Tuesday, September 14, 2010

पत्रकारिता की आड़ में अपनी राजनैतिक दुकान चलाते हैं

पत्रकारिता के मायने बदलते ही जा रहे हैं. फर्जी और ब्लैकमेलर लोग अपने आप को पत्रकार बता कर गौरवान्वित महसूस करते हैं. वहीं सही मायने में पत्रकारिता से जुड़ा पत्रकार इनके सामने अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है.
फर्जी पत्रकारिता को वास्तविक रीके से बढ़ावा देने का श्रेय मध्य प्रदेश में संचालित हो रहे पत्रकार संगठनों को जाता है जो पत्रकारिता की आड़ में अपनी राजनैतिक दुकान चलाते हैं. इन संगठनों के मुखिया संगठनों में सांप की तरह कुंडली मारकर बैठे हुए हैं.


प्रदेश स्तर के चुनाव तो बहुत दूर की बात है, ये ब्लाक इकाइयों के चुनाव भी मनोनयन के जरिये करने के लिए भरपूर दबाब बनाते हैं. खास कर उन लोगों को दूर ही रखा जाता है जो इनकी दुकान के लिए खतरा बन सकते हैं. इन पत्रकार संगठनों के सदस्यों की सूची उठा कर देखिए. अधिकांश सदस्य मात्र इन संगठनों की सदस्यता लेकर ही खुद को पत्रकार बतलाया करते हैं.

इन संगठनों के कुछ पदाधिकारी तो ऐसे हैं जो राजनैतिक दलाली में जुटे रहते हैं. उन्हें पत्रकारिता का ककहरा भी नहीं आता है. फिर भी ये लोग पत्रकार संगठनों के पदाधिकारी बने हुए हैं. खाली अपने कुकर्मों को ढंकने के लिए पत्रकार संगठनों में मोटा चंदा देते हैं और पत्रकारिता का फर्जी लबादा ओढ़ कर इस पवित्र मिशन को कलंकित करने लग जाते हैं.

इन संगठनों के मुखिया जो अपने आप को इन संगठनों का माई-बाप मानते हैं, प्रदेश भर के भोले भाले पत्रकारों को लच्छेदार भाषणों की घुट्टी पिला कर इसकी आड़ में अपनी राजनैतिक दुकान चलाते रहते हैं. आज तक इन्होंने पत्रकारों के हित में कोई एक भी ऐसा काम नहीं किया जिससे पत्रकारों को इन संगठनों में शामिल होने पर गर्व हो सके.

राधा बल्लभ शारदा, शलभ भदौरिया, जयंत वर्मा. तीनों मध्य प्रदेश में पत्रकारों के हितों के लिए संगठन चला रहे हैं. तीनों अपने आप को असली बताते हैं. जब तीनों ही असली हैं तो फिर नकली कौन हैं. तीनों ने आज तक प्रदेश के पत्रकारों के हित में क्या किया है, ये भी तो बतायें या फिर प्रति वर्ष सदस्यता शुल्क के नाम पर लाखों रुपये वसूल कर चाय और पान के दुकानदारों को सदस्यता के नाम पर पत्रकारिता का फर्जी लायसेंस बांट रहे हैं.

अरे कुछ तो शर्म करो. इस पत्रकारिता के मिशन की लाज न बेचो.

राजेश स्थापक

जबलपुर

rajeshsthapaksahara@gmail.com

No comments:

Post a Comment