(मोकर्रम खान)
हाल ही में इंदौर में एक युवक को कुछ गुंडों ने दिन दहाड़े, सरे राह चाकू से गोद डाला. युवक का अपराध यह था कि उसने उन गुंडों को अपनी बहन से छेड़खानी करने से मना किया था. मीडिया के अनुसार घटना के बाद लगभग 45 मिनट का समय जिसमें उसकी जान बचाई जा सकती थी, पुलिस की कागजी कार्यवाही में बीत गया, परिणामस्वरूप, उस युवक की जीवन लीला समाप्त हो गई. कई निजी टीवी चैनलों ने इस समाचार का वीडियो दिखा दिखा कर मामले को गरमाने का भरसक प्रयास किया किंतु पुलिस के उच्चाधिकारियों जिनमें एक महिला भी शामिल हैं, ने अपने अधीनस्थों
का जम कर बचाव किया. वैसे परिस्थितियों का तकाज़ा तो यह था कि पीडि़त परिवार को सांत्वना देने तथा जनाक्रोश कम करने के लिये दोषी पुलिस कर्मियों को कम से कम तत्काल प्रभाव ने निलंबित कर दिया जाता. ऐसा करने का अधिकार जिले के एसपी से ले कर मुख्यमंत्री तक सभी को प्राप्त है लेकिन किसी ने इस अधिकार का प्रयोग कर पीडि़त परिजनों के ज़ख्मों पर मलहम लगाने की आवश्यकता नहीं समझी. पुलिस के आला अधिकारियों ने अपने कर्मचारियों का बचाव खुल कर किया. गृह मंत्री ने जांच रिपोर्ट की प्रतीक्षा करने को कहा. सबसे मज़े की बात मुख्यमंत्री ने कही कि पुलिस सिंघम बने. सिंघम फिल्म एक ईमानदार पुलिस अधिकारी अजय देवगन की कहानी है परंतु सिंघम केवल एक फिल्म है जो मनोरंजन का साधन मात्र है, वास्तविकता से उसका दूर दूर तक वास्ता नहीं है.
रील लाइफ में सिंघम है किंतु रियल लाइफ में पुलिस दबंग की भूमिका में है, दबंग जो दादागिरी से सब कुछ प्राप्त कर सकता है. दबंग फिल्म में नायक सलमान खान थानेदार है. नायिका सोनाक्षी सिन्हा एक गरीब लड़की है जिसका इस संसार में एक गरीब शराबी पिता के अलावा और कोई नहीं है, थानेदार इस हकीकत से वाकिफ है इसलिये नायिका से प्रेम की पींगें बढ़ाने के लिये उसके इर्द गिर्द चक्कर लगाने की ज़हमत नहीं उठाता, न ही आई लव यू कहने की आवश्यकता समझता है, उसे सीधे आर्डर देता है, मुझसे शादी कर लो. नायिका अपनी विवशता बताती है कि मैं अपने शराबी और बीमार बाप को नहीं छोड़ सकती. थानेदार उससे किसी प्रकार का मान मनौवल नहीं करता बल्कि झगड़े की जड़ बाप को मानसिक प्रताड़ना देता है और नायिका से शादी करने के लिये दबाव बनाता है. गरीब बाप थानेदार का मुकाबला करने का साहस नहीं रखता इसलिये एक निश्चित तिथि को अपनी लड़की ब्याह कर ले जाने के लिये कहता है किंतु उस तिथि के आने के पहले ही आत्महत्या कर लेता है. बाप की
मौत पर नायिका आंसू बहाती रहती है, मोहल्ले की औरतें भी उसका दुख बांटने के लिये उसका अनुसरण कर रही होती हैं तभी थानेदार सलमान खान आता है, सभी को रोते देख कर उसके अंदर मानवीय
संवेदना नहीं जागती, वह नायिका का दुख कम करने के लिये प्रेम के दो शब्द भी नहीं बोलता बल्कि पहले से रो रही सभी महिलाओं को डांट कर भगा देता है और नायिका को रोने धोने की भी मोहलत नहीं देता, ले जा कर सीधे विवाह कर लेता है, विवाह के तत्काल बाद नायिका के साथ रहते हुये भी पर-नारियों के पीछे भागता है, नायिका उसे बार बार पकड़ कर वापस खींचती है. थानेदार न उसके दुख
की परवाह करता है न ही समाज की क्योंकि वह दबंग है, और दबंग भी साधारण नहीं, समस्त सुविधायेंयुक्त शासकी मान्यता प्राप्त दबंग, उसे किसी से डरने की क्या आवश्यकता है.
