Mar 20, 06:03 pmबताएं
Twitter Delicious Facebook नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार आलोक तोमर का रविवार को लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह पचास वर्ष के थे।
दिल्ली के बत्रा अस्पताल में भर्ती तोमर का रविवार को सुबह ग्यारह बजकर दस मिनट पर निधन हो गया। वह गले के कैंसर से पीड़ित थे। उनके परिवार में पत्नी और एक बेटी है।
उनका पार्थिव शरीर चितरंजन पार्क स्थित आवास पर रखा गया है। उनका अंतिम संस्कार सोमवार को दस बजे लोदी रोड स्थित शवदाह गृह में किया जाएगा।
प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया से जुड़े तोमर ने अपराध और सामाजिक सरोकार के मुद्दों से जुड़ी पत्रकारिता में अपना विशेष स्थान बनाया।
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में 1960 में जन्मे तोमर ने हिंदी पत्रकारिता में अपनी रिपोर्टिग के जरिए भाषा को नए तेवर दिए। उन्होंने वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगे की मानवीय रिपोर्टिग की। प्रिंट मीडिया से करियर की शुरूआत करने वाले तोमर जनसत्ता अखबार से बुलंदियों पर पहुंचे।
वह समाचार एजेंसी वार्ता, जनसत्ता अखबार और सीएनईबी समाचार चैनल से जुड़े थे। वेब पत्रकारिता के माध्यम से भी वह सामाजिक सरोकार के मुद्दों को उठाते रहे
आलोक तोमर जी का निधन हिंदी पत्रकारिता के लिए अपूरणीय क्षति है. उनकी तथ्यपरक,निष्ठापूर्ण और सरोकारों वाली पत्रकारिता आज के युग में तिरोहित हो चुकी है. जब पत्रकारिता चाटुकारिता तक सीमित होकर रह गयी है उस सन्दर्भ में तोमर जी की प्रासंगिकता और बढ जाती है. मैं बंगलौर में रहने के कारण हिंदी समाचार पत्रों से मरहूम रह जाता हूँ, लेकिन यहाँ से प्रकाशित होने वाला दैनिक "दक्षिण भारत राष्ट्रमत " कभी कभार तोमर जी के लेख प्रकाशित करता है. अब मेरे जैसे पाठक इससे भी वंचित हो गए.
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