इंटरनेट का इस्तेमाल व्यवसाय और मनोरंजन की दुनिया में तेजी से बढ़ा है, मगर अभी भी सरकारी कामकाज और जन-सुविधाओं में इसके इस्तेमाल में हम काफी पीछे हैं। हाल में केन्द्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा है अगले तीन सालों में भारत की सभी अदालतें इंटरनेट से जुड़ जाएंगी। इसका सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि हर कैदी को पेशी पर न्यायालय ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसी तर्ज पर केंद्रीय संचार मंत्री सचिन पायलट ने पिछले दिनों कहा कि अगले एक साल में देश की सभी ग्राम पंचायतों को इंटरनेट से जोड़ दिया जायेगा। इससे ग्रामीण भी नई टेक्नॉलजी का पूरा लाभ उठा सकेंगे।
मगर हकीकत यह है कि अभी भी ऑनलाइन जानकारी मुहैया कराने के मामले में सरकारी संगठन बहुत पीछे हैं। आम तौर पर उनकी साइट पर या तो पुरानी जानकारियां पड़ी रहती हैं या फिर वे खुलती ही नहीं हैं। हालांकि बीते करीब दस सालों में लगातार सरकारी सेवाओं और सूचनाओं को ऑनलाइन कराने का काम जारी है। कई मामलों में लोगों तक इन सुविधाओं की जानकारी भी नहीं पहुंच पाती। उदाहरण के तौर पर अब मतदाता सूची में नाम जुड़वाने के लिए नागरिक इंटरनेट के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सूची में नाम दर्ज करा सकते हैं। हालांकि इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। इसी तरह से नगर निगम के टैक्स जैसी सूचनाओं का पूरा खाका भी इंटरनेट पर देखा जा सकता है। इसकी सूचनाएं सभी सरकारी दफ्तरों में होनी चाहिए और इनके प्रचार-प्रसार का भी प्रयास किया जाना चाहिए। इससे सरकारी कामकाज में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सकेगा।
सरकारी वेबसाइट्स के साथ एक और दिक्कत होती है। कई मामलों में इन्हें बहुत पहले डेवलप किया गया है और इंटरनेट की दुनिया में हो रहे बदलाव के अनुरूप इनमें संशोधन नहीं किए गए हैं। हालांकि http://india.gov.in/
जैसी साइट्स अपवाद भी हैं, जो हमेशा अपडेट होती रहती है और तकनीकी रूप से भी बेहतर है।
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