Sunday, August 1, 2010

मध्यप्रदेश के किसानों के लिए यह अच्छी खबर है। अब उद्योगपति पांच लाख रुपए एकड़ से कम में किसानों से जमीन नहीं खरीद सकेंगे।

5 लाख एकड़ से कम में नं मिलेगी किसानों की जमीनAug 02, भोपाल। मध्यप्रदेश के किसानों के लिए यह अच्छी खबर है। अब उद्योगपति पांच लाख रुपए एकड़ से कम में किसानों से जमीन नहीं खरीद सकेंगे। सरकार इसके लिए नियम बनाने जा रही है। मुख्य सचिव अवनि वैश्य की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रालय में हुई उच्च स्तरीय बैठक मे उक्त निर्णय लिया गया। बैठक में लिए गए निर्णय का प्रस्ताव अनुमोदन के लिए कैबिनेट की अगली बैठक में भेजा जाएगा।

जानकारी के अनुसार स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनाने के लिए विधानसभा द्वारा पारित सत्तार संकल्पों में एक संकल्प यह भी था कि किसानों की हितों की रक्षा के लिए कृषि योग्य भूमि बचाना सबसे अधिक आवश्यक है। इसके लिए किसानों की जमीन का रेट तय किए जाने का भी सुझाव दिया गया था। सुझाव में कहा गया था कि उद्योगपति उद्योग के लिए किसानों से औने पौने दाम पर जमीन खरीद लेते हैं। इससे किसानों से खेती योग्य भूमि भी चली जाती है और उसे कुछ मिलता भी नहीं। वर्तमान में किसानों को बमुश्किल पचास हजार से एक लाख रुपए एकड़ तक जमीन की कीमत मिल पाती है। इसके लिए भी उन्हें उद्योगपतियों की काफी मिन्नत करनी पड़ती है। किसानों की सस्ती दर पर जमीन लेने के साथ ही उन्हें अथवा उनके परिजनों को उद्योगपति रोजगार भी नहीं देते, क्योंकि नियमों में इस तरह का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है। शनिवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप तैयार किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि कृषि योग्य भूमि का रकबा लगातार कम होता जा रहा है। जिसका कृषि के उत्पादन पर भी असर पड़ेगा। इसे रोकने के लिए जहां बहुत आवश्यक न हो तो खेती योग्य जमीन पर उद्योग की स्थापना नहीं की जाए। प्रदेश में अभी भी लाखों हेक्टेयर बंजर भूमि है, जिस पर उद्योग की स्थापना की जा सकती है, लेकिन कृषि योग्य भूमि की कीमत कम होने के कारण उद्योगपति भी उद्योग लगाने के लिए उसी जमीन को प्राथमिकता देते हैं, क्योंकि उन्हें इससे कई लाभ होते है। राजस्व विभाग ने सभी से चर्चा के बाद खेती योग्य भूमि की कीमत कम से कम पांच लाख रुपए प्रति एकड़ तय करने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में सम्पन्न बैठक में इस बात का निर्णय नहीं हो सका कि डूब क्षेत्र में आने वाली जमीन व नहरों के लिए ली जाने वाली जमीन का भी यही रेट रहे या इसके लिए अलग दर तय की जाए। सूत्रों का कहना है कि कैबिनेट के लिए तैयार की जाने वाली प्रेसी में सभी बाते स्पष्ट कर दी जाएंगी।

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