Thursday, December 2, 2010

सूचना के अधिकार की धिायां उड़ा रहा है सामान्य प्रशासन विभाग

सूचना के अधिकार की धिायांसूचना के अधिकार की धिायां उड़ा रहा है सामान्य प्रशासन विभाग
आई.ए.एस. की जानकारी आयोग के फैसले के बाद भी नहीं मिलीर्षोर्षो
भोपाल, 2 दिसम्बर 2010 (मप्र ब्यूरो)। मध्यप्रदेश के मुख्यमन्त्री शिवराज सिंह चौहान के पांच वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर गौरव दिवस मनाया जा रहा है। शिवराज सरकार हाल ही में लोक सेवा गारंटी विधेयक जनता के लिये लेकर आई है। वहीं दूसरी ओर केन्द्र द्वारा पारित 2005 सूचना के अधिकार कानून की धिायां सरकार के नौकरशाह उड़ाने में लगे हैं। इन हालातों को देखते हुए सूचना आयोग का तन्त्र बौना हो गया है। सामान्य प्रशासन जैसा सरकार का महत्वपूर्ण विभाग भी राज्य सूचना आयोग के निर्णय को रद्दी की टोकरी में डालकर प्रदेश के नौकरशाह जनता को जो जानकारी दे रहे हैं, वह हास्यास्पद है।
सूचना के अधिकार के तहत स्वयं सेवी संस्था जन संवेदना ने मप्र में सेवारत भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी जो कि वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2009 एवं 1 अप्रैल 2009 से 30 दिसम्बर 2009 तक विदेश यात्रा पर गए हैं, उनकी विस्तृत जानकारी खर्च ब्यौरा के साथ 6 फरवरी 2010 को उक्त जानकारी मांगी थी। इस जानकारी को लोक सूचना अधिकारी ने 23 फरवरी को पत्र लिखकर सूचित किया कि सूचना का अधिकार अधिनयम 2005 के अनुसार लोक सूचना अधिकारी से यह अपेक्षित नहीं है कि वह सामग्री से कोई निष्कर्ष निकाले और इस प्रकार निकाले गये निष्कर्ष को आवेदक को उपलब्ध कराए। आप जिस व्यक्तिअधिकारी विशेष की यात्रा विशेष के सम्बंध में जो जानकारी चाहते हैं वह सम्बंधित विभागकार्यालय के लोक सूचना अधिकारी को नियमानुसार आवेदन पत्र देकर प्राप्त कर सकते हैं। अत: आपके द्वारा चाही गई जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग स्तर से उपलब्ध कराने में असमर्थता है। यदि आप उपरोक्त जानकारी से सन्तुष्ट नहीं हैं तो इस पत्र के प्राप्त होने के 30 दिन के भीतर प्रथम अपीलीय अधिकारी प्रमुख सचिव, मप्र शासन सामान्य प्रशासन विभाग, मन्त्रालय वल्लभ भवन भोपाल के समक्ष 50 रुपए के स्टांप की राशि का नॉन ज्यूडिशियल स्टांप लगाकर अपील कर सकते हैं।
इसके बाद आवेदनकर्ता ने अपीलीय अधिकारी सामान्य प्रशासन के दरवाजे खटखटाए। वहां से भी जानकारी देने के लिये इंकार कर दिया और आयोग में जाने की सलाह दे दी। अपीलकर्ता ने आयोग में शिकायत की तो राज्य सूचना आयोग ने 19 दिसम्बर को सुनवाई कर निर्णय दिया कि प्रदेश के अन्य विभागों के अधिकारी भी विदेश यात्रा पर जाते हैं तथा उनसे सम्बंधित जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग में नहीं रहती। लोक सूचना अधिकारी को निर्देशित किया जाता है कि वह मन्त्रालय के अथवा अन्य किसी भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों बाबत चाही गई जानकारी जो उबलब्ध है उसकी प्रमाणित प्रति अपीलार्थी को 15 दिवस में नि:शुल्क प्रदाय करें तथा पालन प्रतिवेदन एक माह में आयोग को प्रेषित करें।
अपीलकर्ता को जो जानकारी दी गई है वह हास्यास्पद है कि 7 लोगों की जानकारी दी उसमें एक प्रशासनिक अधिकारी के निज सहायक की भी जानकारी दी वही महेन्द्र सिंह भिलाड़ा के मंसूरी यात्रा के यात्रा भत्ते की सत्यप्रतिलिपि की जानकारी दे दी गई। इस तरह अपूर्ण जानकारी मिलने पर अपीलकर्ता ने राज्य सूचना आयोग को शिकायत दर्ज कराते हुए सामान्य प्रशासन विभाग से जानकारी दिलाने की अपील की है।

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