Tuesday, August 24, 2010
हिन्दुओं ने खोल दिए दिल के दरवाजे
पिछले एक सदी के भयंकर बाढ़ से जूझ रहे पाकिस्तान ने भले ही भारत की पांच मिलियन डॉलर की सहायता लेने में आनाकानी की हो लेकिन यहां के हिंदू समुदाय ने संकट की इस घड़ी में मुसलमान भाइयों की ऐसी मदद की है जिसने नफरत की राजनीति करनेवाले पाकिस्तान के हुक्मरानों की आंखें खोल दी है। बाढ़ प्रभावित इलाके में हिंदू समुदाय के लोग जहां आर्थिक सहायता दे रहे है, वहीं रमजान के महीनें में लोगों को सहरी और रोजा खोलने के वक्त खाना बनाकर भी ला रहे है। हिंदुओं के इस भावना से पाकिस्तान के दछिणपंथी राजनीति करने वाले नवाज शरीफ भी खासे प्रभावित हो गए है। वे अपने भाषणों में हिंदुओं की जोरदार तारीफ कर रहे है।
सिंध में हिंदू समुदाय की संख्या काफी है। सक्खर, जैकोबाबाद, कराची में हिंदू खासी संख्या में है। इनके हाथ में व्यापार है। अच्छा पैसा भी है। कुछ जमींदार हिंदू भी है। जिसमें भारत के पूर्व विदेश मंत्री और भाजपा नेता जसवंत सिंह के चचेरे भाई भी शामिल है। सिंध के कई जिले इस समय बाढ़ से तबाही के शिकार हो गए। इस मौके पर हिंदू समुदाय के लोग खुलकर मुसलमानों की मदद करने को आगे आए है। सिंध के सक्खर में हिंदू परिवार की महिलाएं नियमित रुप से अपने घरों में खाना बनाकर बाढ़ प्रभावित लोगों को मदद की है।
पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राणा भगवान दास भी बाढ़ प्रभावित लोगों को मदद करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे है। और तो और सरकार पर लगे आरोपों को देखते हुए बाढ़ राहत कार्य के लिए बनाए गए कमिशन में भी राणा भगवान दास को रखा गया है। नवाज शरीफ जब खुद सक्खर पहुंचे तो इस भावना को देख उसकी प्रशंसा करने से नहीं चुके। टीवी चैनलों पर हिंदू समुदाय के लोगों को धन्यवाद दिया। गौरतलब है कि इस समय बाढ़ से से तबाही के बाद पाकिस्तान में सरकारी सहायता नाममात्र की है। सरकार को लोग दान देने से भी गुरेज कर रहे है। लोगों का कहना है कि बाढ़ पीड़ितों तक पैसा पहुंचेगा या नहीं इसकी गारंटी नहीं है। इसलिए एनजीओ को पैसे देने में कोई गुरेज उन्हें नहीं है।
लाहौर के अमीर हिंदू परिवार के महिला-पुरूष भी बाढ़ पीडितों के लिए जोरदार काम कर रहे है। लाहौर के अमीर हिंदुओं में से एक हर्ष मेहरा की बहन पिछले कुछ दिनों से स्वात घाटी में है। नौशेरा जिले में बाढ़ पीड़ितों के लिए काम कर रही है।हर्ष मेहरा के अनुसार उनकी बहन एक एनजीओ के साथ है। वे पिछले कुछ दिनों से स्वात में ही है। हर्ष मेहरा के अनुसार सरकार पर लोगों को भरोसा नहीं है। अमेरिकी सहायता भी शायद एनजीओ के माध्यम से बंटे। इस समय अमेरिका से सहायता प्राप्त लगभग १०० एनजीओ के कार्यालय सिंध, पंजाब और खैबर पख्तूनखवा राज्य में खुल चुके है।
दिलचस्प बात है कि बाढ़ को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। कई कट्टर संगठनों से संबंधित लोग इसके लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे है। पर कई लोग खुलकर मौलाना राजनीति का विरोध कर रहे है। ग्रीन सर्कल आर्गेनाइजेशन के हेड और लाहौर में रहने वाले राणा शफीक के अनुसार भारत को ही हर चीज के लिए दोषी ठहराने की जरूरत नहीं है। अगर भारत ने बाढ़ नियंत्रण के लिए डैम बनाए तो पाकिस्तान को क्या समस्या है। पाकिस्तान को भी बाढ़ नियंत्रण के लिए समय पर डैम बनाना चाहिए था। इससे बा़ढ़ की नौबत ही नहीं आती। अब अगर बाढ़ आयी है तो अपनी गलती को देखने के बजाए भारत को दोष दे रहे है।
उधर प्राइवेट संगठनों में जनता का सबसे ज्यादा विश्वास ईदी फाउंडेशन और पूर्व क्रिकेट खिलाड़ी इमरान खान पर है। लाहौर शहर में सारे राजनीतिक दलों ने कैंप लगा रखे है। पर लोगों के डोनेशन के सामान इमरान खान के कैंप में ही ज्यादा नजर आता है। उनकी पार्टी के कैंप में खासे लोग दान देने के लिए पहुंच रहे है। वहीं अब्दुल सतार ईदी का ईदी फाउंडेशन पर भी लोगों को काफी विश्वास है। वहां भी लोग दान के रुप में पैसे और अन्य सामान दे रहे है। हालांकि इस बाढ़ का एक और प्रभाव बाद में दिखेगा। जमाए-ए-इस्लामी, जमात-उल-दवा, तालिबान ने हर जगह कैंप खोल दिए है और सरकार को फेल बताने से नहीं चुक रहे है। इससे काफी सारे लोग कट्टरपंथी संगठनों की तरफ झुक सकते है, इससे नुकसान पाकिस्तान को होगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment