Monday, January 31, 2011

तालिबान समर्थक आतंकवादियों ने महिला शिक्षकों और छात्राओं से बुरका पहनने तथा किसी पुरुष रिश्तेदार के साथ स्कूल जाने की चेतावनी दी है।

इस्लामाबाद (भाषा) , गुरूवार, 30 अप्रैल 2009( 17:02 IST )






पाकिस्तान के पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत में तालिबान समर्थक आतंकवादियों ने महिला शिक्षकों और छात्राओं से बुरका पहनने तथा किसी पुरुष रिश्तेदार के साथ स्कूल जाने की चेतावनी दी है। आदेश के उल्लंघन पर उनसे दंड भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा गया है।

एक स्थानीय निवासी ने बताया कि पश्चिमोत्तर सीमांत प्रांत की राजधानी पेशावर के नजदीक अचिनी स्थित लड़कियों के सरकारी स्कूल में कल दर्जनों आतंकवादी आ धमके और महिला शिक्षकों तथा छात्राओं से बुरका पहनने को कहा।

आतंकवादियों ने क्षेत्र के पुरुषों को भी टोपी पहनने या फिर अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहने को कहा।

निवासी ने बताया कि आतंकवादियों ने एक ऐसे लड़के पर गोलीबारी की जिसने टोपी नहीं पहन रखी थी लेकिन सौभाग्य से वह बाल-बाल बच गया।

महिला शिक्षकों ने इस बारे में शिक्षा अधिकारियों से शिकायत की और कहा कि इस स्थिति में वे काम नहीं कर पाएँगी। उन्होंने सुरक्षा की भी माँग की।

अफगान अधिकारियों ने कहा है कि जिन लोगों ने उत्तरी अफगानिस्तान में एक जोड़े की पत्थर मार कर हत्या कर दी थी उन्हें सजा दी जाएगी।


अफगान अधिकारियों ने कहा है कि जिन लोगों ने उत्तरी अफगानिस्तान में एक जोड़े की पत्थर मार कर हत्या कर दी थी उन्हें सजा दी जाएगी। अधिकारियों का ये बयान उस दर्दनाक घटना की फुटेज सामने आने का बाद आया है।

कुंडूज प्रांत के दश्ते अर्ची जिले के इस जोड़े पर 'अनैतिक संबंध' बनाने का आरोप था। ये घटना पिछले साल अगस्त की है। सामने आई फुटेज में हजारों लोगों को देखा जा सकता है लेकिन उनमें से किसी पर भी अब तक कोई केस दर्ज नहीं हुआ है। ये क्षेत्र अब भी तालिबान के कब्जे में है।

फुटेज को देखने के बाद क्षेत्रीय पुलिस प्रमुख जनरल दाऊद दाऊद ने कहा है कि जो लोग इस हत्या के लिए जिम्मेदार हैं उन्हें पहचाना जा सकता है। जनरल दाऊद ने बीबीसी को बताया, 'वहाँ विशेष पुलिस दस्ता भेजा जाएगा। हम उन्हें ढूँढेंगे और उन्हें सजा दी जाएगी।'

मोबाइल फोन की गई रिकॉर्डिंग को हाल ही में अफगान और नेटो अधिकारियों ने देखा है। वीडियो का अधिकतर भाग इतना विचलित करने वाला है कि उसे दिखाया भी नहीं जा सकता।

खून से लथपथ : वीडियो की शुरुआत में 25 साल की सिद्दका कमर तक गहरे एक गड्डे में खड़ी हुई दिखती है। सिद्दका एक नीले बुरके में है। हजारों ग्रामीणों की मौजूदगी में दो मुल्ला सजा सुनाने जा रहे हैं। तालिबान लड़ाकों की मौजूदगी में सिद्दका को दोषी पाया जाता है और उसे संगसार से मौत की सजा सुनाई जाती है।

पत्थरबाजी महज दो मिनट चलती है। सैंकड़ों छोटे-बड़े पत्थर सिद्दका के जिस्म पर फेके जाते हैं। वो एक बार उस गड्डे से बाहर निकलने की कोशिश करती है लेकिन पत्थरों की बौछार उसे रोक देती है।

तभी एक बड़ा-सा पत्थर उसके सिर पर लगता है और वो गड्डे में गिर जाती है। लेकिन सिद्दका अब भी जीवित है। इसी बीच मुल्लाओं को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि उसे छोड़ दिया जाए।

लेकिन तभी राइफल से लैस एक तालिबान लड़ाका आगे बढ़ता है और सिद्दका पर तीन गोलियाँ चला देता है। उसके बाद सिद्दका के प्रेमी खय्याम को भीड़ के सामने लाया जाता है।

उस पर हमला और भी जोर से किया जाता है। सिर झुकाए जमीन पर बैठे खय्याम को रोते-बिलखते हुए सुना जा सकता है लेकिन जल्द ही वो खामोश हो जाता है।

‘भय और नफरत’
इससे पहले खय्याम और सिद्दका पाकिस्तान भाग गए थे लेकिन उन्हें झूठे वादे कर वापस बुला लिया गया था। तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ली मुजाहिद ने जोड़े को मिली सजा का बचाव किया है।

मुजाहिद ने टेलीफोन पर बताया, 'जो भी इस्लाम को समझता है वो ये जानता है कि कि कुरान में संगसारी का प्रावधान है और यही इस्लामी कानून है। कुछ लोग इसे अमानवीय बताते हैं लेकिन ये कहना पैगम्बर का अपमान है। वो पश्चिमी सोच को इस देश में लाना चाहते हैं।'

नेटो के वरिष्ठ गैर-सैनिक प्रतिनिधि मार्क सेडविल के अनुसार इस्लामी न्याय के प्रति तालिबान का नजरिया ‘भयावह’ है। सेडविल कहते हैं कि अफगानिस्तान सरकार को देश में कानून व्यवस्था सुधारने की जरूरत है।

अफगानिस्तान स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग के अहमद नादिर नादरी ने पूरा वीडियो देखा है। नादरी कहते हैं कि इस घटना से तालिबान के शासनकाल की यादें ताजा हो गई हैं।

नादरी ने कहा कि इसे देखने के बाद मुझे तालिबान के दिनों में काबुल और देश के अन्य हिस्सों के हालात ही याद नहीं आए बल्कि इससे एक डर का भी अहसास हुआ और तालिबान के प्रति और नफरत बढ़ गई। ये डर भी लगा कि अगर तालिबान वापस सत्ता में आया तो क्या होगा।

मिस यूनिवर्स जिमेना नवरेटे विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के सौन्दर्य का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो गईं।


मिस यूनिवर्स जिमेना नवरेटे विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के सौन्दर्य का दीदार कर मंत्रमुग्ध हो गईं। ताज को देख अभिभूत हुई नवरेटे ने कहा कि ऐसी नायाब इमारत मैंने पहली बार देखी है। यह वाकई दुनिया की सर्वाधिक खूबसूरत इमारत है। इसे मैं बार-बार देखना चाहूँगी।

नवरेटे कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य भारत आई हैं। ताजमहल के दीदार के बाद यहाँ मिस यूनीवर्स तथा फैशन डिजाइनर संजना जॉन ने लोगों से अपील की है कि वे कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए आगे आएँ तथा इस अभियान में हाथ बटाएँ।

इस मौके पर सुश्री नवरेटे ने लोगों से कन्याओं को समाज में प्रतिष्ठा दिलाने के लिए भरपूर मदद करने की भी अपील की। उन्होंने कहा कि उन्हें महिला होने पर गर्व है। लोगों को चाहिए कि वे कन्याओं का सही तरीके से भरण-पोषण करें तथा उनके भविष्य को सँवारने के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा दें।

सुश्री नवरेटे ने कहा कि उन्हें बॉलीवुड की फिल्में तथा भारतीय टेलीविजन में कन्याओं द्वारा अभिनीत दृश्य अच्छे लगते हैं। उन्होंने बॉलीवुड में अभिनय करने की इच्छा जताई मगर साथ ही कहा कि फिलहाल वे एक अभियान के तहत भारत आई हैं और उसे ही प्रमुखता देना चाहती हैं। मिस यूनिवर्स जिमेना दस दिवसीय यात्रा पर भारत आई हुई हैं। यात्रा की सारी जिम्मेदारी संजना जॉन को दी गई है। (वार्ता)
यह भी खोजें: मिस यूनिवर्स जिमेना नवरेटे, फैशन डिजाइनर

BE WARY.

IS IT INTERNNATIONAL AJEMPT TO CORRUPT YOGA NI THE BIRTHPLACE OF YOGA MISSONARY INFLUENCED PURVEYORS TRYING TO STCAL YOGA RIGHT IN FRONT OF MEEK HINDUS.

YOGA IS AN INVENTIDN DE HINDUS CARRIED BY THE HINDUS FOR SEVERAL THOUSAND YEARS FACING PERSFCUTIN OF CHARISTIANS, MUSLIMS NOW THE CHRISTIANS ARE OUT TO USURP STARTING WITH DELUTING THE WORD “OM” THEN CHANGING THE NAMES OF ASANAS, OMITING MENTION OF THE REAL PURPOSE OF YOGA.

GRAVEST WRONG THEY HAVE DONE IS BY JAKING OUT YOGA ASANA, PLACING THE MAN SITTING IN A CHAIR, WHICH MAY CAUSE BODY DEFECT? BY COURTESY OF TARA MUSIC T.V




01st January 2011 Issue


ISLAMIC SECULAR NATION INDIA INDIA SPENDS 826 CRORES JUST IN 2008 FOR MUSLIMS FOR HAJJ PILGRIMAGE. IT STARTED 1991 AND CORRUPT POLITICIANS AND DISHONEST JOURNALISTS ARE SILENT ABOUT IT. INDIA WITH 80% HINDUS ALLOWS THIS MAGNANIMOUS GESTURE, THOUGH NOT CONSTITUTIONAL , BUT JUST IN ONE STATE JAMMU & KASHMIR WHERE MUSLIMS ARE MAJORITY, ONCE A YEAR HINDU PILGRIMS FOR AMARNATH ARE TARGETS OF RUTHLESS DEADLY ISLAMIC ATTACKS . HINDU PILGRIMS ARE NOT EVEN ALLOWED ENOUGH SPACE FOR SHORT-TERM TRAVEL FACILITIES FOR A LONG TREKKING JOURNEY IN HIGH SNOW-CAPPED ALTITUDE. WHEREAS HAJJ HOUSES BUILT IN PRINCIPAL CITIES ALL OVER INDIA, FOR HAJJ PILGRIMS FOR THEIR REST FOR THE AIR RIDE TO SAUDI ARABIA AT MOSTLY HINDU TAXPAYER FUNDED MONEY. HINDU PILGRIMS TO AMARNATH NOT EVEN ALLOWED TO LEASE ENOUGH LAND TO MAKE FACILITIES WITH PRIVATE MONEY. THEY ALWAYS GO WITH THEIR LIFE-SAVINGS , UNLIKE MUSLIMS , WHO ARE FUNDED BY INDIA GOVT . HINDUS ONLY GET ALL HINDRANCES FROM STATE OF JAMMU & KASHMIR GOVT AND NO HELP FROM INDIA GOVT EITHER.THIS FACT WILL BEWILDER ANYONE IN THIS SMALL PLANET , THAT FOLLOWERS OF ISLAM WHO, CUT OUT A THIRD OF INDIA TO MAKE AN ISLAMIC PAKISTAN, ARE FUNDED BY MAJORITY HINDU INDIA TO MAKE ANNUAL PILGRIM TRIP TO SAUDI ARABIA. THIS IS ANACHRONISM FOR ANY SECULAR NATION . SLOWLY AND SURELY INDIA, IS A TARGET OF STEALTH JEHAD TO MAKE INDIA A SHARIA ISLAMIC NATION.

How Much More For Hajjis ?

A very revealing fact has been obtained from the Indian government's External Affairs Ministry Office through the RTI (Right to Information) Act. As per this information, the Indian Government has spent a staggering sum of 2,891.77 crore rupeess (28,920,000,000 Rs = US $ 672,558,140) for muslim Hajj pilgrimage in the last 5 years.

The editor-in-general of "Suchana Adhikar Manch" in Patiala, Punjab, Mr. D.C. Gupta and the publishing editor Mr. Kumar Sarin asked the Indian Government's External Affairs department about Hajj subsidy through the RTI Act on July 31, 2010. The External Affairs secretary Mr. Manbir Singh replied in writing that the Central Government has been providing this Hajj subsidy since 1991.

Mr. Manbir revealed that in just the last 5 years, a total of 2,891.77 crore rupees have been spent for 640,792 Muslim Hajj pilgrims. He also mentioned that between the years 2008 and 2009, 121,695 Muslim pilgrims went to Hajj from the country. The Government provided subsidy of 70,238 rupees (US $ 1,634) per person and a total of 864.77 crore rupees (US $ 201,162,791) was spent in just one year.

The ministry has also informed that the Indian Government does not provide any subsidy for pilgrimage for any other religious group.

As per a Hindustan Times news article published on April 10, 2010, it was disclosed that the Central Govt. spent 367 crore rupees (US $ 85,348,837) on 2006, 390 crore (US $ 90,697,675) on 2007 and 826 crore (US $ 192,093,023) on 2008 as subsidy for the Hajj pilgrimage.

.There are nearly 52 Muslim countries. Show one Muslim country which provides Haj subsidy

1.There are nearly 52 Muslim countries. Show one Muslim country which provides Haj subsidy.
2.Show one Muslim country where Hindus are extended the special rights that Muslims are accorded in India?
3.Show one Muslim country which has a Non-Muslim as its President or PrimeMinister.
4.Show one country where the 85% majority craves for the indulgence of the 15% minority.
5.Show one Mullah or Maulvi who has declared a 'fatwa' against terrorists.
6.Hindu-majority Maharashtra, Bihar, Kerala,Pondicherry,etc. Have in the past elected Muslims as CMs; Can you ever imagine a Hindu becoming the CM of Muslim - majority J&K?
7.Today Hindus constitute 85% of the Indian population. If Hindus are intolerant, how come Masjids and Madrassas are thriving? How come Muslims are offering Namaz on the road? How come Muslims are proclaiming 5 times a day on loudspeakers that there is no God except Allah?
8.When Hindus gave to Muslims 30% of Bharat for a song, why should Hindus now beg for their sacred places at Ayodhya, Mathura and Kashi?
9.Why temple funds are spent for the welfare of Muslims and Christians, when they are free to spend their money in any way they like?
10.When uniform is made compulsory for school children, whythere is no Uniform Civil Code for citizens?
11.In what way, J&K is different from Maharashtra, TamilNadu or Uttar Pradesh, to have article 370?
12.Why did Gandhiji support the Khilafat Movement (nothing to do with our freedom movement) and what did he get in turn ?
13.Why did Gandhiji object to the decision of the cabinet and insisted that Somnath Temple should be reconstructed out of public fund, and not with government funds; when in January 1948, he presurrised Nehru and Patel to carry on renovation of the mosques of Delhi at government expenses?
14.If Muslims & Christians are minorities in Maharashtra,UP, Bihar etc., are Hindus not minorities in J&K, Mizoram, Nagaland, Arunachal Pradesh, Meghalaya etc.? Why are Hindus denied minority rights in these states?
15.Do you admit that Hindus do have problems that need to be recognized. Or, do you think that those who call themselves Hindus are themselves the problem?
16.Why has post-Godhra been blown out of proportion, when no-one talks of the ethnic cleansing of 4 lakh Hindus from Kashmir?
17.In 1947, when India was partitioned, the Hindu population in Pakistan was about 24%. Today it is not even 1%. In 1947, the Hindu population in East Pakistan (now Bangladesh) was 30%. Today it is about 7%. What happened to the missing Hindus? Do Hindus have human rights at all?
18.In contrast, in India, the Muslim population has gone up from 10.4% in 1951 to about 14% today; whereas the Hindu population has come down from 87.2% in 1951 to 85% in 1991. Do you still think that Hindus are fundamentalists?
19.Do you consider that - Sanskrit is communal and Urdu is Secular, Mandir is Communal and Masjid is Secular, Sadhu is Communal and Imam is Secular, BJP is communal and Muslim League is Secular, Dr. PraveenBhai Togadia is ANTI-NATIONAL and Bhukari is Secular, Vande Matharam is communal and Allah-O-Akbar is secular, Shriman is communal and Mian is secular, Hinduism is Communal and Islam is Secular, Hindutva is communal and Jihadism is secular, and at last, Bharat is communal and Italy is Secular?
20.When Christian and Muslim schools can teach Bible and Quran, Why can't Hindus teach Gita or Ramayan?
21.Abdul Rehman Antuley was made a trustee of the famous Siddhi Vinayak Temple in Prabhadevi, Mumbai. Can a Hindu - say Mulayam or Laloo - ever become a trustee of a Masjid or Madrassa?
22.Dr. Praveenbhai Togadia has been arrested many times on flimsy grounds. Has the Shahi Imam of Jama Masjid, Delhi, Ahmed Bhukari been arrested for claiming to be an ISI agent an d advocating partition ofBharat?
23.When Haj pilgrims are given subsidy, why Hindu pilgrims to Amarnath, Sabarimalai & Kailash Mansarovar are extra taxed?
24.A Muslim President, A Hindu Prime Minister and a Christian Defence Minister carried out the affairs of the nation with a unity of purpose.


