Saturday, March 5, 2011
मध्य प्रदेश की फरार विधायक गिरफ्तार
मध्य प्रदेश की फरार विधायक गिरफ्तार
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हाईप्रोफाइल ड्रामे के तहत भाजपा से निलंबित विधायक आशारानी सिंह को भोपाल पुलिस ने मध्य प्रदेश विधानसभा के बाहर आज गिरफ्तार कर यहां के कोलार थाने में ले गई। छतरपुर जिले के बिजावर की भाजपा विधायक आशारानी सिंह अपने पति पूर्व विधायक अशोक वीर विक्रम सिंह उर्फ भैयाराजा के साथ नौकरानी तिज्जीबाई की हत्या के मामले में आरोपी हैं। भैयाराजा पहले से ही जेल में हैं।
आशारानी सिंह सुबह 10 बजे विधानसभा पहुंच गई थी, लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। वे सदन में भी मौजूद थीं। शून्यकाल में कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने आशारानी की मदद करने का अध्यक्ष से आग्रह किया, लेकिन अध्यक्ष ने डॉ. सिंह को यह मामला उठाने की इजाजत नहीं दी। आशारानी सदन में करीब एक घंटे रहने के बाद लॉबी में चली गईं। बाहर पुलिस उनका इंतजार कर रही थी। पुलिस विधानसभा परिसर से बाहर निकल रहे एक-एक वाहन की तलाशी ले रही थी। दोपहर एक बजे जैसे ही आशारानी आईं, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। साठ दिन लगातार विधानसभा से बिना अनुमति अनुपस्थित रहने वाले विधायक की सदस्यता खत्म हो सकती है, इसी के चलते आशारानी सिंह विधानसभा पहुंची थीं। अब गिरफ्तारी के बावजूद उनकी विधायकी बची रह सकेगी। वे इसके पहले विधानसभा में प्रश्न लगाती रही हैं। पिछले साल उन्होंने सत्तापक्ष की सदस्य होने के बावजूद बजट में संशोधन प्रस्ताव विधानसभा सचिवालय भिजवा दिया था।
गौरतलब है कि फैशन डिजाइनिंग की छात्रा वसुंधरा बुंदेला की मौत के बाद जब उसके नाना यानी भैया राजा को हत्या की साजिश रचने के लिए पुलिस ने गिरफ्तार किया तो तिज्जो बाई की रहस्यमय हालात में हुई मौत की परतें भी खुलती चलीं गईं। पूर्व विधायक अशोक वीर विक्रम सिहं उर्फ भैया राजा का भोपाल का बंगला यशोदा परिसर में 21 जुलाई 2007 को तिज्जो बाई नाम की नौकरानी ने खुद को आग लगाकर खुदकुशी कर ली थी। पुलिस ने इस मामले को आत्महत्या मानकर मर्ग कायम किया था। विधायक आशारानी ने तिज्जी बाई को परिवार का सदस्य बताते हुए उसकी लाश उसके पति बिहारी और भाई फकीरा के सुपुर्द नही की थी। ठंडे बस्ते में पड़े इस मामलेहवा उस समय मिली जब वसुंधरा हत्याकांड में पुलिस ने भैयाराजा के नौकर भूपेंद्र उर्फ हल्के समेत अन्य आरोपियों से पूछताछ की तो चौंकाने वाले तत्थ सामने आए। मर्ग डायरी की दोबारा जांच शुरू की गई। इसी दौरान तिज्जी के पति बिहारी और फकीरा को तलाशा और उनसे पूछताछ की। बिहारी और फकीरा के बयानों में सामने आया कि आशारानी दो बार तिज्जीबाई का अपहरण करके उसे यशोदा परिसर लाई थी। उसके बाद तिज्जी बाई किसी से भी नही मिल सकती थी। भाई और पति मिलने जाते तो उन्हें मारपीट कर भगा दिया जाता था। पुलिस ने पति और भाई के अदालत में 164 के बयान भी दर्ज कराए। वसुंधरा हत्याकांड के आरोपियों ने भी पुलिस को बताया था कि भैयाराजा द्वारा तिज्जीबाई का यौन शोषण किया जाता था। यह बात पति और भाई के बयानों में भी सामने आई थी। मर्ग की जांच विवेचना प्रकोष्ठ के प्रभारी एएसपी एके पांडे को सौंपी गई थी। एएसपी श्री पांडे ने जांच पूरी कर रिपोर्ट एसएसपी आदर्श कटियार के सुपुर्द कर दी थी। जिसके आधार पर कोलार पुलिस ने विधायक आशारानी, भैयाराजा और उनके सहयोगी बहोरी दहाइत, कन्हैयालाल दुबे, गोपाल सिंह ठाकुर, नर्मदा पाठक, मिजाजी ढीमर और ड्राइवर ख्वाजा के खिलाफ अपहरण, बंधक बनाकर रखना, दुष्कृत्य और आत्महत्या के लिए प्रेरित करने पर 363, 366, 367, 368, 344, 374, 376, 193, 120-बी, 306 और 34 की धारा प्रकरण दर्ज किया था। आरोपियों ने 1993 से 2007 तक तिज्जी बाई को बंधक बनाकर रखा और प्रताडऩाएं दी थी। तिज्जीबाई के मर्ग की केस डायरी जब वरिष्ठ अधिकारियों ने तलब की तो उसमें दो पन्ने फटे हुए थे। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि केस डायरी के पन्ने फटे होने में टीआई कोलार चंदन सिंह सूरमा की भूमिका संदिग्ध है।
