Monday, October 21, 2013

वैद्यों की सलाह से आएगी देश में खुशहाली – केप्टन जय नारायण निषाद

वैद्यों की सलाह से आएगी देश में खुशहाली – केप्टन जय नारायण निषाद

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और योग कंफेडरेशन आफ इंडिया के संरक्षक केप्टन जयनारायण प्रसाद निषाद ने आज चतुर्थ महर्षि पतंजलि सप्ताह आयोजन के समापन समारोह में भाग लिया।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री और योग कंफेडरेशन आफ इंडिया के संरक्षक केप्टन जयनारायण प्रसाद निषाद ने आज चतुर्थ महर्षि पतंजलि सप्ताह आयोजन के समापन समारोह में भाग लिया।
भोपाल 21 नवंबर। सांसद सदस्य और पूर्व केन्द्रीय मंत्री केप्टेन जय नारायण निषाद ने कहा है कि आयुर्वेद को अपनाकर देश को आर्थिक आजादी की ओर ले जाया जा सकता है। जैसे जैसे आयुर्वेद आधारित विकास होगा देश की खुशहाली बढ़ती जाएगी। उन्होंने आयुर्वेद प्रसार की दिशा में कदम बढ़ा रहे वैद्यों का आव्हान किया कि वे किसी भी प्रकार के विरोध से घबराएं नहीं और लगातार आगे बढ़ते रहें। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यदि किसी को कुर्बानी भी देनी पड़े तो घबराने की जरूरत नहीं है।
चतुर्थ महर्षि पतंजलि सप्ताह आयोजन के समापन समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर राजधानी आए सांसद और पूर्व केन्द्रीय मंत्री केप्टन जयनारायण प्रसाद निषाद ने राजधानी वासियों को सफल आयोजन के लिए बधाई दी। योग कंफेडरेशन आफ इंडिया के संरक्षक श्री निषाद ने कहा कि योग की दिशा में आगे बढ़ चुके 67देशों में भोपाल का नाम आज जिज्ञासा की निगाह से देखा जा रहा है। इसका एक कारण ये है कि यह महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के शरीर विज्ञानी आज महर्षि पतंजलि के योग सूत्र पढ़कर आश्चर्य चकित हैं कि न जाने वे कैसे महामानव रहे होंगे जिन्होंने कई सौ साल पहले मानव शरीर का इतना सटीक अध्ययन किया था। जब तकनीकें विकसित नहीं रहीं होंगी तब वे किस मेधा के बलबूते इतना विस्तृत अध्ययन कर पाए होंगे। श्री निषाद ने कहा कि आगे आने वाले समय में जब दुनिया भर के लोग भोपाल को तीर्थ स्थल के रूप में देखने आएंगे तब शायद इसकी पहचान स्थापित करने वाले दुनिया में नहीं होंगे। उन्होंने भोपाल वासियों को एक उजले कल के लिए बहुत शुभकामनाएं दीं।
महर्षि पतंजलि की जन्मभूमि के संबंध में विस्तृत अध्ययन करने वाले भारतीय योग अनुसंधान केन्द्र आनंदनगर के संस्थापक आचार्य हुकुमचंद शनकुशल ने कहा कि आज देश दुनिया के आयुर्वेदाचार्य भोपाल आकर हमारे जिस पारंपरिक ज्ञान का उद्घोष कर रहे हैं वे ही आगे चलकर एक स्वस्थ समाज के शिल्पी साबित होंगे। उन्होंने भोपाल आकर आयुर्वेद की मशाल जगाने वाले सभी वैद्यों के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने भाव विव्हल होकर कहा कि जो लोग आज इस कार्य की गंभीरता को नहीं समझ पा रहे हैं उन्हें ही भविष्य में इस विरासत को संभालना है।
योग सप्ताह के अंतिम दिन आयुर्वेदाचार्यों ने कहा कि प्रकृति ने हर मनुष्य को महान शक्तियों से युक्त करके पृथ्वी पर भेजा है। इन शक्तियों को ऊर्ध्वगामी बनाकर मस्तिष्क के बीच में स्थित सहस्त्रार चक्र तक ले जाने की योग क्रिया को ही कुंडलिनी जागरण भी कहा जाता है। जप, तप, व्रत-उपवास, पूजा-पाठ, योग आदि के माध्यम से साधक अपनी शारीरिक एवं मानसिक, अशुद्धियों, कमियों और बुराइयों को दूर कर सोई पड़ी शक्तियों को जगाता है। जिस समाज में ज्यादातर लोग इस तरह जागरण की ओर कदम बढ़ाते हैं वह समाज हर दृष्टि से सक्षम समाज बन जाता है।
समापन समारोह में नाईजीरिया से आए अफ्रीकन बैंड एबिस अफ्रीका एंटरटेनमेंट वर्ल्ड के सदस्यों ने अपनी ऊर्जावान रंगारंग प्रस्तुति दी। सभी आगंतुकों ने अफ्रीकन बैंड के सदस्यों के योग के प्रति समर्पण की सराहना की। केप्टेन निषाद ने अंत में उन्हें प्रशस्ती पत्र देकर सम्मानित किया। आयोजन में भाग लेने आए सभी वैद्यों और सहयोग देने वाले नागरिकों को भी इस अवसर पर प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह में भाग लेने वाले सभी लोगों ने अगले साल इस आयोजन को और बेहतर बनाने का संकल्प लिया।
योग कंफेडरेशन आफ इंडिया के अध्यक्ष विजय तिवारी ने कहा कि भोपाल में हर साल आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम को दुनिया भर में सराहा जाता है। भोपाल के नागरिकों और मीडिया ने जिस तरह से इस आयोजन को अपना समर्थन दिया है उससे आने वाले समय में भोपाल निश्चित तौर पर योग प्रेमियों का तीर्थस्थल बन जाएगा। उन्होंने कहा कि आगे आने वाले समय में भोपाल ही वह नगर होगा जो हिंदुस्तान को विश्वगुरु की पहचान प्रदान करेगा। योग कंफेडरेशन आफ इंडिया की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री लक्ष्मी ठाकुर सिंघल ने चतुर्थ महर्षि पतंजलि सप्ताह आयोजन में सहयोग देने वाले सभी लोगों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग और आयुष विभाग के प्रति भी आभार व्यक्त किया। संस्कृति विभाग के संचालक श्रीराम तिवारी और आयुष विभाग के अतिरक्त संचालक के प्रति भी उन्होंने आभार व्यक्त किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले साल जब आचार संहिता जैसी बंदिश नहीं होगी तब ये आयोजन अपनी पूरी भव्यता के साथ दुनिया भर में आयुर्वेद का संदेश फैलाएगा।

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