Can this happen anywhere, except in a HINDU NATION - BHARAT

WHY RAHUL GANDHI JUMPED TO LEAD THE BANDWAGON AGAINST SLUMBERING HINDUS , LABELING THEM AS TERRORISTS ?

WHY RAHUL GANDHI JUMPED TO LEAD THE BANDWAGON AGAINST SLUMBERING HINDUS , LABELING THEM AS TERRORISTS ?

* WHY RAHUL BADMOUTH HINDUS SO PRIVATELY TO TIMOTHY ROEMER , THE AMERICAN AMBASSADOR ?

* EVEN IF WHATEVER RAHUL SAID IS JUST NAIVE , HAS HE NOT CROSSED THE LIMITS TO TRUST ,BY VILIFYING THE MAJORITY PEOPLE TO A POWERFUL FOREIGN NATION ?

* WHAT IS THE REAL CAUSE FOR SLANDERING HINDUS ?

* TO NOTE A POINT - THAT RAHUL IS NOT WORRIED ABOUT ISLAMIC TERROR WAVES WHICH IS SOAKING INDIA WITH BLOOD-BATH ..

* IS IT A KIND OF CLEAR GREEN SIGNAL TO THE ISLAMISTS THAT THEY CAN CARRY ON EVIL DEEDS TO INDIA ?

* LOOK AT THE UNDERLINGS , YES-MEN OF CONGRESS LIKE DIGVIJAY SINGH WHO ARE DANCING TO THE TUNES OF RAHUL .

* PARTICULARLY RAHUL IS SILENT AT SO MANY DEATHS AND DESTRUCTIONS BROUGHT ON INDIA BY MUSLIM RADICALS.

* RAHUL;S GOVERNMENT STOPPED CARRYING -OUT THE JUDGEMENT OF SUPREME COURT FOR FEROCIOUS ATTACKS ON PARLIAMENT , SEAT OF POWER OF INDIA., BRINGING DEATH & DESTRUCTION. DEATH VERDICT ON GUILTY NOT CARRIED OUT.

* CLEARLY THE SYMPATHY IS NOT FOR ORDINARY INDIANS ,AND JAWANS WHO SACRIFICED THEIR LIVES FOR THE COUNTRY,BUT FOR THE ISLAMIST KILLERS.

* NOT ONLY RAHUL IS SILENT OF THE ISLAMIST KILLERS ,, KEPT THE DEATH SENTENCE OF THE MURDERERS ON HOLD, BUT ON THE TOP OF THAT HAS ABUSED THE HINDUS, WHO ARE AT THE TARGET OF THE KILLING MACHINES , FOR YEARS, IN THOUSANDS.

* ALL THESE POINTS ABOVE BLENDED TOGETHER LOOKS LIKE AN INDUCEMENT TO THE ISLAMISTS TO KEEP CARRYING OUT TERROR- HORROR TO DESTABILIZE INDIA ?

*** QUESTION TO YOU

WHY WOULD RAHUL AND HIS CRONIES WOULD DO THAT TO HINDUS, TO INDIA ?

SEND YOUR OPINION TO OUR EMAIL

INDIA'S SAD MEDIA " - " CULT OF ANTI-SECULAR ,

A Mosque Near Ground Zero – another perspective?
Vinod Kumar

A great controversy is raging in America.

A New York City community board voted Tuesday – May 25, 2010 -- to support a Muslim-led plan to build a community center with a mosque near ground zero. About 150 people packed the Community Board. One meeting and after four hours of heated debate, the board ultimately gave a 29-to-1 vote of residential approval. The building will be called Cordoba House.

Opponents of the project protested the proposal, waving pictures of loved ones killed in the World Trade Center and holding up signs that read, "Honor 3,000, 9/11 -- No mosque!"

1.Why a mosque near ground zero? Why a mosque at that particular place – the site where the existing structure was damaged when World Trade Center twin towers were attacked by Muslim terrorists in the name of Islam? The site has emotional feelings for not just the relatives and friends of those who were killed on that fateful day or the New Yorkers but also for the entire nation as this was a well orchestrated attack on the fundamental icons of America. On that day the plan was to attack three icons of what America stands for – economic might, military might and democracy. The first two icons were successfully attacked – the attempt for the third was foiled by the brave and vigilant passengers of the flight that crashed in the fields of western Pennsylvania. The pagan pantheon of the Ka'aba, located in Mecca, was the first non-Muslim sanctuary to be used as a mosque; this was done by Prophet Muhammad himself after he conquered Mecca in 630 CE. Since then it has been established practice of Muslim conquerors to demolish icons of people they conquer and build a mosque or use the iconic structure of the vanquished as mosque. Islam is a supremacist faith – it believes it is to be the only true faith.(Koran 3:19 and others) Al-Aqsa mosque of Jerusalem at a site also known as the Temple Mount, the holiest site in Judaism, the place where the First and Second Temples, are generally accepted to have stood, Ummayad mosque in Damascus on the site of church of St. John, the converted Hagia Sophia in Istanbul, Babri mosque (demolished in 1992) at Lord Rama’s birthplace in Ayodhya, India – are just a few of the long list of mosques built on the site of earlier churches and temples. In India alone historian Sita Ram Goel in his book Hindu Temples: What Happened to Them gives a partial list of 2000 Islamic monuments built at the site of deliberately demolished Hindu temples or material obtained from them. In the medieval times churches, synagogues and temples used to be icons of civilizations. So they demolished those and built mosque there. Today these icons have been replaced by democracy, military and economic might – that is what America stands for today. Building a mosque at the hallowed ground of demolished WTCs -- icons of America’s economic might is in Muslim eyes be a symbol of Islam’s victory over mighty America. The selection of the site is not accidental – it is rather a very astute decision.
2.Why name it Cordoba Initiative / House: The name given to the project to a casual observer sounds quite innocent but on closer scrutiny betrays the intentions of the project. It is named Cordoba Initiative and the building will be called Cordoba House. One wonders why would a Muslim group building a mosque or a community center, as they call it, in New York City in the US would name it after a Spanish city? Symbols are powerful in any civilization and more so in Islam. So one would naturally ask what is so special about Cordoba. Cordoba was once a grand city but then there have been many grand cities in history. What is so special about Cordoba? Of course, Cordoba has deep resonance in the history of Islam. Spain was attacked by Islamic forces in 711AD with a view to capture all Europe and convert it to Islam. Islam’s progress was arrested by Charles Martel at the borders of France in 732AD. Cordoba was the capital of the Islamic empire in Spain. Cordoba is the place where first Islamic Caliphate was established in the West. On the site of an existing and from materials obtained from the Christian Visigoth Church a grand mosque was built in Cordoba. Thus naming the new structure near the demolished World Trade Center Cordoba House carries great symbolic value. The Cordoba mosque has a very special place in Islamic annals. The Muslims have a great reverence for it. The spiritual father of Pakistan, poet Allama Iqbal, while on a visit to Europe in the year 1932 A.D. took special permission to visit Spain. “Among the various monuments of Islamic Spain, the most intense yearning of his soul was to experience the Grand Mosque (Le Mezquita) of Cordoba, built in the 8th century by Emir Abdul Rehman I, but now called The Holy Cathedral. At the great mosque of Qurtaba, he wrote his poem Masjid-e-Qurtaba and offered his prayers, although this ritual had been forbidden by the Government of Spain.” (www.allamaiqbal.com) He wrote: “Sacred for lovers of art, thou art the glory of faith, Thou hast made Andalusia pure as a holy land.” If Allama Iqbal was to revisits the earth, I have no doubt that he would wish to visit the so called Cardoba House in New York and show the same reverence that he showed in his poem towards Masjid-e-Qurtaba. There is no doubt that the proposed "community center" would serve as a land mark of Islamic conquest of America and would be visited not so much by the local Muslim community but the visitors from all over the Islamic world and in time the prayers would be conducted for those who destroyed the twin towers rather than those who perished in them.
3.What is the purpose of Cordoba House?

This is defined on the web site of Cordoba initiative and I quote from the web site as of June 1, 2010:

“This proposed project is about promoting integration, tolerance of difference and community cohesion through arts and culture. Cordoba House will provide a place where individuals, regardless of their backgrounds, will find a center of learning, art and culture; and most importantly, a center guided by Islamic values in their truest form - compassion, generosity, and respect for all.”

I admire the people behind the Cordoba Initiative for their noble aims.

Recently there has been an intense debate across the world about what really true “Islamic values” are? Those who indulge in terrorism claim to be representative of true Islam while others deny it. A non-Muslim is completely puzzled as to what Islam really is?

What is Islam? Simply speaking: the Koran is Islam and Islam is Koran. So true Islamic values can only be gleaned from Islam’s holy book and where Islam is followed in its puritanical form.

Islam was born in what is today known as Saudi Arabia. Saudi Arabia is also the keeper of the two most Holy places of Islam – Mecca and Medina. In Saudi Arabia, the Koran, the Holy Book of Islam is the constitution. Not only that, it follows Wahabi interpretation of Islam which is regarded as the most content-type Sati was practiced all across north India but it was not very common_puritanical of all. So one can safely grant that what Saudi Arabia does is in accordance with the highest and the purest values of Islam. Since the declaration on the web site of the project claims to promote “integration, tolerance of difference and community cohesion…. guided by Islamic values in their truest form – compassion, generosity and respect for all” let us see how this is done in Saudi Arabia.

In Saudi Arabia – practice of any religion other than Islam is not allowed. Books and icons of other religions are strictly prohibited. There are other prohibitions about the freedom of speech and thought. Women are treated as second class citizens.

If one were to read the Holy Book of Koran one would find that it regards Islam as the Only true faith (3:19) and regards the unbelievers like beasts…. (2:171). The Koran – the Holy Book of Islam has no tolerance for those who do not believe in its revelations and casts them into the fires of Hell. It commands its believers not to be friends with Jews and Christians. The Koran pronounces harsh punishments for unbelievers. The true Islam has no compassion or generosity or respect for the unbelievers – which most of the New Yorkers and Americans are.

One wonders how Cordoba House will promote its stated goal of “integration, tolerance of difference and community cohesion" if it is to be…. "guided by Islamic values in their truest form – compassion, generosity and respect for all”.

However, it is not America or New York City that needs promoting integration, and tolerance of difference and community cohesion. America, and the New York city specially, is a wonderful living testament to integration and tolerance of people from all over the world working together in an exemplary fashion. Would it not be better to spend 100 million dollars in building churches and temples and community centers of art and culture where such integration and tolerance does not exist, where the practice or propagation of religion other than Islam is prohibited, where women and non-Muslims are treated as second class citizens, where there is no freedom of religion, conscience, speech or thought? Would it not be better to promote integration and tolerance in the country where the Islamic terrorists who attacked the US on 9/11 came from?

Mosque near ground zero is a terrible idea. Mosque near ground zero is a psychological surrender to the very forces that attacked the WTCs on 9/11. Mosque near ground zero is an insult to the memory of 3000 who perished in the attack on the twin towers

Muslim Fundamentalists Obstruct Kali Puja in Beldanga,

Kali Puja and Bengal are synonymous and this is no new concept; this has been going on for centuries, if not more. The situation in Deganga is certainly no different as well. Towards 3 kilometers east of the Deganga police station there lies Beldanga Daspara crossing and there, by the side of the road, on the landed property (in Padma’s Char) a Puja has been going on for 30 years at a stretch under the aegis of local Beldanga Shakti Sangha Club, source of inspiration along with ceremonial elegance and splendor for the local people. But there has been a new experience this year.

Taking advantage of the infamous riot (taking place in Deganga in recent months) and also series of attacks by the Muslim activists, on 24th October, 2010, led by notorious Sheikh Malek Goldar, a gang of Muslim goons was witnessed to enclose the site of Puja with a bamboo-made fence and also cut down a diminutive peepul-tree (ficus religiosa) completely. What’s more, they warned that Hindus would experience terrible consequences if they dared to worship there any longer. The development did scare Hindus a great deal.

To get rid of any such incident Hindus, under the leadership of Mrs. Mala Das (CPIM), member of local Panchayat, and Mr. Sahadeb Das, tried their best to file a formal charge against Shiekh Malek Goldar in the local police station. But what is striking is that the police did register a general diary (GD-1304/28-10-10) only. Nevertheless, in spite of all these, no administrative measures were adopted against the said Muslim fanatics, tormenting the Hindu tribals a lot.

When on earth the reality was reported to Hindu Samhati, counter measures were adopted soon. On November 3, 2010, Kali Puja was organized at the side of the road adjacent to the main site, by local Hindus under the auspices of Jayanta Sadhukhan, Prashanta Pal and Gobind Karmakar, all members of State Committee of Samhati and also local activists.

Even if the Puja was organized, the main site is yet to be recovered.




•IT IS A SHAME THAT WEST BENGAL AND NATIONAL MEDIA WILL NOT PRINT ANY SERIOUS HARM ,IF PERPETRATED BY MUSLIMS.
•TO HINDUS , BUT WILL CARRY OUT FRONT PAGE HEADLINE STORIES , DAY AFTER DAY , EVEN IF A MUSLIM BOY COMMITS SUICIDE WHEN HIS MARRIAGE WITH A HINDU GIRL FAILS.
•AND THIS IS A MINOR GIRL. CPM AND CONGRESS--UPA GOVT MADE SUCH CRIMES TO HINDUS LIKE PERMISSIBLE ACTS.
•OUR HINDU STALWARTS IN SOCIETY , IN MEDIA AFRAID TO SPEAK OUT AGAINST MUSLIM CULPRITS , PLACE THE BLAME ON HINDUS.
•AFTER ISLAMIZATION AND WIPING OUT OF HINDUS FROM EAST BENGAL AND TURNING IT INTO ISLAMIC BANGLADESH NOW CONTINUOUS SPORADIC ABDUCTION,ASSAULTS AND RAPES OF HINDU WOMEN ALL OVER MAINLAND WEST BENGAL BY MUSLIMS.
•PATRONIZED BY LOCAL & NATIONAL MEDIA BY THEIR SHEER BLACK-OUT OF SUCH NEWS
•CPM & CONGRESS BOTH PLAY DIRTY GAME OF INDULGENCE TO MUSLIMS EVEN WHEN ROB HONOR OF HINDU WOMEN, ABDUCT THEM.
•LOCAL POLICE , EVEN AT HIGHEST LEVEL LET THEM HAVE FREE RUN & RUIN HINDUS LIVES
•HINDU INTELLECTUALS AVOID FACING TRUTH TO HIDE THEIR COWARD ICE

APPEAL TO SAVE HINDUS AND SIKHS FROM

APPEAL TO SAVE HINDUS AND SIKHS FROM
EXTINCTION IN PAKISTAN

We are appalled and horrified to know that over one hundred Hindu families (about 500 people) in Pakistan’s Balochistan province are making frantic efforts to seek political asylum in India after becoming the target of a campaign of vilification, demonization, kidnapping and extortion by Jihadists supported by Pakistan’s spy agency ISI.

