Saturday, December 4, 2010
चीनी भाषा को अनिवार्य बनाने के खिलाफ़ तिब्बत छात्रों के विरोध की खबरों के बीच चीन
बीजिंग : चीनी भाषा को अनिवार्य बनाने के खिलाफ़ तिब्बत छात्रों के विरोध की खबरों के बीच चीन ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल पूर्व शिक्षण के दौरान दो वर्ष तक दोनों भाषाएं पढाए जाने की एक नयी योजना बनायी है. हालांकि इस नयी नीति का भी विरोध किया जा रहा है.
दरअसल तिब्बतियों को इस बात की आशंका है कि चीनी भाषा के अनिवार्य अध्ययन से उनकी भाषा और संस्कृति हाशिये पर चली जाएगी.
तिब्बती स्वायत्त क्षेत्र के शिक्षा विभाग ने घोषणा की है कि ग्रामीण क्षेत्रों में सभी बच्चों को 2015 से स्कूल पूर्व शिक्षा के दौरान तिब्बती और पुतोंघुआ भाषाएं पढायी जाएंगी. संवाद समिति शिन्हुआ के अनुसार विभाग के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अभी की 24.5 फ़ीसदी की तुलना में तबतक 60 फ़ीसदी तिब्बती बच्चे बालविहार जाने लगेंगे. ’’
प्रवक्ता ने कहा कि इस कदम का लक्ष्य तिब्बती बच्चों की तिब्बती और चीनी भाषा में उनकी कुशलता बढाना एवं उन्हें औपचारिक स्कूल शिक्षा के लिए तैयार करना है.
हाल ही में तिब्बती बहुल इलाकों में चीनी भाषा के अनिवार्य अध्ययन को लेकर स्कूली छात्रों द्वारा व्यापक विरोध की खबरें आयी हैं जिसके बाद इस नीति की घोषणा की गयी.
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