Thursday, March 17, 2011

विकिलीक्स के गुरुवार को एक खुलासे के बाद भारतीय राजनीति में नया तूफान खड़ा हो गया है।

नई दिल्ली. विकिलीक्स के गुरुवार को एक खुलासे के बाद भारतीय राजनीति में नया तूफान खड़ा हो गया है। 2008 के भारत-अमेरिका के बीच परमाणु समझौते के मुद्दे पर हुए विश्वास मत से करीब पांच दिनों पहले कांग्रेस नेता कैप्टन सतीश शर्मा का एक करीबी नचिकेता कपूर अमेरिकी दूतावास के एक कर्मचारी से मिला था और उसने रुपयों से भरे दो बक्से दिखाए थे। शर्मा के साथी ने दूतावास कर्मी से कहा था कि कांग्रेस करीब 50 से 60 करोड़ रुपये का फंड इकट्ठा कर रही है ताकि सांसदों का समर्थन खरीदा जा सके। कपूर ने दूतावास कर्मी से कहा था की राष्ट्रीय लोकदल के चार सांसदों को दस करोड़ रुपये की रकम दी जा चुकी है। हालांकि, यूपीए के लिए वोट न करने वाले राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजीत सिंह ने इस दावे को गलत करार दिया है।

अजीत सिंह का कहना है कि उस समय आरएलडी में सिर्फ तीन सांसद थे। अजीत सिंह ने कहा, 'मेरी पार्टी में तीन सांसद हैं, इसलिए विकीलीक्स में सामने आए तथ्य गलत हैं। मैंने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि मैं लेफ्ट के साथ हूं और यूपीए के लिए वोट नहीं करूंगा। इसलिए पैसे के लेनदेन का सवाल ही नहीं उठता है। स्टैंड बदलने के लिए मुझ पर किसी तरह का दबाव नहीं था।'

17 जुलाई, 2008 को अमेरिकी विदेश मंत्रालय को भेजे गए गोपनीय दस्तावेज में भारत में मौजूद अमेरिकी दूतावास के अधिकारी स्टीवन वाइट ने सतीश शर्मा के बारे में जिक्र करते हुए लिखा, 'पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बहुत करीबी सहयोगी रहे सतीश शर्मा सोनिया गांधी के पारिवारिक मित्र भी हैं।' जब विश्वास मत पर वोटिंग में सिर्फ 5 दिन रह गए थे तो कांग्रेस के नेता सतीश शर्मा के सहायक नचिकेता कपूर वोटिंग में कुछ सांसदों को अपने पक्ष में करने के लिए भारी फंड की व्यवस्था में लगे थे। गोपनीय दस्तावेज के मुताबिक, सतीश शर्मा ने अमेरिकी राजनयिक से बातचीत में कहा था कि वह और कांग्रेस के अन्य नेता 22 जुलाई, 2008 को होने वाले विश्वास मत को जीतने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। शर्मा ने कहा था कि वह और पार्टी के दूसरे नेता 22 जुलाई को विश्वास मत में सरकार की जीत के लिए 'काम' कर रहे हैं।

राजनयिक ने सतीश शर्मा ने कहा था कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दूसरे लोग अमेरिकी फाइनेंसर संत चटवाल के जरिए अकाली दल के 8 वोट अपने पाले में लाने की कोशिश कर रहे थे, पर सफल नहीं हुए। शर्मा के मुताबकि, मनमोहन सिंह, सोनिया गांधी और राहुल गांधी न्यूक्लियर डील के पक्ष में हैं और उन्होंने पार्टी के सभी नेताओं से यह बात स्पष्ट कर दी है। गांधी परिवार के करीबी नेता ने यह भी कहा था कि बीजेपी में फूट डालने के लिए उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के दामाद रंजन भट्टाचार्य को बीजेपी सांसदों से बात करने को कहा था।

नचिकेता कपूर ने अमेरिकी दूतावास कर्मी से कहा था कि पैसा मायने नहीं रखता है बल्कि सांसद सही तरीके से वोट डालें, इसे सुनिश्चित करना ज़्यादा अहम है। इस खुलासे में भारतीय जनता पार्टी को भी परेशान करने वाले तथ्य हैं। सतीश शर्मा ने अमेरिकी दूतावास कर्मी से बातचीत में यह भी कहा था कि वह कोशिश कर रहे हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के दामाद रंजन भट्टाचार्य से बीजेपी नेताओं से बात करवाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि बीजेपी सांसदों में तोड़फोड़ की जा सके।

22 जुलाई, 2008 को भारतीय जनता पार्टी के तीन सांसदों-अशोक अरगल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर सिंह भगोरा ने लोकसभा में नोटें लहराकर सनसनी मचा दी थी। इन सांसदों ने अमर सिंह और अहमद पटेल पर आरोप लगाया था कि उन्हें वोटिंग के दौरान सदन से नदारद रहने के लिए पैसे देने की पेशकश की थी। गौरतलब है कि 22 जुलाई, 2008 को लोकसभा में परमाणु करार के मुद्दे पर हुए मतदान में 275 सांसदों ने यूपीए के पक्ष में वोट दिया था, जबकि 256 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया था।

विकीलीक्स के ताजा खुलासे के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी और लेफ्ट पार्टियों ने संसद में इस मुद्दे पर सरकार से जवाब मांगा है। इन पार्टियों ने कहा है कि प्रधानमंत्री को खुद इस मामले में सफाई देनी चाहिए। भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी ने कहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को नैतिक आधार पर अपने पद से इस्‍तीफा दे देना चाहिए। विकिलीक्स के खुलासे के बाद शिवसेना ने कहा है कि उसके सांसदों को भी यूपीए सरकार के ' मैनेजरों ' ने ऐसा ही ऑफर दिया था। पार्टी के नेता संजय राउत ने कहा कि हमारे सांसद पार्टी के प्रति वफादार हैं, इसलिए उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया था।

नई दिल्‍ली स्थित अमेरिकी दूतावास ने विकीलीक्‍स के ताजा खुलासों के बारे में किसी तरह की टिप्‍पणी करने से इनकार किया है। दूतावास के प्रवक्‍ता ने कहा, ‘विकीलीक्‍स की ओर से मीडिया को मुहैया कराए गए किसी भी दस्‍तावेज की प्रामाणिकता के बारे में हम कुछ नहीं कह सकते हैं।’

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