राज्य के दोनों प्रमुख सियासी दलों कांग्रेस और भाजपा में अब भोपाल का नाम बदलने के सवाल पर भिड़ने की तैयारी हो रही है। भाजपा और उसकी सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का हवाला देकर इस नवाबी शहर का नाम बदलकर भोजपाल करने के हिमायती हैं, वहीं कांग्रेस को भाजपा की इस मुहिम में कोई तुक नजर नहीं आ रही है। उसका कहना है कि राज्य सरकार बुनियादी सवालों से जनता का ध्यान हटाने के लिए फिजूल का विषय उठा रही है।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने भोपाल के बड़े तालाब पर राजा भोज की प्रतिमा स्थापित कर कल ही भाजपा नेता वेंकैया नायडू से उसका अनावरण कराया है। और कल शाम को ही भोज का सहस्त्राब्दी समारोह मनाने के लिए लाल परेड मैदान पर एक भव्य जलसा भी किया, जिसमें भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। यह अलग विषय है कि बालीवुड सिंगर सुखविंदर सिंह के दल में शामिल लड़कियों की पोशाक को देखकर खुद मुख्यमंत्री चौहान नाराज हो गए थे। उनकी नाराजगी के चलते सुखविंदर को ब्रेक लेना पड़ा और लड़किया भी डांस करने नहीं आई।
इस बीच वरिष्ठ काग्रेसी विधायक आरिफ अकील ने भोपाल का नाम बदल कर भोजपाल करने के मध्यप्रदेश सरकार के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि इस पर किसी भी हाल में अमल नहीं होने दिया जाएगा।
काग्रेसी विधायक ने कहा कि भोपाल का नाम बदल कर भोजपाल करने का प्रश्न ही नहीं उठता और ऐसा करने की इजाजत किसी भी हाल में प्रदेश सरकार को नहीं दी जा सकती। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश की राजधानी का नाम भोपाल बहुत सालों से चला आ रहा है और इसको बदलने का कोई भी कारण उन्हें समझ में नहीं आता।
कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने भी एक बयान में कहा कि राजा भोज के नाम पर सरकार ने जनता के 10 करोड़ रूपए फूंक दिए हैं। मुम्बई की बालाओं द्वारा खुलेआम अश्लीलता परोसी गई और भाजपा के तमाम नेता मूक दर्शक बने देखते रहे। उन्होंने कहा कि भाजपा गुप्त एजेण्डे को थोपना चाह रही है।
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