Sunday, December 19, 2010
संघ परिवार पर दिग्विजय ने बोला हमला
नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने संघ परिवार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि जिस तरह जर्मन तानाशाह हिटलर ने यहूदियों को निशाना बनाकर की गई अपनी कार्रवाई को राष्ट्रवाद का नाम दिया था उसी तरह भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ मुसलमानों को निशाना बनाकर अपनी कार्रवाई को राष्ट्रवाद का नाम दे रहे हैं।
यहां शुरू हुए कांग्रेस के 83वें महाधिवेशन में रखे गए राजनीतिक प्रस्ताव पर बहस शुरू करते हुए सिंह ने कहा कि आज सबसे बड़ी चुनौती भाजपा और आरएसएस की संकीर्ण विचारधारा से है। इनके लोग देश में हिंसा और विद्वेष फैला रहे हैं जबकि हमारे सिद्धांत महात्मा गांधी के प्रेम और सद्भाव पर आधारित हैं।
सिंह ने आरएसएस पर हमला बोलते हुए कहा कि उसके शिशु मंदिर देशभर में हिंसा और विद्वेष को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज न्यायपालिका, नौकरशाही और यहां तक कि भारतीय सेना में इनके लोग घुस गए हैं जिसका जीता जागता उदाहरण मालेगांव विस्फोट है जिसमें कर्नल पुरोहित को पकड़ा गया है।
उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद का गिराया जाना एक बहुत बड़ा धब्बा है जिसे मिटाना है। उन्होंने दावा किया कि लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा से देश में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच खाई बढ़ी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि जिस तरह जर्मन तानाशाह हिटलर ने यहूदियों को निशाना बनाकर उसे राष्ट्रवाद का नाम दिया था उसी तरह भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयं संघ मुसलमानों को निशाना बनाकर उसे राष्ट्रवाद का नाम दे रहे हैं।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि आरएसएस, भाजपा, विश्व हिंदू परिषद पहले कहती थी कि सारे मुसलमान आतंकवादी नहीं हैं लेकिन पकड़े जाने वाले आतंकवादी मुसलमान क्यों होते हैं? लेकिन मालेगांव के बाद मैं उनसे कहता हूं कि सारे हिंदू आतंकवादी नहीं हैं लेकिन इस विस्फोट में पकड़े गए लोग आरएसएस के क्यों हैं?
उन्होंने सोनिया गांधी से इस बात की जांच कराने की मांग की कि नक्सल प्रभावित इलाकों में बने मतदान केन्द्रों पर भाजपा के उम्मीदवार क्यों जीतते है? इसी तरह नक्सलियो और भाजपा के बीच रिश्तों की भी जांच कराई जाए।
उन्होंने मांग की कि टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच वर्ष 1999 में प्रमोद महाजन के कार्यकाल से कराई जाए। दिग्विजय ने दावा किया कि इस घोटाले की शुरूआत उसी समय से हुई थी। उन्होंने आरएसएस को कागज का शेर बताते हुए कहा कि राहुल गांधी को इनसे डरने की जरूरत नहीं है।
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