Thursday, June 23, 2011

गुटबाजी छोड़ पिछड़ों -दलितों में जनाधार बढ़ाये भाजपा

भारतीय जनता पार्टी के ऊपर अक्सर बनिया-ब्राह्मण पार्टी होने का आरोप लगता रहा है | प्रमोद महाजन की असामयिक मौत के बाद से ही पार्टी की हालात खस्ता है और गुटबाजी काफी बढ़ गयी है | संघ के निर्देश पर नितिन गडकरी को राष्ट्रीय अध्यक्ष तो बना दिया गया लेकिन पार्टी में गुटबाजी को रोक नहीं पाए हैं | खुद उनके गृह प्रदेश में अहम् की लड़ाई से भाजपा को बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है | हाल ही में पार्टी में पिछड़ी जाति के नेता उमा भारती की वापसी हुई और साथ ही महाराष्ट्र के पिछड़ों के जमीनी नेता गोपीनाथ मुंडे की पार्टी छोड़ने की बातें मीडिया में शुरू हो गयी | हालाँकि सुषमा स्वराज से मिलने के बाद मुंडे ने ऐसी अटकलों पर यह कहकर विराम लगा दिया कि ‘ मैं भाजपा में ही रहूँगा ‘ , लेकिन मुंडे की नाराजगी अभी ख़त्म नहीं हुई है |

कभी महाराष्ट्र भाजपा में मुंडे और दिवंगत प्रमोद महाजन की तूती बोलती थी तब गडकरी की कोई खास अहमियत नहीं थी | लेकिन गडकरी के भाजपा अध्यक्ष बन जाने के बाद गडकरी ने अपना प्रभाव स्थापित करने लिए प्रदेश इकाई में महत्वपूर्ण पदों पर मुंडे के करीबी समझे जाने वाले लोगों को हटा कर अपने नजदीकियों को नियुक्त करना शुरू किया और यहीं से मुंडे और गडकरी के बीच मतभेद उभर कर मीडिया आने लगे |

मुंडे को पिछड़े वर्गों में अच्छा प्रभाव रखने वाले भाजपा का अकेला जन नेता माना जाता है इस लिहाज से ना केवल महाराष्ट्र भाजपा में बल्कि रह्स्त्रिय स्तर पर भी गोपीनाथ मुंडे की भूमिका भाजपा के लिए लाभदायक है | भाजपा के अलावा विभिन्न दलित /पिछड़े मंच पर मुंडे को लोग बुलाते हैं | मुंडे के पार्टी छोड़ने से महाराष्ट्र में भाजपा के पिछड़े वर्गो में जनाधार का बड़ा झटका लग सकता है |

उमा भारती भी भाजपा की ओबीसी नेता हैं और गोपीनाथ मुंडे भी भाजपा के ओबीसी नेता है. ओबीसी यानी अन्य पिछड़ा वर्ग. अगड़ों की पार्टी के रूप में बदनाम भाजपा को और ऐसे नेता खड़े करने होंगे और मौजूदा राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय नेतृत्व में सामजिक समीकरणों के आधार पर नेताओं को आगे लाना होगा |
पिछड़ों -दलितों का महत्व केवल भाजपा को आगे बढाने के लिए ही नहीं बल्कि हिंदुत्व के सपने को साकार करने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है | हिन्दू समाज के पिछड़े – दलित वर्ग और आदिवासी आजादी के पहले से हीं ईसाई मिशनरियों के निशाने पर हैं | संघ के सामाजिक समरसता के सिद्धांत को आगे बढाने के लिए भाजपा को पिछड़े -दलित -आदिवासी नेतृत्व को भी समुचित जगह देनी होगी तभी सम्पूर्ण भारत में कमल खिलाने का स्वप्न पूरा हो सकेगा |

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