Monday, December 6, 2010

खुलासों से रिश्ते नहीं बदलते

खुलासों से रिश्ते नहीं बदलते


विकिलीक्स के खुलासे के बाद भारत-अमेरिकी संबंधों पर पड़ने वाले असर से जुड़े प्रसंग पर पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर से टी. ब्रजेश की बातचीत :

- विकिलीक्स खुलासे ने अमेरिका की दोहरी नीति उजागर कर दी है। इसका भारत-अमेरिका संबंधों पर क्या असर पड़ सकता है?
मुझे लगता है कि इससे दोनों देशों के रिश्तों में कोई कड़वाहट पैदा नहीं होने जा रही। राजनयिक स्तर पर संवादों के आदान-प्रदान के अंश के जारी हो जाने से ऐसे रिश्तों पर असर नहीं पड़ता, जिनमें परिपक्वता और स्थायित्व हो।

- लेकिन अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सीट के दावे का मजाक उड़ाने की ठोस जानकारी के बाद क्या यह दोस्ती अटल रहेगी?
देखिए, भारत के बारे में सेल्फ अपांइटेड फ्रंट रनर जैसी टिप्पणी कोई बहुत आहत करने वाली नहीं है। साफ है कि उन्होंने ऐसा सीधे भारत को टारगेट करके नहीं कहा है। उन्होंने जर्मनी, जापान, ब्राजील और भारत (जी-चार) पर सामूहिक टिप्पणी की है। हां, इससे हिलेरी की सोच और परिपक्वता के बारे में अंदाजा जरूर लगता है। लेकिन हाल ही में हमारी संसद में ओबामा ने सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन साफ अल्फाजों में किया है।

- तो क्या हिलेरी की भावना से यह पता नहीं चलता कि जब सुरक्षा परिषद के लिए समय आएगा, तो अमेरिका की तरफ से भारत ठगा महसूस कर सकता है?
किसी के कुछ कहने से न तो कोई देश फ्रंट रनर बनता आया है और न ही बनने वाला है। इसमें सभी को अपनी जगह मांगने का हक है। जापान और जर्मनी तो बीस साल पहले से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार और उसके विस्तार का सवाल उठा रहे हैं।

- विकिलीक्स के खुलासे में पाकिस्तान की कलई खुलने से भारत क्या कुछ बढ़त की स्थिति में है?
देखिए, मैं इसे पाकिस्तान बनाम भारत के नजरिये से नहीं आंकना चाहता। पर खुलासे से यह तो सामने आया ही है कि अमेरिका परमाणु हथियार आतंकियों के हाथ में पड़ने की भारत की तरफ से जताई गई आशंका से इत्तेफाक रखता है।

- इन पर प्रतिक्रिया देने से भारत फिलहाल बच क्यों रहा है?
ये तो अभी लीक्स हैं। इसी वजह से भारत ने प्रतिक्रिया नहीं दी है। फिर अभी और लीक्स आने हैं, जिनमें भारत और अमेरिकी राजनयिकों के बीच संवाद पर से भी परदा उठने का अंदेशा है। हो सकता है कि उसके बाद कुछ प्रतिक्रिया आए।

- विकिलीक्स के खुलासों को दुनिया कितनी गंभीरता से ले रही है? पाकिस्तान समेत कुछ मुल्कों ने इसे खारिज करने में तनिक देर नहीं लगाई। आपका क्या आकलन है?
इसे खारिज तो नहीं किया जा सकता। तथ्य तो तथ्य होते हैं और अगर लीक्स में आई जानकारी का आधार ठोस है, तो उसे खारिज नहीं किया जा सकता। यह देखना चाहिए कि इसके जरिये सामने आए गलतियों को किस तरह से लिया जाए।

- हिलेरी क्लिंटन ने भी खुलासों पर खेद जताया है और इसे अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर हमला बताया है। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?
देखिए, इस मामले में मुझे हिलेरी क्लिंटन से पूरी सहानुभूति है। जहां तक किसी संवाद की गोपनीयता का सवाल है, तो उसे जारी करने का तरीका उचित और व्यावहारिक होना चाहिए।

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