तो वास्तव में पुलिस दबंग ही है जिसे किसी का डर नहीं है और इंदौर पुलिस तो दबंगों से भी कई कदम आगे है. पिछले वर्ष एक प्रकरण प्रकाश में आया था, इंदौर में एक थानेदार ने एक किशोरी को जो रात 9 बजे अपने भाई को कोचिंग में छोड़ कर आ रही थी, रास्तें में रोक लिया और पूछताछ के लिये थाने ले जाने के बहाने एक घर में ले जा कर उसके अश्लील एमएमएस बनाये.
संयोगवश लड़की के परिजन राजनीति में अच्छी पकड़ रखते थे, उनके एक रिश्तेदार विधायक ने पूरे शासन तथा प्रशासन को हिला कर रख दिया तब जा कर उस थानेदार के विरुद्ध कुछ कार्यवाही हुई. इस
मामले के खुलासे के बाद एक अन्य युवती ने भी शिकायत की कि उक्त थानेदार ने उसके भी जबरन अश्लील एमएमएस बनाये थे और ब्लैकमेल किया था, यह लड़की भी प्रदेश की एक काबीना मंत्री की रिश्तेदार थी. पुलिस की दबंगई देखिये, मंत्री संतरी किसी की भी परवाह नहीं करते. राजनेता भी पुलिस की दबंगई के सामने बेबस नज़र आते हैं. थानेदार द्वारा लड़कियों के जबरन अश्लील एमएमएस बना कर उन्हें ब्लैकमेल करने के ये 2 मामले हाई प्रोफाइल होने के कारण प्रकाश में आ गये, ऐसे मामलों की वास्तविक संख्या का अनुमान लगाना कठिन है क्योंकि बदनामी तथा पुलिस की प्रताड़ना के डर से
अधिकांश लड़कियां सामने ही नहीं आती हैं. छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर की एक लड़की इंदौर में पढ़ती थी, उसकी हत्या हो गई. लड़की का बाप भागा भागा इंदौर पहुंचा और दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की किंतु पुलिस ने यह कह कर चलता कर दिया कि लड़की का चरित्र ठीक नहीं था. बाप ने छत्तीसगढ़ के भाजपाई राजनेताओं, मीडियाकर्मियों तथा अधिकारियों से सहायता की विनती
की, उन लोगों ने इंदौर पुलिस पर कार्यवाही हेतु दबाव डाला तो पुलिस ने मृतका के पिता को उल्टा चमकाया कि ज्यादा नेतागिरी मत करो. जब पुलिस इस प्रकार की दबंगई दिखायेगी तो गुंडों के हौसले बढ़ना स्वाभाविक है. एक लड़की अपने पिता के साथ दो पहिया वाहन पर जा रही थी. कुछ मनचलों ने लड़की का हांथ पकड़ कर खींच लिया. बाप बेटी दोनों ही नीचे गिर पड़े, बाप को मौत हो गई, बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई.
पुलिस का काम है, अपराधियों के बीच दहशत पैदा करना ताकि वे आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे कर आम जनता को प्रताडि़त न करें किंतु यदि पुलिस अपने अधिकारों का प्रयोग अपराधियों के विरुद्ध न
करे और उल्टे जनता को हतोत्साहित करे तो क्या होगा, प्रत्यक्ष दिखाई दे रहा है. बहन से छेड़खानी करने का विरोध करने पर युवक को सरे राह, दिन के प्रकाश में चाकू से गोद डालना फिर पुलिस कर्मियों द्वारा कागजी कार्यवाही में इतना विलंब करना कि इलाज में देरी की कारण युवक की मृत्यु हो जाये, इतने पर भी उच्चाधिकारियों द्वारा पुलिस कर्मियों का बचाव करना क्या यह स्पष्ट संदेश नहीं देता कि महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अत्याचारों के विरुद्ध आवाज़ उठाने का दुस्साहस कोई कभी भी न करे अन्यथा इस अपराध के लिये सीधे प्राण दंड ही मिलेगा. पुलिस में सिंघम देखना है तो सिनेमा हाल की टिकट लीजिये या इस फिल्म की सीडी ला कर घर पर देखिये और कल्पना लोक में विचरण कीजिये, चाहें तो अपने आप को भी सिंघम समझ सकते हैं और नायक होने के सुख का अनुभव कर सकते हैं किंतु याद रहे कि सिंघम केवल एक काल्पनिक कथा है, वास्तविकता नहीं. वास्तविकता तो सलमान खान की फिल्म दबंग है.
मोकर्रम खान, वरिष्ठ पत्रकार/राजनीतिक विश्लेषक
पूर्व निजी सचिव, केंद्रीय शहरी विकास राज्य मंत्री.
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Monday, January 14, 2013
मध्य प्रदेश की पुलिस सिंघम है या दबंग ?
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