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सलमान रावी (रायपुर)
BBCछत्तीसगढ़ में बिलासा एक देवी के रुप में देखी जाती हैं। कहते हैं कि उनके ही नाम पर बिलासपुर शहर का नामकरण हुआ। बिलासा केवटिन की एक आदमकद प्रतिमा भी शहर में लगी हुई है और उसी छत्तीसगढ़ में बिलासा ब्रांड की एक शराब बन और बिक रही है।
हालाँकि ये ब्रांड पाँच साल से भी ज्यादा समय से सारे सरकारी शराब ठेकों पर उपलब्ध है, लेकिन अब इसे लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है। केवट समाज इसे अपना अपमान बता रहा है और विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इसका विरोध किया है।
इसके बाद छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री और बिलासपुर के विधायक अमर अग्रवाल ने आश्वासन दिया है कि सरकार उचित कार्रवाई करेगी।
बिलासा केवटिन : बिलासपुर राज्य की न्यायधानी कही जाती है क्योंकि छत्तीसगढ़ का उच्च न्यायालय यहीं स्थित है। इस शहर के मध्य में है बिलासा चौक जहाँ बिलासा केवटिन की एक आदमकद प्रतिमा खड़ी है।
बिलासपुर के ही सोमनाथ यादव इतिहास बताते हुए कहते हैं, 'बिलासा देवी एक वीरांगना थीं। सोलहवीं शताब्दी में जब रतनपुर छत्तीसगढ़ की राजधानी हुआ करती थी तो राजा कल्याण सहाय बिलासपुर के पास शिकार करते हुए घायल हो गए थे। उस समय बिलासा केवटिन ने उन्हें बचाया था। इससे खुश होकर राजा ने उन्हें अपना सलाहकार नियुक्त करते हुए नदी किनारे की जागीर उनके नाम लिख दी थी।'
सोमनाथ का कहना है कि स्थानीय लोक गीतों में भी बिलासा देवी का गुणगान किया जाता है।
बिलासा देवी के लिए छत्तीसगढ़ के लोगों में, खासकर केवट समाज में, बड़ी श्रध्दा है और इसका एक सबूत यह भी है कि छत्तीसगढ़ की सरकार हर वर्ष मत्स्य पालन के लिए बिलासा देवी पुरस्कार भी देती है। मगर बिलासा नाम से एक स्थानीय शराब का ब्रांड सरकारी शराब के ठेकों पर बिक रहा है। इस ब्रांड के शराब का निर्माण बिलासपुर में ही हो रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि यह ब्रांड पाँच साल से अधिक समय से बाजार में है। लेकिन अब इस ब्रांड को लेकर विरोध प्रदर्शन होने शुरू हो गए हैं।
BBCविरोध : जहाँ राज्य का केवट समाज शराब के ब्रांड को लेकर गुस्से में है वहीं कला और संस्कृतिकर्मी भी इसे लेकर नाराज हैं पिछले दिनों केवट समाज ने बिलासपुर में एक रैली निकली और प्रशासन को एक ज्ञापन देकर शराब का लेबल बदलने की माँग की है।
केवट समाज के प्रवक्ता किशनलाल केवट कहते हैं, 'बिलासा केवटिन हमारे समाज के लिए एक आराध्य देवी हैं और उनके नाम से शराब का ब्रांड पूरे समाज का अपमान है।' वे कहते हैं, 'हम इसका विरोध कर रहे हैं और हम आंदोलन और तेज करेंगे।'
छत्तीसगढ़ी लोक कला और संस्कृति के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था 'बिलासा कला मंच' ने भी शराब के इस ब्रांड के मुद्दे को लेकर आंदोलन छेड़ रखा है।
मंच के अध्यक्ष सोमनाथ यादव का कहना हैं, 'इस पर तब और ज्यादा अफसोस होता है जब राज्य के आबकारी मंत्री और विधानसभा के अध्यक्ष बिलासपुर के ही हों। हमने आबकारी मंत्री से मुलाकात की है और अपना विरोध दर्ज करते हुए उन्हें एक ज्ञापन भी सौंपा है।'
अब इस मुद्दे को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शन पर राजनितिक रंग भी चढ़ने लगा है। विधानसभा में विपक्ष के नेता रविंद्र चौबे ने हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा सत्र के दौरान इस मुद्दे को उठाया था।
बीबीसी से बात करते हुए चौबे ने कहा, 'क्या मजाल है कोई शराब का व्यापारी छत्तीसगढ़ के लोगों की आस्था से खेल करे अगर उसे सरकार का समर्थन प्राप्त न हो। एक तरफ सरकार बिलासा देवी पुरस्कार देती है। दूसरी तरफ उनके नाम से शराब का ब्रांड सरकारी ठेकों से बिक रहा हो तो यह किसका दुर्भाग्य है?'
विपक्ष के नेता चाहे जो कहें लेकिन इस ब्रांड को स्वीकृति तब मिली थी जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार थी।
बिलासपुर से भाजपा के विधायक और राज्य के आबकारी मंत्री अमर अग्रवाल कहते हैं, 'इस ब्रांड को स्वीकृति तब मिली थी जब हमारी सरकार नहीं थी। अब यह मामला मेरे पास आया है। मैं इसकी जाँच करा रहा हूँ। जाँच के बाद कार्रवाई होगी। वैसे आम लोगों कि भावना है कि बिलासा नाम से शराब का ब्रांड नहीं होना चाहिए, इस भावना को ध्यान में रखा जाएगा।'
लेकिन शराब पीने वालों का क्या। वो लेबल देखकर नहीं बल्कि सुरूर के लिए शराब पीते हैं। लिहाजा बिलासा विस्की बाजार में अभी भी बिक रही है।
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