इंडिया टीवी के ब्यूरो चीफ से दुखी हैं पत्रकार
Tuesday, 18 May 2010 14:36 अरशद अली खान भड़ास4मीडिया - टीवी .
दुखी पत्रकारों ने की कई जगह शिकायत : डीजीपी ने दिए जांच के आदेश : भोपाल के पत्रकार अपने एक पत्रकार साथी से ही परेशान हैं. इतने परेशान कि उसके खिलाफ लिखित शिकायतें कर दी हैं. ये शिकायतें उस पत्रकार के संस्थान, पुलिस, प्रशासन और सरकार के उच्चाधिकारियों से की गई हैं. जिस पत्रकार से सभी परेशान हैं उनका नाम है अनुराग उपाध्याय. ये इंडिया टीवी के भोपाल ब्यूरो चीफ हैं.
इंडिया टीवी में काम करने के साथ-साथ ये एक वेबसाइट दखल नाम से चलाते हैं और एक अखबार हिंदू समृद्धि नाम से निकालते हैं. अनुराग पर पत्रकारों ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. इन आरोपों की जांच के आदेश डीजीपी ने दे दिए हैं. फिलहाल हम यहां भोपाल के पत्रकारों द्वारा इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा को लिखे पत्र को प्रकाशित कर रहे हैं. रजत शर्मा को भेजा गया यह दूसरा पत्र है. पहला पत्र आप इस शीर्षक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं- अपने ब्यूरो चीफ से हम पत्रकारों को बचाओ... रजत शर्मा से भोपाल के पत्रकारों की अपील... पार्ट वन और पार्ट टू
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Sent: Tue, 18 May, 2010 12:16:04 PM
Subject: Fwd: MP POLICE INQUIRY AGAINST INDIA TV CORRESPONDENT ANURAG UPADHYAY
To
Mr Rajat Sharma
India TV
Delhi
Dear Sir,
We have earlier also written to you, seeking your kind attention towards the scandalous activities of your correspondent Anurag Upadhyay.
The Madhya Pradesh Police through its order dated 14/5/2010 order 470/10, have constituted an enquiry against your correspondent. A copy of that order is attached herewith.
There is yet another scam related to correspondent, came in open. After the investigation, the Madhya Pradesh Police will be booking your correspondent under section 420 of IPC, as well. Anurag has been running a two-page paper - Hindu Samvridhi from Gwalior and Morena. The publisher of that paper died three-year ago but Anurag had been running the paper in the name of dead publisher was also operating the account with Vijay Bank in Gwalio, on the behalf of the dead publisher.
Sir, this is an open secret in Bhopal that India TV Correspondent Anurag had been submitting request in writing for the advertisements for his website Dakhal.net and his newspaper Hindu Samvridhi. At your own level you can call anyone at the Director Public Relations Department and know the real business of your correspondent in Madhya Pradesh.
Yours truly,
Brajesh Rajput Star News
Rahul Singh Times Now
Hemender Sharma CNN – IBN
Manoj Sharma IBN 7
Deshdeep Saxena News X
Sanjeev Shrivastav Sadhana News
Jagdeep Singh ETV
Bharat Shashtri Live India
Deepak Tiwari - The Week
Manish Sharma PTI
Sharad Dwivedi UNI
Prakash Tiwari Sahara Samay
Ambreesh Mishra India Today
Suchandana Gupta Times of India
Rajesh Sirorthia News Editor Naiduniya
Ranjan Shrivastav Hindustan Times
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अगली खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें- भोपाल के पत्रकारों ने अनुराग को ब्लैकमेलर कहा
आजकल ये पत्रकारिता के दलाल ही पत्रकारिता के पतन के कारण हैं. कभी 'पत्रकार' संबोधन 'न्यायधीश' से कम सम्मानित संबोधन नहीं था. लेकिन चेनल मालिकों के हाथों में खेलने वाले सम्पादक या खुद ही मुख्य सम्पादक का दायित्व ओढ़े हुए मालिक अपने आर्थिक लाभों से कैसे ऊपर उठ सकते हैं? वैसे भी इंडिया टीवी झूठ का पर्याय बन चुका है. मेरी एक कविता में ऐसा उल्लेख भी है. फुर्सत में कभी पढियेगा... लिंक है:
ReplyDeletehttp://pratul-kavyatherapy.blogspot.com/2010/04/blog-post_14.html
एँ! क्या मैं सो रहा था?
