Friday, December 10, 2010
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सभी से समलैंगिकता को अपराध मानने वाले कानूनों को हटाने की माँग की और कहा कि
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने विश्व मानवाधिकार दिवस के अवसर पर सभी से समलैंगिकता को अपराध मानने वाले कानूनों को हटाने की माँग की और कहा कि हमें समलैंगिकों के अधिकारों के लिए जल्द से जल्द काम करने की जरूरत है।
बान ने कहा कि वर्तमान में बहुत देशों के आधुनिक संविधान हैं जिसमें समलैंगिकों को जरूरी अधिकार और आजादी सुनिश्चित किए गए हैं। इसके बावजूद 70 से ज्यादा देशों में समलैंगिकता को अपराध माना जाता है। यह सही नहीं है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को मानवाधिकारों की सार्वभौम अधिघोषणा को अपनाया गया। यह मानवाधिकारों के सिर्फ आंशिक रूप से लागू करने की वकालत नहीं करता है। यह बगैर किसी भेदभाव के सभी लोगों के लिए समान अधिकारों की बात करता है।
अपने हाल के अफ्रीका दौरे पर महासचिव ने वहाँ के नेताओं से समलैंगिकता को अपराध मानने वाले कानून को खत्म करने का आग्रह किया। और वे मलावी में एक समलैंगिक जोड़े को 14 साल की कैद से बचाने में भी सक्षम रहे।
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में लेस्बियन, गे, और ट्रांस जेंडर लोगों की वकालत करने वालों की तरफ से आयोजित एक सभा में आर्च बिशप डेसमंड टूटो ने भी अपनी बात कही। उन्होंने इस लड़ाई की तुलना दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ हुई लड़ाई से की। (
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