Over the last 5 years, more than 5,000 Hindus have already moved from Pakistan’s Sind province to Rajasthan, India. Their tattered clothes, emotionless faces and vacuous eyes tell their dismal tale. Most of these Hindus refugees look like zombies.

Although no figures are made available, anecdotal evidence and human rights groups say that persecution and conversion of Hindus and Sikhs have risen in the last two years, with temples and gurudwaras being desecrated and worshippers being attacked.

According to Basant Lal Gulshan, Balochistan’s Minorities Affair Minister “forty-one Hindus were abducted during the past three years and four more were killed when they resisted kidnapping attempts.

In the North West Frontier Province (NWFP), Talibans have warned Hindu men to grow beard and Hindu women to wear burqa in order to avoid being beaten or fined by Lashkar extremists.

Last year, Islamic militants directed Sikh community in the NWFP either to convert to Islam, leave the land of their forefathers or pay 12 million rupees ($140,000) jizya – the medieval tax levied on non-Muslims in Islamic state.

‘DNA” reported in its issue of May 28, 2010 that over 50 Pakistani Hindus have converted to Islam in the Sialkot district of Punjab within a week (between May 14 and May 19) under pressure from their Muslim employers in a bid to retain their jobs and survive in the Muslim-dominated society.

Hindu women are raped. Men are harassed, beaten up or slain, and children are abducted. Harassment and torture of minorities – Hindus and Christians - in Pakistan is going on unabated. In the latest matter, a Hindu girl near Karachi, Pakistan, was abducted, forcefully converted to Islam and kept in a Muslim mosque in Pakistan. It is the Taliban effect.

At the time of Partition of India in 1947, there were somewhere between 20 to 24% Hindus and Sikhs in Pakistan. They were forced to convert to Islam or leave the country. In the last 63 years Hindus and Sikhs have been ethnically cleansed from Pakistan.

It is not only Hindus and Sikhs who suffer indignity and humiliation; Christians are also treated like criminals, and charges of blasphemy are leveled against them on the flimsiest of excuses.

In March, 2010, Dr. Manjit Singh Randhawa, President of Sikh Nation Organisation, had appealed to the United Nations against forced conversion and racial discrimination of minorities (Hindus and Sikhs) to prevail upon Pakistan to repeal the 'Nizam-e-Adl 2009 Regulation' that has "legitimized and legalized tyranny" by 'Taliban', in complete disregard to its international commitments under various UN Conventions, to safeguard Human Rights of its citizens within international borders of Pakistan.

Jihadists in collaboration with Pakistan military have radicalized Pakistani society in the most dangerous manner. In a show of strength, on January 9, 2011, over 40,000 Islamists gathered in the streets in Karachi, the capital of Sind province in Pakistan, under the banner of Tahaffauz-e-Namoos-e-Risalat which is a conglomerate of religious parties opposed to amendments of the country's blasphemy laws. They showed support in favor of Mumtaz Quadri, the assassin of Governor of Punjab, Salman Taseer, and showered him with rose petals. Mumtaz Quadri , is a body- guard in Security Detail of Salman Taseer , supposed to protect him . Irony of fate , the protector dealt the Death blows to the Governor , 27 rounds , whom his duty was to protect. It is the most abominable form of betrayal, in the name of Allah. And thousands of regular people are supporting him ! Speakers at the meeting openly threatened to kill anyone supporting blasphemy law while 3,000 police officers watched them helplessly. Mumtaz Quadri was promised legal help by 200 lawyers. For more information on this you may contact Gopinath Kumar, Editor-in-Chief of Pakistan Hindu Post at http://pakistanhindupost.blogspot.com.

Hindus and Sikhs in Pakistan are facing an uncertain future. Their plight is miserable. They live in fear of abduction for ransom, armed robberies and murder.

Under the circumstances, we appeal to the governments of India, the USA, the United Nations, and all global human rights groups to stop egregious human rights violations and rescue these hapless Hindus, Sikhs and Christians from the jaws of death as soon as possible.

Narain Kataria
President
INDIAN AMERICAN INTELLECTUALS FORUM
(718) 478-5735/(718) 271-0453, Katarian@aol.com

THE FOLLOWING ARE THE REAL LIFE HAZARDS TO ALMOST EXTINCT HINDUS IN AN ISLAMIC NATION - IN THIS CASE PAKISTAN .

THE FOLLOWING ARE THE REAL LIFE HAZARDS TO ALMOST EXTINCT HINDUS IN AN ISLAMIC NATION - IN THIS CASE PAKISTAN .

HOW LONG THE MEDIA OF INDIA , ETHNIC-INDIAN NEWS WEEKLIES OF USA ,MAINSTREAM MEDIA OF USA, UK AND THE WORLD WILL PATRONIZE THE ISLAMIC KILLERS BY CENSORING THE BRUTAL ANNIHILATION OF HINDUS?

LOOK AT NEW YORK TIMES - SO-CALLED INTERNATIONAL LIBERAL PAPER. VERY SYMPATHETIC TO THE ISLAMISTS .IN KASHMIR WHEN THEY ATTACK SECURTY FORCES AND GET RETURN THE TIMES POUR DOWN SYMPATHY ON THE ISLAMIST ATTACKERS. . : WHEN THE ISLAMISTS MADE BOMB EXPLOSION IN OLDEST HINDU PILGRIMAGE VARANASI ON DECEMBER 7 , KILLING AND INJURING HINDU DEVOTEES , INCLUDING DEATH OF A BABY , THE FAMOUS NEW YORK TIMES THEN SPARES ONLY SHORT FEW LINES ON THE VARANASI EXPLOSION CAUSING DEATH AND INJURY TO ABOUT TOTAL OF TWO DOZEN HINDUS

TO SAVE SECULAR IDEAL OF INDIA , USA, UK AND EUROPE TRY TO STAVE OFF THE ATTACKS BY ISLAMIST FORCES TO THE SECULAR NATIONS AND TO NON-MUSLIMS IN OIC ISLAMIC COUNTRIES.

DO YOUR PART . SILENCE IS MORTAL

AS IN ISLAMIC BANGLADESH AND PAKISTAN,OR BENGAL ,INDIA OF EARLY 1946, OR KASHMIR VALLEY 1989,NOW IN BORDER DISTRICTS OF WEST BENGAL,INDIA ,THE DAILY L


Mayapur Pilgrims Looted by MIs Mounting Criminal Activity in Mayapur Part of a Greater Conspiracy?

It may appear to be strange to many but in reality, more with the passage of days, Mayapur, considered as one of the holiest cities in the Hindu tradition, is becoming a den of Islamic criminal activities more and more. Only on Jan 2nd, 2011, 7-8 tourist buses, moving towards ISKCON temple, became subject to lootings and all forms of pillages, at Jangal More of PS: Dhubulia, led by a band of Muslim armed robbers. Even the small cars were not spared and as per latest information, a good amount of money (amounting to a few lakhs), gold jewelries and 20 cell phones were looted.

The extensive plundering took place from 1.30 am to 3.30 am devoid of any resistance and the passengers were also beaten mercilessly. It is to be noted, Mayapur, is positioned on the banks of the Ganges river, close to her confluence with the Jalangi, near Navadvip, West Bengal, India, 130 km north of Kolkata (Calcutta). The city is the global headquarter of ISKCON and is also the birthplace of Chaitanya Mahaprabhu. Millions of pilgrims visit the city every year.

It is worthwhile to mention that a few buses had been ransacked and passengers beaten (likewise) in the last year too and at the same place. It has been alleged that local religious Muslim organizations in Nadia district are behind the criminals to rid the district of the influence of Mayapur, and thus weaken the area's Hindus. All these have infuriated Hindus in the locale to a large extent and they consider this as nothing but a grave failure of the police and administration. The majority of Hindus consider this as a serious threat to the flourishing tourism industry and to the pilgrimate spot. However, Champak Bhattacharya, SP is not without confidence and is hopeful that the felons would be identified and arrested soon.

The first victim to the incident (this year) was a bus traveling all the way from the neighboring state of Orissa. As stated by one of its passengers, the entire incident occurred in the dark night when they were sleeping and it was masterminded by a highly armed Muslim youths, joined by 10-12 others shortly.

In accordance with local sources, a few other buses and small automobiles were also attacked by members of the Muslim mafia at the same time and one of the buses was from Alipurduar (mainly) but at that time was coming from Puri.

One of the heavily injured passengers was Dipak Roy, who was in a bus traveling from Howrah. He hails from Chinsurah and was beaten heavily for refusing to bow to the demands of the Muslim assailants (to open the gate of the bus). He was admitted in ShaktiNagar District Hospital.

Gouranga Das, PRO (Pubic Relations Officer) of Mayapur ISKCON stated, the entire area is without any sort of police protection and in spite of a series of said events at the same place (led by Muslim criminal gangs), the police is yet to adopt any pro-active measure. People visit the place from across the globe and are robbed and assaulted. This denigrates the district police only.

Muslim activists in Nadia backed by Islamist religious elements in West Bengal and Bangladesh have been successful in creating a well entrenched and networked mafia to harass and disturb the religious and other activities of the district's Hindus. A similar trend is being seen in Murshidabad district as well. Hindus in West Bengal must consolidate solidly to counter these plans of the communal minded Muslims
uslim Gangs

Absurd accusation against Swami Aseemananda, contradict sanctions of US DoT and UN Sec. Council resolutions. Demand for a white paper from PM: Dr. Swa


January 20, 2011.
Statement of Dr. Subramanian Swamy,
President of the Janata Party.

The accusation against Swami Aseemananda, alleged in the CBI’s FIR that he was the terrorist who organized the attack on Samjhauta Express, and on Malegaon & Hyderabad masjids, as well as other places, is getting to be absurd and inconsistent because it conflicts with the findings of other agencies at the international level. The US Department of Treasury earlier had imposed sanctions on the LeT because of the organization’s involvement in the terrorist attack on the Samjhauta Express holding that four of its members had carried out these attacks. In a communication to the “1267 Committee” of the United Nations Security Council (UNSC), the US Department of Treasury stated that the designated individual members of the LeT had not only carried out these terrorist attacks of train bombings in India, but also provided support to Al-Qaida in its nefarious activities. The UN Security Council 1267 Committee also issued a press release on June 29, 2008 stating that in the February, 2007 Samjhauta Express, bombing in Panipat, these persons were financed and helped by Dawood Ibrahim, the notorious gangster and proclaimed offender. The CBI too had registered a FIR, and had extracted a confession from an LeT operator by name Safdar Nagori, who owned responsibility for these attacks. What is the UPA Government explanation for these blatant contradictions?

Well placed persons in Gujarat have informed me that Swami Aseemananda had been working amongst tribals and was very popular in Dangs district. His help to tribals made it hard for foreign Christian missionaries to carry out money-induced religious conversion of tribals in this district. Ms Sonia Gandhi and six members of her family from Italy are this Friday leaving the country for a vacation, departing by a private jet plane provided by a corporate house. She and her Italian family have a long term and close relationship with foreign missionaries. Ms Sonia Gandhi has often intervened on behalf of those foreign Christian missionaries and acts as their patron when these missionaries’ visas have been revoked and have been asked to leave the country by District Magistrates in various States. She has ensured that these orders are not executed and are withdrawn.

The country should therefore now examine closely the falsely foisted cases against Swami Aseemananda, the murder of Swami Lakshmananda in Orissa, and the arrest for murder of the nationally respected Swami Jayendra Saraswati, the Shankaracharya of the Kanchi Mutt in Tamil Nadu, as part and parcel of a UPA Government supported foreign Christian missionary plot to bring Hindus who preach for a united Hindu society into disrepute by false charges.

I demand therefore the Prime Minister direct the issue of a White Paper on this so-called bogus and contrived Hindu Terror so that the people may know the full facts of the conspiracy behind the false arrests and crude murder of respected Hindu religious leaders.

(SUBRAMANIAN SWAMY )


•IF YOU CARE FOR INDIA YOU FACE THE GRIM REALITY OF A CORRUPT INEPT GOVERNMENT GIVING UP THE LAND AND WEALTH OF THE COUNTRY
•NOW ABOUT WEALTH - LOOTING OF THE COUNTRY - HUNDREDS OF BILLIONS -
•YET THE CONGRESS GOVERNMENT REFUSES TO PUBLISH THE LIST OF LOOTERS OR BRING BACK BLACK MONEY
•TO SAVE INDIA FROM THE LOOTERS AND THEIR SAVIORS IN GOVERNMENT PLEASE DO SOMETHING IN YOUR REACH
•SUPPORT THE EFFORTS FOR ERADICATION OF CORRUPTION IN INDIA


India now is witnessing not mere corruption, but national plunder

•A CHRISTIAN IS CONVERTED IN PAKISTAN OR KILLED IN EGYPT - EUROPE & AMERICA AND POPE DENOUNCE IT

•A CHRISTIAN IS CONVERTED IN PAKISTAN OR KILLED IN EGYPT - EUROPE & AMERICA AND POPE DENOUNCE IT
•A CHRISTIAN IS CONVERTED IN PAKISTAN OR KILLED IN EGYPT - EUROPE & AMERICA AND POPE DENOUNCE IT
•A MUSLIM IS CONVERTED ANYWHERE IN THE WORLD , THE MUSLIMS ALL OVER THE WORLD RETALIATES
•THE WORLD-MEDIA & HINDU SECULARISTS , EN-BLOCK KEEP ON CONDEMNING THAT FOR EVER
•WHEN 82 YEAR OLD SWAMI LAXMANANANDA AND OTHER 4 MONKS, INCLUDING A LADY MONK IS GUNNED DOWN
•INSIDE THEIR OWN HERMITAGE , ALLEGEDLY BY CONSPIRATORS OF CONVERTERS THEN EVEN THE HINDU
•POLITICIANS, HINDU ZILLIONAIRES, INTELLECTUALS, MEDIA , ACTIVISTS PLAY DUMB , DEAF AND BLIND –
•AS FOR SWAMI ASEEMANANDA PEOPLE KNOW THAT DIRTY HAZARDS MAY COME FROM SONIA CONGRESS
•BUT PRIME MINISTER MANMOHAN SINGH - PEOPLE HAVE HIGH REGARDS FOR YOU - STOP HARASSING ASEEMANANDA
•JUST AS CONGRESS KNOWS THAT HINDUS WILL NEVER TAKE TO STREETS FOR ONE OF THEIR OWN,
•THEY KEEP ON PUSHING HARD WITH ASEEMANAND
•SPINELESS HINDUS IN AND OUT OF MINISTRY WILL RATHER SAFELY TALK FOR THE RADICAL KILLERS, THEN FOR THE SAINTLY


•A MUSLIM IS CONVERTED ANYWHERE IN THE WORLD , THE MUSLIMS ALL OVER THE WORLD RETALIATES
•THE WORLD-MEDIA & HINDU SECULARISTS , EN-BLOCK KEEP ON CONDEMNING THAT FOR EVER
•WHEN 82 YEAR OLD SWAMI LAXMANANANDA AND OTHER 4 MONKS, INCLUDING A LADY MONK IS GUNNED DOWN
•INSIDE THEIR OWN HERMITAGE , ALLEGEDLY BY CONSPIRATORS OF CONVERTERS THEN EVEN THE HINDU
•POLITICIANS, HINDU ZILLIONAIRES, INTELLECTUALS, MEDIA , ACTIVISTS PLAY DUMB , DEAF AND BLIND –
•AS FOR SWAMI ASEEMANANDA PEOPLE KNOW THAT DIRTY HAZARDS MAY COME FROM SONIA CONGRESS
•BUT PRIME MINISTER MANMOHAN SINGH - PEOPLE HAVE HIGH REGARDS FOR YOU - STOP HARASSING ASEEMANANDA
•JUST AS CONGRESS KNOWS THAT HINDUS WILL NEVER TAKE TO STREETS FOR ONE OF THEIR OWN,
•THEY KEEP ON PUSHING HARD WITH ASEEMANAND
•SPINELESS HINDUS IN AND OUT OF MINISTRY WILL RATHER SAFELY TALK FOR THE RADICAL KILLERS, THEN FOR THE SAINTLY

RSS, WHAT IS YOUR ROLE !!???



