भारत में इ-गवर्नेंस के क्रियान्वयन के लिए सरकार की सक्रियता और इन्र्फोमेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट की कार्यप्रणाली को देखते हुए यह उम्मीद की जाती है कि जल्द ही देश में इ-गवर्नेंस पूरे देश में आम हो जाएगा लेकिन हमारे देश में आईटी क्रांति की गति जितनी तेज है, एकल मंच या संयुक्त प्लेटफार्म जिसके माध्यम से देश का सूचना तंत्र सभी तरह के एप्लीकेशंस को स्वीकार करते हुए बिना रूकावट कार्य करता रहे का घोर अभाव है। इ-गवर्नेंस के लागू होने के बाद निशित रूप से नागरिकों को सरकार के दफ्तरों में जाने की बजाय घर से ही अपने आवेदन, शिकायत या अन्य जानकारियां हासिल की जा सकेंगी। हालांकि आईटी विभाग सर्वमान्य एकल मंच तैयार करने के प्रति संवेदनशील है।
इ-गवर्नेंस को लोकप्रिय बनाने के लिए नेशनल इंर्फोमेटिक्स सेंटर (एनआईसी) और डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडैक) ने बहुत ही अच्छा कार्य किया है, जिसके कारण सरकारी कार्यालयों में इ-गवर्नेंस का शुभारंभ तो हो गया है लेकिन यह अभी केवल सरकारी कार्यालय से कार्यालय तक ही सीमित है। जहां एक ओर निजी कंपनियां और आईटी फर्म एकल मंच तैयार करने के लिए भारी संसाधन खर्च कर रहे हैं और आईआईटी के
विशेषज्ञों की सेवाएं लेकर काम को पूरा कर रही हैं, भारत सरकार का एनआईसी इस मामले में पिछड़ता जा रहा है।
विष्वस्त सरकारी सूत्र भी इस बात को स्वीकार करता है कि हमारे देश में वैसे आईटी कानून नहीं हैं जो भविष्य में आने वाली समस्याओं का निदान कर सके। इसलिए एकल मंच तैयार करने में परेशनियां आ रही हैं। आईटी एक्ट 2000 में किये गये प्रावधान एकल मंच में आने वाली अड़चनों को दूर करने में सक्षम नहीं है। इसलिए सरकारी स्तर पर यह महसूस किया जा रहा है कि जब तक कानून नहीं बनते तब तक सरकार आईटी को जन जन तक पहुंचाने वाला सार्वजनिक प्लेटफार्म शेयर करने की अनुमति आम व खास को नहीं दे सकती।
संयुक्त एकल मंच तैयार करने के बाद उसके सफल संचालन और सुरक्षा को लेकर शंकाएं हैं। सबसे पहला खतरा है इसकी उपलब्धता और कार्य संचालन की। इसके तीन मुख्य टूल होंगे पहला है, टास जिसमें आधारभूत संरचना और सेवा शामिल है। दूसरा है सास जिसमें सॉफ्टवेयर की सेवा उपलब्धता और सुरक्षा तथा तीसरा है पास, जिसमें सार्वजनिक रूप से एकल मंच से जुड़ने और सेवा लेने की सुविधा शामिल है। इन विभिन्न टूलों के बीच समन्वय और संचालन की चुनौती से निपटने की रणनीति पहले ही बनानी होगी जो कि अभी तक नहीं बन सकी है, आईटी विभाग का कहना है कि इसके लिए हमारे देश में ऐसे कानून नहीं बने हैं जिससे भविष्य में इसकी सुरक्षा में सेंध लगाने वालों को पकड़ा जा सके। इस तरह देखा जाए तो आईटी विभाग के लिए परेशानी का सबब तब सामने आएगा जब डाटा की सुरक्षा, उसकी रिकवरी आदि को लेकर शिकायतें आने लगेंगी। डाटा ट्रांसफर भी अभी एक चुनौती बनी हुई है। यह बौद्धिक संपदा से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा है और आपदा स्थिति में निपटने के लिए हमारे पास रणनीति नहीं है।
आईटी एकल मंच एक ऐसा विविधरूपी इंटरनेट एप्लीकेशन होगा जिसके माध्यम से पूरा देश दुनिया जुड़ा रहेगा। यह एक जादू के रूप में कार्य करेगा जिसमें बात करने, इमेल करने, मेसेज, फोन या वीडियो कॉल करने की सुविधा एक साथ मौजूद रहेगा। ऐसा प्लेटफार्म जिस पर आप वार्ता के अलावा प्रोजेक्ट आसानी से प्रस्तुत कर सकेंगे। यह विचारों के अदान प्रदान के साथ तेजी से काम करने वाला देसी तंत्र होगा। इसकी एक और खासियत यह होगी कि आप इसे ट्रेन, बस और हवाई जहाज में भी प्रयोग कर सकेंगे। यह एक उत्पाद से बढ़कर एक बेहतरीन सेवा होगी जो उम्दा सॉफ्टवेयर के माध्यम से जन जन से जुड़ सकेगा। यह आपके लैपटॉप और डेस्कटॉप के लिए आवश्यक सॉफ्टवेयर भी उपलब्ध कराएगा।
इसके अलावा यह मंच आपको इंटरनेट पर भी अपने एप्लीकेशन प्रयोग की सुविधा उपलब्ध करा सकेगा। यह ग्राहकों और व्यापारिक संगठनों को एप्लीकेशन प्रयोग की अनुमति प्रदान करेगा। इसमें यह सुविधा रहेगी कि आप अपने संपर्क, फोटो, वीडियो, इमेल आदि को ऑनलाइन कभी सेवा में ले सकेंगे।
परंपरागत रूप से उपलब्ध एप्लीकेशन प्लेटफार्म बहुत ही ज्यादा जटिल और महंगे है। इसमें डाटा सेंटर की जरूरत होती है। इस डाटा सेंटर को संचालित करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत होती है। आईटी एकल मंच इन सभी पेचिदगियों से अलग बिजनेस फ्रेंडली और आम उपयोग के लिए सरल होगा। इसके माध्यम से बिजनेस सेंटर और व्यक्ति भी सूचना तंत्र के रूप में इस्तेमाल कर सकेंगे। मीडिया हाउसों के लिए यह बहुत ही उपयोगी साबित होगा जहां डाटा चोरी और दुश्मनी की कोई संभावना नहीं होगी।
सरकार इस बेहतरीन सेवा को देश को समर्पित करने के लिए कारपोरेट सेक्टर और अकादमिक क्षेत्र से डाटा चोरी को लेकर नया रास्ता निकालने की तैयारी कर रही है ताकि आईटी एकल मंच को मूर्त रूप दिया जा सके। इस जादू को देश को सौंपने से पहले इसकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था के लिए सरकार नया कानून बनाने पर भी विचार कर रही है। इसके अमल में आने के बाद देष के कोने कोने में आम आदमी तक सार्थक ज्ञान आधारित समाज के निर्माण में महती भूमिका अदा करेगा यह आईटी का एकल मंच। देखिए कब तक हमारे सामने प्रस्तुत होता है यह जादू।
एम.वाई. सिद्दीकी
पूर्व प्रवक्ता,
कानून एवं न्याय और रेल मंत्रालय, भारत सरकार
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Monday, January 14, 2013
भारत में आईटी क्रांति और एकल मंच की चुनौतियां
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