Monday, September 6, 2010

अगर मोटापे की वजह से घुटनों में दर्द है

सीढ़ियों के बजाय लिफ्ट का इस्तेमाल करें।

एक्सर्साइज या योगासन न करें।

दौड़ने से बचें। ट्रेडमिल न करें।

ज्यादा ट्रैवलिंग न करें और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से बचें।

ध्यान दें : शरीर के लिए खासकर जॉइंट्स के लिए असेंशल फैटी एसिड्स जरूरी हैं। इसके लिए रोजाना पांच बादाम खाएं। बादाम रात को पानी में भिगो दें और सुबह उठकर खा लें। अगर दर्द ऑस्टियो ऑर्थराइटिस की वजह है तो एक ग्लूकोज अमीन टैब्लेट रोजाना एक-दो महीने तक ले सकते हैं। यह जॉइंट्स के लिए फायदेमंद हो सकती है।

आयुर्वेद
अगर मोटापे की वजह से घुटनों में दर्द है तो सबसे पहले वजन घटाएं। फिर ऑयल थेरपी (तेल से मसाज), क्रोमो थेरपी (लाल रंग की लाइट से सेल्स को हिलाते हैं) और एक्सर्साइज करवाएं।

घुटने के दर्द में कोल्ड एंड हॉट पैक भी लगा सकते हैं। इसके लिए कॉटन की पट्टी को सादा पानी में भिगोकर पैर पर लपेटें। उसके ऊपर ऊनी कपड़ा लपेटें। इससे पैर को सेक मिलेगा।

कढ़ी पत्ता, तुलसी और नीम के 50-50 ग्राम पत्ते लें और एक लीटर नारियल तेल में उबाल लें। पहले तेल का रंग हरा होगा और फिर भूरा। ठंडा करके बोतल में भर लें। इससे घुटनों की मालिश करें।

कुर्सी पर बैठ जाएं और पैर को सामने दूसरी कुसीर् पर रख लें। थोड़ी ऊंचाई से गुनगुना पानी डालें।

ऐक्युप्रेशर और ऐक्युपंक्चर
ऐक्युप्रेशर से एनर्जी का फ्लो होता है। दर्द अगर इतना हो कि हिल नहीं सकते तो एक्युपंक्चर बहुत तेजी से काम करता है। इससे बॉडी से नैचरल पेनकिलर निकलते हैं। ऐक्युपंक्चर हमेशा एक्सपर्ट डॉक्टर (एक्युपंक्चरिस्ट) से ही कराएं। उसके पास एमबीबीएस डिग्री जरूरी है। गली-मुहल्ले में बैठनेवाले झोलाछाप लोगों से न कराएं। ऐक्युपंक्चर में 10 दिन की एक सिटिंग होती है। तेज दर्द में ऐसी एक सिटिंग और पुराने दर्द में तीन सिटिंग्स में मरीज को काफी फायदा हो जाता है। तेज दर्द में 10 से 25 दिन और पुराने दर्द में 45 दिन की एक्युप्रेशर थेरपी काफी होती है।

कब बदलवाएं घुटना
अगर कोई बीमारी नहीं है तो भी 50-60 साल की उम्र से घुटनों का दर्द सता सकता है। दरअसल, हमारे जॉइंट्स काफी स्मूद होते हैं लेकिन उम्र बढ़ने के बाद इनमें कई बार क्रेटर बनने लगते हैं। खासकर महिलाओं में कार्टिलेज सॉफ्ट हो जाता है। दवा और एक्सर्साइज से आराम नहीं आ रहा और पेनकिलर बार-बार लेना पड़ रहा है, दर्द बर्दाश्त से बाहर हो, चलने में छड़ी की जरूरत महसूस हो रही हो तो ऑपरेशन की जरूरत हो सकती है।

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