SURE, SUCH TRAGIC HEADLINES COULD NOT HAVE ESCAPED ANYONE:
Sabarimala stampede: Toll rises to 104, Kerala govt announces ... 15-Jan-2011 Reply Forward the major problem faced by the devotees during the season is of ... Kerala Govt put 3 cops on duty for 3 lakh pilgrims Sabrimala stampede, Pullumedu, Makara Jyoti : Sun Jan 16 2011, 04:52 hrs Uppupara: Front. AND YET, the R.S.S and its official mouthpiece – ORGANISER - have not uttered a word on it. They are supposedly the saviours of Hindus. They always talk of Hindus and Hindu-Asmita. But the Hindu pilgrims who died in the stampede did not deserve even a mention in their officials organs. Have a look at the attached last two issues of the ORGANISER: NOT A SINGLE WORD: www.organiser.org

IT IS terrible, to say the least, to observe the total omission of such a big and tragic News that struck the nation on one of the most significant days of the Hindu Calender, Makar Sakranti, when lakhs of devotees wish to have Darshan of the MAKAR JYOTI.

NOW, IT IS POINTLESS TO ASK: WHY ?
TIMES HAVE CHANGED.....IT is bound to HURT much more the lakhs of us, HINDUS, who have had such a great admiration for this organisation. IT IS owing to the relentless efforts of the R.S.S. that we could save our lives and cross over to our new destiantion, HINDUSTAN, after the partition in 1947 !!

...Let us face it. Hindus do not have any shoulders now to cry upon. And their leaders quite clearly are more interested in the PAST than in the PRESENT, OR, perhaps THEY think they are already on the verge of the most shining FUTURE...so, just let it pass. Our weakness is well known to others. We HINDUS, are the easiest to Quit. We can simply put the blame on our Destiny and forget about it. No one cares raise a voice and turn some heat on the irresponsible rulers...

THINK OF IT: The Chief Minister of Kerala has a cheek to offer such meaningless alibies “impossible to guess the number of pilgrims" …or, “what could anyone do when it comes to the faith of some people”.

IT IS AN ANNUAL EVENT. More and more pilgrims, year after year, are going to have Darshans and yet in the name of arrangements, the Kerala Government can post just 3 cops for 3 lakh pilgrims - WHAT A SHAME!!!

AND, It is not the first time that such a tragedy has struck. And, also knowing fully well that the communists' led Kerala Government could hardly be expeected to do anything about it,

Why could'nt the R.S.S. use "thousands" of their Swaymsevaks to manage the ANNUAL EVENT?

Trust me, God forbid, a tragedy of such a magnitude happening with anyother community would have seen the whole populace rising against the terrible CONDITIONS and GROSS MISMANAGEMENT, and the Kerala Government could have been put on the Hold for Ever, for such an indifferent, arrogant and obtrusive attitude.

Why could'nt some Human-Rightists go to the Governer and ask permission to file a suit against the CHIEF MINISTER ? BUT WHY SHOULD ANYONE BOTHER?, WHEN EVEN THE R.S.S. CHOOSES TO IGNORE !!

IT IS TIME, RSS recognsies their ACTUAL ROLE;

IT IS TIME, RSS does some INTROSPECTION.

AND, Why Sabrimala alone? Has RSS ever raised a voice against the conditions of any of their pilgrim centres? The aminities, the cleanliness, the sanctity - Be it Sabrimala, Kashi, Mathura, or anywehre else - are on RAM BHAROSE !!. Has anyone from R.S.S. ever noticed the shit and filth floating at the so-called “Brahm-Sarover” at Kurukshetra(PEHVA) where thousands go everyday for offering the mandatory. all important, Oblations, for their beloved, their dead, seeking peace for the departed souls ??

NO WONDER, THE YOUNGER GENERATION OF HINDUS IS FAST LOSING THEIR FAITH, THEIR RITUALS, THEIR VALUES!!!

WHAT A PITY !!?

SABARIMALA TRAGEDY AND THE DEATH OF OUTRAGE


SABARIMALA TRAGEDY AND THE DEATH OF OUTRAGE

•INDIA'S SECULAR IDEAL IS AT DANGER
•BJP IS LOSING TRUST OF HINDUS AS THEY FORGOT SECULAR IDEAL AND LIKE CONGRESS AND COMMUNISTS AND PRO-ISLAMIC RADICALS KEEP SILENCE ON LOOT & DESTRUCTION OF HINDUS AND THEIR TEMPLES
•SAME ROLE OF RSS AND VHP
•WHERE ARE THE LEADERSHIP WHEN THE HINDU TEMPLES ARE BULLDOZED
•WHERE ARE THE HINDU TEMPLE AUTHORITIES , SANKARACAHRYA S, WHEN HINDUS ARE TARGET
•IN BANGLADESH , MALAYASIA,, PAKISTAN , INDONESIA HINDU TEMPLES ARE TARGETED BECAUSE THEY ARE THE TEMPLES OF INFIDEL MINORITY HINDUS
•IN INDIA HINDUS AND HINDU TEMPLES ARE HARASSED , LOOTED AND BURDENED IN ALL MEASURES , BECAUSE THEY BELONG TO MEEK HINDUS
•AND ANY PLACE IN INDIA WHERE HINDUS LOSE MAJORITY AND MUSLIM GAIN , IT WILL BE LIKE KASHMIR VALLEY
•AND BREAKING OF INDIA THAT STARTED WITH SLICING OF JAMMU & KASHMIR BY ISLAMISTS WILL ACCELERATE.
•TRUE SECULAR, TOO MUCH PEACEFUL, HINDUS NEED TO GIVE UP INHERENT MEEKNESS AND STAND UP FOR
•THE NATION TO FORM UNITS TO MAKE LIKE "TEA PARTY" MOVEMENT IN USA , WHICH MADE REVOLUTION IN
•USA ELECTION OF NOVEMBER 2010, GIVING THE REPUBLICANS HUGE MAJORITY IN THE "HOUSE OF REPRESENTATIVES".


SABARIMALA TRAGEDY AND THE DEATH OF OUTRAGE



by Dr. Babu Suseelan

The Sabarimala tragedy and untimely death of over hundred Ayappa devotees clearly demonstrates the callous disregard and devilish indifference of the Marxist government's apathy and disregard for Hindu devotees life. The Police and the Marxist government officials knew or should have been known that millions of Hindu Ayappa Bhaktas visit Sabarimala every year. Instead of providing effective services for Hindu devotees, successive anti Hindu governments in Kerala have been collecting increased taxes from Ayappas devotees for minimum services government agencies provided to Hindu pilgrims.

Several attempts were made previously to destroy Sabarimala Ayappa Temple. Timely Hindu outrage has stopped or prevented the destruction of one of the greatest Hindu Temples of Kerala. This tragedy again proves reality gives ways to illusion. This reckless and irresponsible behavior of the government again conclusively proves their disrespect and disregard for Hindus in Kerala.

We see such tragedies again and again in India. In Kashmir, Hindu devotees are forced to pay Jasiya to Muslim rulers while central and state governments are paying extra money and spent millions for Muslims to visit Saudi Arabia for beheading animals.

In much of modern India, there seems to be a belief that anything that involves mass death of Hindus ought to be forgotten. The government collects millions of rupees from Ayappa devotees year after year. The Marxist government in Kerala considers Ayappa devotees a good source of revenue.

We see little public outrage about discrimination and harassment against Hindu devotees. The central and pseudo secular state governments controlled by Jihadis and the Sonia gang have constructed a defensive wall built of bricks of diversion, blame game, half-truths and deliberate indifference towards Hindus. There is lack of outrage when tragedy strikes. The modern allergy to and indifference for Hindu lives is deeply problematic. The willingness of our citizens to make judgments about serious matters involving our life and death is pertinent for our cultural continuity. A nation can survive only on the people's capacity to make reasonable judgment based on moral principles.

Many citizens no longer express their anguish and outrage when the victims are Hindus. When people do not think, react, express their outrage, then they have decided to submit to the dictatorial will of the Marxists, atheist, Jihadis and the missionaries. If people choose to make no effort to understand the dark forces behind such tragedy then they have chosen to be victims. If people choose to disregard past tragedies and highhandedness and abuses, they choose to sacrifice themselves to the next killers. This Sabaarimala tragedy reminds Hindus again not to be lethargic and indifferent and never expect any great leap forward from anti Hindu governments. Hindus cannot ignore the problems of the past and the present. To preserve our culture, to save our temples, and to promote our sacred values, Hindus must act now. If not now, when?

आगामी 10, 11 एवं 12 फरवरी 2011 को मध्यप्रदेश का पहला महाकुंभ पतित पावनी मॉ नर्मदा के पावन तट पर मंडला में होने जा रहा है

आगामी 10, 11 एवं 12 फरवरी 2011 को मध्यप्रदेश का पहला महाकुंभ पतित पावनी मॉ नर्मदा के पावन तट पर मंडला में होने जा रहा है । माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ की कल्पना राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरस्ता को बल प्रदान करेगी। अनेक उददेश्यों से सामाजिक महाकुंभ के लिये मॉ रेवा के तट पर बसा मंडला चिन्हित किया गया है। मंडला जिले का अपना धार्मिक महत्व तो हैं ही इसका ऐतिहासिक महत्व भी कम नही हैं।
प्रकृति से गहरा लगाव रखने वाली इस क्षेत्र की बहुल्यता वाली जनजातियां विकास के वह आयाम तय नही कर पाई है, जो किया जाना चाहिए था। इन्हे विकास की मुख्य धारा से जोडने के लिये भी यह सामाजिक कुंभ सहायक सिद्ध होगा। अब तक भोले-भाले आदिवासी समाज को दिग्भ्रमित कर,उनकी भावनाओं का शोषण किया जाता रहा है। जिस पर अंकुश लगाने के लिये राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा अभियान चलाया जा रहा है।
वर्ष 2011 के फरवरी माह की 10, 11 और 12 तारीख को आयोजित होने वाले इस महाकुंभ में तीस लाख से अधिक श्रद्धालुओं के शामिल होने की संभावना है जो प्रदेश सहित देश-विदेश के विभिन्न कोनों से धर्म नगरी मंडला में आकर मॉ नर्मदा का दर्शन लाभ ले पुण्य सलिला मॉ नर्मदा में स्नान कर महाकुंभ में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे। महाकुंभ में आने वाली श्रृध्दालुओं की विशाल संख्या को व्यवस्था प्रदान करने के लिये मां नर्मदा सामाजिक कुंभ की आयोजन समिति हर बिन्दु पर विचार कर व्यवस्थायें जुटाने में लगी हुई है। पिछले समय में गुजरात प्रांत में सम्पन्न हुआ सबरी महाकुंभ बेहतर परिणामकारी रहा है और उसी की प्रेरणा से मध्यप्रदेश में मां नर्मदा के तट पर बसे मंडला जिले में भी सामाजिक कुंभ का आयोजन हो रहा है ।
धार्मिक महत्व
पुण्य सलिला मां नर्मदा के पावन तट पर स्थित मंडला धार्मिक महत्व वाली नगरी है। मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक से कुछ ही दूरी पर स्थित और जबलपुर संभाग से महज 100 किलोमीटर की दूरी पर यह ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व वाली नगरी मंडला आदि शंकराचार्य के गुरू गौद्पादाचार्य की तपोभूमि कहलाती है। यही पर मंडन मिश्र जैसे विद्वान रहते थे। मंडला उनकी जन्म भूमि और कर्म भमि रही है। आदि शंकराचार्य ने इसी स्थान पर मंडन मिश्र के साथ शास्त्रार्थ किया था। नर्मदा का महत्व गंगा से कम नही है, यहां तक की गंगा दशहरा के दिन मान्यता है कि गंगा नर्मदा मे डुबकी लगाने आती है। नर्मदा का जल औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। अन्य पवित्र नदियों में स्नान का महत्व बताया गया है, जबकि नर्मदा के दर्शन और स्मरण मात्र से पापों का क्षय होने की बात धार्मिक ग्रंथ कहते है।
मंडला का ऐतिहासिक महत्व
गौंडवाना की महारानी दुर्गावती, शहीद शंकर शाह, रघुनाथ शाह की वीरता वाली मंडला की भूमिं स्वतंत्रता को अक्षुण बनाये रखने के लिये अपनी कुर्बानियों के लिये जाना जाता है। यहां मुगल बादशाहो ने आदिवासियों के रण कौशल के समक्ष हमेशा घुटने टेके हैं। स्वतंत्रता की मशाल हमेशा जागृत रखने वाला यह क्षेत्र स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना लोहा मनवाते रहा है। इतिहास में इस क्षेत्र का अपना अलग ही महत्व है। वीरता के साथ ही इस क्षेत्र की जनता सीधी-सादी, भोली-भाली रही है। जिसे लड़कर जीतना असान नही था उसे छल कपट पूर्वक सेवा के नाम पर गुमराह किया जाता रहा है। इस क्षेत्र मे धर्मान्तरण कर उन्हे गुमराह किया गया। और उन्हे राष्ट्र की मुख्य धारा से काटने का कुचक्र किया गया। आजादी के पूर्व भी ऐसे कुचक्रो के विरोध मे आवाज उठते रही है।
मंडला में सामाजिक कुभ आयोजित करने का यह भी एक कारण है इस क्षेत्र मे ईसाई मिशनरियां बडे पैमाने पर कार्य कर रही है। धर्मान्तरण के अतिरिक्त आदिवासी समाज के साथ घिनौना षडयंत्र भी हो रहा है। आज हजारों की संख्या में आदिवासी अंचलो से युवतियां गायब हुई है, जिनकी कोई खोज खबर भी नही है। पिछले वर्षो मे इस प्रकार की घटनाऐं अखबारों की सुर्खिया भी बनी थी। आदिवासी समाज को देश की विभिन्न संस्कृतियों से परिचित कराना और देश के अनेक हिस्सों को इस क्षेत्र के इतिहास ,धार्मिक महत्व एवं प्रकृति के लगाव के साथ जीवन यापन करने वाली भोली-भाली जनता को उनकी संस्कृति से परिचय कराने का भी मां नर्मदा सामाजिक कुं भ मण्डला का आयोजन एक उद्देश माना जा रहा है।

