Sunday, March 20, 2011

चोरों का अड्डा बना भोपाल स्टेशन


भोपाल। राजधानी का मुख्य रेलवे स्टेशन चोरों का अड्ïडा बन गया है। नजर हटते ही चोर यहां से यात्रियों का माल उड़ा देते हैं। खास बात यह है कि रेलवे स्टेशन पर जीआरपी पुलिस की तैनाती 24 घंटे रहती है। इसके बावजूद यात्रियों के सामान की चोरी और छीनकर भागने की वारदातें लगातार हो रही है। जीआरपी पुलिस की सुस्ती का अंदाजा इससे लग सकता है कि पूछताछ खिड़की से नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर का पर्स चोरी चला गया। जबकि इसकी जानकारी जीआरपी टीआई राजेंद्र रघुवंशी को नहीं थी। ये सब उस दिन हुआ जब रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष भोपाल में थे। बीते पांच सालों में जीआरपी की हद में चोरी, लूट और जहरखुरानी जैसी वारदातों में यात्रियों का करीब पांच करोड़ रुपए का माल चला गया। वहीं संपत्ति की रिकवरी औसतन मात्र 20 प्रतिशत होती है।

यह चोरों के स्थान

टिकट विंडों, पूछताछ खिड़की, रिटायरनिंग रूम, ट्रेन के सेकंड और थर्ड एसी कोच, आराम के लिए लगाई गईं कुर्सियों, भीड़ भाड़ वाले स्थान पर चोर सक्रिय रहते हैं। वे नजर रखकर माल पर हाथ साफ कर देते हैं। सूत्रों की मानें तो जीआरपी पुलिस चोरों को पहचानती है, लेकिन कार्रवाई नहीं करती है।

पुलिस की तैनाती

रेलवे स्टेशन के एक प्लेटफार्म पर एक एसआई और एक एएसआई की तैनाती होती है। इस प्रकार पांचों प्लेटफार्म पर जीआरपी के कुल एक दर्जन बल की तैनाती होती है। वहीं आरपीएफ के दो शिफ्टों में करीब दस से अधिक जवान होते हैं।

अब ई टिकट एजेंट नहीं बना पाएंगेतत्काल टिकट

भोपाल। ई टिकट एजेंट अब सुबह आठ से नौ बजे के बीच तत्काल कोटे का टिकट नहीं बना पाएंगे। अगर ऐसा करते पाए गए, तो उन सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसा ऑन लाइन शपथ पत्र ई टिकट एजेंटों को भरना पड़ रहा है। दरअसल 30 मार्च को सैकड़ों शिकायतों के चलते देशभर के एजेंटों की आईडी सस्पेंड कर दी गई थी। जिसके चलते लोगों के टिकट नहीं बन रहे थे।

हाल ही में दिल्ली में हुई आपात बैठक में इंडियन रेलवे केटरिंग एवं टूरिज्म कार्पोरेशन ने शपथ पत्र भरवाकर एजेंटों की आईडी चालू कर दी है। वहीं गलत टिकट बनाने की जांच होने पर राजधानी के करीब 30 से 35 ई टिकट एजेंटों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। भोपाल में करीब 300 से 400 ई टिकट एजेंट कार्यरत है।

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