Thursday, December 30, 2010

अपेक्स बैंक ने किसानों की जमीन विदेश में गिरवी रखी

मध्यप्रदेश में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। राज्य की शीर्ष सहकारी बैंक ने किसानों से पूछे बगैर उनकी 2 लाख करोड़ रूपए से भी ज्यादा कीमत वाली जमीन को विदेश में गिरवी रख दिया है। इस घोटाले के तार महाराष्ट्र के सहकारी बैंक से भी जुड़े हुए हैं। जमीन एक ऐसी संस्था को गिरवी रखी गई है, जो एकदम नई नवेली है और बैंकिंग क्षेत्र के लोग भी जिसके बारे में नहीं जानते। स्पीड स्टार एजेंसीज प्रायवेट लिमिटेड नामक इस संस्था से अपेक्स बैंक ने 6500 करोड़ रुपए का कर्ज लेने का अनुबंध कर लिया। मामले की भनक लगते ही पूरा सरकारी तंत्र और जांच एजेंसी सक्रिय हो गई हैं। यह प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा घोटाला है।

वित्ता विभाग के प्रमुख सचिव जी.पी. सिंघल ने कर्ज के मामले की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है। क्या बैंक को सीधे विदेशी संस्था से कर्ज लेने का अधिकार है? इस पर सिंघल ने कहा कि इसका जवाब सहकारिता विभाग देगा।

सूत्रों का कहना है कि इस घोटाले के सामने आने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की दिक्कतें बढ़ने वाली हैं। यह घोटाला ऐसे वक्त में सामने आया है, जब राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की संस्था भारतीय किसान संघ की त्यौरियां चढ़ी हुई है। दूसरी ओर मुख्यमंत्री चौहान कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह को घेरने के लिए उनके शासनकाल में हुए 714 करोड़ रुपए के आईसीडी घोटाले की फाइल खोले हुए बैठे हैं। अपेक्स बैंक द्वारा बेनामी संस्था से 6500 करोड़ रुपए के कर्ज के लिए किसानों की जमीनें गिरवी रखने के मामले में जब दैनिक जागरण ने तहकीकात की तो कई सनसनीखेज जानकारियां सामने आई। सूत्रों ने बताया कि अपेक्स बैंक सीधे विदेश से कर्ज नहीं ले सकता। उसके पास ऐसा करने का लाइसेंस भी नहीं है। लिहाजा उसने बिचौलिये के जरिए किसानों की जमीन गिरवी रखने का तानाबाना इतनी होशियारी से बुना कि बैंक के आला अधिकारियों को भी इसकी भनक नहीं लग पाई। बैंक के संचालक मंडल में भी इसका प्रस्ताव 'एक्स एजेंडा' विषय के तौर रखा गया। संचालक मंडल ने तथ्यों को देखे बगैर ही कर्ज लेने का संकल्प पारित कर दिया। यह प्रस्ताव तीस नवंबर 2009 की संचालक मंडल की बैठक में पारित किया गया।

बैंक द्वारा जिस स्टार एजेंसीज प्रायवेट लिमिटेड से कर्ज लेने और किसानों की जमीन गिरवी रखने की कार्यवाही पूरी कर ली गई है, वह कलकत्ता में पंजीकृत है। इस कंपनी को भोपाल में सालों तक मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्ह का काम करने वाले एस.के. पंडित ने खरीद लिया। पंडित 2008 से वित्ताीय संस्था का काम कर रहे हैं। कंपनी की नेटवर्थ कुछ लाख रुपए की है। अपेक्स बैंक को विदेशी संस्था से 6500 करोड़ रुपए का कर्ज दिलाने के एवज में पंडित को दो प्रतिशत कमीशन मिलना है। व‌र्ल्ड केपिटल स्टेटजी कार्पोरेशन के वाइस प्रसिडेंट रार्बड कोहने और पंडित के बीच हुए पत्राचार में इस कमीशन का उल्लेख है।

दो प्रतिशत कमीशन के चक्कर में अपेक्स बैंक ने किसानों की 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक की जमीन विदेशी संस्था को गिरवी रख दी। अपेक्स बैंक ने 16 दिसंबर 2009 को कृषकों की गिरवी रखी जमीन अचल संपत्तितथा 1699.09 करोड़ की नगद प्रतिभूतियों का प्रमाण पत्र दिया है। इसके आधार पर महाराष्ट्र स्टेट कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड द्वारा 688.42 करोड़ रुपए मूल्य का एसजीएल खाते का प्रमाण पत्र जारी किया गया। संपत्तिब्लाक करने का आश्वासन भी बैंक द्वारा लिखित में दिया गया। सूत्रों ने बताया कि कर्ज लेने वाला बैंक किसी वित्ताीय संस्थान पर स्वयं बैंक गारंटी जारी नहीं कर सकता। इस कारण वचन पत्र जारी किया गया। अपेक्स बैंक द्वारा 19 अप्रैल 2010 को स्पीड स्टार एजेंसीज प्रायवेट लिमिटेड के पक्ष में 6500 करोड़ रुपए मूल्य का अखंडनीय टर्म प्रामिसरी नोट भी जारी कर दिया गया। इस नोट के आधार पर स्पीड स्टार एजेंसी प्रायवेट लिमिटेड दस साल बाद महाराष्ट्र स्टेट को आपरेटिव बैंक के माध्यम से बैंक आफ इंडिया लंदन में प्रस्तुत करने पर 6500 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त कर सकती है।

यह मामला सामने आने के बाद राज्य की भाजपा सरकार सहमी हुई है। अपेक्स बैंक के अध्यक्ष भंवर सिंह शेखावत ने दैनिक जागरण से कहा कि हमने किसानों की जमीन गिरवी नहीं रखी है। कर्ज के दस्तावेजों को भी उन्होंने झुठला दिया। सहकारिता विभाग के प्रमुख सचिव मदन मोहन उपाध्याय ने कहा कि मामला उनकी जानकारी में है। सरकार प्रकरण को देख रही है। सूत्रों ने बताया कि वित्ता विभाग के प्रमुख सचिव जी.पी. सिंघल ने बुधवार को पूरी डील के बारे में एक नोट अपर मुख्य सचिव सहकारिता आभा अस्थाना को भेजा है। इस नोट में जिम्मेदार लोगों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही करने के लिए कहा है। वित्ता विभाग ने पूरे मामले को षडयंत्र करार दिया है।

सूत्रों ने बताया कि आज पूरे दिन मंत्रालय में इस मामले से निपटने के लिए उच्च स्तरीय बैठक चलती रही। मुख्य सचिव अवनि वैश्य खुद पूरे मामले पर निगरानी रखे हुए थे। सूत्रों ने बताया सरकार ने विधि विभाग से पूछा है कि अखण्डनीय वचन पत्र को समय से पूर्व निरस्त कैसे किया जा सकता है। सरकार को आशंका है कि इस वचन पत्र का उपयोग कर किसानों की जमीनें हड़पी जा सकती हैं। सरकार मामले की जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो से कराने पर भी विचार कर रही है।

मुद्दे का सवाल

2 लाख करोड़ रूपए से अधिक कीमत वाली किसानों की यह जमीन दरअसल अपेक्स बैंक में किसानों ने कर्ज के बदले गिरवी रख छोड़ी है। अपेक्स बैंक ने बाला-बाला अपने पास गिरवी रखी यह जमीन ही विदेश की संस्था में गिरवी रखने का फैसला कर लिया और किसानों को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। सहकारिता विभाग के अफसर इसे किसानों के साथ धोखाधड़ी बता रहे हैं।
bhopal30-12-2010

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