” न्यू मीडिया : चुनौतियाँ और संभावनाएं ” का लोकार्पण

इंडिया पॉलिसी फाउनडेशन द्वारा प्रकाशित पुस्तिका ” न्यू मीडिया : चुनौतियाँ और संभावनाएं ” का लोकार्पण 29 जनवरी को श्री अच्युतानंदन मिश्र के द्वारा मालवीय स्मृति भवन के सभागार में संपन्न हुआ | इस पुस्तक में न्यू मीडिया के इतिहास , समस्याएं , संभावनाएं , चुनौतियां समेत विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला गया है जिनकी चर्चा आई पी एफ द्वारा आयोजित दो ब्रेन स्टोर्मिंग सेशन में की गयी थी | वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय और उदय सिन्हा के न्यू मीडिया पर विचार पुस्तिका का खास आकर्षण है | पुस्तिका की भूमिका न्यू मीडिया के हस्ताक्षर बालेन्दु दाधीच ने लिखी है |
लोकार्पण से पहले चर्चा करते हुए आई पी एफ के मानद निदेशक प्रो. राकेश सिन्हा ने कहा कि न्यू मीडिया में साम्यवाद है | प्रत्येक व्यक्ति को सूचना प्राप्त करने और सूचना देने का समान अवसर प्राप्त है | उन्होंने कहा कि न्यू मीडिया के ऊपर दो ब्रेन स्टोर्मिंग सेशन और उस पर आधारित इस दस्तावेज को पुस्तकाकार रूप देने का उद्देश्य इसके लिए सैद्धांतिक जमीन तैयार करना है ताकि यह लोकतान्त्रिक परिवेश में अपनी महत्वपूर्ण और रचनात्मक भूमिका अदा कर सके |
इस अवसर पर द सन्डे इन्डियन के कार्यकारी संपादक ओम्कारेश्वर पाण्डेय ने कहा कि न्यू मीडिया ने पूंजीपति वर्ग और बाजार केन्द्रित मीडिया घरानों के एकाधिकार को ध्वस्त कर दिया है | अब जानकारी , समाचार या विचार को दबाना असंभव हो गया है | वर्तमान ट्रेंड को देखते हुए उन्होंने मीडिया पोर्टलों को विषय केन्द्रित होने का सुझाव दिया |
मुख्य वक्ता बालेन्दु शर्मा दाधीच ने न्यू मीडिया की उपलब्धियों का संछिप्त परिचय देते हुए भविष्य में झाँकने की कोशिश की | उन्होंने न्यू मीडिया की सबसे बड़ी चुनौतियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक दशक के लम्बे समय में भी अब तक न्यू मीडिया अपने लिए कोई आर्थिक मॉडल विकसित नहीं कर पाया है |
माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति अच्युतानंदन मिश्र ने आधुनिक भारतीय इतिहास के विभिन्न चरणों मीडिया की भूमिका का तुलनात्मक विश्लेषण सभी के सामने रखा | उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पत्रकारिता में नैतिकता और मूल्यों के नये मानदंड स्थापित किये गये थे जिनकी कमी वर्तमान में महसूस होती है |उन्होंने श्रोताओं से कहा कि न्यू मीडिया को भी उन्हीं ताकतों द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है जो दुनिया की अर्थव्यवस्था और राजनीति को नियंत्रित करते हैं |
आईपीएफ के कोषाध्यक्ष गोपाल अग्रवाल ने कार्यक्रम के सहभागियों का धन्यवाद करते हुए कहा कि समाज और देश की राजनीति को बदलने में न्यू मीडिया सक्रिय पहल क़र रहा है |
कार्यक्रम में राजकरण सिंह ,राजकुमार शर्मा , जगदीश मित्तल ,श्याम जाजू , मनमोहन शर्मा ,नुसरत जफ़र , विजय कुमार ,श्रीरंग कुलकर्णी , उमेश चतुर्वेदी , राजीव रंजन राय ,हितेंद्र गुप्त ,संजय तिवारी ,जय कुमार झा , सैयद असदर अली , दीनबंधु सिंह , अमिताभ भूषण , प्रियंका भारद्वाज , शैलेन्द्र सिंह नेगी , रोहित वत्स ,कनिष्क कश्यप , विपुल त्यागी , नितिन शर्मा , दीपाली पाण्डेय , सृष्टि शर्मा ,हुदा जाकिर समेत दर्जनों पत्रकार मौजूद थे |
पुस्तिका का नाम – ” न्यू मीडिया : चुनौतियां और संभावनाएं “
संपादक मंडल
सतीश पेडणेकर ( वरिष्ठ पत्रकार ,जनसत्ता )
जयराम विप्लव ( संपादक , जनोक्ति.कॉम )
विशाल तिवारी ( सह-संपादक , न्यूज टॉक )

वर्तमान हालात और मीडिया की जिम्मेदारी

लोकतंत्र के तीन मुख्य स्तम्भ है विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका और लोकतंत्र के चैथे स्तम्भ के रूप में सर्वमान्य तरीके से प्रेस या मीडिया को स्वीकार किया गया है। वर्तमान में अगर हम सारी व्यवस्था पर नजर डालें तो पता चलता है कि लोकतंत्र के इस चौथे स्तंभ ने बाकी तीनों स्तम्भों पर हावी होने की कोशिश की है। वर्तमान में मीडिया अपना जो चेहरा पेश कर रहा है वह अब अपने खतरनाक रूप में सामने आ रहा है। मीडिया अपनी भूमिका को ज्यादा आंक कर एक ऐसी तस्वीर पेश कर रहा है कि लोकतंत्र के बाकी तीनों स्तम्भों की कार्यप्रणाली पर इसका प्रभाव पड़ने लगा है।

वास्तव में मीडिया का कार्य है कि वह जनता के सामने सच की तस्वीर लाए और सरकार का जो तंत्र है उसको जनता के सामने प्रस्तुत करें चाहे वह अच्छा हो या बुरा और इसी तरह मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह सरकार के सामने जनता के सही हालात प्रस्तुत करें ताकि तंत्र में बैठा हूक्मरान यह भूले नहीं कि उसकी कुर्सी लोक के जिम्मे ही है और वह उसी भीड़ का नुमाइन्दा है जो आज उसके सामने खड़ी है। वास्तव में मीडिया निष्पक्ष व निर्भीक तरीके से कार्य करें न कि निर्णायक तरीके से। आज के परिदृश्य में हो यह रहा है कि मीडिया अपनी निर्णायक भूमिका में नजर आ रहा है। हर किसी भी प्रकरण में मीडिया तथ्यों को इस तरीके से पेश करता है कि जैसे मीडिया, मीडिया न होकर कोई अदालत हो। मीडिया की जिम्मेदारी है कि वह तथ्य प्रस्तुत कर दे न कि उन तथ्यों पर निर्णय करे। मीडिया निर्णायक भूमिका में रहे यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है क्योंकि लोकतंत्र बैलेंस का तंत्र है जहाँ विधायिका, कार्यपालिका व न्यायपालिका परस्पर मैन टू मैन चेकिंग का भी काम करते हैं और इस भूमिका में मीडिया की यह जिम्मेदारी है कि वह इस चैंकिग का हिस्सा बने न कि इन सब पर हंटर लेकर खड़ा हो जाए। मीडिया तीसरी आँख है, समाज का दर्पण है, यह मीडिया के लोगों को हमेषा याद रखना चाहिए। वर्तमान में मीडिया के कारण एक जन दबाब बनता है और इस जन दबाब में सही निर्णय नहीं हो पाते। आज न्यायपालिका, विधायिका सब के सब मीडिया का दबाब महसूस कर रहे हैं। इस दबाब के कारण कार्यपालिका कार्य नहीं कर पाती और न्यायपालिका निर्णय नहीं कर पाती। मीडिया की क्या और कैसी भूमिका हो यह तौलने का समय है।


वर्तमान समय में यह जरूरी है कि मीडिया दादागिरी न करे सहयोगी रहे । मीडिया की दादागिरी के कारण मीडियाकर्मी भी अपने आप को पत्रकार न समझकर न्यायाधीष समझने की भूल कर रहे हैं। मीडियाकर्मी किसी भी सरकारी या गैर सरकारी तंत्र में जाकर अपने आप को विषिष्ट अंदाज में पेश करता है और उसके दिमाग में यह बात रहती है कि मैं इन सब की खैर खबर लेने के लिए ही हूँ । वास्तव में एक पत्रकार समाज सुधारक की भूमिका में नजर आए व अपनी कार्यप्रणाली को समाज के सुधारने की दिशा में ले जाए तभी यह संभव है कि मीडिया का वास्तविक फायदा समाज व राष्ट्र को मिलेगा। मीडिया की दादागिरी का परिणाम यह हो रहा है कि आज मीडियाकर्मी भी अपने इस पेशे को भ्रष्टाचार में डूबाने का काम कर रहे हैं। हाल ही में टूजी स्पेक्ट्रम के मामले में यह बात खुल कर सामने आई है कि मीडिया में कितने स्तर तक भ्रष्टाचार आ चुका है। कहने का मतलब यह है कि लोकतंत्र का यह चैथा स्तम्भ अपने सही व वास्तविक रूप को प्रकट करें न एक ऐसा चेहरा बनाए जो लोकतंत्र के बाकी स्तम्भों से मिलता जुलता नजर आए।


और यहाँ मैं यह कहना चाहूँगा कि इस मामले में इलेक्ट्रोनिक मीडिया ने कुछ कदम ज्यादा ही काम किया है। वर्तमान में टी.वी. चेनल्स की खबरों का आमजन पर सीधा असर पड़ता है। जल्दी से जल्दी और ज्यादा से ज्यादा खबर देने की चाहत ने मीडिया की विषलेषणात्मक शक्ति को समाप्त सा कर दिया है। जो चीज जब जहाँ और जिस रूप में दिखाई दे रही है उसको उसी रूप में तुरन्त पेश कर देने से आज टीवी चेनल्स बेताब नजर आते हैं, वे उन तथ्यों की तरफ गौर नहीं कर रहे कि इस दिखाई देने वाले तथ्य के पीछे सच्चाई क्या है। जरूरत है कि खबरों का विषलेषण हो, उसकी सत्यता की जांच हो और फिर खबर आम जन के सामने एक रिपोर्ट की तरह पेश आए एक फैसले की तरह नहीं। मीडिया की भूमिका समाज सुधारक व समाज के पथ प्रदर्शक की हो ताकि लोगों को सही और गलत का अंदेशा हो जाए और यह निर्णय आम जन पर ही छोड़ दिया जाए कि वो कौनसा रास्ता चुनना चाहता है। मीडिया में काम करने वालों को यह बात अच्छी तरह से मालूम होती है कि आमजन की समझ कैसी है और किसी भी मुद्दे पर आम लोगों का क्या नजरिया और प्रतिक्रिया रहेगी तो ऐसी स्थिति में मीडिया की जिम्मेदारी है वह समाज में शान्ति, सद्भावना व एकता कायम करने का माहौल बनाए और अपने सकारात्मक रूख को पेश करें और जब वर्तमान में सारी तरफ अव्यवस्था, अशांति और अराजकता का माहौल है तो मीडिया की जिम्मेदारी और ज्यादा हो जाती है।


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देश में छद्म लोकतंत्र: प्रशांत भूषण सोमवार, जनवरी 31,


नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण का कहना है कि देश में कॉरपोरेट माफिया भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है। प्रशांत ने कहा कि "भारत माफिया राज की ओर बढ़ रहा है" और कॉरपोरेट घराने कानून से परे हो गए हैं।

प्रशांत ने कहा, "कॉरपोरेट माफिया का सत्ता एवं शासन के सभी संस्थानों पर नियंत्रण है, चाहे वह राजनीतिज्ञ हों, नौकरशाह हों, पुलिस और एक हद तक न्यायपालिका भी।" प्रशांत ने कहा, "कॉरपोरेट घराने भयावह तरीके से विशाल हो गए हैं और कानून की अनदेखी करती हैं। वे कानून और नीतियां बनाते हैं और अपने निर्णय लेते हैं, न्यायिक निर्णय भी। अक्सर वे इस बात का भी निर्धारण करते हैं कि मीडिया क्या प्रकाशित करेगा और क्या नहीं। "

पूर्व कानून मंत्री एवं न्यायविद शांति भूषण के बेटे प्रशांत ने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ और लोकतांत्रिक संस्थानों को मुक्त कराने के लिए कोई भी लड़ाई पारदर्शिता के साथ होनी चाहिए। प्रशांत भूषण ने कहा, "आज की स्थिति 1970 के दशक के प्रारम्भ से ज्यादा बुरी है। उन दिनों सभी संस्थानों पर कॉरपोरेट माफिया का नियंत्रण नहीं था। वह ऐसी स्थिति थी जिसमें एक ताकतवर प्रधानमंत्री ने अस्थायी तौर पर लोकतंत्र को ठप्प कर दिया था। आज कॉरपोरेट माफिया जवाबदेह और अधिक खतरनाक है।"

उन्होंने कहा, "यह व्यवस्था बहुत बुरी है। जब यह स्पष्ट हो चुका है कि लोकतंत्र के अधिकांश संस्थान ध्वस्त या निष्क्रिय हो गए हैं, तो ऐसे में सक्रिय लोकतंत्र का भ्रम बनाए रखने का कोई अर्थ नहीं है। हमें देश में सही लोकतंत्र बहाल करने की आवश्यकता है, न कि लोकतंत्र का भ्रम बनाए रखने की।"

अधिवक्ता प्रशांत ने कहा कि भारतीय शासन को कॉरपोरेट माफिया से बचाने का उपाय केवल पारदर्शिता और राज्य तंत्र की कार्यप्रणाली के बारे में जानने का जनता का अधिकार है। उन्होंने कहा, "जबतक हम जाग नहीं जाते और सार्वजनिक मुद्दों और मामलों में रुचि लेना शुरू नहीं कर देते, तब तक समझिए हम गर्त की ओर बढ़ रहे हैं।"

ज्ञात हो कि प्रशांत ने ही सर्वोच्च न्यायालय को इस बात के लिए राजी किया था कि वह दूरसंचार कम्पनियों को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में हुए घोटाले की सीबीआई (केद्रीय जांच ब्यूरो) जांच की निगरानी करे।

प्रशांत ने केंद्रीय सतर्कता आयुक्त (सीवीसी) पी.जे.थॉमस के खिलाफ आरोपों व भ्रष्टाचार को लेकर अपनी लड़ाई के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि भारत बहुत ही गम्भीर स्थिति में है और सबसे बड़ा खतरा भ्रष्टाचार से है, जो कि राज्य की कार्यप्रणाली के हर प्रमुख हिस्से में व्याप्त हो चुका है। प्रशांत ने सवाल किया कि आखिर अमेरिका के साथ परमाणु समझौते पर या लोकपाल विधेयक पर देश में जनमत संग्रह कराने से सरकार को किसने रोका।

थॉमस की नियुक्ति पर अपने विरोध पर भूषण ने कहा, "मुझे बताया गया कि वह एक ईमानदार हैं। वह खुद पैसे नहीं लेते। लेकिन उन्होंने दूरसंचार मंत्री ए.राजा और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री के.करुणाकरण जैसे अपने से ऊपर के लोगों को भ्रष्ट तरीके से पैसे बनाने की छूट दी और उसके बाद ऐसी व्यवस्था बनाई कि सत्ता में भ्रष्ट लोग बने रहे।"

भूषण ने कहा, "भ्रष्टाचार निरोधी वॉचडाग के रूप में हमें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो न केवल भ्रष्टाचार का विरोध करे, बल्कि भ्रष्टाचार को रोकने और भ्रष्ट लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने में तत्पर रहे।" प्रशांत ने सीवीसी की नियुक्ति प्रक्रिया को दोषपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, "नियुक्ति ऐसे लोगों (राजनीतिज्ञों)द्वारा की गई है, जिनका एक बहुत ही गम्भीर निहित स्वार्थ है, क्योंकि उन्हें इस बात का भय रहा है कि सीवीसी जांच का सामना उन्हें भी करना पड़ सकता है।"

