Monday, September 6, 2010

कैसे बचें डेंगू के डंक से

मन से यह धारणा निकाल दें कि डेंगू लाइलाज मर्ज है। समय रहते सचेत रहने और उचित इलाज से इस बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है। पढि़ए कैसे..

डेगू एक वाइरस से होता है। यह मर्ज एडीज मच्छर के काटने से होता है। इस मच्छर में ही वाइरस पलता है। सामान्यत: डेंगू बुखार दो से पांच दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन चिकित्सा में लापरवाही बरतने से प्राय: यह मर्ज गंभीर रूप अख्तियार कर लेता है जिसे 'हैमरैजिक फीवर' कहते है, जो जानलेवा भी बन सकता है।

[लक्षण]

* डेंगू में बुखार व बदन में तेज दर्द होता है। कपकपी भी संभव है।

* जोड़ों, मांसपेशियों और सिर में तेज दर्द संभव है।

* आंखों में दर्द व जलन संभव है। पेट व गले में खराश की शिकायत और घबराहट भी महसूस हो सकती है।

* चेहरे, गले व सीने पर महीन दाने या लाल रंग के चकत्ते पड़ सकते है। यह चौथे या पांचवें दिन होता है।

[खतरे की स्थिति]

डेंगू हैमरैजिक फीवर के कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं-

* मरीज अचेत अवस्था में चला जाता है।

* रोगी का 'ब्लड काउंट' कम हो सकता है और 'प्लेटलेट्स' की मात्रा बहुत घट जाती है।

* प्लेटलेट्स शरीर के रक्त को जमाकर खून का रिसाव रोकती हैं।

* मरीज का ब्लड प्रेशर लो होने लगता है।

* उसे तेज बुखार चढ़ता है।

* चक्कर आना और कई बार उल्टियां होना।

* रोगी के मुंह नाक, पेशाब, गुदा मार्ग आदि अंगों से रक्त-स्राव संभव है।

[इलाज]

इस मर्ज में लक्षणों के आधार पर रोगी का इलाज किया जाता है। मर्ज की गंभीर स्थिति में डेंगू ग्रस्त व्यक्ति का समुचित इलाज सघन चिकित्सा कक्ष में ही संभव है। इसके बावजूद मरीज को..

* ड्रिप के जरिए आईवी फ्लूइड्स व इलेक्ट्रोलाइट देना चाहिए।

* रक्तस्राव रोकने के लिए प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन।

* दर्द व बुखार से संबधित दवाएं और जरूरत पड़ने पर एंटीबॉयटिक मेडिसिन्स दी जाती हैं।

[इन बातों पर दें ध्यान]

* डेंगू संक्रमित मच्छर अक्सर दिन के वक्त ही काटते हैं। इसलिए अच्छा हो कि आप दिन के समय नमी वाली जगहों पर न जाएं।

* घर में मच्छरों के प्रकोप को दूर करने के लिए मच्छर मारने वाली विधियों का प्रयोग करें।

* घर के भीतरी भाग के अलावा आस-पास भी सफाई रखें। वॉश-बेसिन, सिंक, नालियां और जहां भी धुलाई-सफाई का कार्य होता है, उन जगहों को साफ रखें।

* बरसात के पानी को अपने घर के पास-पड़ोस में संचित न होने दें।

* कूलर में जमा पानी को साफ करते रहें। ड्रम आदि में सँभालकर रखे गए पानी को हर हफ्ते बदलते रहें।

* मर्ज के शुरुआती लक्षणों के प्रकट होते ही डॉक्टर से संपर्क करें।

[डॉ.आरती लालचंदानी फिजीशियन]

[डॉ. विशाल चतुर्वेदी, मुंबई]...

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