मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों में खाद्य उत्पादन बढ़ाने की जरूरत
भोपाल- 03 दिसम्बर,,2010
मध्य प्रदेश सहित चार राज्यों में देश का 25 प्रतिशत कृषि क्षेत्र है लेकिन खाद्य उत्पादन केवल 15 प्रतिशत होता है । यह जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की भोपाल में चल रही क्षेत्रीय समिति की 21वीं बैठक में दी गई ।
बैठक में मध्य प्रदेश किसान कल्याण एवं कृषि विकास मन्त्री डॉं. रामकृष्ण कुसमरिया ने कहा है कि भारतीय अनुसंधान परिषद् क्षेत्र के राज्य शासनों का समुचित मार्गदशZन करें और एक ऐसा मॉडल उपब्ध कराए जिससे छोटे किसान पूर्णत: स्वावलंबी हो सके । उन्होने जैविक खेती की शिक्षा देने और राष्ट्रीय स्तर पर जैविक मिशन चलाए जाने की भी सलाह दी ।
डॉ. कुसमरिया ने कृषि की पुरातन पद्धतियों को पुन:स्थापित करने तथा उन पर अनुसंधान कर उनके महत्व को जनसाधारण तक पहुंचाने का भी आह्वान किया ।
बैठक में परिषद् के महानिदेशक तथा कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा के सचिव डॉ. एस. अय्यप्पन ने अपने उद्बोधन में बताया कि मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ तथा गोवा राज्यों में कृषि क्षेत्र की तुलना में उत्पादन नही हो रहा । इन सभी राज्यों का कृषि उत्पादन केवल 15 प्रतिशत है जबकि कृषि क्षेत्र 25 प्रतिशत है ।
डॉ. अय्यप्पन ने कहा कि इस क्षेत्र में ज्वार, सोयाबीन के साथ ही अन्य ख्ुारदुरे अनाज का उत्पादन बढाए जाने के अवसर हैं। उन्होने कहा कि खरपतवार पर नियन्त्रण करके फसल उत्पादन में 15 से 30 प्रतिशत की वृद्धि की जा सकती है। उन्होने कृषि निवेशों के दक्षतापूर्ण उपयोग पर जोर देते हुए कटाई उपरान्त प्रसंस्करण के महत्व को भी स्वीकारा।
अपने स्वागत भाषण में डॉ पीतम चन्द्र, निदेशक, केन्द्रीय —षि अभियान्त्रिकी संस्थान की बैठक में उपस्थित अतिथि एवं विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए बताया कि —षि की विकास दर 6 प्रतिशत से अधिक हो गई है और —षि यन्त्रों का इसमें महती योगदान है।
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