जो मैंने देखा, समझा — झूठ था?
इंडिया टीवी की खबर था?
क्या सच नहीं?
अजमल कसाब को फाँसी हो चुकी है!
सीरियल बम-ब्लास्टों के के गुनाहगार — जेल के अन्य कैदियों के द्वारा मार दिए गए!
अजी! मैंने लाइव टेलीकास्ट देखा!
भारत ने जो-जो सबूत पाकिस्तान को दिए
उनके बिनाह पर पाकिस्तान ने दहशतगर्दियों पर मुकम्मल कार्रवाई की.
भारत ने जैसा-जैसा चाहा पाकिस्तान ने वैसा-वैसा ही किया.
ज़रदारी मुशर्रफ शरीफ सब एक साथ
मनमोहन के एक बार बुलाने पर/ दिल्ली में/
पूरे मीडिया के सामने/ आतंक के खिलाफ शुरू हुयी मुहीम में
हाथ से हाथ मिला/ गले से गले लगा/ आकर/ मिलकर खड़े हो गए.
ध्यान रहे — वह ईद का मौक़ा नहीं था
जिस कारण वे इकट्ठा थे.
साल में एक-आद बार ऐसा करना उनके साम्प्रदायिक सौहार्द वाले शेड्यूल में है.
मेरी शहीदों की फेहरिस्त
फिल्मी कलाकारों, क्रिकेटरों की फेहरिस्त से ज़रा छोटी है.
फिल्मी कलाकार, क्रिकेटर्स की फेहरिस्त तो मैं डेली अपडेट करता हूँ.
— मीडिया जो है.
लेकिन शहीदों की फेहरिस्त को मैंने कई सालों से अपडेट नहीं किया.
आजादी से पहले के शहीद ही मुझे याद है.
वह भी पूरे नहीं.
क्या बाद के शहीद तन्ख्वाही थे, इसलिए उन्हें लिस्ट में ना जोडूँ?
— कारगिल में कौन-कौन शहीद हुए?
— मुंबई हमले में किस-किस कमांडो ने जान गँवाई?
— दिल्ली के जामिया नगर में किस पुलिसकर्मी की जान पर बन आई?
— भारत-पाक सीमा पर घुसपैठियों से टक्कर लेते किस-किस जवान ने गोली खायी?
अरे भाई, उन सबके नाम खोजो/ मुझे दो/ मैं लिस्ट अपडेट करूंगा.
मैं भी एक शाम नए शहीदों के नाम करूंगा.
अब शहादत का जज्बा नहीं, जो शहादत का काम करूँ?
नाम ही याद कर लूं/ शहीदों की लिस्ट ही अपडेट कर लूं.
किसी आई-क्यू कम्पटीशन में
भूले-बिसरे कोई पूछ ही बैठे.
— तब/ मुझे यदि याद रहा
— बताकर/ इस कमजोर शरीर के साथ
— जीत लूँ/ एक बड़ी धनराशि.
अँ! क्या मैं सो रहा था!!
जो मैंने देखा/ समझा — झूठ था/ इंडिया टीवी की खबर था?
क्या सच है?
क्या सच है —
संत साधु-समाज की भागीदारी बड़ी है देश की राजनीति में?
रामदेव और मायावती ने खोज लिया है अपना-अपना चन्द्रगुप्त?
विदेशी कम्पनियों का रंगीन पानी बेचकर बने बिगबी और लिटिलटी
बन नए हैं भारत रत्न के दावेदार?
क्या सच है —
भाजपा को मिल गए हैं चुनाव लड़ने को राष्ट्रीय मुद्दे?
कांग्रेस को फिर से सरकार बनाने को गांधी परिवार के मुरदे?
क्या सच है —
हो गयी है देश में शान्ति, सौहार्द, परस्पर भाईचारा?
या झूठ है? सरासर झूठ है?
मैं झूठ ही देखे जा रहा हूँ लगातार?
या मैं लाख कोशिशों के बावजूद जाग नहीं पा रहा हूँ?
जाग नहीं पा रहा हूँ....
maafi chaahtaa hun ki maine josh men poori kavitaa hii daal dii.