भोपाल 3 जनवरी 2013 । यूं तो पतझड़ का मौसम बहुत नीरस होता है किन्तु ऋतुराज बसंत की पदचाप सुनाई देने से पतझड़ में भी मन आनन्द और उल्लास से भर जाता है। ऐसा ही कछ आज हुआ भोपाल के ऐतिहासिक ज बूरी मैदान में। अवसर था प्रदेश भर से आये लगभग दो लाख से भी अधिक किसानों के महाकु भ यानि किसान महापंचायत का। निधा्ररित समय से लगभग एक घंटे देरी से शुरू हुई इस महापंचायत में पहले तो रात भर बस की यात्रा करके आये किसानों को भक्ति रस की गंगा में गोते लगवाये गये, फिर देशभक्ति का जज्बा भरने की कोशिश।
इससे पहले कि धरती पुत्रों के धैर्य का तटबन्ध टूटता मंच पर प्रदेशभर की लाड़लियों के मामा, युवाओं के प्रेरणाश्रोत और किसानों तथा गरीबों के मसीहा का अवतरण हुआ तो समूचा वातावरण ''''शिवराज'''' के जयकारों और तालियों की गडग़ड़ाहट से गूंज उठा। मध्यप्रदेश गान से शुरू हुई महापंचायत में कई बार ऐसे भी अवसर आये जब वक्ताओं द्वारा अधूरे छोड़ जाने वाले सवालों का जवाब किसानों ने दिया।
स्वागत भाषण कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमारिया ने दिया तो प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर सहित सभी वक्ताओं ने केन्द्र पर आरोपों की बौछार करते हुए ''''शिव राज'''' की जमकर तारीफ की। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने पार्टी का नाम लिए बिना सभी को उनके पदों का स बोधन दिया।
किसान अन्नदाता नहीं भाग्य विधाता : राजनाथ
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने मु यमंत्री शिवराज सिंह की पीठ थपथपाते हुए कहा कि वे उत्तर प्रदेश में चाहते हुए जो काम नहीं कर पाये वह मध्यप्रदेश में शिव सरकार ने कर दिखाया। श्री सिंह ने कहा कि शिवराज जी किसानों को अन्नदाता नहीं भाग्य विधाता मानते हैं। यह पूर्व जन्मों का पुण्य फल है कि मध्यप्रदेश के मु यमंत्री की नजर आसमान की ओर नहीं प्रदेश की जनता के चरणों की तरफ होती है। श्री सिंह ने यूपीए सरकार की तुष्टिकरण की नीति पर प्रहार करते हुए कहा कि वे भारत को चीन और अमेरिका बनाना चाहते हैं किन्तु हम चाहते हैं कि भारत केवल भारत बने उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से अब तक हुक्मरानों ने समझ लिया होता कि भारत दिल्ली और बा बे की चौड़ी-चौड़ी सड़कों और अट्टालिकाओं मे नहीं गांवों के गलियारों और पगडंडियों में बसता है।
श्री सिंह ने एफ डी आई पर विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गयी है किन्तु यदि दूसरे देशों की क पनियों का पैसा लगेगा तो वे भी अंग्रेजों की तरह देश की जनता का खून चूसेगी इसलिए हम खुदरा व्यापार में विदेशी पूंजी निवेश नहीं होने देंगे। देश का सबसे बड़ा उत्पादक उपभोक्ता और ग्राहक किसान है। देश की सबसे बड़ी आबादी किसानों से जुड़ी है जब तक किसानों की जेब में पैसा नहीं होगा कोई भी उद्योग, व्यापार, अस्पताल या वकालत नहीं चलेगी।
केन्द्र सरकार की कर्ज माफी पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए श्री सिंह ने रहस्योद्घाटन किया कि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में उजागर किया है कि कर्ज माफी में घोटाला हुआ है। कैग द्वारा 90 हजार किसानों के खातों का आडिट किए जाने के बाद यह सच्चाई सामने आयी है।
वे चाहते हैं कि सभी जिला मु यालयों में शीड बैंक बनें। सभी किसानों के बैंक एकाउन्ट हों। हर जिला मु यालय में मिट्टी परीक्षण प्रयोग शालायें हो। श्री सिंह ने कहा कि वर्तमान में फसल बीमा योजना लागू है किन्तु वास्तविक किसान को लाभ नहीं मिल पाता इसलिए सूखा, ओला, पाला और आज से फसल का नुकसान होने यपर बोनी के पूर्व ही खेतों की फसल से होने वाली आमदनी का आकलन एकड़ के हिसाब से हो जाना चाहिए।
श्री सिंह ने उ मीद जताई कि काश ऐसा समय आ जाये कि खेती से इतना लाभ होने लगे कि किसान अपने बेटे को किसान बनाने में गर्व महसूस करे।
मध्यप्रदेश की धरती पर नहीं रहने देंगे अंधेरा : शिवराज