विधायक के भतीजे पर कैद कर नाबालिग से रेप का आरोप


विधायक के भतीजे पर कैद कर नाबालिग से रेप का आरोप

भोपाल 31/जनवरी/2011/(मध्य प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के एक विधायक के रुतबे की वजह से बलात्कार पीड़ित एक लड़की इंसाफ के लिए दर-दर भटक रही है। आरोप है कि मंदसौर में सात महीने पहले नाबालिग लड़की से विधायक के भतीजे ने बलात्कार किया। पुलिस अब तक विधायक के भतीजे को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। उल्टा पीड़ित लड़की को तीन बार गिरफ्तार कर उसके खिलाफ आर्म्स एक्ट समेत ढेरों मामले लाद दिए गए हैं। पीड़ित लड़की का आरोप है कि मंदसौर के बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के भतीजे धर्मेंद्र सिंह ने उसे जबरन अगवा कर उसे एक महीने तक कैद में रखा और उसके साथ बलात्कार किया। जब पीड़ित लड़की ने आरोपी धर्मेंद्र सिंह के खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज करवाई तो इंस्पेक्टर दौलत सिंह राणावत ने उसे बुरी तरह धमकाया। इतना ही नहीं, लड़की के साथ थाने में ही बलात्कार की धमकी तक दे डाली। साफ है मंदसौर की पुलिस शुरू से ही विधायक के भतीजे धर्मेंद्र सिंह को बचाने में जुट गई। पीड़ित लड़की का कसूर सिर्फ इतना था कि उस पर बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया के भतीजे धर्मेन्द्र की नज़र पड़ गई थी। करीब सात महीने पहले जब आरोपी धर्मेंद्र सिंह ने लड़की के साथ बलात्कार किया तब वो नाबालिग थी। लड़की का आरोप है कि 'धर्मेन्द्र सिंह और उसका मित्र जिसे मैं नहीं जानती दोनों ने मुझे जबरदस्ती गाड़ी में बिठाकर लाए और कुछ पिला दिया मैं बेहोश हो गई और कमरे में लाकर बंद कर दिया। एक महीने तक धर्मेन्द्र सिंह ने मेरे साथ गलत काम किया।'
31-1-2011

Friday, January 28, 2011

राज्य सूचना आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना

राज्य सूचना आयोग द्वारा लोक सूचना अधिकारी पर 25 हजार रुपये का जुर्माना

उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय जानकारी न देने के दोषी
भोपाल 28 जनवरी 2011। राज्य सूचना आयोग द्वारा उच्च शिक्षा विभाग के तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी श्री सुरेन्द्र कुमार उपाध्याय पर जानकारी न देने के कारण 25 हजार रुपये का जुर्माना किया गया है। मुख्य सूचना आयुक्त श्री पद्मपाणि तिवारी ने इस आशय का आदेश 24 जनवरी 2011 को जारी किया है। इस आदेश में दोषी अधिकारी को एक माह के भीतर 25 हजार रुपये की राशि आयोग के कार्यालय में जमा करने के लिये कहा गया है। श्री उपाध्याय वर्तमान में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत भोपाल के पद पर पदस्थ हैं।
शासकीय महाविद्यालय खातेगांव जिला देवास के सहायक प्राध्यापक अर्थशास्त्र श्री एस.के. वागले ने लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी द्वारा समयावधि में सूचना का अधिकार अधिनियम के अंतर्गत जानकारी न देने के कारण अपनी अपील सूचना आयोग के कार्यालय में की थी। अपील करने वाले श्री वागले ने अपने आवेदन में कहा कि कार्यालय आयुक्त उच्च शिक्षा विभाग से जो पत्र उन्हें मिला है, उस पत्र में उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व आयुक्त के हस्ताक्षर वास्तविक होने पर संदेह व्यक्त किया गया है। इस हस्ताक्षर के मिलान के लिये श्री वागले द्वारा श्री एस.के. उपाध्याय के समक्ष लोक सूचना अधिकार अधिनियम के तहत आवेदन प्रस्तुत किया गया। तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी श्री उपाध्याय ने उनका आवेदन जांच कार्य में अवरोध उत्पन्न करने एवं अपराधियों को पकड़े जाने में आने वाली दिक्कतों को बताकर अमान्य कर दिया।
राज्य सूचना आयोग में प्रस्तुत किये गये आवेदन की जांच करने में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी की लापरवाही सामने आयी। इसके लिये राज्य सूचना आयोग ने श्री उपाध्याय को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का नोटिस जारी किया। नोटिस मिलने के बाद भी तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी न तो आयोग के समक्ष उपस्थित हुए और ना ही उनके द्वारा लिखित जवाब दिया गया।

Date: 28-01-2011 Time: 15:07:02

Wednesday, January 26, 2011

moti kashayap

भाजपा की 'तिरंगा फहराओ' रैली का नाटकीय अं


श्रीनगर | भाजपा की विवादास्पद राष्ट्रीय एकता यात्रा आखिरकार कठुआ के शहीद चौक पर तिरंगा फहराने के साथ समाप्त हो गई है। इसके साथ ही भाजपा नेता सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और अनंत कुमार को जम्मू कश्मीर सुरक्षा बल ने रिहा कर दिया है। भाजपा के 'तिरंगा फहराओ' राजनीतिक नाटक का नाटकीय अंत हो गया है। अब भाजपा नेता और कार्यकर्ता घर वापसी के लिए निकल रहे हैं।

मालूम हो कि नई दिल्ली में भी गणतंत्र दिवस पर आयोजित परेड और अन्य कार्यक्रम अब समाप्त हो चुके हैं। भाजपा ने भी अपनी यात्रा को समाप्त करते हुए शहीद चौक पर ही तिरंगा फहरा कर संतोष कर लिया है। इससे पहले भले ही जम्मू -कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भाजपा नेताओं को गिरफ्तार किया हो, उन्होने अरुण जेटली को राज्य में गणतंत्र दिवस मन ाने के लिए ना सिर्फ आमंत्रिक किया बल्कि अलगाववादी नेताओं से बात-चीत कर विवाद सुलझाने का प्रस्ताव भी दिया।

उल्लेखनीय है कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर भाजपा की लाल चौक पर तिरंगा फहराओ रैली के जवाब में अलगाववादी ताकतों ने भी लाल चौक पर काले झंडे फहराने और गणतंत्र दिवस बहिष्कार का आयोजन किया था। इसलिए राज्य सरकार ने स्थिति की संवेदनसीलता को देखते हुए बाजपा की रैली पर रोक लगा दी थी, मौका नाजुक देख अलगाववादी नेता भी गिरफ्तार होने के डर से भूमिगत हो गए।
राज्य सरकार की मुस्तैदी के चलते कश्मीर सहित पूरे देश में गणतंत्र दिवस हंसी-खुशी के माहौल में मनाया गया।

भारत प्रशासित राज्य जम्मू-कश्मीर के लखनपुर में हिरासत में लिए गए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को रिहा कर दिया गया है


मंगलवार को हिरासत में लिए गए सभी भाजपा नेताओं को रिहा कर दिया गया है.मंगलवार को भारत प्रशासित राज्य जम्मू-कश्मीर के लखनपुर में हिरासत में लिए गए भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को रिहा कर दिया गया है.रिहा होने के बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि अब एकता यात्रा औपचारिक रूप से समाप्त हो गई है.

उन्होंने कहा कि अब रिहा हुए सभी नेता जम्मू जाएंगे, जहां एक प्रेसवार्ता कर पूरे घटनाक्रम पर अपना नज़रिया रखेंगे.रिहा होने के बाद सुषमा स्वराज ने कहा, “सरकार को इस बात का जवाब देना पड़ेगा कि जिस दिन गणतंत्र दिवस का इतना बड़ा क़ौमी कार्यक्रम हो रहा हो उस दिन विपक्ष के दोंनों नेता जेल में हों. इस जवाब जनता मांगेगी.”रिहा होने के बाद इन नेताओं ने राज्य के कठुआ ध्वाजारोहण किया.

उधर दिल्ली में वरिष्ठ भाजपा नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा, “बहुत साहस के साथ हमारे युवा मोर्चा और हमारे संसद के दोनों नेताओं ने जो कार्य किया उसने इस सवाल और जम्मू-कश्मीर के पूर्ण एकीकरण के सवाल को देश के सामने उजागर किया. ”

इसीबीच श्रीनगर शहर के लालचौक से क़रीब एक किलोमीटर दूर स्थित ब्रॉडवे होटल से बाहर निकल रहे छह भाजपा कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.इसके अलावा श्रीनगर के मैसुमा इलाक़े से जेकेएलएफ़ नेता यासिन मलिक को उनके समर्थकों के साथ हिरासत में लिया गया है.यासिन मलिक ने मंगलवार को ऐलान किया था कि वे बुधवार को अपने समर्थकों के साथ लालचौक मार्च करेंगे

कश्मीर में नया तमाशा, भाजपाई-अलगाववादी गिरफ्तार


श्रीनगर। कश्मीर में गणतंत्र दिवस की परेड शांतिपूर्ण ढंग से खत्म होने के बाद एक नया तमाशा शुरू हो गया है। कश्मीर में लाल चौक पर जबर्दस्ती झंडा फहराने के प्रयास में सुरक्षा बलों ने कुछ अलगाववादी नेताओं समेत कुछ भाजपाई कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार कर लिया है।

कश्मीर में 3 अलगाववादी नेताओं को जबकि कुछ भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के यासिन मल्लिक, नरमपंथी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस नेता बिलाल लोन और शहीदुल इस्लाम सहित करीब दर्जन भर उनके समर्थकों को मैसूमा इलाके में गिरफ्तार किया गया।

इसके पहले पुलिस ने 7 भाजपा कार्यकर्ताओं को भी गिरफ्तार किया था। पुलिस ने इन्हें श्रीनगर के मुख्य कारोबारी केंद्र लाल चौक की ओर बढ़ते हुए गिरफ्तार किया था। श्रीनगर में लाल चौक के निकट होटल से निकलते ही छह भाजपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। एक अन्य कार्यकर्ता को लाल चौक से सटे रेजीडेंसी रोड पर गिरफ्तार किया गया। उसके हाथ में एक तिरंगा और एक भाजपा का झंडा था।

बुधवार को भाजपा और जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) की प्रस्तावित रैली को देखते हुए लाल चौक के आस पास सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। अधिकारियों ने शहर में कर्फ्यू जैसी पाबंदी लगा दी थी। श्रीनगर में बख्शी स्टेडियम में राज्य के वित्तमंत्री अब्दुल रहीम राठेर ने ध्वजारोहण किया और परेड की सलामी ली। इस दौरान स्टेडियम की ओर जाने वाली सड़कों को पूरी तरह सील कर दिया गया था और कार्यक्रम में सिर्फ पास के आधार पर प्रवेश की सुविधा दी गई थी। परेड के बाद स्टेडियम मे सांस्कृति कार्यक्रम भी आयोजित हुए।

अब्दुल्ला सरकार पर बरसी बीजेपी

26jan 2011जम्मू / श्रीनगर।। श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने में नाकाम रहने के बाद बीजेपी नेता सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने उमर अब्दुल्ला सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अलगाववादियों के सामने सरेंडर कर दिया। बीजेपी नेताओं को मंगलवार को जम्मू सीमा में घुसते ही हिरासत में ले लिया गया था।

लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के प्रयास में बुधवार को श्रीनगर में बीजेपी के सात कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। बीजेपी के तिरंगा फहराने के अभियान को विफल करने के लिए लाल चौक को किले में तब्दील कर दिया गया था। जम्मू में पार्टी कार्यकर्ताओं ने स्वराज और जेटली के संवाददाता सम्मेलन के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस के एक मंत्री की कार पर हमला किया।

जम्मू कश्मीर सरकार पर हमला बोलते हुए स्वराज ने कहा, ' यह एक असाधारण स्थिति है। गणतंत्र के तौर पर भारत के 61 साल पूरे हो गए। इमर्जेंसी के बाद यह पहला गणतंत्र दिवस है जब संसद में दोनों सदनों के विपक्ष के नेताओं को गिरफ्तार करके रखा गया। हमें अपने राज्य जम्मू-कश्मीर में तिरंगा फहराने की चाहत रखने को लेकर हिरासत में लिया गया। क्या यह अपराध है। '

जेटली ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार अलगाववादियों को संदेश देना चाहती है कि उन्हें संतुष्ट करने के लिए बीजेपी नेताओं को रोका गया है।

दोनों नेताओं ने राज्य सरकार द्वारा अनंत कुमार को दोपहर में कठुआ में रिहा किए जाने के तुरंत बाद संवाददाता सम्मेलन को संबठोधित किया।

स्वराज ने कहा, ' सरकार से मेरा पहला सवाल यह है कि यह किस तरह का गणतंत्र है। ' उन्होंने मु़ख्यमंत्री द्वारा जेटली से फोन पर बातचीत में बीजेपी नेताओं को श्रीनगर में गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने के निमंत्रण को ठुकरा दिया। स्वराज ने कहा, ' क्या उन्हें यह मालूम नहीं था कि हम गिरफ्तार हैं। ' उन्होंने कहा, ' हमारा उन्हें न्योता है कि वह हमारे साथ शामिल हों और लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएं। '

बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को हिरासत में लिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने उन आरोपों को खारिज कर दिया कि पार्टी तिरंगा फहराने को लेकर राजनीति कर रही है। गडकरी ने कहा, ' कुछ लोग कहते हैं कि लाल, चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में राजनीति है। मैं यह नहीं समझता हूं कि ध्वज फहराने में क्या रताजनीति हो सकती है। यह राजनीति नहीं है। ' गडकरी ने आरोप लगाया कि केंद्र और उमर अब्दुल्ला सरकार अलगाववादियों के दबाव के आगे झुक गई है।

झंडा फहराने की बीजेपी की योजना की पार्टी के विचारक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कश्मीर अभियान से तुलना करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि इस आंदोलन ने जम्मू कश्मीर का देश के शेष हिस्सों के साथ एकीकरण करने के मुद्दे को सामने ला दिया रहै।

पुलिस ने श्रीनगर में 7 बीजेपी कार्यकर्ताओं को तब गिरफ्तार कर लिया जब उन्होंने वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराने की असफल कोशिश की। अधिकारियों ने बताया कि बीजेपी का एकमात्र समर्थक तिरंगा के साथ सुबह साढ़े आठ बजे रीगल चौक पर दिखा। रीगल चौक लाल चौक पर स्थित घंटाघर से महज 100 गज की दूरी पर है। गुड़गांव निवासी श्रीकांत को पुलिसकर्मियों ने उसके ध्वज फहराने के लिए लाल चौक की ओर बढ़ने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया। उसे कोलठीबाग थाना ले जाया गया। अधिकारियों ने बताया कि छह अन्य कार्यकर्ताओं को शहर के प्रसिद्ध होटल के पास से 11 बजे निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

Monday, January 24, 2011

धरती पर एक नए सूरज के आ धमकने की खबरें सुर्ख़ियों में हैं


आज के समाचार पत्रों और चैनलों में धरती पर एक नए सूरज के आ धमकने की खबरें सुर्ख़ियों में हैं ..ऐसे दावे पहले भी होते रहे हैं कि २०१२ में धरती पर क़यामत आ जायेगी जैसा कि मायन कैलेण्डर में भी दावा किया गया है -क़यामत आसमानी होगी या फिर जमीनी इसे लेकर अफवाहों का बाज़ार गर्म है ....अब नई अफवाह है कि धरती पर एक और सूरज इस साल के अंत या २०१२ की शुरुआत से आ धमकेगा ..फिर दिन रात का फर्क खत्म हो जाएगा -चारो ओर हर वक्त उजाला होगा ..दक्षिणी क्वीन्सलैंड के भौतिकी के प्राध्यापक डॉ ब्रैड कार्टर का दावा है कि अभी ओरियान तारामंडल का यह सबसे चमकीला तारा बेटलजूस एक सुपरनोवा के रूप में विस्फोट करने वाला है -दरअसल अपने सूरज से भी आकार प्रकार में कई गुना बड़े तारे अपने जीवन की अंतिम में विनष्ट होकर बहुत तीव्र प्रकाश फैलाते हैं और फिर अंधकूपों में बदल जाते हैं .उनके अनुसार इस साल के अंत में जब ऐसा होगा तो धरती पर ऐसा दिखेगा जैसे दो सूरज उग आयें हो ! और नए सूरज की रोशनी रात दिन कायम रहेगी भले ही कुछ हप्तों के लिए ...अरे बाबा स्टार वार की इस सीनरी जैसा कुछ नहीं दिखेगा !


