Friday, February 8, 2013

6 साल से न्याय का इंतजार

राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को नहीं मिल रहा न्याय
भोपाल, 31 जनवरी 2013। ऐसा माना जाता है कि नौकरशाहों पर किसी की लगाम नहीं होती। सभी अधिकारी आपस में मिले होते हैं और एक-दूसरे की बात मानते हैं। लेकिन जब उन्हीं के बीच का एक अधिकारी 6 साल से न्याय का इंतजार करे, तो इसे क्या कहा जाए? मामला राज्य प्रशासनिक सेवा के एक अधिकारी से जुड़ा है। 
हिस को मिली जानकारी के अनुसार अक्टूबर 2006 में जल संसाधन विभाग ने शिवपुरी के मनिखेड़ा डेम से बिना सूचना के सिंध नदी में पानी छोड़ दिया था। जिसके कारण दतिया जिले के सेवड़ा स्थित रतनगढ़ माता मंदिर के लिए नदी पार कर रहे 47 लोग काल कलवित हो गये थे। यह सभी लोग मंदिर के लिए बनाये रास्ते से न जाकर सीधे सिंध नदी में उतरकर जल्दी मंदिर पहुंचने की तैयारी में थे। तभी यह दुर्घटना घटी।
जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
घटना के तुरंत बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तात्कालीन कलेक्टर एवं एसपी का स्थानांतरण करते हुए एसडीएम और एसडीओपी को निलंबित कर दिया। इन सभी पर जूडिशियल जांच बैठाने की घोषणा भी की। वहीं एसडीएम और एसडीओपी पर विभागीय जांच भी बैठा दी गई। लेकिन जिस जल संसाधन विभाग द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के सिंध नदी में पानी छोड़ा गया था। उस विभाग के किसी भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। सूत्रों यहां तक बताते हैं कि  तात्कालीन जल संसाधन ने अपने अधीनस्थों को बचा लिया। 
भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी भी नहीं हुए इससे प्रभावित
6 साल पहले घटी इस घटना के वक्त वरिष्ठ महिला आईएस एम.गीता दतिया की कलेक्टर थी, वहीं प्रमोद वर्मा एस.पी.। लेकिन इन दोनों पर ही इस घटना के दौरान कोई कार्रवाई नहीं की गई। पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच हुई लेकिन जांच की फाईल दबा दी गई। अभी तक इस न्यायिक जांच का कोई अता-पता नहीं। बल्कि आगे चलकर दोनों ही अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को पदोन्नति दे दी गई। 
घटना के लिए राज्य सेवा अधिकारियों को माना गया दोषी
उधर राज्य सेवा के अधिकारी एसएस त्रिवेदी तात्कालीन एसडीएम और सी.पी. चंदोरिया एसडीओपी पर न्यायिक जांच के साथ विभागीय जांच बैठा दी गई। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस श्री चंदेरिया की न्यायिक जांच का भी कुछ नहीं हुआ। लेकिन गृह विभाग ने विभागीय जांच का निराकरण करते हुए उन्हें आंशिक दोषी माना। सिर्फ एक वेतन वृद्धि असंचय प्रभाव से रोकी जिसे कि बाद में खोल दिया गया। सेवा निवृत्ति के बाद उन्हें सभी क्लेम मिल गये।
दूसरी ओर अनुविभागीय दण्डाधिकारी एसएस त्रिवेदी अभी भी इस मामले में न्याय की उम्मीद लेकर आस लगाये बैठे है। पिछले 6 वर्ष बीत जाने के बाद भी श्री त्रिवेदी की विभागीय जांच लंबित पड़ी है। जिसके चलते उन्हें लंबे समय तक निलंबित रहना पड़ा। अब इसी के कारण वेतन वृद्धि पदोन्नति का निराकरण नहीं हो पा रहा है। जानकारी के अनुसार विभागीय जांच अधिकारी की रिपोर्ट विगत 3 वर्षों से निर्णय के लिए सामान्य प्रशासन विभाग की फाईलों में धूल खा रही है। 
किसे करना है जांच
जानकारी के अनुसार 6 साल पूर्व रतनगढ़ माता मंदिर सेवढ़ा जिला दतिया में घटी घटना को लेकर ज्यूडिशियल जांच के अलावा मु�यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक जांच समिति गृह, जल और राजस्व विभाग को मिलाकर बनाई थी। जिसमें तीनों विभागों के मंत्री-उमाशंकर गुप्ता, जयंत मलैया और करण वर्मा को मिलकर इस मामले पर निर्णय की प्रक्रिया संबंधी अपनी अंतिम मोहर लगानी थी। घटना को साल-दर-साल बीत गये लेकिन यह तीनों ही मंत्री कभी इस विषय को लेकर एक साथ नहीं बैठें । जिसका खामियाजा राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एसएस त्रिवेदी आज भी भुगत रहे हैं। वहीं भारतीय सेवा के अधिकारी एम.गीता और प्रमोद वर्मा को लगातार पदोन्नति दी जा रही है। 
क्या कहते हैं अधिकारी 
श्री एसएस त्रिवेदी की विभागीय जांच पेडिंग है, इस मामले की न्यायिक जांच भी हुई है। वहीं यह जानना जरूरी है कि इस विषय के संबंध में पूर्व में क्या निर्णय दिये गये हैं। शीघ्र ही निराकरण किया जाएगा। 





 - हिन्दुस्थान समाचार

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