डाकघरों में सोने के सिक्के बेचे जाएगें।
डाकघरों में बेचे जाने वाले सोने के इन सिक्कों का निर्माण स्विट्जरलेन्ड में किया गया है तथा इण्डिया पोस्ट लोगो वाले इन सिक्कों की बिक्री भारत के वल्र्ड गोल्ड कौंसिल तथा रिलायंस मनी के सहयोग से की जा रही है । उपभोक्ता सोने के इन सिक्कों पर मिलने वाली इस आकर्षक छूट का अधिक से अधिक लाभ उठा सकते है ।
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रा/ //45// 30/04/10
पत्र सूचना कार्यालय
भारत सरकार
भोपाल

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