Friday, February 8, 2013

यूनियन कार्बाइड की लैब बनेगा पुरातात्विक क्षेत्र

शिवराज सरकार ने जारी की अधिसूचना 
भोपाल 6 फरवरी, 2013। राजधानी के श्यामला हिल्स पर मुख्यमंत्री निवास से कुछ ही दूरी स्थित यूनियन कार्बाइड लैब क्षेत्र राज्य संरक्षित पुरातात्विक घोषित होगा। अपने इस आशय की अधिसूचना शिवराज सरकार ने संस्कृति विभाग के माध्यम से जारी कर दी है। चूंकि यह लैब निजी भूमि यानी यूनियन कार्बाइड कंपनी जिसे डाउ केमिकल्स कंपनी ने खरीद लिया है, के स्वामित्व में है, इसलिये इस अधिसूचना से कानूनी विवाद उत्पन्न हो गया है।
दरअसल श्यामला हिल्स पर नादिरा कालोनी के पास पहाड़ी के शीर्ष पर बरसों पुरानी ख्ूनियन कार्बाइड लैब बनी हुई है। दिसम्बर,1984 में जहरीली गैस रिसन के बाद यह लैब भी बंद हो गई थी। इस लैब परिसर में भोपाल रियासत के समय की एक  बारादरी छत्री एवं एक व्यू पाईंट बना हुआ है। पुराने समय में इसका उपयोग नवाबों द्वारा शिकार और प्राकृतिक सौन्दर्य को देखने में होता था। यूनियन कार्बाइड की लैब बनने के बाद इस क्षेत्र में आमजनों की आवाजाही प्रतिबंधित हो गई थी। गैस रिसन हादसे के बाद बंद पड़ी लैब का क्षेत्र अनुपयोगी हो गया था। इस पर सरकारी दखल बढ़ाने के लिये 29 साल बाद यूनियन कार्बाइड लैब परिसर में स्थित बारादरी छत्री को राज्य संरक्षित स्मारक घोषित करने की कार्यवाही मप्र एन्शीएन्ट मान्युमेंट एण्ड आर्कियोलाजिकल साईट्स एण्ड रिमेंस एक्ट,1964 के तहत प्रारंभ की गई है। इस हेतु आम लोगों एवं यूनियन कार्बाइड कंपनी के स्वामियों से दावे एवं आपत्तियां आमंत्रित की गई हैं। व्यू पाईंट स्थल पर तो कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि यह शासकीय बड़ा जंगल में स्थित है परन्तु बारादरी छत्री यूनियन कार्बाइड लैब परिसर में आती है। इन दोनों के राज्य संरक्षित घोषित होने पर इन तक पहुंचने का नया पक्का रास्ता बनाया जायेगा। 
इस बेशकीमती जगह को अपने कब्जे लेने के लिये अब शिवराज सरकार ने बारादरी छत्री को राज्य संरक्षित घोषित करने का तरीका अपनाया है। राज्य संरक्षित घोषित होने पर बारदरी छत्री से सौ मीटर व्यास में क्षेत्र प्रोटेक्टेड हो जाता है जिसमें किसी भी प्रकार के निर्माण या बदलाव पर पूरी तरह रोक लग जाती है। इसके अलावा संरक्षित क्षेत्र के सौ मीटर व्यास के बाद दो सौ मीटर व्यास में क्षेत्र रेगुलेटरी हो जाता है जिसमें निर्माण कार्य हेतु विहित प्रक्रिया अपनान पड़ती है और आयुक्त पुरातत्व से अनुमति लेना होती है।


  - डॉ. नवीन जोशी  

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