Thursday, December 2, 2010

भारतीय —षि अनुसंधान परिषद् क्षेत्रीय समिति संख्या की (इक्कीसवीबैठक का उद्घाटन

भारतीय —षि अनुसंधान परिषद् क्षेत्रीय समिति संख्या की (इक्कीसवीबैठक का उद्घाटन
भोपाल- 02 दिसम्बर,,2010
भारतीय —षि अनुसंधान परिषद् क्षेत्रीय समिति संख्या टप्प् की (इक्कीसवी)ं ग्ग्प् वी बैठक का शुभारंभ 02 दिसम्बर 2010 को केेन्द्रीय कृषि अभियान्त्रिकी संस्थान भोपाल के रजत जयन्ती सभागार में किया गया। कार्यक्रम का उद्दघाटन म.प्र शासन के किसान कल्याण एवं कृषि विकास मन्त्री माननीय डॉ. रामकृष्ण कुसमारिया व्दारा किया गया । इस अवसर पर क्षेत्र टप्प् स्थित सभी कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, भारतीय —षि अनुसंधान परिषद के सभी उपमहानिदेशक एवं राज्य शासन के —षि विभाग के उच्चाधिकारी उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय —षि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ एस अय्यप्पन व्दारा की गई।
अपने स्वागत भाषण में डॉ पीतम चन्द्र, निदेशक, केन्द्रीय —षि अभियान्त्रिकी संस्थान, भोपाल में उपस्थित अतिथि एवं विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए बताया कि —षि की विकास दर 6 प्रतिशत से अधिक हो गई है और —षि यन्त्रों का इसमें महति योगदान है। कार्यक्रम के प्रारम्भ में उपमहानिदेशक (अभियान्त्रिकी) डॉ. मदनमोहन पाण्डेय व्दारा क्षेत्रीय समिति टप्प् की पूर्व की बैठकों के मुख्य मुद्दों पर प्रकाश डालते हुए उनपर की गई कार्यवाही की चर्चा की। उन्होंने अनुरोध किया कि म.प्र. शासन इस वर्तमान बैठक में सक्रिय रूप् से भाग लेकर कृषि सम्बंधी अपनी समस्याएं सामने रखें।
समारोह के अध्यक्ष डा. एस अय्यप्पन, सचिव —षि अनुसंधान एंव शिक्षा विभाग तथा महानिदेशक भारतीय —षि अनुसंधान परिषद ने अपने उद्बोधन मे कहा कि बैठक मे जैविक खेती पर विशेष रूप से विचार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में 4 प्रदेश मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र,छत्तीसगढ तथा गोवा देश का 25 प्रतिशत कृषि क्षेत्र है जबकि



खाद्यान्न का उत्पादन मात्र 15: हो रहा है। इस क्षेत्र में ज्वार, सोयाबीन के साथ ही अन्य ख्ुारदुरे अनाज का उत्पादन बढाए जाने के अवसर हैं। उन्होने कहा कि खरपतवार पर नियन्त्रण करके फसलोत्पादन में 15 से 30: की वृद्धि की जा सकती है। उन्होने कृषि निवेशों के दक्षतापूर्ण उपयोग पर जोर देते हुए कटाई उपरान्त प्रसंस्करण के महत्व को भी स्वीकारा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ रामकृष्ण कुसमरिया ने अपने उद्बोधन मे कृषि की पुरातन पद्धतियों को पुनस्र्थापित करने एवं उन पर अनुसंधान कर उनके महत्व को जनसाधारण तक पहुंचाने का आह्वान किया। उनके उद्बोधन के मुख्य मुद्दे थे : खाद्य सुरक्षा, भूमि सुरक्षा एवं जैविक पद्धति की खेती। उन्होने अनुरोध किया कि भारतीय —षि अनुसंधान परिषद् क्षेत्र के राज्य शासनों का समुचित मार्गदशZन करे और एक ऐसा मॉडल उपलब्ध कराए जिससे छोटे किसान पूर्णत: स्वावलंबी हो सके। उन्होने जैविक खेती की शिक्षा देने और राष्ट्रीय स्तर पर जैविक मिशन चलाए जाने की भी सलाह दी। उनके द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दे जिन पर बैठक मे विचार किया जाना चाहिये थे - सोयाबीन का ग्रामीण क्षेत्र मे प्रसंस्करण, रासायनिक खाद का विकल्प, ग्रामीण रोजगार की समस्या का समाधान।
बैठक के अन्त मे डॉ के आर क्रान्थी, निदेशक, केन्द्रीय कपास अनु. सं. नागपुर ने सभी उपस्थितो का आभार व्यक्त किया।

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