मु यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि वे प्रदेश की धरती से अंधेरे को पूर्णत: विदा कर देंगे और मई के अंत तक हर गांव के हर घर को 24 घंटे बिजली दी जाएगी। किसान महापंचायत में लाखों किसानों की मौजूदगी से अभिभूत श्री चौहान ने जब घोषणाओं की झड़ी लगायी तो ऐसा लगा मानो गुलाबी ठंड के बीच बसंती बयार बहने लगी हो। अपने धरती पुत्र और किसान हितैषी होने का एहसास कराते हुए शिवराज ने कहा कि किसानों के बेटी-बेटी भी बेरोजगार नहीं रहेंगे उन्हें छोटे-छोटे उद्योग लगाने के लिए मु यमंत्री स्वरोजगार योजनान्तर्गत 25 लाख रुपए तक का ऋण दिया जाएगा जिसकी गारंटी वे स्वयं यानि की शिवराज सिंह की सरकार लेगी।
उन्होंने कहा कि रोजगार स्थापित होने के बाद आमदनी होने में समय लगता है अत: शुरू के पांच सालों तक लगने वाला 5 प्रतिशत ब्याज भी सरकार देगी। श्री चौहान ने केन्द्र सरकार की नीयत पर सवालिया निशान लगाते हुए किसानों को आगाह किया कि गेहूं की फसल आते ही वे अगली फसल के लिए खाद-बीज खरीदकर रख लें क्योंकि केन्द्र सरकार का कोई भरोसा नहीं है वैसे भी ''''दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है।''''
उन्होंने कहा कि भारत की राजनीति का केन्द्र किसान होना चाहिए। किसान को बाजार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता इसलिए केन्द पर इस बात के लिए दबाव बनाया जाना चाहिए कि वह खाद और डीजल की बढ़ी हुई कीमतें वापस लें।
उन्होंने केन्द्र की सरकार को ''''अजीब'''' बताते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं से फसलों का नुकसान हो जाता है और केन्द्र सरकार मानती ही नहीं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि केन्द्र में एनडीए की सरकार आने पर जो फसल बीमा योजना लागू होगी उसकी इकाई गांव होंगे और खेतों की फसल की कीमत का पूर्व आंकलन कर बीमा किया जाएगा ताकि किसान के नुकसान की भरपाई हो सके।
श्री चौहान ने आज पहली बार अपनी अन्य योजनाओं का उल्लेख किए बिना सिर्फ किसानों से जुड़ी योजनाओं जैसे कपिल धारा, बलराम ताल, मु यमंत्री ग्राम सड़क योजना आदि का जिक्र करते हुए संकेत दिए कि अब सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए एस.एम.एस. के जरिये किसानों से जीवंत स पर्क स्थापित किया जाएगा। उन्होंने गांवों में किसान समूह बनाकर काम करने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
झलकियां
- प्रदेश के कोने-कोने से किसानों के ज बूरी मैदान पहुंचने का सिलसिला सुबह 5-6 बजे से ही शुरू हो गया था किन्तु उनके चाय नाश्ते की कोई व्यवस्था नहीं थी।
- रात भर बसों में सफर करके आये किसानों पर शहर की सीमा से बाहर ही भोजन के पैकेट दे दिए गये थे लिहाजा लोगों ने नाश्ते की जगह उसी का इस्तेमाल किया।
- मंच पर पूर्व मु यमंत्री सुन्दरलाल पटवा और कैलाश जोशी सहित वरिष्ठ नेता कैलाश सारंग तो मौजूद थे किन्तु पूर्व मु यमंत्री द्वय सुश्री उमा भारती और बाबूलाल गौर प्रवास पर होने के कारण नहीं आ सके।
- महापंचायत में आने वाले अन्नदाताओं की तादात इतनी ज्यादा थी कि मध्यप्रदेश के बाहर जैसे गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की बसों को परिवहन हेतु लगाया गया था जिनकी कमान ग्राम सहायकों पंचायत सचिवों और पटवारियों को सौंपी गयी थी।
- पंचायत में पांच किसानों राधाबाई दुबे (रायसेन) रमेश वर्मा (भोपाल) काशीनाथ (बैतूल) योगेन्द्र कौशिक (उज्जैन) और श्री पाटीदार (अलीराजपुर) का औपचारिक उद्बोधन हुआ किन्तु विंध्य की व्यथा को जुबान नहीं मिल पायी।
- अपने उद्बोधन में मु यमंत्री शिवराज सिंह ने जहां राजनाथ सिंह को किसानों की चिंता करने वाला एकमात्र राष्ट्रीय नेता बताया वही प्रदेश अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर ने उन्हें अटल मंत्रिमण्डल का सफल कृषि मंत्री बताया।
- पूर्व सांसद तथा भाजपा के वरिष्ठ नेता चन्द्रमणि त्रिपाठी सहित कई नेता मीडया के बगल में बनी विशिष्ट दीर्घा में बैठे रहे और पीने के लिए पानी तलाशते नजर आये।
- मीडिया को विधिवत आमंत्रण नहीं दिया गया था लिहाजा बैठने का स्थान भी निर्धारित नहीं था बाद में सुरक्षा से जुड़े एक अधिकारी ने कागज पर मीडिया लिखकर एक ख बे में तार से बांध दिया। मीडिया के लिए सिर्फ पेयजल की व्यवस्था थी जिसकी कमान जनसंपर्क मंत्री के विशेष सचिव मंगला मिश्रा ने स हाल रखी थी।
- लोकेश दीक्षित
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