बीजेपी की विधायक आशारानी सिंह ने तीन साल पहले पुलिस को लिखकर बयान दिया था कि तिज्जो बाई के आगे पीछे कोई नहीं है। लेकिन तिज्जोबाई के दूसरे पति दादी ढीमर और भाई फकीरा के सामने आ जाने से एक नया मोड़ ले लिया। बताया जा रहा है कि दोनों बेबस हैं और तिज्जो बाई की मौत का सदमा आज तक झेल रहे हैं। इन लोगों को तो तिज्जो बाई की मौत की खबर तक नहीं दी गई थी। वहीं आशारानी इसे साजिश बताकर इन अल्फाजों में अपनी सफाई दे रही थी। लेकिन सवाल ये है कि बाहुबली भैया राजा और उनकी पत्नी के खिलाफ किस हद तक कार्रवाई हो पाती है ये देखने वाली बात होगी।
जांच के बाद दी गई रिपोर्ट में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि तिज्जी बाई का अपहरण वर्ष 1993 में हुआ था और उसे अवैध ढंग से वर्ष 2005 में भैया राजा के फार्म हाउस में रखा गया, जहां पर उसके साथ भैया राजा द्वारा दुष्कृत्य किया जाता था। वर्ष 2005 में तिज्जी बाई आरोपी विधायक के भोपाल स्थित घर से भागकर दिल्ली चली गई और वहां पर बिहारी ढीमर नामक युवक के साथ रहने लगी। दोनों के वापस लौटने की जानकारी मिलने पर भैया राजा और उसकी पत्नी ने कुछ बाहुबलियों को भेजकर उसका अपहरण करा लिया। बाद में भैया राजा और उसकी पत्नी आशारानी सिंह से तंग आकर तिज्जी बाई ने 21 मई 2007 को आत्महत्या कर ली थी। पुलिस ने भैया राजा, उसकी पत्नी आशारानी सिंह व अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पूर्व में 11 मार्च 2010 को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत अर्जी खारिज होने के बाद फरार भाजपा विधायक आशारानी सिंह की ओर से दूसरी अर्जी दायर की गई थी उसे भी कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
मध्य प्रदेश में केवल भैयाराजा और आशारानी ही नहीं बल्कि अन्य कई विधायक ऐसे हैं जिनके खिलाफ धोखाधड़ी से लेकर हत्या तक के प्रकरण दर्ज हैं। उदाहरण देखिए, विधानसभा उपाध्यक्ष हरवंश सिंह तथा डबरा क्षेत्र की महिला विधायक इमरती देवी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला कायम है।
बिजावर की विधायक आशारानी सिंह अपहरण, बलात्कार में सहयोग तथा आत्महत्या को मजबूर करने की आरोपी हैं,तो सीहोर के रमेश सक्सेना, डिण्डोरी के ओमकार सिंह, खुरई के अरुणोदय चौबे, बंडा के नारायण प्रजापति, गाडरवारा की साधना स्थापक तथा डा. कल्पना पारुलेकर के खिलाफ बलवा, तोडफ़ोड़ तथा आगजनी जैसे गंभीर अपराध पर एफआईआर दर्ज है। टीकमगढ़ जिले के प्रथ्वीपुर से विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर पर हत्या और हत्या के प्रयास सहित 4 आपराधिक प्रकरण कायम हैं। इस तरह विधानसभा के 230 में से 48 सदस्य ऐसे हैं, जिनके खिलाफ विभिन्न थानों में अलग-अलग धाराओं में अपराध पंजीबद्ध हैं। इनमें से 18 माननीयों के खिलाफ गंभीर वारदातों को अंजाम देने के आरोप हैं। राज्य मंत्रिमंडल के दो सदस्यों के खिलाफ भी आपराधिक प्रकरण कायम हैं। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री रंजना बघेल के खिलाफ धारा 323, 506 बी के तहत प्रकरण कायम है, जबकि सहकारिता मंत्री डा. गौरीशंकर बिसेन धारा 188 के तहत प्रकरण दर्ज है। रंजना के खिलाफ प्रकरण चालान तैयार है, लेकिन न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया, जबकि श्री बिसेन के खिलाफ प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है। इसके अलावा एक पूर्व मंत्री अनूप मिश्रा के खिलाफ भी धारा 188 तथा 126 जन प्रतिनिधि अधिनियम के तहत मामला कायम है। यह प्रकरण अभी विवेचना में है।धारा 188 के आरोपी हैं ये विधायक
सत्यनारायण पटेल, यशपाल सिंह सिसौदिया, जितेंद्र डागा, बाला बच्चन, माखन लाल जाटव, डा. कल्पना पारुलेकर।
इनके खिलाफ हुई धारा 151 की कार्रवाई
विश्वास सारंग, जमुना देवी, अजय सिंह, हुकुम सिंह कराड़ा, उमंग सिंगार, केपी सिंह, सुखदेव पांसे, दिलीप सिंह, प्रियवृत सिंह, निशिथ पटेल, तुलसी सिलावट, यादवेंद्र सिंह, बाल सिंह मेड़ा, प्रताप ग्रेवाल, ओमकार सिंह, अजय यादव, लक्ष्मण तिवारी, रेखा यादव।
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