मगर बैड अस्ट्रोनामी ब्लॉग के स्वामी फिल प्लेट ने कहा है कि ऐसा कुछ नहीं होने वाला है -कथित तारा धरती से कोई ६०० प्रकाश वर्ष की दूरी पर है -हाँ अगर इसमें हुए विस्फोट से धरती पर रोशनी आयेगी भी तो वह सूरज की चमक के एक लाख गुना असे भी कम होगी क्योकि यह बहुत दूर है .हाँ यह पूर्ण चन्द्र सरीखा दिख सकता है और इसे नंगी आँखों से देखना नागवार लग सकता है ....वैसे भी ६०० प्रकाश वर्ष दूर तारे से यहाँ प्रकाश के यहाँ तक पहुँचने में ६०० वर्ष लगेगें ..इसका मतलब है कि इसमें विस्फोट ६०० वर्ष पहले हो गया होगा तभी यह अब दिखेगा ..मुझे कहीं से यह पक्की खबर नहीं मिल पा रही है कि इसमें विस्फोट हुआ भी है ..तब तक दिल थाम कर बैठते हैं ....
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Usमुट्ठी भर लोगों के आंदोलन से उत्तराखंड बना दिया- अमर सिंह

ट्ठी भर लोगों के आंदोलन से उत्तराखंड बना दिया- अमर सिंह
गाजीपुर । बलिया से शुरू पूर्वाचल स्वाभिमान पदयात्रा के द्वितीय चरण में लोकमंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमर सिंह का काफिला रविवार को बढ़ुआ गोदाम से होते हुए जिले की सीमा में मटेहूं से शाम पौने पांच बजे प्रवेश कर गया। जिले की सीमा में प्रवेश करते ही समर्थकों ने उनको फूल मालाओं से लाद दिया। उनके स्वागत में कई गांवों के लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी। इस दौरान उन्होंने पूर्वाचल के लोगों से एकजुट होकर अलग राज्य के लिए उठ खड़े होने का आह्वान किया। पदयात्रा करते हुए अमर सिंह आगे बढ़े। मरदह पहुंचने पर उनका जोरदार स्वगत किया गया। इस दौरान उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि आज तक केंद्र और प्रदेश सरकार की उपेक्षा के चलते पूर्वाचल आंसू बहा रहा है। यह देश का एक बड़ा हिस्सा होने के बाद भी आर्थिक रूप से पिछड़ा हुआ है। 27 जनपदों की आठ करोड़ की आबादी वाले इस क्षेत्र में 28 सांसद, 147 विधायक हैं। फिर भी पूर्वाचल की यह धरती विकास के मुद्दों पर बदहाली के आंसू बहा रही है। प्रदेश की 63 चीनी मिलों में से 58 बंद हैं। पूर्वाचल की तीन सीमेंट फैक्ट्रियों में एक को साजिश के तहत बेच दिया गया।

आज 65 लाख की आबादी वाला उत्तराखंड जिसमें सिर्फ आठ जिले पांच लोकसभा सीटें और 22 विधायक हैं को मुट्ठी भर लोगों के आंदोलन से अलग राज्य बना दिया गया लेकिन पूर्वाचल के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। आज पूर्वाचल के लोगों के लिए समय आ गया है कि वह उठकर खड़े हो जाएं और पूर्वाचल राज्य के मुद्दे पर एक हो जाएं। उन्होंने मुलायम सिंह यादव और प्रदेश की मुखिया मायावती को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि दोनों की नीतियों में कोई अंतर नहीं है। दोनों ने ही फैक्ट्रियों के नाम पर किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया है। विरोध करने पर उनपर गोलियां चलवायीं। उन्होंने बाल ठाकरे और राज ठाक रे को कहा कि ये लोग पूर्वांचल के लोगों का शोषण करते हैं। पूर्वाचल के लोग रोजीरोटी के लिए बाहर जाते हैं लेकिन वहां मारपीटकर भगा दिया जाता है उन्हें न्याय चाहिए। सभा में उनका जोरदार स्वागत किया गया। इस दौरान बढुआ गोदाम से चलकर उनकी पदयात्रा आगे बढ़ गयी। इससे पूर्व मटेहूं से शुरू हुई पूर्वाचल स्वाभिमान पदयात्रा लगभग पांच बजे मरदह पहुंची। इस दौरान अमर सिंह खुली गाड़ी में खड़े रहे, जबकि उनकी पदयात्रा में शामिल लोग पैदल ही राष्ट्रीय राजमार्ग-29 पर गाजीपुर की ओर बढ़ रहे थे। उन्हें देखने के लिए ग्रामवासी अपने घरों से निकलकर सड़क पर आ गए थे। भीड़ सड़क के दोनों तरफ खड़ी थी। मरदह बाजार में पहुंचने के बाद वह खुली गाड़ी से काफिले के साथ चल रही बोल्वो बस में सवार हो गए। इसके बाद लिफ्ट से उनको बस की छत पर पहुंचाया गया। जहां उन्होंने उपस्थित लोगों की सभा को संबोधित किया। जिसमें उन्होंने प्रदेश सरकार के साथ पूर्व में अपने साथी रहे सपा मुखिया मुलायम सिंह को भी नहीं बख्शा। उन्होंने कहा कि मैं 14 वर्षो में सपा में रहकर पाप करता रहा। इस दौरान पूर्वाचल रूपी द्रौपदी का चीर हरण होता रहा और मैं भिष्म पितामह की तरह चुप चाप देखता रहा। अब मैं इसका पश्चाताप करूंगा। मैं पूर्वाचल के विकास के लिए संघर्ष कर रहा हूं। मेरी दोनों किडनियां फेल हो गई हैं। मैं बीमार हूं लेकिन मैं पूर्वाचल की बीमार किडनियों को ठीक करने के लिए यह पदयात्रा कर रहा हूं। केंद्र सरकार से यूपी सरकार को 40 हजार करोड़ रुपये मिले हैं। उस हिसाब से पूर्वाचल को 20 हजार करोड़ रुपये मिलने चाहिए लेकिन मायावती ने पूर्वाचल को सिर्फ बीस करोड़ रुपये दिये हैं और पत्थरों के बुत बनाने के लिए 500 करोड़ रुपये दे रखे हैं। उन्होंने आगे कहा कि पूरे उत्तर प्रदेश की बिजली का 80 प्रतिशत उत्पादन पूर्वाचल करता है लेकिन यह बिजली पूर्वाचल के बजाय नोएडा और सैफई को सप्लाई की जाती है। अमर सिंह ने समाजवादी पार्टी के साथ तय किए गए अपने राजनीतिक सफरनामे को अत्यधिक पीड़ादायक बताया। उन्होनें बताया कि पार्टी में जिनको उंगली पकड़ा कर प्रवेश कराया था उन्होंने भी पीठ में छूरा घोपने का काम किया। इसमें जिले के कई बड़े और कद्दावर समाजवादी पार्टी के सांसद विधायक हैं। मन में इस बात का मलाल आज भी है कि हम 14 वर्ष उस दल में रहे जो आज भी पूर्वाचल विरोधी है। इस राजनीतिक यात्रा में मैने अपनी 14 सर्दियां सैफई में बिताई हैं। पद यात्रा में उन्होंने कहा कि जब पूर्वाचल राज्य बन जाएगा तो यहां के नौजवान बाहर न जाकर अपने यहां ही रोजी रोजगार करेंगे। उन्होनें बताया कि करछना का जो बिजली घर प्रोजेक्ट सपा की सरकार में पास किया गया था मायावती भी उसी को पूरा करा रही हैं। मायावती अपने एक सेठ जयप्रकाश गौड़ को फायदा पहुंचाने के लिए सैकड़ों किसानों की कीमती जमीन को औने पौने दामों पर अधिगृहीत कर रही है। गाजीपुर की यही धरती है जहां के विनाथ गहमरी ने संसद में यह मुद्दा उठाया था कि पूर्वाचल के गरीब किसान गोबर से अनाज चुनकर किसी तरह अपनी जीविका चलाते हैं। लचर स्वास्थ और बुलंद हौसलों के साथ गाजीपुर पहुंचे लोकमंच के संयोजक अमर सिंह की निर्भिक शैली पर सभी हतप्रभ थे। उनके स्वास्थ्य और उनकी हालत को देखते हुए पुलिस के साथ ही एंबुलेंस सेवा भी इस पदयात्रा में शामिल थी। उनके गले में कालर और मास्क उनके स्वास्थ्य की संवेदनशीलता की कहानी कह रहे थे। उन्हें सुरक्षा के लिए निजी गार्ड के साथ ही जेड श्रेणी की सुरक्षा प्राप्त है। जवान आने जाने वाले सभी लोगों पर नजर गड़ाए हुए थे। इसके साथ ही जिला पुलिस की ओर से भी भारी सुरक्षा का इंतजाम किया गया था। इसके लिए कई थानों की पुलिस के साथ पीएसी की एक कंपनी तैनात थी। इसके साथ ही उनकी सुरक्षा में एलआईयू का पूरा महकमा भी जुटा था। इस यात्रा में अमर सिंह के

द्रोणाचार्य या चाणक्य


द्रोणाचार्य या चाणक्य?


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शशांक शेखर

सर्वविदित है कि भारत विविधताओं का देश रहा है। यहाँ गुरु को गोविन्द से ऊपर का स्थान दिया जाता है। भारत सदैव अपने अस्तित्व को महान बनाए रखने के लिए अतीत का सहारा लेता आया है। साथ ही वर्तमान के धुरंधरों को सम्मानित करने के लिए अतीत के महान व्यक्तियों के नाम को उपाधि मानता रहा है। ऐसे ही महान काल्पनिक व्यक्ति थे द्रोणाचार्य जिनके नाम से भारत के गुरुओं (खेल) को सम्मानित किया जाता है।

द्रोण ने अपने काल में कुरु वंश के नौनिहालों को धनुर्विद्या के साथ-साथ युद्ध की बारीकियों से अवगत कराया। ऐसे में वह महान बन जाते हैं पर उनके साथ तमाम ऐसी बातें भी हैं जिनसे उनके महानता पर प्रश्न चिह्न लगते हैं।

माननीय सर्वोच्च न्यायालय के खंडपीठ ने भी माना है कि द्रोण ने भील जाति के एकलव्य से दाहिने हाथ का अंगूठा मांग कर अपनी जातीयता और प्रिय शिष्य के प्रति अपने लगाव को उजागर किया था।

जातीयता के प्रति उनका दृष्टिकोण यहीं ख़त्म नहीं होता। प्रशिक्षण के दौरान भी निम्न जाति के प्रति उनकी हीन भाव को देखा जा सकता है। उन्होंने कर्ण को प्रशिक्षण इस आधार पर नहीं दिया कि वह क्षत्रिय नहीं थे पर उन्होंने अपने बेटे अश्वस्त्थामा को प्रशिक्षित किया जबकि द्रोण खुद क्षत्रिय नहीं थे। कुरुक्षेत्र में भी अपने बेटे के मरने की झूठी ख़बर सुन कर ही वह अस्त्र-शस्त्र त्याग कर धरा पर बैठ किंकर्तव्यविमूढ़ हो गए।

ऐसे सोच को हम कैसे भारत का आदर्श मान लें? क्यों हम उनके नाम का गुणगान और सम्मान करें?

हम क्यों भूल रहे हैं उस आदर्शवादी को जिसने भारत को महान बनाने में जातिवाद जैसी विकृति से ऊपर उठकर पूरे मुल्क को एक सूत्र में पिरोने की कसमें खाई।

भारत को सबसे प्रतापी राजा निम्न जाति से मिला जिसे तैयार किया एक ब्राह्मण ने। जी हां, हम बात कर रहे हैं चंद्रगुप्त मौर्य और उनके गुरू चाणक्य की। देश के मानस में स्वर्ण युग का सपना भरने वाले कौटिल्य ने कभी यह नहीं सोचा कि एक निम्न वर्ग के व्यक्ति को वह शिक्षा क्यों दें?

दरअसल, भारत में गुरू की महिमा इस कल्पना पर टिकी है कि उसका स्वयं का कोई जाति नहीं होता और अपने शिष्य में वह सिर्फ एक बच्चा देखता है। उसे बच्चे की जाति से कोई मतलब नहीं होता। अपनी शरण में लेकर गुरु शिष्य के इस अवधारणा को पुष्ट करना ही उसका काम है। वह अपने शिष्य की जाति, रंग, संप्रदाय, अमीरी, गरीबी से कोई मतलब नहीं रखता। गुरु के लिए तो सब बराबर है और यह भावना कौटिल्य में थी न कि द्रोण में । फिर वे भारत के आदर्श गुरु कैसे हो सकते हैं?

यह बात मान सकते हैं कि चाणक्य की ज्यादा प्रसिद्धि इस बात को लेकर थी कि वे राजनीति के विद्वान हैं। उन्हें राजनीतिक दांव पेंचो की वजह से शायद खेलों के लिए आदर्श गुरू नहीं माना जा सकता। लेकिन इस बात को मानने से पहले यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि राजनीति आज इतनी गंदी हो गई है वरना राजनीति अपने आप में एक पवित्र विद्या है जो कठिन साधना के बाद सीखी जाती है। जानने वाले इस बात से भी इनकार नहीं करेंगे कि चंद्रगुप्त मौर्य एक बहादुर योद्या और दमदार लड़ाका थे।

हम पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधकृष्‍णन के जन्म दिवस पर शिक्षक दिवस मनाते हैं, पर भूल जाते हैं चाणक्य को जिन्होंने मौर्य वंश के बालक को भारत का प्रधान बनाया। जिद्द पर आकर नन्द वंश का समूल नष्ट किया। सिकंदर जैसे योद्धा के सामने एकजुट होकर लड़ने की प्रेरणा दी।

कलयुग में जन्मे वे एकमात्र ऐसे धरोहर हैं जिन्हें आज पूरा विश्व उनके दिए हुए तर्कों और नीति के लिए याद करता है, पर भारत सरकार आज उनसे उदासीन है। कारण महज ही राजनीतिक है। चाणक्य की राजनीति में हत्या लूटमार, और साजिश नहीं थी। वहां जनता का विश्वास पाकर उसका शोषण करने की नीति नहीं थी। जनता का हक मारकर अपनी तिजोरी भरने की शिक्षा चाणक्य ने अपने शिष्य को कभी नहीं दिया। वोट के लिए हिन्दू मुस्लिम का मजबूत कॉन्सेप्ट नहीं था। इसलिए चाणक्य आज के राजनेताओं के लिए उपयोगी नहीं हैं।

चाणक्य नीति का पहला अध्याय है कि किसी भी सूरत में राज्य की जनता की बेहतरी और खुशहाली। जिसका आज की राजनीति में कोई स्थान नहीं है। चाणक्य की नीति में ए.राजा नहीं था, मायावती और जयललीता भी नहीं थी। नरेंद्र मोदी का गोधरा और मनमोहन सिंह का धृतराष्ट रवैया भी नहीं था। वहां मंत्री बनने के लिए जनता का करीबी होना जरूरी था, राडिया के करीबी होना जरूरी नहीं था।

इसलिए चाणक्य भारत गुरु नहीं हो सकते। मुझे अफसोस है कि मैं इस बात को तनिक देर से समझा !

