Sunday, December 19, 2010

भाजपा और माकपा के बीच कोई फर्क नहीं है।


नई दिल्ली। घोटालों को लेकर बंदूक का रुख विपक्ष की ओर करते हुए कांग्रेस ने रविवार को कहा कि बात जब भ्रष्टाचार की हो तो भाजपा और माकपा के बीच कोई फर्क नहीं है।

यहां कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन में पारित राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया, कि भाजपा ने सत्ता हथियाने के लिए राजनीतिक परिदृश्य में भ्रष्टाचार की बाढ़ ला दी है। भाजपा ने नैतिक दिवालिएपन और राजनीतिक पाखंड का प्रदर्शन किया है। माकपा और अन्य पार्टियां भी ऐसा कर रही हैं, जो अपने शासन वाले राज्यों में सक्रियता से भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।

इसमें कहा गया कि यूपीए-1 को वाम दलों ने समर्थन दिया था लेकिन बाद में समर्थन वापस ले लिया। वाम दल उसके बाद से कांग्रेस और यूपीए का विरोध करने के लिए भाजपा के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

प्रस्ताव में कहा गया कि तेदेपा, जद यू और बीजद जैसी क्षेत्रीय पार्टियां भी कांग्रेस और यूपीए में उसके सहयोगी दलों का विरोध करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि भाजपा का गंभीर भ्रष्टाचार के मुद्दों पर दोहरे मानदंड अपनाने का इतिहास रहा है।

वाम दलों की आलोचना करते हुए प्रस्ताव में कहा गया है कि पश्चिम बंगाल, केरल और त्रिपुरा में वामदलों की सरकारें हैं और इन राज्यों में हिंसा बदस्तूर जारी है। राजनीतिक दलों द्वारा राजनीतिक या चुनावी फायदे के लिए हिंसा फैलाने के प्रयासों का कांग्रेस पुरजोर विरोध करती है।

प्रस्ताव में पश्चिम बंगाल में हिंसा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई। यहां तृणमूल कांग्रेस यूपीए की घटक है और बंगाल में सत्तारूढ़ वाम दलों को अगले विधानसभा चुनावों में बड़ी चुनौती पेश करेगी।

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