Tuesday, December 7, 2010

युवाओं में वैज्ञानिक अभिरूचि और मनोवृत्ति के विकास पर जोर दिया।


नई दिल्‍ली में चल रहे 11वें अन्‍तर्राष्‍ट्रीय वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकी संचार सम्‍मेलन का उद्घाटन करते हुए पूर्व राष्‍ट्रपति ए0पी0जे0 अब्‍दुल कलाम ने युवाओं में वैज्ञानिक अभिरूचि और मनोवृत्ति के विकास पर जोर दिया। उन्‍होंने अपने खुद के संस्‍मरण के जरिए बताया कि कैसे उनके शिक्षक ने चिडि़यों के उड़ने की प्रक्रिया को ऐसे रोचकतरीके से बताया था कि उनके मन में चिडि़यों के उड़ने को लेकर के ऐसी जिज्ञासा उत्‍पन्‍न हुई कि उन्‍होंने भौतिकी और एयरोडाय‍नमिक्‍स के अध्‍ययन का विकल्‍प चुना।


डा0 कलाम ने भारत के साथ ही विश्‍व के अन्‍य देशों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संचार में विज्ञान के शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया। उन्‍होंने भारत में प्रोफेसर एम0 एस0 स्‍वामीनाथन, नार्मन बोरलार्ग, सी0 वी0 रमन आदि के योगदानों की चर्चा करते हुए कहा कि इनके द्वारा जो भी योगदान दिया गया, उससे आम आदमी तक लाभान्वित हुआ। डा0 कलाम ने उद्घाटन सत्र का शुभारम्‍भ पारम्‍परिक द्वीप प्रज्‍जवलन के साथ किया।


उद्घाटन सत्र के आरम्‍भ में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के अन्‍तर्गत राष्‍ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद (एन0सी0एस0टी0सी0), जो इस कार्यक्रम के प्रमुख आयोजनकर्ता हैं के मुखिया एवं वैज्ञानिक सलाहकार डा0 कमलकांत द्विवेदी ने देश विदेश से आए हुए संचार वैज्ञानिकों एवं विज्ञान संचारकों का स्‍वागत किया और भारत में विज्ञान संचार की मुहिम में एन0सी0एस0टी0सी0 की भूमिका की चर्चा की।


भूविज्ञान मंत्रालय, भारत सरकार के सचिव डा0 शैलेष नायक, जो उद्घाटन समारोह के विशिष्‍ट अतिथि थे, ने अपने सम्‍बोधन में भारत में जन संचार के पारम्‍परिक माध्‍यमों जैसे नाटक, नौटंकी, रामलीला की चर्चा करते हुए कहा कि आज विज्ञान के संचार के लिए ऐसे सहज माध्‍यमों की आवश्‍यकता है, जो जन ग्राह्य हो सकें।


अपने अध्‍यक्षीय सम्‍बोधन में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डा0 टी0 रामास्‍वामी ने विगत एक दशक में विज्ञान संचार के प्रेरणास्रोत के रूप में डा0 अब्‍दुल कलाम के व्‍यक्तित्‍व की भूरि भूरि प्रशंसा की और उनके आदर्शों के अनुगमन के जनसमुदाय का आवाहन किया।


उद्घाटन सत्र का धन्‍यवाद ज्ञापन एन0सी0एस0टी0सी0 के निदेशक डा0 मनोज पटैरिया द्वारा किया गया। अपराह्न में विज्ञान संचार को एक स्‍वतंत्र पाठ्यक्रम के रूप में विकसित किए जाने और समूची दुनिया में विज्ञान के परिदृश्‍य के आकलन के साथ ही आठ समानान्‍तर सत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार से जुड़े विभिन्‍न पहलुओं पर प्रतिभागी वैज्ञानिकों के बीच विचार मंथन चल रहा है।
अगर आपको 'साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन' का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।

No comments:

Post a Comment