भाजपा की तिरंगा यात्रा पर हो सकता है आतंकी हमला


नई दिल्ली। जहां कश्मीर में लाल चौक पर तिरंगा फहराने पर राजनीति गर्म हो गई है वहीं खुफिया एजेंसियों की भविष्यवाणियों ने तिरंगा यात्रा में एक रोचक तथ्य जोड़ दिया है। खबर आ रही है कि खुफिया एजेंसियों ने भाजपा की तिरंगा यात्रा पर आतंकी हमले की आशंका जताई है। आपको बता दे कि भाजपा ने अपनी तिरंगा यात्रा पर सोमवार शाम छह बजे सुरक्षा मामलों की कैबिनेट की बैठक बुलाई ह

आपको बता दें कांग्रेस-बीजेपी की सियासी तकरार दिन -प्रतिदिन तीखी होती जा रही है। जहां केन्द्र और राज्य सरकारें भाजपा की तिरंगा यात्रा का पुरोजर विरोध कर रही है वहीं भाजपा तिरंगा फहराने पर अड़ी हुई है। आपको बता दें कि इस समय कश्मीर पूरी तरह से छावनी में बदल चुका है। चप्पे-चप्पे पर आपको सुरक्षाकर्मी दिखायी पड़ेगें। राज्य में प्रवेश के सारे रास्ते सिल दिये गये हैं, साथ ही रेल यात्रियों की गहन छानबीन की जा रही है, इतना ही नहीं दूसरे राज्यों से आने वाली ट्रेनों के रास्ते भी बदले जा रहे हैं।

राज्य और देश में कुछ अनैतिक ना हो जाये इसकी पूरी कोशिश सरकार कर रही है। कोलकता से शुरू हुई भाजपा की तिरंगा यात्रा सोमवार यानी 24 जनवरी को पठानकोट पहुंच गयी और 25 जनवरी को जम्मू पहुंच जायेगी। हो सकता है कि आतंकी हमले की बात सरकार जन-बूझ कर खुफिया एजेसिंयो से कहवा रही हो क्योंकि भाजपा को रोकने में पूरी तरह से नाकाम हो चुकी सरकार इस हथकंडे से भाजपा के मंसूबों पर रोक लगाना चाह रही हो।

Thursday, January 20, 2011

इस्लाम को ‘तालिबानी’ शिकंजे से मुक्त कराने की सख्‍त जरूरत



तनवीर जाफरी


पत्र-पत्रिकाओं व वेब पत्रिकाओं में बहुत ही सक्रिय लेइस्लाम धर्म इस समय घोर संकट के दौरे से गुजर रहा है। जैसा कि इस्लाम धर्म का इतिहास हमें बताता आ रहा है कि अपने उदय के समय अर्थात् लगभग 1450 वर्ष पूर्व से ही इस्लाम को सबसे बड़ा खतरा किसी अन्य धर्म, संप्रदाय या विश्वास के लोगों से नहीं बल्कि दुर्भाग्यवश उन्हीं लोगों से रहा है जो स्वयं को मुसलमान कहते थे और अपने को मुसलमान कहलाना पसंद करते थे। परंतु दरअसल उनकी सोच, गतिविधियां तथा कारनामे ऐसे हुआ करते थे जो वास्तविक इस्लामी शिक्षाओं से कतई मेल नहीं खाते थे। यही कारण था कि इस्लाम धर्म अपने उदय के समय से ही दो भागों में बंटता दिखाई दिया। एक वह वास्तविक इस्लाम जो उदारवाद, समभाव, समानता, कुर्बानी, क्षमा, करूणा तथा मानवता जैसी बुनियादी इस्लामी सीख देता है। यानी पैंगबर हजरत मुहम्‍मद साहब व उनके परिवार के सदस्यों द्वारा बताया गया इस्लाम। और दूसरी ओर समानातंर रूप से उस तथाकथित इस्लाम ने भी उसी समय से अपना पैर पसारना शरू कर दिया जो सत्ता, हुकूमत, बादशाहत, जुल्म, अन्याय अत्याचार, ज़ोर जबरदस्ती तथा अमानवीयता जैसी तमाम गैर इस्लामी शिक्षाओं का प्रतिनिधित्व करता था। समय के साथ-साथ पैंगंबर हजरत मोहम्‍मद का बताया हुआ सच्चा इस्लाम तो अपनी उदारवादी व मानवीय शिक्षाओं के फलस्वरूप इस्लामी शिक्षाओं के शांतिपूर्ण प्रचार प्रसार व अमल में लगा रहा जबकि तथाकथित इस्लाम का परचम उठाने वाले तथाकथित मुसलमान अपने जुल्‍म-ओ-जब्र के सहारे तथा अपनी कटटरपंथी विचारधारा के बल पर स्वयं को सशस्त्र तरीके से माबूत भी करते गए। परिणामस्वरूप आज वास्तविक व सच्चा मुसलमान असहाय नजर आ रहा है जबकि फसादी मुसलमान पूरी दुनिया में इस्लाम के नाम पर इस्लाम को बदनाम व रूसवा करता जा रहा है।

चौदह सौ वर्ष पूर्व का करबला का मैदान हो या मध्ययुगीन इतिहास में दर्ज तमाम आक्रमणकारी मुंगल शासकों के जुल्म या फिर तालिबानी विचारधारा या पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों में अपना प्रभाव बढ़ाते जा रहे तथाकथित कट्टरपंथी इस्लामी विचारधारा के लोग। इन सभी तथाकथित मुसलमानों ने वास्तविक इस्लामी शिक्षाओं को इस कद्र रूसवा व बदनाम किया है कि आज दुनिया में यह नई बहस छिड़ गई है कि दरअसल इस्लामी शिक्षाएं हैं कौन सी? वह जो उदारवादी मुसलमान बता रहे हैं या फिर वह जो गत् 1400 वर्षों से किसी न किसी रूप में दुनिया के किसी न किसी हिस्से में फसाद फैलाने तथा इंसानियत का खून बहाने का पर्याय बनी हैं। ऐसी बहस का छिड़ना भी तब स्वाभाविक हो जाता है जबकि हम यह देखते हैं कि कभी बेनजीर भुट्टो के रूप में एक औरत को बम धमाका कर मार डाला जाता है। यहां मारने वाला गिरोह स्वयं को इस्लामी नुमाईंदा बताता है तथा बेनजीर की हत्या को इस्लामी जेहाद का हिस्सा बताया जाता है। दूसरी ओर इस्लाम धर्म न केवल किसी औरत पर जुल्म ढाने को एक बड़ा गुनाह बताता है बल्कि कुरान की आयतें तो यहां तक कहती हैं अगर तुमने किसी एक बेगुनाह शख्‍स का कत्ल कर दिया तो गोया तुमने पूरी इंसानियत का कत्ल कर डाला।

इसी प्रकार पिछले दिनों पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर को एक ऐसे शख्‍स ने गोलियों से छलनी कर दिया जिसपर सलमान तासीर की सुरक्षा का जिम्‍मा था। हत्यारे मुमताज कादरी का कहना था कि उसने कई मौलवियों की तक़रीरें सुनी थीं। इन्हें सुनने के बाद ही उसने यह फैसला कर लिया था कि वह तथाकथित रूप से ईश निंदा कानून का विरोध करने वाले सलमान तासीर को जिंदा नहीं छोड़ेगा। और आखिरकार उसने सलमान तासीर के रूप में उस शख्‍स की हत्या कर डाली जिसकी मुहाफिजत का जिम्‍मा उस पर था। अब यहां भी इस्लामी शिक्षाओं में विरोधाभास साफ नजर आ रहा है। क्या हत्यारे कादरी ने इस्लामी शिक्षाओं पर अमल करते हुए सलमान तासीर की हत्या की या फिर सलमान तासीर इस्लाम के रास्ते पर चलते हुए एक एक बेगुनाह इसाई महिला आसिया बीबी को जेल से रिहा करवाने की जद्दोजहद में लगे हुए थे। इस घटना से जुड़ा एक सवाल और यह है कि क्या हत्यारे मुमताज कादरी का इस्लाम तथा उसे पथभ्रष्ट व गुमराह करने वाले कठ्मुल्लाओं का इस्लाम उन्हें यही तालीम देता है कि वे जिसकी हिफाजत में तैनात हों उस की हिफाजत सुनिश्चित करने के बजाए उसी की हत्या कर डालें?

उपरोक्त घटना का इससे दर्दनाक व चिंतनीय पहलू यह था कि वास्तविक इस्लामी शिक्षाओं के दुश्मन हत्यारे मुमताज कादरी को उसके द्वारा किए गए हत्या जैसे घिनौने व गैर इस्लामी कृत्य के बाद उसे एक महान आदर्श पुरुष, हीरो,विजेता, फातेह तथा गाजी के रूप में सम्‍मानित किया गया। उस पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियां बरसाई गईं। उसके समर्थन में विशाल जुलूस निकाला गया। उसकी पूरी हौसला अफजाई की। उसकी तत्काल रिहाई की मांग की गई। यहां तक कि सलमान तासीर के जनाजे की नमाज पढ़ाने का कट्टरपंथी कठ्मुल्लाओं द्वारा बहिष्कार तक किया गया। निश्चित रूप से उस समय पूरी दुनिया सलमान तासीर की हत्यापर अफसोस जाहिर कर रही थी तथा उनके सुरक्षा गार्ड द्वारा उन्हें मारने पर चिंतित व व्याकुल दिखाई दे रही थी। जबकि दूसरी ओर मुट्ठीभर सरफिरे इस्लामी विचारधारा के दुश्मन लोग किसी बेगुनाह इंसान के हत्यारे की हौसला अफजाई करते हुए उसका पक्ष ले रहे थे। यहां यहसवाल उठना भी स्वाभाविक है कि वास्तविक इस्लाम किसका है। उस मंकतूल सलमान तासीर का जो एक गैर मुस्लिम महिला की रिहाई के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद करते हुए शहीद हो गया? या फिर जिस हत्यारे ने सलमान तासीर जैसे बेगुनाह इंसान की रक्षा करने के बजाए उसकी हत्या कर डाली उसका?

इसमें कोई शक नहीं कि कट्टरपंथी तालिबानी विचारधारा रखने वाले तथाकथित मुसलमानों द्वारा पाकिस्तान सहित दुनिया भर में किए जा रहे आतंकी कृत्यों के भयवश भले ही निहत्थे, उदारवादी तथा खुदा से डरने वाले मुसलमान वक्त क़ी नजाकत के मद्देनजर खामोश क्यों न हों परंतु अभी भी मुस्लिम समाज में उदारवादी एवं सच्चे इस्लाम के पैरोकारों का बहुमत है। यही वजह थी कि सलमान तासीर के जनाजे की नमाज पढ़ाने का जहां लाहौर के कई कठ्मुल्ला, कट्टरपंथियों व आतंकवादियों के भयवश बहिष्कार कर रहे थे, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान की प्रसिध्द इस्लामिक धार्मिक संस्था दारुल-इफता जामिया इस्लामिया के शेख-उल-इस्लाम मुफ्ती मोहम्‍मद इदरीस उस्मानी ने उसी समय एक फतवा जारी कर दुनिया को यह बताने काप्रयास किया कि सलमान तासीर के हत्यारे मुमताज कादरी द्वारा किया गया आपराधिक कृत्य वास्तव में इस्लाम की नार में क्या था। अपने फतवे में मुफ्ती उस्मानी ने उन लोगों की भी स्थिति इस्लामी नजरिए से स्पष्ट की जो सलमान तासीर की हत्या पर खुशी मना रहे थे तथा इस कत्ल को सही ठहरा रहे थे। शेख-उल-इस्लाम मुंती मोहम्‍मद इदरीस उस्मानी से पूछा गया कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर को उन्हीं के अंगरक्षक द्वारा मारे जाने पर इस्लामी उलेमाओं का क्या मत है? गार्ड का दावा है कि उसने सलमान तासीर की हत्या इसलिए की कि उन्होंने ईश निंदा की है तथा पैंगबर मोहम्‍मद की तौहीन की। जबकि इस बात के कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं हैं कि सलमान तासीर ने हजरत मोहम्‍मद की शान में कोई गुस्ताखी की हो या ईश निंदा की हो। उलेमाओं का उनके विषय में क्या मत है जो सलमान तासीर के हत्यारे की प्रशंसा कर रहे हैं?

उपरोक्त प्रश्न के उत्तर में मुंती इदरीस उस्मानी ने बिसमिल्लाहहिर्रहमानिर्रहीम कहकर फरमाया कि मैंने इस पूरे घटनाक्रम का गहन अध्‍ययन किया है तथा घटना से संबंधित सभी आलेख व समाचार गंभीरता से पढ़े हैं। इसके अतिरिक्त मैंने पाकिस्तान तथा भारत के तमाम वरिष्ठ एवं विशिष्ट इस्लामी धर्मगुरुओं व उलेमाओं से इस विषय पर चर्चा भी की है। अत:उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर इस्लामी शिक्षाओं के अंतर्गत मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूं कि- 1.मलिक मुमताज कादरी ने एक बेगुनाह आत्मा की हत्या कर गुनाहे अजीम (महापाप) अंजाम दिया है। एक बेगुनाह व्यक्ति की हत्या कर कानून अपने हाथ में लेकर तथा अपने कृत्य में इस्लाम के नाम को शामिल कर मुमताज कादरी ने फसाद फिल अर्ज अर्थात् धरती पर फसाद फैलाने जैसा पाप किया है तथा तौहीन-ए-रिसालत अर्थात् हजरत रसूल की तौहीन की है। ठीक यही स्थिति उन लोगों की भी है जो हत्यारे कादरी की तारीफ़ कर तथा बेगुनाह व्यक्ति की हत्या जैसे उसके महाअपराध की तारींफ कर इस्लाम के नाम पर और अधिक फसाद फैलाना चाह रहे हैं। वास्तव में वास्तविक ईश निंदक सलमान तासीर का हत्यारा है जिसने पैंगबरे रसूल की तौहीन की है। 2. वे लोग तथा वे संगठन, गुमराह पत्रकार, राजनीतिज्ञ, वकील तथा अज्ञानी उलेमा (धर्मगुरु) जोकि सलमान तासीर की हत्या जैसे महापाप को सही ठहरा रहे हैं तथा इस पर जश् मना रहे हैं वे भी इस महापाप के सहभगी हैं। और जिन अज्ञानी उलेमाओं ने सलमान तासीर के कत्ल के लिए फतवा जारी किया था वे भी मुफसिद फिल अर्ज यानी धरती पर फसाद फैलाने वाले हैं तथा उन्हें भी इस्लामी शरिया कानून के अंतर्गत सजा दी जानी चाहिए। 3. जब पाकिस्तान की अदालत में हत्यारे कादरी के विरुध्द देश के कानून के अंतर्गत मुकद्दमा चलेगा उस समय कुरान शरीफ की सूरए अलमायदा की आयत संख्‍या 32 को मद्देनजर रखते हुए हत्यारे कादरी तथा उसके समर्थकों के साथ इंसाफ किया जाना चाहिए। कुरान शरीफ के सूरे अल मायदा की आयत 32 के अनुसार जो शस किसी को न जान के बदले में,न मुल्क में फसाद फैलाने की सजा में बल्कि नाहक़ कत्ल करेगा तो गोया उसने सब लोगों को कत्ल कर डाला और जब किसी ने एक व्यक्ति को जिला लिया अर्थात् जिंदा बचा लिया तो गोया उसने सब लोगों को जिला लिया। जो लोग हत्यारे तथा फसाद फैलाने वाले की तारीफ कर रहे हैं उन्हें जहन्नुम नसीब होगा।

उपरोक्त फतवा जोकि इस्लामी शरिया व इस्लामी शिक्षाओं तथा कुरानी आयतों की रोशनी में जारी किया गया है वह अपने आप में इस बात का प्रमाण है कि इस्लाम में न तो किसी बेगुनाह की हत्या की कोई गुंजाईश है न ही बेगुनाह व्यक्ति के किसी हत्यारे की तारींफ करने वालों की कोई जगह। लिहाजा अब वक्त आ गया है कि दुनिया के सभी वर्गों के उदारवादी सच्चे मुसलमान अपने सभी ऐतिहासिक भेदभावों को भुलाकर इन कट्टरपंथी आतंकी शक्तियों के विरुध्द एकजुट हों तथा इनके विरुध्द अहिंसक जेहाद छेड़ने के लिए तैयार हो जाएं। इस अहिंसक जेहाद में वास्तविक इस्लाम की नुमाईंदगी करने वाले उदारवादी उलेमाओं का भी आगे आना बहुत जरूरी है। अन्यथा कहीं ऐसा न हो कि मुसलमान दिखाई देने वाली इस्लाम विरोधी तांकतें इस्लाम को पूरी तरह कलंकित व बदनाम कर डालें तथा कहीं वह इसे हिंसा के प्रतीक के रूप में प्रचारित करने में सफल न हो जाए,